प्रेग्नेंसी में यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस की वजह से फ्रीक्वेंट यूरिनेशन होता है। इसे प्रेग्नेंसी का अर्लियस्ट साइन भी कहा जा सकता है। पेट में बच्चे का आकार बढ़ने के साथ ही प्रेग्नेंसी में यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस के लक्षण बढ़ सकते हैं। बच्चे के पैदा होने के बाद भी ये समस्या हो सकती है। अगर महिला की वजायनल डिलिवरी हुई है तो पोस्टपार्टम यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस होने की अधिक संभावना रहती है। एज और बॉडी मास फैक्टर प्रेग्नेंसी इनकॉन्टिनेंस को बढ़ाने का काम कर सकते हैं।
यूरिन और एम्निऑटिक फ्लूड में समझें अंतर (Understand the difference between urine and amniotic fluid)
प्रेग्नेंसी में यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस की समस्या के चलते महिलाओं के लिए यह समझना मुश्किल हो जाता है कि वजायना से यूरिन लीक हुआ है या फिर एम्निऑटिक फ्लूड। अगर इस बारे में समस्या हो रही है तो हॉस्पिटल में चेक भी कराया जा सकता है। व्हाइट वेक्सी या ग्रीन सब्सटेंस है तो वह एम्निऑटिक फ्लूड ही होगा। एम्निऑटिक फ्लूड अधिक मात्रा में लीक होता है। यूरिन कम मात्रा में लीक होती है। प्रेग्नेंसी में महिलाओं को इस भ्रम से निकलना चाहिए और एक बार डॉक्टर से चेक जरूर कराना चाहिए।
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प्रेग्नेंसी में यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस क्यों होता है? (Why does urinary incontinence occur in pregnancy?)
ब्लैडर पेल्विक बोन के ऊपर स्थित होता है। पेल्विक फ्लोर की मदद से उसे पूरा सपोर्ट मिलता है। ब्लैडर में यूरिन भर जाती है और जब ये खाली हो जाता है तो यह रिलैक्स हो जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान पेल्विक फ्लोर मसल्स का काम बढ़ जाता है।
प्रेशर के कारण
पेट में जब बच्चे का आकार बड़ा हो जाता है तो शारीरिक गतिविधियों जैसे कि जंप करना, छींकना, खांसी आने पर या एक्सरसाइज करने पर ब्लैडर पर अधिक दबाव महसूस होता है। इस कारण से प्रेग्नेंसी में यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस की समस्या हो जाती है।
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हार्मोन में बदलाव (Hormonal changes)
हार्मोन के बदलाव के कारण ब्लैडर और यूरेथ्रा की लाइनिंग पर प्रभाव पड़ता है। इस कारण से भी प्रेग्नेंसी में यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस की समस्या हो जाती है।
मेडिकल कंडिशन के कारण
कुछ हेल्थ कंडीशन जैसे कि डायबिटीज, मल्टीपल स्केलेरोसिस, चिंता या फिर स्ट्रोक की समस्या के कारण भी प्रेग्नेंसी में यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस की समस्या हो सकती है।
यूरिनरी ट्रैक इंफेक्शन के कारण (Causes of urinary track infection)
करीब 30 से 40 प्रतिशत महिलाएं, जिन्होंने अभी तक यूटीआई का इलाज नहीं कराया है, उन्हें प्रेग्नेंसी में यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस की समस्या हो सकती है।
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क्या यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस को ठीक किया जा सकता है? (Can urinary incontinence be corrected?)
प्रेग्नेंसी के समय इस समस्या से बचने के लिए कुछ उपाय किए जा सकते हैं। डिलिवरी के बाद भी अगर समस्या है तो सर्जरी, थेरिपी या फिर एक्सरसाइज की हेल्प से समस्या से निजात पाई जा सकती है। कई स्टडीज में ये बात सामने आई है कि रिपेटेड एब्डॉमिनल डिलिवरी होने के बाद यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस की समस्या से निजात मिल जाती है, लेकिन इस समस्या का उचित समाधान नहीं हो सकता है। यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस की समस्या से निजात के लिए सर्जरी का सहारा लिया जा सकता है। पेल्वकि फ्लोर एक्सरसाइज करने की भी सलाह दी जाती है। पेल्विक एक्सरसाइज की हेल्प से मसल्स को मजबूती मिलती है। मसल्स में ढीलेपन के कारण ही यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस की समस्या होती है।
प्रेग्नेंसी में यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस (Urinary incontinence in pregnancy) का ट्रीटमेंट क्या हो सकता है?
ब्लैडर मैनेजमेंट के साथ ही लाइफस्टाइल में चेंज करके इस समस्या से निजात पाई जा सकती है। ब्लैडर मैनेजमेंट के लिए कुछ तरीकों को अपनाया जा सकता है।
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कीगल एक्सरसाइज (Kegel exercise) पर दें ध्यान
कीगल एक्सरसाइज की हेल्प से पेल्विक मसल्स को स्ट्रेंथ मिलती है। कीगल एक्सरसाइज को प्रेग्नेंसी के पहले, प्रेग्नेंसी के दौरान और बाद में सुरक्षित माना जाता है। कीगल एक्सरसाइज के दौरान उन मसल्स पर जोर देने की जरूरत होती हैं, जो यूरिन को रोकने में मदद करती हैं। अब 10 सेकेंड के लिए मसल्स पर जोर दें। इस तरह से एक दिन में पांच सेट करें। पेल्विक फ्लोर में रिलैक्स कैसे करते हैं, ये जरूर सीखें। ऐसा करने से लेबर के पहले और बाद में हेल्प मिलेगी।
डायरी करें क्रिएट
प्रेग्नेंसी के दौरान अगर नोटिस किया जाए तो पता लग जाता है कि यूरिन किस समय अधिक लीक हो रही है। जिस भी समय अधिक यूरिन लीक की समस्या महसूस कर रहे हैं, उस समय को नोट करें। इस तरह से ब्लैडर को री-टीच किया जा सकता है कि किस समय में यूरिन को रोकने की जरूरत होती है।
कार्बोनेटेड और कैफीनेटेड ड्रिंक्स करें अवॉयड (Avoid carbonated and caffeinated drinks)
कार्बोनेटेड और कैफीनेटेड ड्रिंक्स लेने से यूरिन ज्यादा आती है। ऐसे समय में इन पेय पदार्थों से दूरी बनना सही रहेगा।
रात को न पिएं पानी (Do not drink water at night)
रात को सोने से पहले अधिक पानी या कोई अन्य पदार्थ लेने से यूरिन के अधिक पास होने की शंका रहती है। इसे इग्नोर करना बेहतर रहेगा।
हाई फाइबर डायट लें (Take a high fiber diet)
कब्ज की समस्या से बचने के लिए हाई फाइबर फूड लेना सही रहेगा। कब्ज की समस्या के कारण पेल्विक फ्लोर पर अधिक स्ट्रेस आ सकता है।
मोटापे को करें कम (Reduce obesity)
एब्डॉमिन के आसपास एक्सट्रा वेट ब्लैडर के ऊपर अधिक भार डालता है। ब्लैडर में अधिक प्रेशर पड़ने से प्रेग्नेंसी में यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस की समस्या बढ़ सकती है।
क्या करें?
- प्रतिदिन आठ गिलास पानी पिएं।
- यूरिन के बाद आगे से पीछे की ओर सफाई जरूर करें।
- सूती कपड़े और ढीले कपड़े पहनना उचित रहेगा।
- साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
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क्या न करें?
- यूरिन को लंबे समय तक रोककर न रखें।
- स्ट्रॉन्ग सोप, पाउच, स्प्रे या पाउडर का उपयोग न करें।
- अंडरवियर को धोएं जरूर। बिना धुली अंडरवियर न पहनें।
प्रेग्नेंसी में यूरिनरी इनकॉन्टिनेंस की समस्या से निपटने के लिए बेहतर रहेगा कि एक बार अपने डॉक्टर से बात करें। डॉक्टर आपको उचित राय देगा।
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