परिभाषा
मोतियाबिंद के अलावा भी आंखों के कई रोग है जिससे आपकी दृष्टि कमजोर हो जाती है। इन्हीं में से एक है एस्टिगमैटिज्म। इसकी वजह से आपको धुंधला या तिरछा दिखाई दे सकता है। यह समस्या बच्चों को जन्म के समय से हो सकती है या फिर बड़े होने पर धीरे-धीरे विकसित हो सकती है। इस आर्टिकल में जानें कि एस्टिगमैटिज्म क्या है और इसके लिए क्या उपचार उपलब्ध हैं।
एस्टिगमैटिज्म (Astigmatism) क्या है?
एस्टिगमैटिज्म आंखों की एक बीमारी है जिसकी वजह से पीड़ित व्यक्ति को धुंधला दिखाई देता है या उसकी नजर तिरछी हो जाती है। इस बीमारी के कारण आंखों के कॉर्निया का गोल शेप बिगड़ जाता है या कई बार आंखों के लेंस का कर्वेचर बिगड़ जाता है जिसकी वजह से किसी चीज से टकराने के बाद वापस आने वाली रोशनी रेटिना पर ठीक से नहीं पड़ती और इसी वजह से व्यक्ति को सामने की चीज धुंधली दिखती है। इस समस्या को एस्टिगमैटिज्म कहते हैं।
एस्टिगमैटिज्म के प्रकार
एस्टिगमैटिज्म दो प्रकार के होते हैं, कॉर्नियल और लेंटिक्यूलर। कॉर्नियल एस्टिगमैटिज्म तब होता है जब कॉर्निया में विकृति आती है और लेंटिक्यूलर एस्टिगमैटिज्म तब होता है जब लेंस में विकृति होती है।
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कारण
एस्टिगमैटिज्म के कारण
एस्टिगमैटिज्म किस वजह से होता है इसका अभी तक सटीक कारण ज्ञात नहीं हुआ है, लेकिन 50 की उम्र के बाद के लोगों में यह बीमारी ज्यादा होती है। कुछ बच्चों को जन्म से ही यह समस्या होती है, लेकिन ऐसा क्यों होता है इस बारे में डॉक्टरों को भी नहीं पता है। कई बार आई इंजरी, आई डिसीज या सर्जरी के बाद भी एस्टिगमैटिज्म हो जाता है।
लक्षण
एस्टिगमैटिज्म के लक्षण
इस बीमारी के आम लक्षणों में धुंधला दिखना और वस्तुओं का सही आकार न दिखना शामिल है। इसके अलावा किसी चीज को स्पष्ट न देख पाने की वजह से आंखों और सिर में दर्द भी हो सकता है। इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि बच्चों को यदि एस्टिगमैटिज्म की वजह से धुंधला दिख रहा है तो वह इस चीज को समझ नहीं पाते हैं कि उन्हें चीजें साफ नहीं दिख रहीं, उन्हें लगेगा कि ये सब ऐसा ही है, इसलिए बेहतर होगा कि नियमित रूप से उनकी आंखों की जांच करवाती रहें, जिससे किसी तरह की बीमारी होने पर तुरंत पता चल जाए। एस्टिगमैटिज्म के सामान्य लक्षणों में शामिल हैः
- छोटे प्रिंट धुंधले दिखना, पढ़ने में दिक्कत होना
- डबल विजन (दोहरा दिखना)
- पास और दूर की चीजों को बिना स्किविंटिंग (आंखें छोटी करके देखना) के न देख पाना
एस्टिगमैटिज्म से पीड़ित बच्चों में ये लक्षण दिख सकते हैः
- प्रिंटेड वर्ड्स और लाइन पर ध्यान केंद्रित करने में दिक्कत
- आंखों पर दबाव, थकी हुई आंखें और सिरदर्द।
उपरोक्त लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। यह एस्टिगमैटिज्म या आंखों की किसी अन्य बीमारी के कारण हो सकता है।
निदान
एस्टिगमैटिज्म का निदान
आंखों की जांच के जरिए एस्टिगमैटिज्म को डायग्नोस किया जाता है। आंखों की जांच के दौरान कई तरह के टेस्ट किए जाते हैः
विजुअल एक्यूटी एसेसमेंट टेस्ट (Visual acuity assessment test)
विजुअल एक्यूटी एसेसमेंट टेस्ट के दौरान डॉक्टर आपको एक निश्चित दूरी से चार्ट पर लिखे अक्षरों को पढ़ने के लिए कहता है जिससे यह पता चल सके कि आपको कितना स्पष्ट दिख रहा है।
रिफ्रैक्शन टेस्ट (Refraction test)
रिफ्रैक्शन टेस्ट में एक मशीन इस्तेमाल की जाती है जिसे ऑप्टिकल रिफ्रैक्टर कहा जाता है। इस मशीन में अलग-अलग स्ट्रेंथ वाली कई करेक्टिव ग्लास लेंस होती है। आपका डॉक्टर ऑप्टिकल रिफ्रैक्टर पर अलग-अलग लेंसों के जरिए आपको चार्ट पर लिखे अक्षर पढ़ने के लिए कहता है। जिसके बाद वह आपके लिए सही लेंस चुनता है।
केराटोमेट्री
केराटोमेट्री के जरिए आपका डॉक्टर कार्निया के कर्वेचर को मापता है। ऐसा वह केराटोमेट्री के जरिए आपकी आंखों में देखकर करता है।
उपचार
एस्टिगमैटिज्म का उपचार
एस्टिगमैटिज्म यदि कम होत है तो इलाज की जरूरत नहीं होती है, लेकिन इसकी वजह से यदि विजन प्रॉब्लम हो रही है तो डॉक्टर निम्न में से एक तरीके से उपचार करेगा।
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करेक्टिव लेंस
एस्टिगमैटिज्म के आम उपचारों में से एक है करेक्टिव आईग्लास और कॉनटैक्ट लेंस, जिसकी सलाह डॉक्टर देता है।
ऑर्थोकेराटोलॉजी (ऑर्थो-के) (Orthokeratology (Ortho-K) )
ऑर्थोकेराटोलॉजी एक उपचार है जिसमें कार्निया के कर्वेचर की अनियमितता को अस्थायी रूप से ठीक करने के लिए कठोर (rigid) लेंस का इस्तेमाल किया जाता है। आपको कुछ समय के लिए यह लेंस पहननी होती है। रात को सोते समय इसे पहनना होता है और सुबह उठने के बाद निकाल दें। ऑर्थो-के से गुजरने के दौरान कुछ लोगों को दिन में बिना करेक्टिव लेंस के भी साफ दिखता है। ऑर्थो-के का फायदा तभी तक होता है जब तक आप इसका इस्तेमाल करते हैं, जैसे ही आपने इसका उपोयग बंद किया, वापस आंखों की पुरानी स्थिति पर लौट आते हैं।
सर्जरी
यदि आपको गंभीर एस्टिगमैटिज्म है तो डॉक्टर रिफ्रैक्टिव सर्जरी की सलाह देगा। इस तरह क सर्जरी में लेजर या छोटे चाकू की मदद से कॉर्निया को दोबारा सही शेप में लाया जाता है। इससे आपकी एस्टिगमैटिज्म की समस्या का स्थायी समाधान हो जाता है। एस्टिगमैटिज्म के लिए की जानी वाली तीन सामान्य सर्जरी है लेजर इन सीटू केराटोमिलेसिस (LASIK), फोटोरिफ्रेक्टिव कोरटक्टॉमी (PRK) और रेडियल केराटॉमी (RK) । इन सभी सर्जरी से कुछ जोखिम भी जुड़े होते हैं, इसलिए सर्जरी कराने से पहले जोखिम और इसके लाभ के बारे में डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
सभी तरह की सर्जरी में कुछ जोखिम जुड़े हैं और सर्जरी के बाद कुछ समस्याएं हो सकती हैं जैसेः
- समस्या में बहुत अधिक या बहुत कम सुधार
- विजुअल साइड इफेक्ट, जैसे लाइट के आसापस कुछ अधूरा या स्टारबर्स्ट दिखाई देना।
- ड्राई आई
- इंफेक्शन
- कॉर्नियल स्कारिंग
- दुर्लभ मामलों में आंखों की रोशनी चली जाना।
जोखिम
एस्टिगमैटिज्म से जुड़े जोखिम
एस्टिगमैटिज्म वयस्क या बच्चे किसी को भी हो सकता है। एस्टिगमैटिज्म होने का जोखिम अधिक रहता है जबः
- यदि परिवार में किसी को एस्टीगमैटिज्म या आंखों की कोई अन्य बीमारी हो जैसे केराटोकोनस
- कॉर्निया में चोट लगना या उसका पतला होना
- अत्यधिक नियरसाइटेडनेस, जिसकी वजह से दूर की नजर धुंधली हो जाती है
- अत्यधिक फारसाइटेडनेस, जिसकी वजह से नजदीक की नजर धुंधली हो जाती है
- यदि पहले कोई आई सर्जरी हुई हो, जैसे मोतियाबिंद आदि।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।