परिचय
क्लैमाइडिया क्या है?
क्लैमाइडिया एक ऐसी बीमारी है जिसके बारे में लोगों को नहीं पता होगा कि उन्हें ये समस्या है। इस बीमारी में मवाद जैसा पीला पदार्थ निकल सकता है। इसमें पेशाब करने में लगातार दर्द, सेक्स या पीरियड के दौरान रक्त स्त्राव या दर्द और डिस्चार्ज के लक्षण रहते हैं। क्लैमाइडिया आगे चलकर पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज, क्रॉनिक पैल्विक पेन, एक्टोपिक प्रेग्नेंसी और बांझपन का कारण बन सकती है। क्लैमाइडिया संक्रमण का इलाज करने के लिए एंटीबायोटिक्स का उपयोग किया जाता है।
इस बारे में शहानी हॉस्पिटल की डायरेक्टर की डाॅक्टर संतोष शहानी का कहना है कि जिन महिलाओं को इसकी बीमारी होती है, उनमें से ज्यादातर को लक्षण नजर नहीं आते हैं। इस वजह से ये पता नहीं चल पाता है कि आपको क्लैमाइडिया है। इस वजह से इसे एक साइलेंट इनफेक्शन भी कहा जाता है। क्लैमाइडिया का इलाज न होने पर प्रजनन क्षमता पर असर पड़ सकता है। इस संक्रमण की पहचान और इलाज दोनों ही जरूरी हैं। क्लैमाइडिया संक्रमण का सबसे आम लक्षण गर्भाशय ग्रीवा में सूजन होना है। क्लैमाइडिया के लक्षण गोनोरिया बीमारी जैसे ही होते हैं। संक्रमण होने के कई हफ्ते बाद लक्षण नजर आते हैं।
यह भी पढ़ें: Abdominal migraine : एब्डॉमिनल माइग्रेन क्या है?
गर्भाशय ग्रीवा में सूजन के अलावा वैजाइनल डिस्चार्ज और पेट में दर्द हो सकता है। साथ ही पेशाब के साथ दर्द या जलन, पेशाब में खून आना, पेशाब करने की लगातार जरूरत महसूस करना और बार-बार पेशाब आना जैसे लक्षण भी शामिल हैं।
30 फीसदी मामलों में देखा गया है कि अगर इसके संक्रमण का इलाज नहीं किया जाता है, तो संक्रमण पेल्विक अंगों के अंदर फैल जाता है। जिससे पैल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी) हो जाती है। इसके लक्षणों की बात करें तो इसमें पैल्विक दर्द, संभोग के साथ दर्द, बुखार, ऐंठन और पेट में दर्द शामिल हैं। पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज से प्रजनन अंगों को नुकसान हो सकता है जिससे बांझपन हो सकता है।
लक्षण
क्लैमाइडिया के लक्षण क्या है?
क्लैमाइडिया से पीड़ित ज्यादातर महिलाओं को लक्षण नहीं पता चलते हैं। अगर कई हफ्तों बाद लक्षण दिखेंगे तो वो इस प्रकार होंगे:
- पीरियड्स के बीच ब्लीडिंग
- पेशाब करते समय जलन
- बुखार
- कमर के निचले हिस्से में दर्द
- पेट के निचले हिस्से में दर्द
- जी मिचलाना
- सेक्स के दौरान दर्द
- असामान्य वैजाइनल डिस्चार्ज
- कुछ गंभीर मामलों में इसके संक्रमण का असर आंखों पर भी दिखने लगता है। इसे यह कंजंक्टिवाइटिस के रूप में जाना जाता है। यह तब होता है जब आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ संभोग करते हैं जिसकी आंख में क्लैमाइडिया संक्रमण हो।
यह भी पढ़ें: Abrasion : खरोंच क्या है?
इसके कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:
- आंखों में जलन
- आंखों की रोशनी में कमी
- आंखों में लालिमा
- इसमें भले ही कोई लक्षण न नजर आएं लेकिन आगे चलकर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं। अगर आपको लगता है कि आपको इसका खतरा हो सकता है, तो आपको और आपके सेक्स पार्टनर को जल्द से जल्द डॉक्टर से जांच करवाने की जरूरत है।
कारण
क्लैमाइडिया का कारण क्या है?
- यह एक संक्रमण है जो क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस बैक्टीरिया की वजह से होता है। यह बैक्टीरिया संक्रमित व्यक्ति के गर्भाशय ग्रीवा, मूत्रमार्ग, योनि और मलाशय में मौजूद हो सकता है। यह गले में भी रह सकता है। संक्रमित व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार का यौन संपर्क में आने से संक्रमण फैल सकता है।
- जो युवा यौन संबंध बनाने में ज्यादा सक्रिय रहते हैं उन्हें इसका खतरा ज्यादा होता है।
- अगर मां को इसकी समस्या है तो जन्म के समय बच्चे को भी संक्रमण हो सकता है। क्योंकि शिशु योनि नलिका से गुजरता है। जन्म के समय अगर बच्चे को क्लैमाइडिया संक्रमण हुआ तो उसकी आंखों को नुकसान पहुंच सकता है। साथ ही उसे निमोनिया हो सकता है।
- अगर किसी व्यक्ति का इलाज हो गया हो तो फिर से उसे संक्रमण हो सकता है। जिसमें क्लैमाइडिया के कोई लक्षण नहीं है, उनको भविष्य में कुछ स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। बीमारी का पता लगाने का एकमात्र तरीका यह है कि आप और आपके पार्टनर समय-समय पर टेस्ट करवाते रहें।
- वैजाइनल, ओरल और एनल सेक्स करने वालों को ये समस्या ज्यादा होती है। अगर कोई लक्षण न हो तो भी क्लैमाइडिया फैल सकता है। क्लैमाइडिया उन महिलाओं को भी हो सकता है जिनके महिलाओं के साथ यौन संबंध होते हैं।
यह भी पढ़ें: Abscess Tooth: एब्सेस टूथ क्या है?
परीक्षण
क्लैमाइडिया का परीक्षण कैसे होता है?
- क्लैमाइडिया का परीक्षण प्रयोगशाला में किया जाता है। डॉक्टर बैक्टीरिया के कुछ सैंपल लेते हैं और पता करते हैं कि वे क्लैमाइडिया के बैक्टीरिया हैं या नहीं। क्लैमाइडिया का परीक्षण करने का एक पुराना तरीका भी है जिसे क्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्ट या NAAT भी कहते हैं।
- इस परीक्षण को करने में ज्यादा समय लगता है। स्त्री रोग विशेषज्ञ NAAT गर्भाशय ग्रीवा की सूजन का पता लगाने के लिए नमूने लेते हैं। यूएस सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की सलाह है कि 25 साल और उससे कम उम्र की महिलाओं को क्लैमाइडिया संक्रमण के लिए हर साल जांच करानी चाहिए।
- ये जांच तब ज्यादा जरूरी हो जाती है जब महिला यौन संबंध बनाने में सक्रिय हो। गर्भवती महिलाओं का परीक्षण किया जाना चाहिए। साथ ही 25 से ज्यादा उम्र वाली उन महिलाओं को भी जांच करानी चाहिए जिनके कई सेक्स पार्टनर हों।
इलाज
क्लैमाइडिया का इलाज क्या है?
- क्लैमाइडिया के बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले एंटीबायोटिक्स दवाएं देते हैं। परीक्षण करने के बाद अगर क्लैमाइडिया पाया जाता है तो पिछले 60 दिनों में आपने जिस भी साथी के साथ यौन संबंध बनाए हों उनका भी परीक्षण करवाना जरूरी है।
- डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाओं के साथ ही क्लैमाइडिया का अन्य तरीकों से भी इलाज करते हैं। एंटीबायोटिक दवा का पूरा कोर्स होने के 7 दिन बाद तक यौन संबंध नहीं बनाने चाहिए।
- भले ही लक्षण चले गए हों लेकिन फिर भी यौन संबंध से दूर रहना चाहिए। उपचार के तीन महीने बाद, आपको क्लैमाइडिया का फिर से परीक्षण करवाना चाहिए।
- अजिथ्रोमाइसिन और डॉक्सीसाइक्लिन एंटीबायोटिक्स हैं जो आमतौर पर क्लैमाइडिया संक्रमण के इलाज के लिए उपयोग किए जाते हैं। साथ ही अन्य एंटीबायोटिक दवाओं का भी सफलतापूर्वक उपयोग किया जा सकता है।
यह भी पढ़ें: Abscess: एब्सेस क्या है? जानिए इसके कारण, लक्षण और उपाय
- अगर गर्भवती महिलाओं को क्लैमाइडिया है तो उनका भी एंटीबायोटिक दवाओं के साथ इलाज किया जा सकता है।
- अपने साथी का भी क्लैमाइडिया का परीक्षण जरूर करवाना चाहिए। जिससे दोबारा यह संक्रमण होने से बचा जा सके।
- अगर मां का सही समय पर इलाज नहीं किया गया तो बच्चे में क्लैमाइडिया का खतरा हो सकता है। इसलिए जन्म से पहले ही परीक्षण करवाना चाहिए जिससे इलाज किया जा सके।
- क्लैमाइडिया की तरह ही एसटीआई भी एक संक्रमण होता है। इससे एचआईवी होन का खतरा भी होता है। इस जानलेवा बीमारी से बचने के लिए एसटीआई का परीक्षण करवाना चाहिए।
- कई क्लीनिक मुफ्त या कम लागत में एसटीआई परीक्षण करते हैं। परीक्षण ही इस बीमारी का इलाज है। इसलिए समय-समय पर यौन संबंध बनाने वाली महिलाओं को क्लैमाइडिया का परीक्षण करवाते रहना चाहिए।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
और पढ़ेंः-
Acanthosis nigricans : एकैंथोसिस निगरिकन्स क्या है?
Achalasia : एकैल्शिया क्या है?
Achilles Tendon Rupture : अकिलिस टेंडन रप्चर क्या है?
ACL Knee Injury: घुटने की एसीएल चोट क्या है?
[embed-health-tool-ovulation]