वैश्विक स्तर पर क्या स्थिति है?
वैश्विक स्तर पर, हर साल औसतन 21.1 मिलियन बच्चों को खसरे के टीके की पहली खुराक नहीं मिल पाती है। यूनिसेफ के अनुसार, इस कारण से साल 2010 से 2017 के बीच लगभग 169 मिलियन बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं हो पाया। खसरा संक्रामक बीमारी है जो कि व्यक्ति के मरने का कारण बन सकती है। खसरा का संक्रमण होने पर एन्सेफलाइटिस यानी मस्तिष्क की झिल्ली की सूजन, दस्त (Diarrhea) की समस्या, निमोनिया (Pneumonia), कान में इंफेक्शन (Ear infection) और कई मामलों में परमानेंट विजन लॉस भी हो सकता है। अब तो आप समझ ही गए होंगे कि बच्चों के लिए मीजल्स वैक्सीनेशन कितना जरूरी है। अगर आपको मीजल्स वैक्सीनेशन के बारे में जानकारी नहीं है तो इस बारे में डॉक्टर से परामर्श करें। डॉक्टर आपको बच्चों के वैक्सीनेशन के बारे में सभी जानकारी प्रदान करेंगे।
और पढ़ें : फ्लेवर्ड हुक्का सिगरेट जितना ही है खतरनाक, जानें इससे होने वाली बीमारियां
खसरा का नहीं हुआ है वैक्सीनेशन, भारत का दूसरा नंबर
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में 2.9 मिलियन बच्चे ऐसे हैं, जिनका मीजल्स वैक्सीनेशन नहीं हुआ है। नाइजीरिया के बाद भारत का ही नंबर आता है, जहां अधिक मात्रा में बच्चों को मीजल्स का वैक्सीनेशन नहीं कराया गया है। आपको बताते चले कि शरीर में विटामिन ए (Vitamin A) की कमी खसरे के जोखिम को बढ़ाती है। डायट में कम मात्रा में विटामिन-ए लेने वाले बच्चों में वायरस के संपर्क में आने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। जिन लोगों को पहले से ही खसरा हो चुका है उनका टीकाकरण किया जाता है ताकि उन्हें दोबारा यह बीमारी न हो। जिन लोगों को मीजल्स की समस्या है, डॉक्टर उन्हें विटामिन ए के सप्लिमेंट भी दे सकता है। साथ ही डॉक्टर रोगी को आराम करने की सलाह देता है।
अगर आपके बच्चे का जन्म हाल ही में हुआ है तो डॉक्टर से वैक्सीनेशन के बारे में तुरंत जानकारी प्राप्त करें। बच्चों को वैक्सीनेशन सही समय पर दिलवाने से इस घातक बीमारी से बचाव किया जा सकता है। अगर सही समय पर वैक्सीनेशन नहीं हो पाया है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। खसरा हो जाने पर डॉक्टर के बताएं गए नियमों का पालन करें।
अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।