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पहली तिमाही से तीसरी तक प्रेग्नेंसी के दौरान ब्रेस्ट में आते हैं ये बदलाव, ऐसे करें देखभाल!


Shikha Patel द्वारा लिखित · अपडेटेड 01/09/2021

    पहली तिमाही से तीसरी तक प्रेग्नेंसी के दौरान ब्रेस्ट में आते हैं ये बदलाव, ऐसे करें देखभाल!

    गर्भधारण से लेकर शिशु की डिलिवरी तक गर्भवती महिला के शरीर में कई बदलाव आते हैं। जैसे-पेट का आकार बढ़ना, वजन बढ़ना आदि, लेकिन क्या आपको पता है कि प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट में भी कई परिवर्तन हो सकते हैं। मेडिकल कॉलेज, लखनऊ की रिटायर्ड गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. शालिनी चंद्रा के अनुसार “दरअसल, गर्भावस्था आपके शरीर में हाॅर्मोन (एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन) के स्तर को प्रभावित करती है। ये हार्मोन ब्रेस्टफीडिंग के लिए ब्रेस्ट को तैयार करने में सहायक होने के साथ ही ब्रेस्ट में कई तरह के परिवर्तनों के लिए भी जिम्मेदार होते हैं।” इस आर्टिकल में जानिए प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट में बदलाव (Breast changes in pregnancy) के बारे में।

    प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट में बदलाव (Breast changes in pregnancy)

    पहली तिमाही (1 से 12 सप्ताह) में स्तनों में क्या परिवर्तन देखे जा सकते हैं?

    इन हफ्तों के दौरान, प्रोजेस्टेरोन हाॅर्मोन मिल्क ग्लैंड को और एस्ट्रोजन हार्मोन दूध नलिकाओं (milk ducts) को विकसित करना शुरू कर देता है। प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट में बदलाव (Breast changes in pregnancy) हर ट्राइमेस्टर में आता है। इस समय शरीर में रक्त की मात्रा भी बढ़ने लगती है ताकि भ्रूण की सभी विकासात्मक जरूरतें पूरी हो सकें। छः से आठ हफ्तों के बीच में स्तनों में अधिक बदलाव देखने को मिलते हैं। प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट भरे हुए दिखते हैं और उनमें हल्की चुभन भी महसूस हो सकती है। ये बदलाव पहली बार प्रेग्नेंट हुई महिलाओं में आसानी से देखे जा सकते हैं। 

    प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट में दिखने वाले सामान्य परिवर्तन-

    • स्तनों का कोमल और अतिसंवेदनशील होना। 
    • स्तनों की नसें ज्यादा गहरी और बड़ी दिखाई देना। 
    • ब्रेस्ट का आकार बढ़ना ।
    • स्तनों में कुछ सूजन भी महसूस हो सकती है।
    • एरियोला (areola) जो कि निप्पल के आस-पास का भाग होता है उसके रंग और आकार में बदलाव।

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    प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट में बदलाव:  दूसरी तिमाही (13 से 27 सप्ताह) में स्तनों में क्या बदलाव नजर आ सकते हैं?

    गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में एस्ट्रोजन के स्तर में लगातार बढ़ोत्तरी होती है। दूसरी तिमाही के पहले कुछ हफ्तों के दौरान ब्रेस्ट में कोलोस्ट्रम बनना भी शुरू हो जाता है। दरअसल, कोलोस्ट्रम ब्रेस्ट मिल्क का पहला रूप है जो प्रेग्नेंसी के दौरान ब्रेस्ट्स में बनता है। इस दौरान कुछ महिलाएं को अचानक ब्रेस्ट से दूध निकलने का एहसास होता है। प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट में हो रहे बदलाव सबसे पहले महिला महसूस करती है। प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट के साइज का बढ़ना ज्यादातर महिलाओं में सामान्य है, लेकिन अगर यह बहुत ज्यादा दर्द दे रहा है तो डॉक्टर से मिलना बेहतर विकल्प है।

    दूसरी तिमाही में स्तनों में दिखने वाले बदलाव कुछ इस प्रकार हो सकते हैं-

  • स्तन का भारी होना ।
  • स्तनों का आकार बढ़ना । 
  • और पढ़ेंः पिता के लिए ब्रेस्टफीडिंग की जानकारी है जरूरी, पेरेंटिंग में मां को मिलेगी राहत

    प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट में बदलाव:  तीसरी तिमाही (27 सप्ताह से डिलिवरी तक) में स्तनों में क्या बदलाव आ सकते हैं? 

    तीसरी तिमाही के दौरान गर्भवती महिला का शरीर एक शिशु के जन्म के लिए तैयार हो जाता है। इस समय प्रेग्नेंट महिला को स्तनों में कुछ बदलाव दिख सकते हैं-

    • स्तनों का ज्यादा भारी होना।
    • ब्रेस्ट साइज दूसरी तिमाही से अधिक बढ़ जाना।
    • निपल्स का आकार बढ़ना।
    • निपल्स और एरियोला का रंग सामान्य से गहरा होना।
    • स्तनों में कभी-कभी खुजली या ड्रायनेस होना।

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    प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट में बदलाव:  प्रेग्नेंसी के दौरान निप्पल का रंग बदलने से न हो परेशान

    प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाएं शरीर में कई प्रकार के परिवर्तन महसूस करती हैं। कुछ परिवर्तन आंतरिक होते हैं तो कुछ परिवर्तन बाहरी होते हैं। जब महिला प्रेग्नेंसी के तीसरे चरण यानी थर्ड ट्राइमेस्टर में होती है तो उसे बहुत से परिवर्तन दिखाई देते हैं। महिलाओं को स्तन में निप्पल के आसपास काले रंग की परत भी दिख सकती है। इसे देखकर अक्सर महिलाएं परेशान हो जाती हैं और डॉक्टर को भी दिखाती हैं। हम आपको बताते चले कि ऐसा हाॅर्मोन में आ रहे बदलाव के कारण होता है। निप्पल के आसपास का रंग पिग्मेंटेशन के कारण डार्क हो जाता है और साथ ही उस स्थान पर पपड़ी या फिर चकत्ते जैसे दिखाई देने लगते हैं। अगर आप अपने स्तनों की सफाई रोजाना नहीं करेंगी तो डिलिवरी के बाद नवजात को स्तनपान कराते समय आपको दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।

    आप निप्पल के बदलते रंग से परेशान न हो। जब डिलिवरी हो जाएगी तो रंग भी सामान्य हो जाएगा। आपको इस समस्या से निजात पाने के लिए कॉटन की हेल्प से रोजाना निप्पल के आसपास फ्रेश क्रीम से सफाई करनी चाहिए, ताकि निप्पल के पास जमी लेयर को आसानी से हटाया जा सके। अगर आप रोजाना सफाई करेंगे तो लेयर पड़ने के बाद भी स्क्रीन क्लीन हो जाएगी, वरना परत को अचानक से साफ करने पर आपको स्तनों में दर्द भी हो सकता है। आप इस बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से भी सलाह ले सकती हैं। ये एक नैचुरल प्रोसेस है, इसलिए आपको घबराने की जरूरत नहीं है।

    गर्भावस्था में स्तनों में परिवर्तन:  स्तनों में स्ट्रेच मार्क

    जिस प्रकार से प्रेग्नेंसी के दौरान आपको पेट के निचले हिस्से, जांघों में स्ट्रेच मार्क दिखते हैं, ठीक उसी तरह से प्रेग्नेंसी के दौरान स्तनों में भी खिचाव के निशान दिखाई दे सकते हैं। आपको इन निशानों से घबराने की जरूरत नहीं है। अगर आपको स्तनों में खिचाव का निशान दिखाई दे रहा है तो उस स्थान में मॉश्चराइजिंग क्रीम का इस्तेमाल करें। ऐसा करने से स्ट्रेच मार्क की समस्या कम हो सकती है। इस बात का ध्यान रखें कि खिचाव के निशान तब अधिक बढ़ जाते हैं जब त्वचा को सही तरह से नमी नहीं मिल पाती है। आप चाहे तो डॉक्टर को इस बारे में जानकारी देकर स्ट्रेच मार्क को दूर करने वाली क्रीम का उपयोग भी कर सकते हैं।

    प्रेग्नेंसी के दौरान ब्रेस्ट की जांच है जरूरी

    वैसे तो महिलाओं को अपने ब्रेस्ट की जांच हमेशा ही करनी चाहिए, लेकिन आपको प्रेग्नेंसी के दौरान अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को अपने ब्रेस्ट की चार से पांच हफ्तों में जांच जरूर करनी चाहिए। आप जब ब्रेस्ट चेक करेंगे तो आपको उनमे भारीपन का एहसास हो सकता है, साथ ही कुछ गांठ जैसा एहसास भी हो सकता है जो सामान्यत: मिल्क डक्ट होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान ब्रेस्ट कैंसर का खतरा मालूम नहीं पड़ता है, लेकिन महिला सावधानी से बड़े खतरे से बच सकती है। 30 से 35 साल में ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम कम ही होता है, लेकिन महिलाओं को अपने ब्रेस्ट की जांच जरूर करनी चाहिए। अगर आपको किसी एक स्थान गांठ का एहसास हो रहा है और साथ ही दर्द की भी समस्या है तो आपको डॉक्टर से जांच जरूर करानी चाहिए।

    डिलिवरी के बाद स्तनों में क्या बदलाव देखे जा सकते हैं?

    प्रसव के बाद भी स्तनों का आकार बड़ा रहता क्योंकि ब्रेस्ट मिल्क का बनना जारी रहता है। किसी-किसी महिला के स्तनों में दूध अधिक मात्रा में बनता है, इसे स्‍तन अतिरक्‍तता (Breast Engorgement) कहते है। स्‍तन अतिरक्‍तता की वजह से ब्रेस्ट में दर्द या सूजन भी महसूस होने लगती है लेकिन, अक्सर स्तनपान या पंपिंग के बाद दर्द और सूजन में राहत मिल जाती है। प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट में बदलाव (Breast changes in pregnancy) आना सामान्य है लेकिन कुछ महिलाओं में प्रेग्नेंसी के बाद भी बदलाव दिखता है।

    डिलिवरी के बाद जब ब्रेस्ट मिल्क बनाना बंद हो जाता है तो कुछ महिलाओं के स्तन अपने पुराने शेप और साइज में वापस आ जाते हैं। तो वहीं कुछ महिलाओं के स्तनों का आकार बड़ा ही रहता है। निप्पल का आकार और रंग पहले जैसा हो भी सकता है और नहीं भी लेकिन, ब्रेस्टफीडिंग बंद करने के बाद निपल्स का रंग धीरे-धीरे हल्का होने लगेगा। जहां प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट साइज बड़ा होता है वहीं प्रेग्नेंसी के बाद ब्रेस्ट साइज छोटा होता है। यह हर किसी के लिए अलग-अलग है। जो महिलाएं लंबे समय तक स्तनपान कराती है उनके ब्रेस्ट और निप्पल में बदलाव होता है।

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    प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट (निप्पल) से खून आना सामान्य है?

    प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट में होने वाले बदलावों की वजह से कुछ महिलाओं के निप्पल से कभी-कभी रक्त का रिसाव हो सकता है। यह रक्त वाहिकाओं की संख्या और आकार में वृद्धि के कारण है। यह गर्भावस्था के दौरान सामान्य हो सकता है, लेकिन निप्पल से रक्त का रिसाव होने की समस्या को लेकर अपने डॉक्टर से जरूर मिलें। प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट में कुछ बदलाव आना एक सामान्य बात है। इन परिवर्तनों को लेकर ज्यादा परेशान न हो, लेकिन अगर स्तनों में कुछ असामान्य बदलाव दिखें तो अपने डॉक्टर से जरूर परामर्श लें।

    प्रेग्नेंसी में निप्पल के रंग में भी बदलाव आ जाता है। ऐसा हार्मोनल चेंजेस के कारण हो सकता है। निप्पल के चारों ओर सफेद रंग की परत भी जम सकती है। अगर सही समय पर निप्पल की सफाई न की जाए तो निप्पल के चारों ओर परत जम जाती है। डिलिवरी के आखिरी समय में निप्पल के चारो ओर चिकनाई यानी मलाई या फिर क्रीम की मदद से सफाई करें। ऐसा करने से जमी हुई परत हट जाएगी। अगर आप डिलिवरी से पहले निप्पल की सफाई नहीं करेंगे तो होने वाले बच्चे को स्तनपान के दौरान दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।

    प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट में बदलाव (Breast changes in pregnancy) से क्या समस्या हो सकती है?

    निम्नलिखित में कुछ समस्याओं का वर्णन किया गया है जो आपके ब्रेस्ट में दूध आने पर अनुभव किया जा सकता है (जब शरीर स्तन में दूध का उत्पादन शुरू करता है और अब कोलोस्ट्रम का उत्पादन नहीं करता है)। यह जानकारी लगभग सभी महिलाओं पर लागू होती है चाहें वह स्तनपान करने का निर्णय लेती हैं या नहीं।

    प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट में बदलाव (Breast changes in pregnancy) से निम्नलिखित परेशानी हो सकती है:

    • दर्द से भरी और फटी निपल्स
    • रुक-रुक कर दूध निकलना
    • स्तन की सूजन
    • स्तन का फोड़ा
    • थ्रश

    प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट में बदलाव (Breast changes in pregnancy) की देखभाल कैसे करें?

    गर्भावस्था में स्तनों में परिवर्तन होना नैचुरल है। इसमें घबराने की जरूरत नहीं है।अगर प्रेग्नेंसी के आखिरी के दिनों में आपके स्तन से अधिक दूध निकल रहा है तो आप नर्सिंग पैड का इस्तेमाल कर सकते हैं। नर्सिग पैड को ब्रा के सपोर्ट से लगाया जा सकता है। ऐसा करने से आपको बहुत राहत मिलेगी। आप नर्सिंग पैड डिस्पोजल या फिर रियूजबल पैड भी खरीद सकती हैं, जिसका इस्तेमाल आप वॉश करने के बाद दोबारा भी कर सकती हैं। आपका ब्रेस्ट साइज प्रेग्नेंसी के दौरान थोड़ा बढ़ता है या फिर अधिक बढ़ता है, इसका आपकी मिल्क सप्लाई पर फर्क नहीं पड़ेगा। आपको बस सतर्क रहने की जरूरत है। अगर आपको ब्रेस्ट में अधिक दर्द या फिर ब्लीडिंग की समस्या हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।  

    आशा करते हैं कि आपको इस आर्टिकल की जानकारी पसंद आई होगी और आपको गर्भावस्था में स्तनों में परिवर्तन या प्रेग्नेंसी में ब्रेस्ट में बदलाव (Breast changes in pregnancy) से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अगर आपके मन में प्रेग्नेंसी या फिर डिलिवरी को लेकर अन्य कोई सवाल हैं तो आप हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। स्वास्थ्य संबधी जानकारी से अपडेट रहने के लिए आप हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज को लाइक करें और कमेंट बॉक्स में अपना प्रश्न लिखें, हम उत्तर देने की कोशिश करेंगे। 

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