मिसकैरिज या गर्भपात, प्रेग्नेंट महिला और उसके परिवार के लिए एक तकलीफदेह घटना होती है जिसे मेडिकल भाषा में स्पॉन्टेनियस एबॉर्शन (स्वाभाविक गर्भपात) भी कहते हैं। यह आमतौर पर गर्भावस्था के पहले तीसरे महीनों में अधिक देखने को मिलता है। इसलिए डॉक्टर्स इस दौरान ज्यादा सावधानी बरतने की सलाह देते हैं और मिसकैरिज के कारण (Cause of miscarriage) को भी समझने की सलाह देते हैं। गाइनोकोलॉजिस्ट डॉ. मालती पांडेय (जयती क्लिनिक, लखनऊ) का कहना है कि “आजकल डायबिटीज, हायपोथायरायडिज्म, उच्च रक्तचाप, थायराइड और ऑटोइम्यून बीमारियों ज्यादा देखने को मिलती हैं। अगर कोई महिला बेबी प्लान करने के बारे में सोच रही हो तो उसे पहले बीमारियों को नियंत्रित करना चाहिए क्योंकि ये स्थितियां मिसकैरिज का कारण बन सकती हैं।”
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इन दिनों मिसकैरिज के मामले बढ़ते जा रहे हैं। हालांकि मिसकैरिज के कारण (Cause of miscarriage) का पता लगाना आज भी मुश्किल ही है, लेकिन “हैलो स्वास्थ्य” के इस आर्टिकल में मिसकैरिज के सबसे सामान्य चार कारणों के बारे में बताया जा रहा है। जिन पर ध्यान देकर गर्भावस्था के समय को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है।
मिसकैरिज के कारण (Cause of miscarriage) क्या हैं?
गर्भपात के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं। जैसे:
1. मिसकैरिज के कारण: असामान्य गुणसूत्र (Abnormal Chromosomes)
बच्चे के गुणसूत्रों में आई समस्या, गर्भावस्था के पहले 13 हफ्तों में गर्भपात का एक बड़ा कारण है। लगभग 50 प्रतिशत मिसकैरिज के मामलों में बच्चे के असामान्य गुणसूत्र (गुणसूत्रों की संख्या कम या ज्यादा) प्रमुख कारण होते हैं। दरअसल क्रोमोसोम में ऐसे जीन होते हैं जो बच्चे के लक्षणों को निर्धारित करते हैं, जैसे-उसके बालों और आंखों का रंग। जब बच्चे में गुणसूत्रों की संख्या में गड़बड़ी होती है, तो बच्चे का विकास बाधित होता है। एक रिसर्च के अनुसार “35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में गुणसूत्र संबंधी असामान्यताओं के कारण होने वाले गर्भपात अधिक पाए जाते हैं।” आमतौर पर, क्रोमोसोम की समस्या की वजह से होने वाले मिसकैरिज से भविष्य में गर्भधारण में कोई समस्या नहीं आती है।
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2. मिसकैरिज के कारण: कुछ स्वास्थ्य स्थितियां (Some Medical Conditions)
13 सप्ताह से 24 सप्ताह के बीच या दूसरी तिमाही में होने वाले मिसकैरिज के पीछे अक्सर मां के स्वास्थ्य की कुछ स्थितियां जिम्मेदार होती हैं। कुछ स्वास्थ्य समस्याएं ऐसी हैं जिसकी वजह से गर्भपात का जोखिम बढ़ जाता है। जैसे-
- साइटोमेगालोवायरस (एक ऐसा वायरस है जो गर्भावस्था के दौरान मां से बच्चे में फैल जाता है) या जर्मन खसरा जैसे कुछ संक्रमण (Infection) गर्भपात का कारण बन सकते हैं।
- गर्भावस्था से पहले डायबिटीज, हायपोथायरायडिज्म, उच्च रक्तचाप, थायराॅइड (Thyroid) और ऑटोइम्यून बीमारियों (Autoimmune disease) को नियंत्रित किया जाना चाहिए क्योंकि ये स्थितियां गर्भपात का कारण बन सकती हैं।
- गर्भाशय की कुछ असामान्यताएं भी मिसकैरिज के खतरे को बढ़ा सकती हैं। जैसे- फाइब्रॉइड (असामान्य आकार का गर्भाशय) या गर्भाशय ग्रीवा (Cervix) जो बहुत जल्दी खुल जाती हो या चौड़ी हो जाती हो, जिसकी वजह से भ्रूण गर्भ में नहीं रुक पाता है।
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3. मिसकैरिज के कारण: खराब जीवनशैली और वातावरण
कुछ आदतें जैसे-नशीली दवाओं का सेवन, गर्भावस्था के दौरान शराब पीना, धूम्रपान, ज्यादा मात्रा में कैफीन लेना आदि गर्भपात का कारण बन सकते हैं। इसलिए अगर आप बेबी प्लान कर रही हैं या प्रेग्नेंट हैं, तो सबसे पहले इन खराब आदतों को छोड़ दें। इसके अलावा, ‘प्रदूषित शहर में रहना’ भी मिसकैरिज के खतरे को बढ़ा सकता है। दरअसल, फरवरी 2019 में प्रकाशित फर्टिलिटी एंड स्टेरिलिटी के एक अध्ययन पाया गया कि बढ़े हुए नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के स्तर के संपर्क में रहने से गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। स्टडी में पाया गया कि सात दिनों तक 10-पीपीबी वाले नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के स्तर वाले क्षेत्र में रहने से गर्भपात की संभावना 16% से अधिक थी।
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4. मिसकैरिज के कारण: मां की उम्र
मिसकैरिज का मां की आयु से गहरा संबंध है। मां की ज्यादा उम्र गर्भपात का कारण बन सकती है क्योंकि उम्र बढ़ने पर भ्रूण (Fetus) के विकास में समस्या होने लगती है जिससे गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। रिसर्च के अनुसार 35 साल से कम उम्र की महिलाओं में गर्भपात की संभावना लगभग 15% होती है जबकि 35-45 वर्ष की महिलाओं में मिसकैरिज की संभावना 20-35% होती है। वहीं 45 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में गर्भपात की संभावना 50% तक बढ़ जाती है।
मिसकैरिज के अन्य क्या कारण हो सकते हैं? (Other Reasons Of Miscarriage)
- एक महिला जिसका पहले भी गर्भपात हो चुका है, उसका मिसकैरिज होने की संभावना 25% बढ़ जाती है।
- हार्मोन की समस्याएं जैसे-प्रोजेस्टेरोन की कमी या एस्ट्रोजन की अधिकता भी मिसकैरिज के कारण में से एक है।
- महिलाओं का खराब इम्यून सिस्टम भी गर्भपात में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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- ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर से गर्भपात होना बहुत ही दुर्लभ है लेकिन, आपके मिसकैरिज (Miscarriage) की यह भी एक वजह हो सकती है।
- कुछ दवाएं भी गर्भपात का कारण बन सकती हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान कोई भी दवा लेने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर करें। ये भी मिसकैरिज के कारण में से एक है।
- कम या अधिक वजन होने के कारण गर्भपात (Miscarriage) का खतरा बढ़ सकता है।
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गर्भपात से बचाव के लिए क्या उपाय करें? (Prevention For Miscarriage)
गर्भपात को रोकने का कोई निश्चित तरीका नहीं है लेकिन, कुछ उपायों के द्वारा आप गर्भपात की संभावना को काफी हद तक कम कर सकती हैं।
- गर्भावस्था के लिए खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करें।
- नियमित रूप से चेक- अप कराएं। इससे किसी भी स्वास्थ्य समस्या को रोकने और इलाज करने में मदद मिलेगी।
- कुछ पुरानी बीमारियों के चलते गर्भपात का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में आप आवश्यक ट्रीटमेंट लें।
- सिगरेट, तंबाकू और एल्कोहॉल गर्भपात का मुख्य कारण हो सकते हैं। इसलिए इन सब चीजों का सेवन बंद कर दें।
- यदि आपका पहले भी गर्भपात हुआ है तो किसी प्रसूति-रोग विशेषज्ञ (जैसे पेरिनेटोलॉजिस्ट) को दिखाएं।
- मिसकैरिज की संभावना को कम करने के लिए गर्भावस्था के दौरान फोलिक एसिड और अन्य विटामिन लेने की सलाह दी जाती है।
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गर्भपात के बाद क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? (Precautions After Miscarriage)
मिसकैरिज के बाद महिला को शारीरिक और मानसिक रूप से देखभाल की जरूरत होती है। गर्भपात के बाद ये कुछ सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है।
- खाने-पीने का विशेष ध्यान रखें।
- गर्भपात के बाद जब तक आपके दो मासिक चक्र पूरे न हो जाएं तब तक फिर से बेबी प्लानिंग (Baby planing) के बारे में न सोचें।
- गर्भपात के बाद डॉक्टर की सलाह से नियमित रूप से व्यायाम करना चाहिए और अपना वजन नियंत्रित रखना चाहिए।
- अगर गर्भपात के बाद बुखार आ रहा है, तो डॉक्टर से संपर्क करें। बुखार (Fever) को अनदेखा न करें, क्योंकि यह गर्भपात के बाद इंफेक्शन (Infection) का एक संकेत हो सकता है।
- मिसकैरिज के बाद कुछ समय तक शारीरिक संबंध बनाने से बचें।
- धूम्रपान और कैफीन का सेवन न करें।
गर्भपात या मिसकैरिज एक दुखद स्थिति है जिसकी वजह कुछ शारीरिक समस्याएं, खराब लाइफस्टाइल हो सकती है। इन कुछ कारणों को नियंत्रित करके गर्भवती महिलाएं या प्रेग्नेंसी प्लानिंग कर रही महिला मिसकैरिज के जोखिम को काफी हद तक कम कर सकती हैं।
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