परिचय
हाथ का फ्रैक्चर यानी हाथ की एक या कई हड्डियों का टूटना या उनमे दरार आना। यह फ्रैक्चर गिरने या चोट लगने के कारण हो सकता है। वाहन दुर्घटनाग्रस्त होने से भी हाथ की हड्डियां टूट सकती हैं, कभी-कभी इसे ठीक करने के लिए सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है।
कलाई से लेकर अंगूठे और उंगलियों को हाथ की पांच हड्डियां जोड़ती हैं, जिन्हे मेटाकार्पल हड्डियां कहा जाता है।
हाथ के कई फ्रैक्चरस में स्पलिंट या कास्ट की आवश्यकता पड़ती है। जबकि कई फ्रैक्चरस में सर्जरी की आवश्यकता होती है।
हाथ के इन स्थानों में फ्रैक्चर हो सकता है:
- पोर पर
- पोर के बिलकुल नीचे (इन्हे कई बार बॉक्सर’स फ्रैक्चर भी कहा जाता है)
- हड्डी के शाफ्ट या मध्य भाग में
- हड्डी की सतह पर, कलाई के पास
- एक डिस्प्लेस्ड फ्रैक्चर
अगर यह चोट गंभीर है तो आपको आर्थोपेडिक सर्जन के पास जाना पड़ सकता है। पिंस और प्लेट्स की मदद से सर्जरी कराई जा सकती है।
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लक्षण
जब हाथ का फ्रैक्चर होता है तो उसके निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:
- दर्द
- सूजन
- नील आना
- हाथ में कोमलता आना
- हाथ का विकृत होना
- उंगलियों को हिलाने में भी मुश्किल होना
- उंगली का छोटा होना
- कोई भी चीज़ को पकड़ने में गंभीर दर्द यानि हाथों की पकड़ कमजोर होना
- हाथ या उंगलियों का सुन्न होना
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कारण
हाथ का फ्रैक्चर निम्नलिखित कारणों से हो सकता है:
- काम करते हुए चोट लगना
- गिरना
- खेलते हुए चोट लगना
- एक्सीडेंट
- किसी चीज से जोर से लगना या हाथ में दवाब पड़ना
जोखिम
हाथ में फ्रैक्चर होना या टूटने के जोखिम कम हैं, लेकिन उन में से कुछ इस प्रकार हैं:
विकलांगता: हाथ के टूटने से हाथ के कठोर होने, उसमे दर्द या विकलांगता का जोखिम बढ़ जाता है। सर्जरी के बाद जब कास्ट निकाल दिया जाता है तो हाथ का कठोर होना और प्रभावित स्थान में दर्द समान्यतया कम हो जाती है । हालांकि कई लोग लगातार इस कठोरता और दर्द को महसूस करते हैं।
ऑस्टिओआर्थरिटिस : अगर आपको हाथ का फ्रैक्चर हुआ है और हाथ के जोड़ तक हुआ है तो कई सालों के बाद आप इस स्थान पर गठिया की समस्या महसूस कर सकते हैं। अगर आपको ऐसे दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से उपचार कराएं।
नस या ब्लड वेसल को नुकसान :हाथ में लगी चोट प्रभावित स्थान के आसपास की नसों और ब्लड वेसल्स को भी प्रभावित कर सकती है। अगर आप हाथों का सुन्न होना या हिलाने में मुश्किल होने जैसी समस्याओं को महसूस करें तो तुरंत डॉक्टर को बताएं।
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उपचार
शुरुआती जांच
डॉक्टर आपसे हाथ का फ्रैक्चर के लक्षणों के बारे में पूछेंगे और इसके साथ ही आपकी उंगलियों और हाथों की जांच करेंगे। डॉक्टर इन सब चीज़ों का निरक्षण कर सकते हैं:
- हाथ की सूजन और नील
- हाथ का विकृत होना
- उंगलियों को ओवरलैप करना
- चोट के आसपास की त्वचा में कट या अन्य समस्याएं
- हाथ को हिलाने में समस्या है या नहीं
- जोड़ों की स्टेबिलिटी
- उंगलियों का सुन्न होना (अगर ऐसा है तो यह नसों के नुकसान का संकेत हो सकता है)
- डॉक्टर टेंडॉन्स की जांच करेंगे ताकि यह पता चल सके कि यह सही से काम कर रहे हैं या नहीं।
- डॉक्टर प्रभावित व्यक्ति के एक या एक से अधिक X-Ray करा सकते हैं ताकि फ्रैक्चर की जगह और गंभीरता का पता चल सके।
- कई मामलों में सीटी स्कैन और एमआरआई (MRI) भी कराएं जा सकते हैं जिनसे चोट के बारे में अधिक जानकारी मिल सकती है। यदि एक फ्रैक्चर हुआ है, तो एक से दो सप्ताह में एक्स-रे करवाना चाहिए। आमतौर पर, अगर फ्रैक्चर स्पष्ट नहीं है तो चोट लगने के कुछ समय बाद यह स्वयं ठीक हो जाती है।
नॉन सर्जिकल उपचार
अगर फ्रैक्चर अधिक गंभीर नहीं है तो डॉक्टर हड्डी के टुकड़ों को धीरे से जोड़कर बिना चीरा लगाए अपनी स्थिति में वापस ला सकते है। इस प्रक्रिया को क्लोज्ड रिडक्शन कहा जाता है। डॉक्टर आपको कास्ट या स्पलिंट लेने की सलाह दे सकते हैं। हालांकि, हाथ के कुछ फ्रैक्चर ऐसे भी होते हैं जिनमे हड्डियों को सही तरह से ठीक होने के लिए सही स्थिति में होना आवश्यक नहीं है। कास्ट को प्रभावित व्यक्ति की उंगलियों के सिरों से लेकर कोहनी तक बढ़ाया जा सकता है ताकि हड्डियों को सही से सपोर्ट मिले। फ्रैक्चर की स्थिति और गंभीता के अनुसार तीन से छे हफ़्तों तक कास्ट को पहनने की सलाह दी जाती है। कुछ फ्रैक्चर को रिमूवेबल स्पलिंट से भी सुरक्षित रखा जाता है। इस स्थिति में तीन हफ़्तों में सामान्यतया हाथों का व्यायाम शुरू किया जा सकता है।
सर्जिकल उपचार
हाथ के फ्रैक्चर के कुछ मामलों में सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है। खासतौर पर उस स्थिति में जब हड्डी के कई टुकड़े हो गए हों। इस दौरान कुछ वायर ,स्क्रू, पिंस, स्टेपल्स या प्लेट्स आदि का प्रयोग किया जाता है।
पिंस: हड्डियों को बेहतर स्थिति में रखने के लिए छोटी धातु की पिंस का प्रयोग किया जाता है। यह प्रक्रिया को रोगी को एनेस्थीसिया देने के बाद ही किया जाता है। धातु की यह पिंस कई हफ़्तों तक प्रभावित स्थान पर रहती हैं। इसके बाद इन्हे निकाल दिया जाता है।
धातु की प्लेट्स और स्क्रूस: कुछ हाथ के फ्रैक्चर के मामलों में इनका प्रयोग किया जाता है। हड्डियों की सही एलाइनमेंट बनाये रखें के लिए इनका प्रयोग होता है।
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घरेलू उपचार
हाथ का फ्रैक्चर होने पर एक या दो हफ़्तों तक दर्द या सूजन हो सकती हैं। इन्हे कम करने के लिए इन तरीकों को अपनाएं:
- हाथ के प्रभावित हिस्से पर आइस पैक लगाएं। बर्फ को सीधेतौर पर हाथ पर न लगाएं बल्कि एक कपडे में लपेट कर लगाने से इन समस्याओं से राहत मिलती है।
- दर्द को दूर करने के लिए आइबूप्रोफेन, नेप्रोक्सेन, एस्पिरिन या अस्टमीनोफेन आदि दवाईयों का प्रयोग किया जा सकता है। डॉक्टर की सलाह के बिना इन दवाईयों को न लें।
- अगर आपको दिल संबंधी रोग,हाई ब्लड प्रेशर, किडनी के रोग, पेट का अलसर या इंटरनल ब्लीडिंग आदि हो तो किसी भी दवाई को लेने से पहले डॉक्टर को अवश्य बताएं।
- इन दवाईयों को बताई गयी मात्रा में ही लें और बच्चों को एस्पिरिन न लें।
- स्पलिंट को पहनने के लिए डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह से पालन करें।
- स्पलिंट को हमेशा सूखा रखें, स्नान करते हुए भी स्पलिंट को निकाल दें।
- अगर आपके हाथ में चोट लगती है तो तुरंत हाथ में पहने गहनों को निकाल दें। क्योंकि, इस स्थिति में आपका हाथ तुरंत सूज सकता है। उसके बाद इन गहनों को निकालना बहुत मुश्किल हो सकता है।
- हाथ के फ्रैक्चर या किसी भी चोट से बचने के लिए सबसे पहले अपनी हड्डियों को मजबूत बनाएं। इसके लिए आप कैल्शियम और विटामिन डी को अपने आहार में शामिल करें, एक्सरसाइज और योग करें। अगर आप धूम्रपान करते हैं तो उसे छोड़ दें।