मम्प्स (गलसुआ) क्या है?
गलसुआ या मम्प्स एक संक्रामक रोग है जो वायरस के कारण होता है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में सलाइवा के द्वारा फैल जाता है। इससे मुख्य रूप से पैरोटिड ग्लैंड प्रभावित होती हैं। ये ग्लैंड सलाइवा बनाती हैं। ग्लैंड के तीन समूह होते हैं जो मुंह के तीनों तरफ कानों के पीछे और नीचे स्थित होते हैं। वयस्कों में लक्षण अक्सर बच्चों की तुलना में अधिक गंभीर होते हैं। लगभग एक तिहाई लोगों में इस बीमारी के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं।आमतौर पर मम्प्स कोई गंभीर बीमारी नहीं है लेकिन, इससे जुड़े कुछ कॉम्पिलिकेशन हैं जिनमें स्थाई बहरापन, टेसटिस में सूजन आदि शामिल हैं। महिलाओं में ओवरी में सूजन आ जाती है, लेकिन इससे बांझपन का खतरा नहीं रहता है।
क्या मम्प्स (Mumps) एक आम बीमारी है?
टीकाकरण न कराने की वजह से प्रति वर्ष लगभग 0.1 प्रतिशत से एक प्रतिशत आबादी मम्प्स से प्रभावित होती है। टीकाकरण से बीमारी की दर में 90 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है। हालांकि विकासशील देशों में मम्प्स आम हैं। जहां टीकाकरण बहुत कम लोग कराते हैं। इस बीमारी के कारणों को नियंत्रित करके इससे निपटा जा सकता है। अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने डॉक्टर से सलाह लें।
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मम्प्स (Mumps) के लक्षण क्या हैं?
मम्प्स के लक्षण आमतौर पर वायरस के संपर्क में आने के दो सप्ताह के अंदर ही दिखने लगते हैं। फ्लू जैसे लक्षण सबसे पहले सामने आ सकते हैं और दूसरे लक्षण हैं:
अगले कुछ दिनों में तेज बुखार और लार ग्रंथियों में सूजन भी लक्षण के रूप में उभरने लगते हैं। हो सकता है कि ग्रंथियां एक बार में न सूजकर धीरे-धीरे सूजें और दर्द दें।
मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
अगर आपको ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण दिखें, तो डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है। इसके अलावा आपका कोई सवाल हो तो वो भी डॉक्टर से पूछें।
मम्प्स (Mumps) के क्या कारण हैं?
मम्प्स एक ऐसी बीमारी है जो जीनस रुबेला वायरस के कारण होती है। एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के संपर्क में आने से यह इंफेक्शन फैलता है। जब एक इंफेक्टेड व्यक्ति खांसता या छींकता है, तो बूंदें हवा में फैल जाती हैं और किसी अन्य व्यक्ति की आंख, नाक या मुंह में प्रवेश कर सकती हैं। इससे दूसरा व्यक्ति भी इंफेक्टेड हो जाता है। वायरस से प्रभावित मरीज से पेरोटिड ग्रंथि में सूजन शुरू होने के 7 दिन पहले और 7 दिन बाद तक इंफेक्शन फैल सकता है।
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मम्प्स (Mumps) का निदान कैसे किया जाता है?
इंफेक्शन के दौरान पैरोटिटिस का निर्धारण करके इसका पता किया जा सकता है। हालांकि, जब रोग के लक्षण कम दिखे, तो पैरोटिटिस को अन्य संक्रामक रोगों का कारण माना जाना चाहिए जैसे कि एचआईवी, कॉक्ससैकीवायरस और इन्फ्लूएंजा। एक फिजिकल टेस्ट के द्वारा सुजी हुई ग्लैंड को चेक किया जा सकता है। आमतौर पर, रोग का पता क्लिनिकल आधार पर किया जाता है। इसके लिए किसी तरह के लेबोरेटरी टेस्ट की आवश्यकता नहीं होती है। यदि क्लिनिकली टेस्ट के बारे में कुछ अनिश्चितता है, तो लार या रक्त का परीक्षण किया जा सकता है। रियल टाइम नेस्टेड पोलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) का उपयोग करके बीमारी की पुष्टि कर सकते हैं।
मम्प्स (Mumps) का इलाज कैसे किया जाता है?
क्योंकि मम्प्स वायरस की वजह से होता है इसलिए इस बीमारी पर एंटीबायोटिक या अन्य दवाओं का असर कुछ खास असर नहीं दिखता है। हालांकि इनसे आप बीमारी के लक्षणों में कुछ आराम पा सकते हैं।
- जब आपको कमजोरी या थकान महसूस हो तो आराम करें।
- बुखार को कम करने के लिए एसिटामिनोफेन और इबुप्रोफेन जैसी दर्द निवारक दवाइयां लें।
- आइस पैक की सिकाई से ग्लैंड में आई सूजन को कम किया जा सकता है।
- बुखार के कारण डीहाइड्रेशन से बचने के लिए तरल पदार्थों का सेवन करें।
- सूप, दही व अन्य नरम आहारों का सेवन करें जिनको चबाने में कठिनाई ना हो (क्योंकि जब मुंह की ग्लैंड्स में सूजन आ जाती है तो चबाने के दौरान दर्द महसूस हो सकता है)
- एसिडिक फूड व पेय पदार्थों का सेवन ना करें क्योंकि ये लार ग्रंथियों में और ज्यादा दर्द का कारण बन सकते हैं।
जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपचार
वेक्सीनेशन से मम्प्स को रोका जा सकता है। अधिकांश शिशुओं और बच्चों को एक ही समय में खसरा, मम्प्स और रूबेला (MMR) के टीके लगाए जाते हैं। पहला एमएमआर आमतौर पर 12 से 15 महीने की उम्र के बच्चों को नियमित अंतराल पर दिया जाता है। 4 से 6 वर्ष की आयु के स्कूली बच्चों के लिए दूसरा वैक्सीनेशन आवश्यक होता है।
वयस्क जो 1957 से पहले पैदा हुए थे और अभी तक टीकाकरण नहीं कराया है वे करवा सकते हैं। जो लोग अस्पताल या स्कूल में ज्यादा समय बिताते हैं, उन्हें हमेशा मम्प्स का टीका लगाया जाना चाहिए। हालांकि, जिन रोगियों को जिलेटिन या नोमाइसिन से एलर्जी होती है या जो गर्भवती हैं, उन्हें MMR वैक्सीन नहीं लगवाना चाहिए। यदि आपके कोई प्रश्न हैं, तो बेहतर समाधान को समझने के लिए कृपया अपने डॉक्टर से परामर्श करें। इसके अलावा आप निम्न घरेलू नुस्खों को मम्प्स का सूजन कम करने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
- अदरक के पाउडर को पानी में मिला कर सूजन वाले स्थान पर लगाएं, इससे मम्प्स के सूजन में राहत मिलेगी।
- एलोवेरा मम्प्स के लिए उम्दा घरेलू इलाज है। एलोवेरा की पत्तियों को छील कर उसे रगड़ कर अंदर का जेल निकाल लें। इसके बाद उसे प्रभावित वाले स्थान पर लगाएं।
- गर्म या ठंडी सेंकाई से भी मम्प्स से सूजन में राहत मिलती है।
- मम्प्स की समस्या होने पर डॉक्टर से जानकारी प्राप्त करें कि किस तरह से मुंह की सफाई करनी चाहिए और साथ ही किन बातों पर ध्यान देना चाहिए।
- आप खाने में उन पदार्थों का सेवन करने से बचें जिनमे एसिड पाया जाता है। आप खट्टे फलों के सेवन से बचें क्योंकि इसमे अम्ल पाया जाता है जो नुकसानदायक होता है।
- अगर आपको दर्दनिवारक दवा का सेवन करने के बाद भी आराम नहीं मिल रहा है तो इस बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं। दवाइयों का नियमित सेवन जरूर करें।
- अगर आपको छींक या खांसी आती है तो मुंह पर हाथ लगाएं और उसके बाद हाथों को साबुन से अच्छे से साफ करें। ये संक्रामक बीमारी है, इसलिए विशेष ख्याल रखने की जरूरत है।
इस आर्टिकल में हमने आपको मम्प्स से संबंधित जरूरी बातों को बताने की कोशिश की है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस बीमारी से जुड़े किसी अन्य सवाल का जवाब जानना है, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे। अपना ध्यान रखिए और स्वस्थ रहिए।