परिभाषा
कॉक्ससैकी वायरस से होने वाला इंफेक्शन आमतौर पर नवजात और छोटे बच्चों में होता है। कॉक्ससैकी वायरस इंफेक्शन संक्रामक होता है और यह एक से दूसरे में फैलता है। वैसे यह बहुत गंभीर नहीं होता है, लेकिन समय पर उपाचर न करने पर संक्रमण गंभीर हो सकता है।
कॉक्ससैकी वायरस इंफेक्शन क्या है? (Coxsackievirus Infection)
कॉक्ससैकी वायरस एंटेरो वायरस (जिसमें पोलियो वायरस और हेपेटाइटिस ए वायरस भी शामिल है) फैमिली का वायरस है, जो इंसानों के पाचन तंत्र में पाया जाता है। कॉक्ससैकी वायरस के कारण होने वाले संक्रमण को ही कॉक्ससैकी वायरस इंफेक्शन कहते हैं और यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में आसानी से फैल सकता है, खासतौर पर गंदे हाथों और दूषित सहत के संपर्क में आने पर।
अधिकांश मामलों में कॉक्ससैकी वायरस इंफेक्शन होने पर सामान्य फ्लू जैसे लक्षण दिखते हैं और यह बिना उपचार के ठीक हो जाते हैं, मगर कुछ मामलों में यह गंभीर संक्रमण का कारण बन जाते हैं। कॉक्ससैकी वायरस इंफेक्शन के करीब 90 प्रतिशत मामलों में मरीज को सिर्फ बुखार होता है।
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प्रकार
कॉक्ससैकी वायरस कितने प्रकार के होते हैं? (Coxsackievirus types)
कॉक्ससैकी वायरस दो तरह के होते हैं जो आमतौर पर नवजात और बच्चों को बीमार करते हैं। टाइप ए और बी सबसे आम है। टाइप ए वायरस बच्चों में हर्पाइन्जाइना (गले में घाव) और हाथ, पैर व मुंह की बीमारी का कारण बनते हैं। बच्चे के मुंह में पीड़ादायक छाले हो जाते हैं और हथेली और पैर के नीचे छोटे-छोटे घाव हो जाते हैं। आमतौर पर यह अपने आप ठीक हो जाते हैं, लेकिन दर्द की वजह से बच्चा यदि ठीक तरह से खा-पी नहीं रहा है, तो जटिलताएं उत्पन्न हो सकती है।
कॉक्ससैकी वायरस इंफेक्शन में हाथ, पैर व मुंह की बीमारी सबसे आम है, ऐसे में बच्चे में इस बीमारी का खतरा कम करने के लिए समय-समय पर उसका हाथ धुलाती रहें और कॉक्ससैकी वायरस इंफेक्शन वाले किसी भी व्यक्ति से दूर रखें। इससे बचाने के लिए बच्चों को हाइजीन का ध्यान रखना सिखाएं।
टाइप बी बुखार, छाती और पेट की मांसपेशियों में ऐंठन का कारण हो सकता है। ग्रुप ओ और बी के सबटाइप वायरस अधिक गंभीर लक्षणों को उत्पन्न कर सकते हैं।
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लक्षण
कॉक्ससैकी वायरस इंफेक्शन के लक्षण क्या है? (Coxsackievirus Infection symptoms)
कॉक्ससैकी वायरस इंफेक्शन होने पर बच्चों में अलग-अलग तरह के लक्षण दिख सकते हैं। करीब आधे बच्चों में संक्रमण का कोई लक्षण नहीं दिखता है, जबकि कुछ को अचानक तेज बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, गले में दर्द, पेट में असहज महसूस होना और मितली आने लगती है। कॉक्ससैकी वायरस इंफेक्शन से पीड़ित बच्चे को आमतौर पर गर्म महसूस हो सकता है, लेकिन कोई लक्षण नहीं दिखते। बहुत से बच्चों को 3 दिनों तक बुखार रहता है, उसके बाद वह अपने आप ठीक हो जाता है।
क्या कॉक्ससैकी वायरस इंफेक्शन (Coxsackievirus Infection) संक्रामक है?
कॉक्ससैकी वायरस इंफेक्शन बहुत संक्रामक है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में गंधे हाथों और मल से संक्रमित सतह द्वारा फैलता है। साथ ही जब कोई संक्रमित खांसता या नाक छिड़कता है तो मुंह/नाक से निकलने ड्रॉपलेट सव अन्य तरल हवा में फैल जाते हैं, जिससे भी संक्रमण होता है। नवजात और 5 साल से कम उम्र के बच्चों में कॉक्ससैकी वायरस इंफेक्शन का खतरा अधिक होता है। वायरस समूह में आसानी से फैल सकता है जैसे स्कूल, चाइल्ड केयर सेंटर, समर कैंप आदि में। बीमार होने के पहले हफ्ते में मरीज अधिक संक्रामक होता है यानी हो तेजी से दूसरे को संक्रमित कर सकता है।
कॉक्ससैकी वायरस इंफेक्शन (Coxsackievirus Infection) कितने दिनों में ठीक होता है?
हर मरीज में कॉक्ससैकी वायरस इंफेक्शन के ठीक होने का समय अलग-अलग होता है। जिन बच्चों को सिर्फ बुखार है वह 24 घंटों के भीतर ठीक हो सकता है, हालांकि औसत रूप से बुखार 3 दिनों में ठीक होता है। हाथ, पैर और मुंह की बीमारी होने पर यह 2 से 3 दिन में ठीक होता है। वायरल मैनिन्जाइटिस को ठीक होने में 3 से 7 दिन का समय लगता है।
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निदान
कॉक्ससैकी वायरस इंफेक्शन का निदान कैसे किया जाता है? (Coxsackievirus Infection diagnosis)
डॉक्टर बच्चे का शारीरिक परीक्षण करके लक्षणों की जांच करता है जिससे एंटेरोवायरस संक्रमण का पता चल सके। यदि डॉक्टर को इस बात का संदेह होता है कि बच्चे को हाथ, पैर और मुंह की बीमारी है, तो डॉक्टर संक्रमण के कारण होने वाले रैश और मुंह और गले के घाव की जांच करता है।
निदान की पुष्टि के लिए डॉक्टर आपके गले, मल या शरीर के अन्य हिस्सों के सैंपल की जांच करता है। इसके अलावा ब्लड और यूरिन टेस्ट की भी सलाह देता है, जिससे एंटेरो वायरस की मौजूदगी का पता चलता है। मैनिन्जाइटिस का संदेह होने पर डॉक्टर लंबर पंक्चर की सलाह दे सकता है। अन्य मामलों में छाती के एक्स-रे या इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम भी किया जा सकता है।
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उपचार
कॉक्ससैकी वायरस इंफेक्शन का उपचार कैसे किया जाता है? (Coxsackievirus Infections treatment)
कॉक्ससैकी वायरस इंफेक्शन के प्रकार और लक्षणों के आधार पर डॉक्टर बच्चे को दवा दे सकता है। इसमें एंटीबायोटिक नहीं दिया जाता है, क्योंकि वह सिर्फ बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करता है वायरस से नहीं।
मामूली दर्द के लिए एसिटामिनोफेन या आइबुप्रोफेन दिया जा सकता है। यदि बुखार 24 घंटे बाद भी कम नहीं होता है या बच्चे में कॉक्ससैकी वायरस इंफेक्शन के कोई गंभीर लक्षण दिखते हैं तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
कॉक्ससैकी वायरस इंफेक्शन से संक्रमित ज्यादातर बच्चे बिना किसी इलाज के कुछ ही दिनों में अपनेआप ठीक हो जाते हैं। जिन बच्चों को सिर्फ बुखार आता है और अन्य लक्षण नहीं दिखते हैं उन्हें आराम करने और ढेर साला तरल पदार्थ देने से वह ठीक हो जाते हैं।
कॉक्ससैकी वायरस इंफेक्शन से बचाव का तरीका
कॉक्ससैकी वायरस इंफेक्शन से बच्चों को बचाने के लिए हाइजीन का खास ध्यान रखें-
- बार-बार अच्छी तरह से हाथ धोते रहें खासतौर से टॉयलेट से आने के बाद, बच्चे का डायपर बदलने के बाद और बच्चे को कुछ खिलाने से पहले।
- बच्चा जिस जगह पर बैठता या खेलता है उसे भी जर्म फ्री बनाने के लिए अच्छी तरह साफ करें।
- बच्चा यदि थोड़ा बड़ा है तो उसे हाइजीन मेंटेन करना जैसे अपने हाथों, उंगलियों को साफ रखना, कोई चीज मुंह में न डालना सिखाएं।
- बच्चे को पहले से संक्रमित व्यक्ति से दूर रखें।
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