परिचय
वंशानुगत हीमोलिटिक एनीमिया रेड ब्लड सेल्स में होने वाला एक विकार है। जिसमें रेड ब्लड सेल्स समय से पहले ही टूट या नष्ट हो जाते हैं। जिसे हिमोलाइसिस कहते हैं। यह मरीज में बहुत गंभीर शारीरिक समस्या का कारण भी बन सकता है। इसलिए इसका समय रहते इलाज होना बहुत जरूरी है। इस आर्टिकल में हम बात करेंगे हेरेडिट्री हीमोलिटिक एनीमिया (Hereditary Haemolytic Anaemia) की। हेरेडिट्री हीमोलिटिक एनीमिया (Hereditary Haemolytic Anaemia) तीन प्रकार के होते हैं, जिनमें शामिल हैं:
स्फेरोसाइटोसिस (Spherocytosis)
स्फेरोसाइटोसिस में एरिथ्रोसाइट मेम्ब्रेन में डिफेक्ट होने संबंधी समस्या है। स्फेरोसाइटोसिस में रेड ब्लड सेल (RBC) की दीवारों में बदलाव आने लगता है। परिणाम स्वरूप सेल का गोल आकार विकृत हो कर टेढ़ा-मेढ़ा हो जाता है, जिसके बाद स्प्लीन द्वारा रेड ब्लड सेल (Red blood cells) को जल्दी नष्ट कर दिया जाता है। इससे ही एनीमिया होता है। स्फेरोसाइटोसिस को माइक्रोस्फेरोसाइटोसिस (Hereditary Haemolytic Anaemia) कहते हैं, क्योंकि इसमें रेड ब्लड सेल्स सामान्य आकार से छोटे होते हैं।
इलिप्टोसाइटोसिस (Elliptocytosis)
इलिप्टोसाइटोसिस को हेरेडिट्री ओवैलोसाइटोसिस भी कहते हैं। ये दुर्लभ प्रकार की एनीमिया (Anemia) है, जो दक्षिण-पूर्वी एशिया के लोगों में ज्यादातर पाई जाती है।
जी6पीडी डीफिसिएंसी (G6PD deficiency)
जी6पीडी डिफिसिएंसी में ग्लूकोज-6-फॉस्फेट डिहाइड्रोजिनेश एंजाइम की कमी हो जाती है। जी6पीडी खून में पाया जाने वाला एक एंजाइम है जो रेड ब्लड सेल्स पर बनने वाले ऑक्सीकारक दबाव को कम करता है। लेकिन इसकी कमी होने पर रेड ब्लड सेल्स तनाव के संपर्क में आते ही टूट जाते हैं।
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कितना सामान्य है वंशानुगत हीमोलिटिक एनीमिया (Hereditary Haemolytic Anaemia) होना?
वंशानुगत हीमोलिटिक एनीमिया कितना सामान्य है, इसकी जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
लक्षण
वंशानुगत हीमोलिटिक एनीमिया के क्या लक्षण हैं? (Symptoms of Hereditary Haemolytic Anaemia)
स्फेरोसाइटोसिस (Spherocytosis) के लक्षण
स्फेरोसाइटोसिस का कोई मुख्य लक्षण नहीं सामने आता है, लेकिन जब स्फेरोसाइटोसिस ज्यादा हावी होता है तो पित्ताशय में स्टोन और जॉन्डिस जैसे लक्षण सामने आते हैं।
इलिप्टोसाइटोसिस (Elliptocytosis) के लक्षण
इलिप्टोसाइटोसिस में गॉल ब्लैडर स्टोन (Gall bladder stone), स्प्लीन के आकार में इजाफा और एनीमिया जैसे लक्षण सामने आते हैं।
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जी6पीडी डीफिसिएंसी (G6PD deficiency) के लक्षण
जी6पीडी डिफिसिएंसी के लक्षण निम्न हैं :
- हार्ट रेट का तेज होना
- सांस लेने में परेशानी महसूस करना
- पीले या नारंगी का यूरीन होना
- बुखार
- थकान
- चक्कर आना
- पीलापन
- जॉन्डिस (Jaundice) या त्वचा और आंखों का पीलापन
इसके अलावा अन्य लक्षण भी हो सकते हैं। इसलिए ज्यादा जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात करें।
मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
अगर आप में ऊपर बताए गए लक्षण सामने आ रहे हैं तो डॉक्टर को दिखाएं। साथ ही हेरेडिट्री हीमोलिटिक एनीमिया (Hereditary Haemolytic Anaemia) से संबंधित किसी भी तरह के सवाल या दुविधा को डॉक्टर से जरूर पूछ लें। क्योंकि हर किसी का शरीर हेरेडिट्री हीमोलिटिक एनीमिया के लिए अलग-अलग रिएक्ट करता है।
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कारण
हेरेडिट्री हीमोलिटिक एनीमिया होने के कारण क्या हैं? (Cause of Hereditary Haemolytic Anaemia)
हेरेडिट्री हीमोलिटिक एनीमिया होने कई कारण हैं, जैसे कि-
स्फेरोसाइटोसिस (Spherocytosis) के कारण
स्फेरोसाइटोसिस एक प्रकार का आनुवंशिक डिसऑर्डर है, जिसमें एरिथ्रोसाइट मेम्ब्रेन क्षतिग्रस्त हो जाती है। ये समस्या तब होती है जब पैरेंट्स में स्फेरोसाइटोसिस के जीन्स होते है। ये जीन्स बच्चे में ट्रांसफर होते हैं। इसके अलावा जेनेटिक म्यूटेशन के कारण भी स्फेरोसाइटोसिस हो जाता है।
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इलिप्टोसाइटोसिस (Elliptocytosis) के कारण
इलिप्टोसाइटोसिस के होने का कारण स्फेरोसाइटोसिस की तरह ही आनुवंशिक है। लेकिन, ये तब भी होता है जब ये जीन्स पेरेंट्स में नहीं पाए जाते हैं। तब ये जीन्स में उत्परिवर्तन के कारण होता है।
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जी6पीडी डीफिसिएंसी (G6PD deficiency) के कारण
जी6पीडी डिफिसिएंसी आनुवंशिक स्थिति है, जो पैरेंट्स से बच्चों में ट्रांसफर होती है। लिंग गुणसूत्र के X क्रोमोसोम पर जी6पीडी डिफिसिएंसी के लिए जिम्मेदार जीन लगा होता है। जी6पीडी डिफिसिएंसी से प्रभावित पुरुष के एक X क्रोमोसोम और महिला के दोनों X क्रोमोसोम पर डिफेक्टिव जीन लगे होते हैं। कुछ महिलाओं के सिर्फ एक X क्रोमोसोम पर जी6पीडी डिफिसिएंसी के जीन लगे होते हैं तो ऐसी महिला इस समस्या की वाहक (Carrier) होती है। जो अपने पुत्र को डिफेक्टिव जीन ट्रांसफर कर देती हैं। जी6पीडी डिफिसिएंसी से महिलाओं की तुलना में पुरुष ज्यादा प्रभावित रहते हैं। इसके अलावा जी6पीडी का काम ऊर्जा के लिए शुगर में बदलाव करना है, जो कोशिका पर होने वाले ऑक्सिडेशन दबाव को कम करने से होता है। लेकिन, जब ये ऑक्सिडेशन दबाव को कम नहीं कर पाता है, तो रेड ब्लड (RBC) सेल्स क्षतिग्रस्त होने लगती हैं।
जोखिम
कैसी स्थितियां वंशानुगत हीमोलिटिक एनीमिया के जोखिम को बढ़ा सकती हैं?
हेरेडिट्री हीमोलिटिक एनीमिया के जोखिम को जानने के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
उपचार
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप न समझें। हेरेडिट्री हीमोलिटिक एनीमिया पर अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
हेरेडिट्री हीमोलिटिक एनीमिया का निदान कैसे किया जाता है? (Diagnosis of Hereditary Haemolytic Anaemia)
हेरेडिट्री हीमोलिटिक एनीमिया का उपचार के लिए क्या किया जा सकता है, जानें-
स्फेरोसाइटोसिस और इलिप्टोसाइटोसिस के उपचार
वंशानुगत स्फेरोसाइटोसिस और इलिप्टोसाइटोसिस का पता हीमोलाइसिस के आधार पर लगाया जाता है। अगर आप में एनीमिया या रिटेक्यूलोसिस के लक्षण सामने आते हैं तो ब्लड टेस्ट कराया जाता है, जिसमें ब्लड में मौजूद रेड ब्लड सेल्स (RBC) की जांच की जाती है। जिसमें मीन कॉर्पसक्यूलर हीमोग्लोबिन कॉन्संट्रेशन बढ़ जाता है और रेड ब्लड सेल्स सिगार के आकार का हो जाता है। वहीं, 60 प्रतिशत मामलों में इलिप्टोसाइटोसिस में जेनेटिकल टेस्ट के द्वारा आनुवंशिक कारणों के आधार पर समस्या का पता लगाया जाता है।
अगर इलिप्टोसाइटोसिस या स्फेरोसाइटोसिस का संदेह डॉक्टर को होता है तो निम्न टेस्ट कराने के लिए कहते हैं :
- आरबीसी ऑस्मॉटिक फ्रैजिलिटी टेस्ट (rbc osmotic fragility test)
- आरबीसी ऑटोहीमोलाइसिस टेस्ट (rbc autohemolysis test)
- डायरेक्ट एंटीग्लोब्यूलिन टेस्ट (rbc antiglobuline test)
जी6पीडी डीफिसिएंसी (G6PD deficiency) का उपचार
जी6पीडी डिफिसिएंसी का पता लगाने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट का सहारा लेते हैं। इसके जरिए खून में जी6पीडी एंजाइम की मात्रा का पता लगाया जाता है। डॉक्टर कंप्लीट ब्लड काउंट (CBC), सीरम हीमोग्लोबिन टेस्ट और रेटिक्यूलोसाइट कॉउंट आदि टेस्ट कराते हैं। इन सभी टेस्ट के साथ जी6पीडी डिफिसिएंसी के साथ हिमोलिटिक एनीमिया के बारे में भी पता चल जाता है। वहीं, टेस्ट कराने जाने से पहले आप डॉक्टर से खाना-पीना और दवाओं आदि के बारे में निर्देश जरूर ले लें।
हेरेडिट्री हीमोलिटिक एनीमिया का इलाज कैसे होता है? (Treatment for G6PD)
हेरेडिट्री हीमोलिटिक एनीमिया के इलाज के लिए टीकाकरण किया जाता है। जिसके बाद सर्जरी किया जाता है और इलिप्टोसाइटोसिस का एक खास इलाज है। लेकिन, ये सभी के साथ नहीं किया जाता है। बल्कि जरूरत के आधार पर स्प्लेनेक्टोमी किया जाता है। स्प्लेनेक्टोमी के दौरान अगर आपको पित्ताशय में स्टोन की समस्या है तो उसे भी ठीक कर दिया जाता है। लेकिन स्प्लेनेक्टोमी के बाद भी स्फेरोसाइटोसिस की शिकायत ठीक नहीं होती है। वहीं एनीमिया और रेटिकुलोसाइटोसिस में कमी आती है।
जी6पीडी डीफिसिएंसी (G6PD deficiency) का उपचार
जी6पीडी डिफिसिएंसी का इलाज लक्षणों के आधार पर किया जाता है। अगर जी6पीडी डिफिसिएंसी के कारण अगर संक्रमण होता है तो संक्रमण का इलाज किया जाता है। अगर आप ऐसी कोई दवा ले रहे हैं जिसके कारण रेड ब्लड सेल्स नष्ट हो रहे हैं तो उन दवाओं को बंद कर देना चाहिए।
हेरेडिट्री हीमोलिटिक एनीमिया में जी6पीडी डिफिसिएंसी हो जाती है तो उसके लिए बहुत आक्रामक इलाज की जरूरत पड़ती है। अगर डॉक्टर ने आपको खून चढ़ाया है तो आपको हॉस्पिटल में रुकना चाहिए। क्योंकि हीमोलिटिक एनीमिया में पूरी तरह रिकवरी की जरूरत पड़ती है और आपको हॉस्पिटल में बेहतर इलाज मिलेगा।
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घरेलू उपाय
जीवनशैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो मुझे हेरेडिट्री हीमोलिटिक एनीमिया को ठीक करने में मदद कर सकते हैं?
आप अपने जीवनशैली में बदलाव कर के हेरेडिट्री हीमोलिटिक एनीमिया के साथ जीवन को आसान बनाया जा सकता है :
- हेरेडिट्री हीमोलिटिक एनीमिया के बचाव के लिए विटामिन युक्त डायट लें, साथ ही आयरन, फोलेट, विटामिन बी 12 (Vitamin 12B), विटामिन सी (Vitamin C) को आपने भोजन का अहम हिस्सा बनाएं
- डॉक्टर से मल्टीविटामिन लेने के लिए बात करें
- मलेरिया से बचें
- जेनेटिक काउंसलिंग करा सकते हैं
इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।