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Hyperacusis: हायपरएक्यूसिस क्या है?

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya


Sunil Kumar द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/05/2020

Hyperacusis: हायपरएक्यूसिस क्या है?

परिचय

हायपरएक्यूसिस (Hyperacusis) क्या है?

हायपरएक्यूसिस एक दुर्लभ श्रवण विकार (सुनने की समस्या) है। हायपरएक्यूसिस से पीढ़ित व्यक्ति को अन्य लोगों को सामान्य लगने वाली आवाजें या ध्वनियां ऊंची और असहनीय लगती हैं। हायपरएक्यूसिस से पीढ़ित व्यक्ति को पर्यावरण की सामान्य आवाजें भी काफी ऊंची लगती हैं। हायपरएक्यूसिस ऊंची आवाज के प्रति असहजता की समस्या नहीं है।

हायपरएक्यूसिस से पीढ़ित व्यक्ति को कार के इंजन, बर्तनों के खनकने, कागजों की सरसराहट, यहां तक कि तेज आवाज में की जाने वाली बातचीत भी पर्याप्त ऊंची लगती है, जिससे वह इससे बचने का प्रयास करते हैं। हायपरएक्यूसिस से पीढ़ित लोग विभिन्न प्रकार की ध्वनियों या आवाजों के प्रति अतिसंवेदनशील हो जाते हैं।

हायपरएक्यूसिस (Hyperacusis) कितनी सामान्य है?

हायपरएक्यूसिस बच्चों और व्यस्कों दोनों को ही प्रभावित कर सकती है। हालांकि, इसे एक दुर्लभ बीमारी की श्रेणी में रखा जाता है। एक अनुमान के मुताबिक, अमेरिका में 50 हजार लोगों में से एक व्यक्ति को यह बीमारी होती है। हालांकि, लोगों के ऊंची आवाज के संपर्क में आने के मामले बढ़ रहे हैं, जिससे हायपरएक्यूसिस पीढ़ितों की संख्या बढ़ रही है। कुछ लोगों को यह एक छोटी समस्या लगती है, जबकि इससे पीढ़ित कुछ लोगों को एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन जीने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है।

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लक्षण

हायपरएक्यूसिस के क्या लक्षण हैं?

आमतौर पर हायपरएक्यूसिस के लक्षण या तो अचानक नजर आता हैं या फिर समय के हिसाब से धीरे-धीरे उभरते हैं।

  • हायपरएक्यूसिस से पीढ़ित व्यक्ति आवाजों को सुनते वक्त निम्नलिखित महसूस कर सकता है:
  • असहजता
  • कानों को ढकने का प्रयास या आवाज से दूर जाने की कोशिश।
  • गुस्सा, चिंतित, डिस्ट्रेस या बेचैन
  • दर्द का अहसास- हायपरएक्यूसिस कुछ लोगों के लिए काफी दर्द भरा हो सकात है।
  • कुछ लोगों को आवाजों से डर लगने लगता है और वह आवाजों या ध्वनियों वाली परिस्थितियों से बचने का प्रयास करते हैं। इससे वह सामाजिक रूप से अलग-थलग पड़ जाते हैं। हायपरएक्यूसिस से पीढ़ित लोगों की स्कूल और दफ्तर की जिंदगी प्रभावित होती है, चूंकि उनके लिए ध्यान लगाना काफी मुश्किल होता है।

उपरोक्त लक्षणों के अलावा भी हायपरएक्यूसिस के कुछ अन्य लक्षण हो सकते हैं, जिन्हें ऊपर सूचीबद्ध नहीं किया गया है। यदि आप हायपरएक्यूसिस के लक्षणों को लेकर चिंतित हैं तो अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श लें।

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मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि आपको उपरोक्त संकेतों या लक्षणों का अनुभव होता है या आपका कोई प्रश्न है तो अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह लें। हालांकि, प्रत्येक बीमारी में हर व्यक्ति की बॉडी भिन्न तरीके से प्रतिक्रिया देती है। आपकी स्थिति के लिए क्या बेहतर होगा, इसकी जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना उचित होगा।

कारण

हायपरएक्यूसिस के क्या कारण हैं?

कुछ ऐसी बीमारियां या समस्याएं हैं, जिनका संबंध हायपरएक्यूसिस से है।

हायपरएक्यूसिस के कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:

  • बेल्स पाल्सी (चेहरे की मांसपेशियों का अस्थाई रूप से अचानक कमजोर होना)
  • क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम (Chronic fatigue syndrome)
  • लाइम डिजीज (Lyme disease)
  • मेनिरेर्स डिजीज (Meniere’s disease)
  • पोस्टट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (Posttraumatic stress disorder)
  • डिप्रेशन
  • ऑटिज्म (Autism)

इसके अतिरिक्त, जिन लोगों को सिर में आघात पहुंचा हो, ऐसे लोगों में हायपरएक्यूसिस को देखा गया है। इन आघातों में एयरबैग का खुलना, चेहरे या दाढ़ की सर्जरी या कान के आंतरिक हिस्से में वायरल इंफेक्शन को शामिल किया जाता है। हायपरएक्यूसिस का सबसे प्रमुख कारण है ऊंची आवाज के संपर्क में आना जैसे बंदूक चलने की आवाज या बिना हीयरिंग प्रोटेक्शन के ऊंची आवाज में संगीत सुनने से यह समस्या धीरे-धीरे विकसित हो सकती है।

कामकाज में मकैनिक के रूप में या म्यूजिशियन के रूप में ऊंची आवाज के संपर्क में आने वाले लोगों को अपनी श्रवण शक्ति को सुरक्षित रखना चाहिए। इससे वह बहरेपन और अन्य बदलाव जैसे कान बजना या हायपरएक्यूसिस से बच सकते हैं। हायपरएक्यूसिस ऑटिज्म या ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर्स से पीढ़ित लोगों में पाई जाती है। एक अनुमान के मुताबिक, ऑटिज्म से पीढ़ित 40 % बच्चों को हायपरएक्यूसिस होता है।

जोखिम

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किन कारकों से मुझे हायपरएक्यूसिस का खतरा बढ़ता है?

हायपरएक्यूसिस कई अन्य समस्याओं से संबंधित है। हालांकि, हायपरएक्यूसिस से पीढ़ित कई लोगों को अन्य समस्याएं नहीं होती हैं।

निम्नलिखित कारकों से हायपरएक्यूसिस का खतरा हो सकता है:

  • कान बजना (Tinnitus)- ऐसी आवाजें सुनना जो आपके शरीर के भीतर से आती हों। इसमें आप बाहरी आवाजों को नहीं सुन पाते हैं। कई बार मस्तिष्क कानों से आने वाले संकेतों को बढ़ाकर बहरेपन की भरपाई करता है।
  • कान या मस्तिष्क का क्षतिग्रस्त होना- इसमें सिर की चोट, कान की सर्जरी, ऊंची आवाज के संपर्क में आना, ईयरवैक्स को निकालना, ग्लू ईयर (Glue ear) और कान में लगातार इंफेक्शन का होना शामिल है।
  • माइग्रेन की समस्या
  • बेल्स पाल्सी (Bell’s palsy) (चेहरे की मांसपेशियों का अस्थाई रूप से अचानक कमजोर होना)
  • मेनिरेर डिजीज- एक ऐसा डिसऑर्डर जिसमें ईनर ईयर में स्पिनिंग का अनुभव, कान बजना और बहरापन हो जाता है।
  • डिप्रेशन और पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस
  • एडिशन्स डिजीज (Addison’s disease)- एड्रेनल ग्लैंड्स की एक दुर्लभ बीमारी है, जिसमें किडनी के करीब होती है और महत्वपूर्ण हार्मोन का उत्पादन करती है।
  • मस्तिष्क को प्रभावित करने वाले डिसऑर्डर्स- जैसे विलियम सिंड्रोम (williams’ syndrome) या ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर।
  • हायपरएक्यूसिस कुछ दवाओं का एक साइड इफेक्ट्स भी हो सकता है। यदि आप दवाओं का सेवन कर रहे हैं तो लेबल पर छपे दिशा निर्देशों की जांच करें। यह देखें कि इसके संभावित साइड इफेक्ट्स में हायपरएक्यूसिस है या नहीं।

    उपचार

    यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।

    हायपरएक्यूसिस का निदान कैसे किया जाता है?

    हायपरएक्यूसिस का पता निम्नलिखित तरीकों से लगाया जा सकता है:

    • एक ऑडियोलॉजिस्ट फिजिकल जांच के जरिए और मरीज से उसकी मेडिकल हिस्ट्री पूछकर, जिसमें लक्षणों की अवधि और गंभीरता के सवालों को शामिल किया जाता है। इन्हें पूछकर इसका आंकलन किया जाता है। एक हीयरिंग टेस्ट या ऑडियोग्राम किया जाता है। यह टेस्ट एक ग्राफ है, जो अलग-अलग फ्रीक्वेंसी पर व्यक्ति की ध्वनियों को सुनने की शक्ति की योग्यता की जानकारी देता है। यहां उल्लेख करना जरूरी है कि इस समस्या वाले ज्यादातर लोगों में ऑडियोग्राम पर रिकॉर्डिंग में बहरपान नजर नहीं आता है।
    • ऐसे लोगों को शोरगुल के माहौल में आवाजें सुनने में परेशानी आ सकती है। साथ ही हीयरिंग टेस्ट में बहरापन न आने के बावजूद भी उनकी सुनने की स्थिति खराब हो सकती है। इस समस्या को कई बार ओबस्कूर ऑडियोटोरी डायफ्यूजन (obscure auditory dysfunction) या ऑडियोटोरी प्रोसेसिंग डिफिकल्टी (auditory processing difficulty) कहा जाता है।

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    हायपरएक्यूसिस का इलाज कैसे किया जाता है?

    हायपरएक्यूसिस के लिए कोई विशेष दवा या ऑपरेशन नहीं है, जिससे इसे ठीक किया जा सके। हालांकि, इसके कारण का इलाज करके स्थिति में सुधार किया जा सकता है। यदि स्पष्ट कारण नजर नहीं आता है तो एक विशेष तकनीक आपकी आवाजों के प्रति संवेदनशीलता को कम करने में मदद करती है।

    इनमें निम्नलिखित इलाज को शामिल किया जाता है:

    • कोन्जिटिव बिहेवियरल थेरेपी (Cognitive behavioral therapy): इस थेरेपी में आपको परेशानी देने वाली आवाजों के प्रति आपकी सोच में बदलाव किया जाता है, जिससे डिस्ट्रेस कम हो सके। साथ ही आपके अलग-थलग रहने के व्यवहार को बदला जाता है। यह थेरेपी इस समस्या के लक्षणों में राहत प्रदान करती है।
    • काउंसलिंग और शिक्षा: अपनी इस स्थिति को समझने और आपकी मदद करने के लिए काउंसलिंग दी जाती है।
    • साउंड थेरेपी: इस थेरेपी में कई महीनों तक ध्वनियों के प्रति संवेदनशीलता को कम किया जाता है। इसमें विशेष ध्वनि पैदा करने वाले यंत्र को आपके कमरे या कानों (कान की मशीन के समान) में लगाया जाता है।

    घरेलू उपचार

    जीवन शैली में होने वाले बदलाव क्या हैं, जो मुझे हायपरएक्यूसिस को ठीक करने में मदद कर सकते हैं?

    निम्नलिखित घरेलू उपाय आपको हायपरएक्यूसिस में राहत प्रदान करने में मदद करेंगे:

    • राहत पाने की तकतनीकों को सीखना
    • मन शांत करने वाला संगीत या ध्वनियां सुनना
    • आवाजों वाले माहौल से बचना
    • ईयरप्लग्स या मफ्स का इस्तेमाल न करना

    इस संबंध में आप अपने डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि आपके स्वास्थ्य की स्थिति देख कर ही डॉक्टर आपको उपचार बता सकते हैं।

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    हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है। अगर आपको किसी भी तरह की समस्या हो तो आप अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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