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मोटे बच्चे का जन्म क्या नॉर्मल डिलिवरी में खड़ी करता है परेशानी?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 02/01/2020

    मोटे बच्चे का जन्म क्या नॉर्मल डिलिवरी में खड़ी करता है परेशानी?

    बच्चे के जन्म के बाद होने वाले पेरेंट्स और परिवार को दो चीजें जानने की उत्सुकता सबसे पहले रहती है, पहला उसका सेक्स और दूसरा बच्चे का वजन। अगर हम बच्चे के एवरेज साइज की बात करें तो 10 में से 9 बच्चों (37 से 40 वीक) का वजन 2.5 किलो से 4.5 किलो के बीच होता है। अगर आपका बेबी इससे ज्यादा वजन का है तो इसे फीटल मेक्रोसोमिया ( fetal macrosomia) या मोटे बच्चे का जन्म कहा जाएगा। अगर बच्चे का वेट 2.5 किलो से कम है तो इसे औसत वेट से कम माना जाएगा।

    मोटे बच्चे का जन्म अगर नॉर्मल डिलिवरी से हुआ है तो सकता है कि मां को परेशानी उठानी पड़ी हो। मोटे बच्चे का जन्म नॉर्मल हो पाना कठिन होता है। ऐसे में सी-सेक्शन का सहारा भी लेना पड़ सकता है। मोटे बच्चे का जन्म कई बातों पर निर्भर करता है। अगर मां प्रेग्नेंसी से पहले ही मोटी थी तो इसका होने वाले बच्चे पर भी असर पड़ सकता है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानिए कि मोटे बच्चे का जन्म क्या नॉर्मल डिलिवरी के दौरान परेशानी खड़ी करता है।

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    मोटे बच्चे का जन्म होगा कैसे पता करते हैं?

    प्रसव के पहले जांच के दौरान डॉक्टर्स फंडल हाइट (fundal height) के जरिए बच्चे के विकास के बारे में अनुमान लगा लेते हैं। यह माप प्युबिक बोन से लेकर युट्रस के ऊपरी हिस्से तक रहती है। अल्ट्रासाउंड में भी बच्चे के विकास के बारे में जानकारी मिल जाती है, लेकिन इससे सही माप का अंदाजा लगाना मुश्किल होता है।

    आपका डॉक्टर एम्निऑटिक तरल की भी जांच कर सकता है। फैटी बच्चे के कारण ज्यादा यूरिन बनता है। कुछ विधियों के माध्यम से बेबी के लार्ज साइज के बारे में अंदाजा मिलता है, लेकिन बेबी का साइज कितना होगा, ये जन्म के बाद ही पता चल पाता है।

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    मोटे बच्चे का जन्म परेशान करने वाला होता है?

    क्या आपको भी ऐसा लगता है कि मोटे बच्चे का जन्म नॉर्मल या नैचुरल विधि से कठिन होता है? ऐसा सभी केस में नहीं होता। लोगों के बीच धारणा है कि मोटे बच्चे का जन्म जब होता है तो इस दौरान कंधे फंसने का खतरा रहता है, लेकिन ऐसा रेयर ही होता है। 1000 बर्थ में केवल 6.5 मामले ही ऐसे होते हैं जिनमें खतरा रहता है। बर्थ पुजिशन से बहुत फर्क पड़ता है। लेबर के दौरान पुश करने के दौरान पेल्विक का साइज जरूरत के अनुसार फैल जाता है। कुछ खास तरह की पुजिशन बच्चे के जन्म को आसान बना देती है। मोटे बच्चे का जन्म परेशानी से होगा या फिर नहीं, ये कई बार परिस्थितियों पर निर्भर रहता है। कई बार परिस्थितयां अपने कंट्रोल में नहीं होती हैं।

    बेबी का साइज बड़ा होने के कारण वजायना से सिर तो बाहर आ जाता है ,लेकिन बच्चे का बाकी शरीर निकालने में डॉक्टर्स को समस्या हो जाती है। अगर आप मोटे बच्चे का जन्म नॉर्मल डिलिवरी के माध्यम से सोच रही हैं तो बेहतर होगा कि एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर कर लें। डॉक्टर सिचुएशन को समझते हुए सी-सेक्शन की सलाह भी दे सकते हैं जो आपके लिए उचित होगा। मोटे बच्चे का जन्म कोई खतरे की बात नहीं होती है। डॉक्टर परिस्थितियों के अनुसार तुरंत सी-सेक्शन कर सकते हैं।

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    इस कारण से हो सकता है मोटे बच्चे का जन्म

    कुछ हेल्थ इश्यू और हिस्ट्री फैक्टर के कारण मोटे बच्चे का जन्म हो सकता है। कई बार महिलाओं को हेल्थ इश्यू नहीं होते हैं, फिर भी मोटे बच्चे का जन्म हो जाता है। अधिकतर मोटे बच्चे का जन्म कुछ कारणों पर भी निर्भर करता है। अगर कुछ समस्याओं का पहले ही निदान कर लिया जाए तो मोटे बच्चे का जन्म नहीं होगा। बच्चा सामान्य वेट का होगा। जानते हैं उन फैक्टर्स के बारे में जो मोटे बच्चे के जन्म के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।

    डायबिटीज की समस्या

     जेस्टेशनल डायबिटीज के साथ ही अगर प्रेग्नेंसी के दौरान मां के शुगर लेवल को कंट्रोल नहीं किया गया तो ग्लूकोज का लेवल बहुत बढ़ जाएगा। इस कारण फीटस में भी ग्लूकोज का लेवल ज्यादा हो जाएगा। हाई लेवल के कारण फीटस इंसुलिन प्रोड्यूस करेगा। ये बच्चे की ग्रोथ को बढ़ाने का काम करता है।

    प्रेग्नेंसी के दौरान मोटापा

    प्रेग्नेंसी के दौरान मोटापा भी रिस्क के अंतर्गत आता है। ये स्थिति मेक्रोसोमिया ( macrosomia) यानी बच्चे में मोटापे को बढ़ाने का काम करती है। ऐसी स्थिति में फैटी बच्चे के जन्म की संभावना बढ़ जाती है।

    बिग बेबी की पहले की हिस्ट्री

    अगर महिला पहले भी फैटी बेबी को जन्म दे चुकी है तो इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि वो एक बार फिर से फैटी बेबी को जन्म दे सकती है।

     अधिक उम्र में मां बनना

    महिला का अधिक उम्र में ( 35 से 40 साल) मां बनना भी बच्चे के फैटी होने का कारण हो सकता है। ऐसा कई मामलों में पाया गया है कि अधिक उम्र में बच्चे को जन्म देने से बच्चे का वेट बढ़ जाता है।

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    बेबी के साइज को कंट्रोल किया जा सकता है?

    बेबी के साइज को कंट्रोल करने के लिए कुछ खास तो नहीं किया जा सकता है, लेकिन कुछ बातों का ध्यान रखना आपके लिए बहुत जरूरी है। आप वेट बढ़ने के रिस्क को कंट्रोल कर सकते हैं। मोटे बच्चे का जन्म न हो, इसके लिए कुछ बातों पर ध्यान जरूर दें।

    • अगर स्मोकिंग कर रही हैं तो उसे तुरंत छोड़ दें। ये आपके बच्चे के लिए हानिकारक हो सकती है।
    • बैलेंस और हेल्दी डायट की ओर ध्यान दें। ओवरईटिंग से बचें।
    • वेट को मेंटेन करने के लिए एक्सरसाइज करना बेहतर रहेगा।
    • अगर आपको डायबिटीज है तो उसे मेंटेन रखने की कोशिश करें।
    • एल्कोहॉल और कुछ खास तरह की मेडिसिन लेने से बचें। प्रेग्नेंसी के दौरान बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी मेडिसिन न लें। मोटे बच्चे का जन्म हमेशा परेशानी का कारण बनें ये जरूरी नहीं।

    बच्चे की हेल्थ और आपकी हेल्थ के लिए ये अच्छा रहेगा कि किसी भी प्रकार की समस्या होने पर डॉक्टर से सलाह लें। फैटी बच्चे के जन्म को लेकर पूर्वधारणा न बनाएं कि उसका साधारण जन्म नहीं हो सकता है। अगर आपकी कंडिशन डॉक्टर को ठीक लगेगी तो वे नॉर्मल डिलिवरी के लिए भी कोशिश कर सकते हैं। शरीर को स्वस्थ्य रखने के लिए एक्सरसाइज जरूर करें। अधिक मात्रा में वसा का सेवन न करें।

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    डिस्क्लेमर

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