गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को जी मिचलाना, उल्टी और चक्कर आना जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान डिस्चार्ज की समस्या होती है। गर्भावस्था के दौरान वजायना से डिस्चार्ज प्री-प्रेग्नेंसी से अलग होता है। जो रंग और मात्रा में भिन्न हो सकता है। इन डिस्चार्ज में वृद्धि गर्भावस्था के शुरुआती लक्षणों में से एक है। इस दौरान महिलाओं को कभी-कभी ब्राउन डिस्चार्ज भी होता है। जिसे पहली बार प्रेग्नेंट हुई महिलाएं गर्भपात समझ बैठती हैं। गर्भावस्था में हल्का डिस्चार्ज होना बहुत सामान्य है। इसका मतलब यह भी नहीं कि इन्हें नजरअंदाज करना शुरू कर दें।
क्याें होता है प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज (Brown discharge in pregnancy)?
गर्भवती महिला के गर्भ में जब निषेचित अंडा गर्भाशय की दीवार पर अपनी जगह बनाता है तो ब्लड की कुछ बूंदें गिरती हैं, जिसे ब्लड डिस्चार्ज या स्पॉटिंग कहा जाता है। डिस्चार्ज में आने वाला ब्लड सफेद, गुलाबी तथा लाल रंग का होता है। कई बार प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज (Brown discharge in pregnancy) भी होता है। यह चिंता की बात नहीं है, लेकिन ज्यादा ब्लड दिखे तो आपको डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए। क्योंकि सामान्य से अधिक और लगातार डिस्चार्ज का होना एक्टोपिक गर्भावस्था, प्लासेंटल एबरप्शन, गर्भपात या प्लेसेंटा प्रीविया का संकेत हो सकता है।
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कब शुरू होता है प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज?
करीब 20 से 30 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान पहली तिमाही में वजायनल ब्लीडिंग हो सकती है। सामान्य तौर पर यह हल्की गुलाबी या डार्क ब्राउन रंग की होती है।
प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज के लक्षण (Symptoms of Brown Discharge During Pregnancy):
- ब्लड डिस्चार्ज
- पेट में मरोड़ उठना
- पीठ में दर्द
- लगातार उल्टी
- बेहोशी आना
प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज और ब्लीडिंग होने के क्या कारण हैं?
प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज का कारण इंप्लांटेशन:
जब निषेचित अंडा महिला के गर्भाशय में अच्छे से प्रवेश कर जाता है तो इस दौरान गर्भाशय के ब्लड वेसल्स के टूटने पर वजायना से रक्तश्राव होने लगता है। जो कभी-कभी कुछ घंटों तक हो सकता है। कुछ परिस्थितियों में यह एक दो दिन तक रह सकता है फिर अपने आप ठीक हो जाता है। इस दौरान ब्राउन डिस्चार्ज हो सकता है।
मेंस्ट्रुअल साइकल के रेगुलर न होने से भी होता है प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज :
गर्भावस्था में हार्मोन महिलाओं के पीरियड्स चक्र को दबाने लगते हैं। जिस वजह से कई बार पीरियड्स आने में थोड़ा वक्त लगता है। इसलिए संभव है कि पीरियड की निश्चित तिथि को आप मासिक धर्म के दौरान होने वाली समस्याओं को महसूस करें। जैसे- ब्रेस्ट में खिंचाव, कमर दर्द, पेट दर्द। इसके साथ ही डिस्चार्ज भी हो सकता है। यह डिस्चार्ज या ब्लीडिंग बहुत कम मात्रा में होगी और खुद बंद हो जाएगी।
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वजायनल इंफेक्शन भी हो सकता है प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज की वजह:
शरीर का यह आंतरिक भाग बहुत सेंसिटिव होता है। जिनमें हल्का सा इंफेक्शन होने से ब्लीडिंग या ब्राउन डिस्चार्ज होने की संभावना बढ़ जाती है। कई बार वजायना अथवा ग्रीवा में बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण भी ऐसा होता है। इंफेक्शन के कारण वजायना में सूजन और उस एरिया का लाल होने की समस्या होने की स्थिति को बैक्टीरियल वजायनल इंफेक्शन कहते हैं।
प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज का कारण सेक्शुअल इंटरकोर्स:
सर्वाइकल पॉलिप्स की वजह से स्पॉटिंग होना आम बात है। सर्वाइकल पॉलिप्स की वजह से भी प्रेग्नेंसी में स्पॉटिंग की समस्या हो सकती है। सर्विक्स में जब ग्रोथ होती है तो ये ब्राउन डिस्चार्ज का कारण बन जाती है। ऐसा एस्ट्रोजन के हाई लेवल के कारण भी हो सकता है। जब प्रेग्नेंसी के दौरान सर्विक्स में ब्लड वैसल्स की संख्या बढ़ जाती है तो ब्राउन डिस्चार्ज या हल्की ब्लीडिंग का कारण बन सकती है। जब सेक्शुअल इंटरकोर्स होता है तो ब्लीडिंग हो जाती है। आप इस बारे में डॉक्टर से भी अधिक जानकारी ले सकते हैं। प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स को सुरक्षित माना जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स करने से खतरा नहीं होता है। अगर महिला को प्रेग्नेंसी के दौरान किसी भी तरह काम्प्लीकेशन नहीं है तो वो सेक्स कर सकती है। सेक्स के समय हल्की ब्लीडिंग खतरे का संकेत नहीं होती है। अगर आपको सेक्स के समय किसी तरह की परेशानी हो रही है तो बेहतर होगा कि आप अपनी डॉक्टर से इस बारे में जानकारी प्राप्त करें।
प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज से हो सकता है एक्टोपिक प्रेग्नेंसी का खतरा:
गर्भावस्था के दौरान की यह घटना बहुत दुर्भाग्यपूर्ण मानी जाती है। जब अंडा गर्भाशय में अपने सही जगह ना पहुंच सके और यूट्रस को छोड़ कहीं और सेटल हो जाए तो उसे अस्थानिक गर्भधारण या एक्टोपिक प्रेग्नेंसी कहते हैं। इसमें अंडा गर्भाशय नाल में ही रुक जाता है, जिससे गर्भवती महिला को ब्लीडिंग और डिस्चार्ज के साथ पेट के निचले हिस्से में तेज दर्द होता है। एक्टोपिक प्रेग्नेंसी की जानकारी लक्षणों के आधार पर ही होती है। महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान दर्द की समस्या आमतौर पर नहीं होती है। अगर ऐसे में किसी महिला को पेट में तेज दर्द का एहसास और ब्लीडिंग हो तो तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।
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प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज की वजह हो सकती है मोलार प्रेग्नेंसी:
मोलार प्रेग्नेंसी में निषेचित अंडे में किसी गुणसूत्रों की बहुलता के कारण गर्भाशय में भ्रूण का सही विकास नहीं हो पाता। यह असामान्यता का भी संकेत दे सकती है। इस परिस्थिति में भ्रूण का विकास हो पाना संभव नहीं होता। कई बार जब किसी महिला की मोलार प्रेग्नेंसी होती है तब भी लाइट पिंक या ब्राउन डिस्चार्ज होता है।
क्या प्रेग्नेंसी के आखिरी दिनों में भी हो सकता है ब्राउन डिस्चार्ज
जिन तरह से प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों में ब्राउन डिस्चार्ज की समस्या हो सकती है, ठीक वैसे ही प्रेग्नेंसी के आखिरी दिनों में भी ये समस्या हो सकती है। गर्भावस्था के आखिरी दिनों में भूरे रंग के डिस्चार्ज का मतलब लेबर के करीब होने के संकेत के रूप में हो सकता है। म्यूकस प्लग के रप्चर होने पर हल्के भूरे रंग का डिस्चार्ज हो सकता है। इससे डरने की जरूरत नहीं है। अगर ऐसा हुआ है तो आपको डॉक्टर से इस बारे में परामर्श करना चाहिए और साथ ही आपको हॉस्पिटल जाने के लिए तैयार भी हो जाना चाहिए। ऐसे में लेबर पेन के कभी भी शुरू होने की संभावना रहती है। एक बात का ध्यान रखें कि ब्लीडिंग और भूरे रंग के डिस्चार्ज में अंतर होता है। अगर आपको प्रेग्नेंसी के आखिरी दिनों में ब्लीडिंग हो रही है तो ये ठीक नहीं है। आपको तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।
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ब्राउन डिस्चार्ज आने पर टेस्ट की जरूरत
अगर आपको लग रहा है कि प्रेग्नेंसी में स्पॉटिंग का होना ज्यादातर मामलों में खतरनाक नहीं होता है तो फिर टेस्ट की क्या जरूरत है ? हम आपको बता दे कि प्रेग्नेंसी में स्पॉटिंग के साथ अगर ब्लीडिंग की समस्या भी हो रही है तो डॉक्टर आपको टेस्ट कराने की सलाह भी दे सकता है। प्रेग्नेंसी के दौरान सर्वाइकल टेस्ट और वजाइनल टेस्ट ऐसे में जरूरी हो जाता है। जांच के दौरान खून की जांच और अल्ट्रासाउंड अहम होता है। ऐसा करने से यूट्रस के शेप के साथ ही अन्य अहम बातों के बारे में भी जानकारी मिल जाती है। अगर आपको प्रेग्नेंसी स्पॉटिंग ज्यादा हो रही है तो डॉक्टर ऐसे में आपको कुछ मेडिसिन लेने के साथ ही आराम करने की सलाह भी दे सकता है। एक बात का ध्यान रखें वाइट डिस्चार्ज हो या फिर ब्राउन डिस्चार्द, अगर गर्भावस्था के दौरान ये अधिक मात्रा में आ रहा है और साथ ही डिस्चार्ज से बदबू भी आ रही है तो ये संक्रमण का संकेत भी हो सकता है। ऐसे में महिला को फीवर भी आ सकता है। ऐसी समस्या होने पर डॉक्टर से परिक्षण कराना बहुत जरूरी हो जाता है। अगर इंफेक्शन का सही समय पर इलाज नहीं कराया जाता है तो किडनी को भी खतरा पैदा हो सकता है। सावधानी ही किसी भी बीमारी को रोकने का पहला कदम है।
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प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज हो तो इन बातों का रखें ध्यान:
- प्रेग्नेंसी के दौरान अगर स्पॉटिंग हो रही हो तो सैनिटरी पैड जरूर इस्तेमाल करें ताकि आपको पता चल सके कि ब्राउन डिस्चार्ज कितनी मात्रा में हो रहा है। इससे आपको खतरे का अंदाजा लगा सकेगा।
- वजायना से निकलने वाले ब्लड की कुछ कोशिकाओं की जांच कराएं।
- गर्भावस्था के दौरान अगर आपको ज्यादा ब्लीडिंग या ब्राउन डिस्चार्ज हो तो इस दौरान टेम्पून (Tempon) के इस्तेमाल से परेहज करें।
- आपको स्पॉटिंग या ब्लीडिंग हो रही है तो शारीरिक संबंध बनाने से परहेज करें।
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प्रेग्नेंसी में स्पॉटिंग: नियमित चिकित्सा जांच है जरूरी
सामान्य मामलों में महिलाओं को हल्के डिस्चार्ज की समस्या होती है जो कि सामान्य है। ऐसे मामलों में महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कम से कम 6-9 बार चेकअप के लिए जाना चाहिए।
पीरियड और गर्भावस्था के अलग-अलग समय में डिस्चार्ज होना एक सामान्य है। वही हेल्दी वजायनल डिस्चार्ज को ल्यूकोरिया के नाम से भी जाना जाता है। यह पतला और सफेद होता है और इसमें हल्की स्मेल आती है।
वजायनल और यूटेराइन इंफेक्शन को कम करने के लिए गर्भावस्था के दौरान डिस्चार्ज की मात्रा बढ़ जाती है। गर्भावस्था के आखिरी हफ्ते में डिस्चार्ज की मात्रा सबसे ज्यादा होती है। इस ड्यूरेशन में यह गुलाबी रंग का और म्यूकस जैसा दिखता है। आमतौर यह पर जैली की तरह होता है जो यह बताता है कि महिला का शरीर डिलिवरी के लिए तैयार है।
मिसकैरिज के संकेत को समझें
आपको अगर प्रेग्नेंसी के शुरुआती दिनों में ब्राउन डिस्चार्ज दिख रहा है तो आप उसे मिसकैरिज बिल्कुल भी न समझे। ज्यादातर मिसकैरिज प्रेग्नेंसी के पहले 13 वीक में पाए जाते हैं। कुल प्रेग्नेंसी के करीब 10 प्रतिशत मामलों में मिसकैरिज पाए जाते हैं। आप डॉक्टर को बता सकते हैं कि आपको स्पॉटिंग हुई है या फिर ब्लीडिंग। अगर ब्लीडिंग एक घंटे के अंदर बंद नहीं हुई है खतरे की बात हो सकती है। साथ ही वजन का घटना, वाइट-पिंक म्युकस का आना, पेट में संकुचन होना और साथ ही प्रेग्नेंसी के लक्षणों में कमी आना मिसकैरिज का संकेत हो सकता है। इस बात का जानकारी डॉक्टर जांच के बाद ही दे सकता है।
दूसरी और तीसरी तिमाही में मिसकैरिज के संकेत
दूसरी और तीसरी तिमाही में भी मिसकैरिज की संभावन रहती है। लेट प्रेग्नेंसी मिसकैरिज 13 हफ्तों के बाद में होता है। ऐसे में फीटस में मूवमेंट नहीं होता है। साथ ही वजाइनल स्पॉटिंग भी होती है। बैक और पेट में संकुचन होता है। वजाइना से कुछ फ्लूड और टिशू भी निकल सकता है। ऐसे में तुरंत डॉक्टर से जांच करवानी चाहिए।
ऐसी स्थिति होने पर डॉक्टर कुछ मेडिसिन देते हैं ताकि फीटस के साथ ही प्लासेंटा को वजाइनली डिलिवर किया जा सके। अगर ऐसा संभव नहीं होता है तो डॉक्टर फीटस को सर्जिकल रिमूव भी कर सकते हैं। इस प्रोसेस को डायलेशन या इवेक्युएशन भी कहा जाता है।
ध्यान दें
हम उम्मीद करते हैं कि प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज पर आधारित यह आर्टिकल आप के लिए उपयोगी साबित होगा। अगर आप प्रेग्नेंसी प्लान कर रही हैं तो आपके लिए इन बातों की जानकारी रखना बहुत जरूरी है ताकि आप इस दौरान घबराएं न। साथ ही अगर आप गर्भावस्था में तब भी आपको इस दौरान होने वाले फिजिकल और मेंटल चेंजेस के बारे में पता होना चाहिए। प्रेग्नेंसी में ब्राउन डिस्चार्ज चिंता की बात नहीं है, लेकिन यदि ज्यादा ब्लड दिखे तो आपको डॉक्टर से संपर्क जरूर करना चाहिए।
उपरोक्त जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। प्रेग्नेंसी में स्पॉटिंग के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से परामर्श कर सकते हैं। आप स्वास्थ्य संबंधि अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं।
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