वर्ल्ड ट्रॉमा डे (World Trauma Day) को हर साल ट्रॉमा के बारे में जागरुकता फैलाने के उद्देश से मनाया जाता है। ट्रॉमा या गहरे आघात से होने वाली मौतों का मुख्य कारण सड़क दुर्घटनाएं हैं। इसके अलावा ट्रॉमा के अन्य कारण प्राकृतिक आपदा, युद्ध, रेप, एसिड अटैक या जलना भी हो सकते हैं। लेकिन दुनिया भर में ट्रॉमा का प्रमुख कारण रोड एक्सीडेंट्स ही है। भारत में सड़क दुर्घटना के आंकड़ों की बात की जाए तो यह दुनिया में अन्य देशों की तुलना में कहीं ज्यादा हैं। हर दिन हम रोड एक्सीडेंट में लोगों की मौत की खबरें सुनते हैं। ज्यादातर मामलों में इनका प्रमुख कारण रोड रेज होता है। यहां हम आपको चौकाने वाले आंकड़ें बताने जा रहे हैं। जो भारतीय युवाओं को जरूर जानने चाहिए और रोड रेज को लेकर जागरूकता फैलानी चाहिए।
और पढ़ें: ट्रॉमा क्या हैं और किस थेरेपी से मिलेगी मदद
जानें ट्रॉमा या गहरे आघात के कारण होने वाली मौतों के आंकड़ें
भारत में ट्रॉमा से होने वाली मौतों के आंकड़ें तेजी से बढ़ रहे हैं। यहां हर 1.9 मिनट में ट्रॉमा संबधित बीमारी से एक मौत होती है।
भीरत में ट्रॉमा के मामलों का प्रमुख कारण सड़क दुर्घटनाएं हैं। देश में हर साल लगभग 10 लाख लोगों की ट्रॉमा के कारण मौत हो जाती है और 20 लाख लोग अस्पताल में भर्ती होते हैं।
दुनिया भर में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने की तमाम कोशिशें की जा रही हैं। वहीं भारत जैसे देश में जहां ट्रैफिक नियम का पालन भी लोग ठीक से नहीं करते। ऐसें में सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों के मामले में भारत पांचवे स्थान पर है।
आमतौर पर लोग मौतों के लिए गंभीर बीमारियों जैसे कि कैंसर और दिल से जुड़ी समस्याओं को जिम्मेदार मानते हैं। वहीं देश में ट्रॉमा के कारण होने वाली मौतों के आंकड़ें कैंसर और हार्ट की बीमारियों से होने वाली मौतों से ज्यादा हैं।
भारत में ट्रॉमा से होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा युवा मर्द शामिल हैं, जो घर की जिम्मेदारियां उठा रहे थे।
गहरे आघात के बारे में जानें
गहरे अघात का कारण शरीर में चोट लगना हो सकता है। चोट का कारण सड़क दुर्घटनाओं से लेकर आग लगने, हिंसा और हेट क्राइम तक हो सकता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों से पता चलता है कि ग्लोबल स्तर पर 5 से 29 वर्ष की उम्र के बच्चों और युवा अडल्ट में सड़क दुर्घटनाएं मौत का कारण है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार आघात दुनिया भर में मृत्यु और विकलांगता का एक प्रमुख कारण है।
और पढ़ेंः Head Injury : हेड इंजरी या सिर की चोट क्या है?
भारत में गहरे आघात पर एक नजर
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा भारत में रिपोर्ट में सबसे हालिया एक्सीडेंटल डेथ्स और सूइसाइड्स डेटा के अनुसार 2015 में भारत में लगभग 1.5 लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में मारे गए।
वास्तव में दुर्घटनाएं आज भारत में शारीरिक, मानसिक और फाइनेंनशियल दर्द का एक प्रमुख कारण हैं।
यदि आप एक सड़क दुर्घटना में मदद करते हैं, तो आप यहाँ क्या कर सकते हैं:
- अगर आप गाड़ी चलाते समय एक्सिडेंट देखते हैं तो अपनी गाड़ी को शांति से सड़क के किनारे पार्क करें। अगर जरुरत हो तो अपनी कार का उपयोग पीड़ित को आने वाले ट्रैफिक से बचाने के लिए करें। अपनी इमरजेंसी लाइट चालू करना याद रखें।
- स्थिति की जांच करें (पहले अपनी सुरक्षा के लिए सचेत रहें)। पीड़ितों की संख्या देखें। उसके बाद उनकी चोट देखें और जल्द से जल्द पुलिस और एम्बुलेंस को कॉल करें
- अगर आपको लगता है कि पीड़ित को रीढ़ की हड्डी में चोट लग सकती है, तो उसे हिलाने की कोशिश ना करें। जितना संभव हो उतना धीरे से, जांचें कि वे सांस ले रहे हैं। अगर नहीं, तो उनके मुंह को थोड़ा और धीरे से खोलें, यह देखने के लिए कि क्या कोई रुकावट है जिसे आप आसानी से सांस लेने में मदद करने के लिए निकाल सकते हैं।
- अगर पीड़ित का खून बह रहा है तो सुनिश्चित करें कि उस पर दबाव लागू करने के लिए एक साफ कपड़े का उपयोग करने से पहले उनके घाव में कुछ भी अंदर नहीं फंसा है। अगर घाव में कोई चीज घुसी हुई है तो प्रवेश स्थल से बचें और रक्तस्राव को कम करने के लिए इसके चारों ओर दबाव डालें।
- सड़क दुर्घटना के शिकार किसी बेहोश या हल्के होश में रहने वालो को पानी न दें।
[mc4wp_form id=’183492″]
और पढ़ेंः थोड़ी हिम्मत और सूझबूझ के साथ यूं करें बच्चों की चोट का इलाज
गहरे आघात अवॉयड करने के लिए जरुरी टिप्स
गहरे आघात से बचने के लिए सही समय से शुरु करें ड्राइविंग
बच्चों को सही समय और उम्र में गाड़ी चलाने की परमिशन दें। टीन्स ऑटो दुर्घटनाएं उनके व्यवहार और मेच्योरिटी की वजह से होता हैं। इसके साथ टीन्स एक्सिडेंट होने का कारण ड्राइविंग की ठीक से ज्ञान ना होना भी हो सकता है। ड्राइविंग के बारे में एक जिम्मेदार दृष्टिकोण का अभ्यास करने के लिए अपने आप को उसके लिए सही ट्रेनिंग दें।
गहरे आघात से बचने के लिए गाड़ी सड़क पर चलाने से पहले प्रैक्टिस करें
माता-पिता को बच्चे की प्रेक्टिस ड्राइविंग में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। उनके साथ एक रुटिन बनाएं और उसको फॉलों करें। जब तक आपके पास लाइसेंस ना हो खुद से प्रैक्टिस करते रहें।
और पढ़ेंः बच्चे को चोट से बचाने के लिए ध्यान रखें इन बातों का
गहरे आघात से बचने के लिए अपनी सुरक्षा अपने हाथ
अगर आप चार पहिया यानि की कार चला रहे हैं तो सीट बेल्ट लगाएं और अगर दो पहिया चला रहे तो हैलमेट लगाएं।
गाड़ी चलाते समय नशा करने से बचें
भले ही आपने थोड़े एल्कोहॉल का सेवन किया है या ड्रग्स लिया हो यह आपके दिमाग पर एक केमिकल प्रभाव डालता है जो आपके निर्णय लेने की शक्ति और रेस्पॉन्स करने की सोच का खराब कर सकता है। शराब, ड्रग्स या अन्य दवाओं के प्रभाव में ड्राइविंग से आपको अपना लाइसेंस भी आपके हाथ से निकल सकता है और आपकी जिंदगी भी।
ट्रॉमा और एक्सिडेंटल इंजरी मुख्य रूप से सड़क दुर्घटनाओं, आग, माइनिंग आपदाओं, फूड प्वाइजनिंग और दूसरी आपात स्थितियों से होने वाली चोटों और मौतों को बताती हैं। ट्रॉमा और आकस्मिक चोटें लगभग सभी देशों में चोट और मौत का सबसे बड़ा कारण बन गई हैं । जरुरी टिप्स को फॉलो करें और ट्रॉमा से बचें।
नोट : नए संशोधन की डॉ. प्रणाली पाटील द्वारा समीक्षा
[embed-health-tool-bmi]