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ओपोजिशनल डिफाइएंट डिसऑर्डर के लक्षण कब दिखते हैं:
ओपोजिशनल डिफाइएंट डिसऑर्डर को लक्षण पेरेंट्स आसानी से पहचान सकते हैं। कब दिखते हैं इसके लक्षण:
- बार-बार
- एक तरह से जो उनकी हर रोज की एक्टिविटी में इंटरफियर करें
- कम से कम छह महीने के लिए।
अगर आपको लगता है कि आपके बच्चे में ओपोजिशनल डिफाइएंट डिसऑर्डर हो सकता है, तो अपने फिजिशयन के साथ बाल रोग विशेषज्ञ, मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक से बात करें। ये स्वास्थ्य ओपोजिशनल डिफाइएंट डिसऑर्ड (ODD) को डायग्नोस कर सकते हैं। हो सकता है आपका डॉक्टर आपके बच्चे के लिए मानसिक स्वास्थ्य के इलाज की बात करें। साथ ही यह भी जान लें कि डॉक्टर से इलाज कराने का मतलब हमेशा यह नहीं होता है कि आपके बच्चे को कोई गंभीर समस्या है।
कैसे मैनेज करें ओपोजिशनल डिफाइएंट डिसऑर्डर
बच्चों में ओपोजिशनल डिफाइएंट डिसऑर्डर (ODD) को मैनेज करना तब आसान हो जाता है, जब माता-पिता यह मान लेते हैं कि उनके बच्चे को यह डिसऑर्डर है। इसके लिए माता-पिता का उनके व्यवहार को लेकर अपने अंदर सहनशक्ति लानी पड़ती है। उन्हें यह मानना पड़ेगा कि बच्चा चुनौतीपूर्ण तरीकों से व्यवहार करेगा।
इसके बाद पेरेंट्स के लिए अगला कदम होगा कि वे हेल्थ प्रोफेशनल बिहेवियर मैनेजमेंट प्लान बनाने के लिए काम करें, जो पेरेंट्स के लिए बच्चों के व्यवहार को संभालना आसान बना सकता है।
एक अच्छा प्लान आपके ओपोजिशनल डिफाइएंट डिसऑर्डर वाले बच्चे की मदद करेगी:
- उसके व्यवहार को सुधारना सीखें और समझें कि यह दूसरे लोगों को कैसे प्रभावित करता है
- गुस्सा और चिंता जैसी भावनाओं को मैनेज करें
- जिस तरह से वह समस्याओं को हल करता है, उसे सुधारता है और दूसरे बच्चों के साथ बात करता है।
ये बातें आपके बच्चे को दोस्त बनाने और उनके साथ रहने में मदद करेगी। इस तरह से ओपोजिशनल डिफाइएंट डिसऑर्डर से लड़ रहे बच्चे को लोगों के साथ रहने में और उनके साथ बात करने में मदद मिलेगी।
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