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Pleurisy: प्लूरिसी क्या है? जानिए लक्षण, कारण और उपचार

के द्वारा एक्स्पर्टली रिव्यूड डॉ. पूजा दाफळ · Hello Swasthya


Kanchan Singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/04/2021

Pleurisy: प्लूरिसी क्या है? जानिए लक्षण, कारण और उपचार

परिभाषा

प्लूरिसी (Pleurisy) फेफड़ों से संबंधित बीमारी है जिसमें सीने में तेज दर्द होता है और सांल लेने व छोड़ने पर यह दर्द और अधिक बढ़ जाता है। यह फेफड़ों को सुरक्षित रखने वाली ऊतकों की परत को प्रभावित करती है जिससे परेशानी बढ़ जाती है। प्लूरिसी के कारण और लक्षण क्या है जानिए इस आर्टिकल में।

प्लूरिसी (Pleurisy) क्या है?

आपके फेफड़ों के ऊपर ऊतकों की पतल लेयर होती है जिसे प्लूरा कहते हैं। यह फेफड़ों को चेस्ट वॉल (सीने की दीवार) से अलग करती है, लेकिन किसी कारणवश जब प्लूरा में सूजन आ जाए तो उस स्थिति को प्लूरिसी (Pleurisy) कहा जाता है। इसमें सीने में तेज दर्द होता है और सांस लेते समय दर्द और अधिक बढ़ जाता है और सांस लेते समय परेशानी होती है। ऊतकों की एक लेय फेफड़े को बाहर से कवर करती है और दूसरी लियर आंतरिक चेस्ट वॉल से उसे अलग करती है। इन दोनों पलती लेयर के बीच जो थोड़ी जगह होती है इसमें तरल पदार्थ भरा होता है। सामान्य रूप से ऊतकों की दोनों परतें स्मूदली काम करती हैं और सांस लेते और छोड़ते समय फेफड़े को फैलने और संकुचित होने में किसी तरह की बाधा नहीं पहुंचाती। लेकिन प्सूरिसी होने पर ये ऊतक सूज जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप दोनों लेयर आपसे में रगड़ती है जिससे सांस लेते और छोड़ते समय दर्द होता है, लेकिन जब आप सांस रोकते हैं तो दर्द नहीं होता है। तो कभी आपको सीने में तेज दर्द हो तो उसे सिर्फ हार्ट अटैक न समझें, क्योंकि प्लूरिसी का भी यही मुख्य लक्षण है।

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कारण

प्लूरिसी (Pleurisy) के क्या कारण हैं?

सांस लेते समय परेशानी

प्लूरिसी (Pleurisy) कई कारणों से हो सकता है। अक्सर निमोनिया जैसे बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण प्लूरिसी होती है। यह फ्लू और फंगस के कारण भी हो सकता है। अन्य कारणों में शामिल हैः

लक्षण

प्लूरिसी के लक्षण (Symptoms of Pleurisy)

प्लूरिसी का मुख्य लक्षण है छाती में तेज दर्द या लगातार दर्द। दर्द सीने के एक तरफ या दोनों तरफ हो सकता है। साथ ही सांस लेने के साथ ही य बढ़ जाता है। अन्य लक्षणों में शामिल हैं

  • सांस उखड़ना या तेजी से सांस लेना
  • खांसना
  • बिना किसी कारण के वजन कम होना
  • हृदय गति का तेज होना

प्लूरिसी आमौर पर वायरल इंफेक्शन के कारण होता है। ऐसे में इसके लक्षणों में शामिल हैः

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निदान

प्लूरिसी का निदान (Diagnosis of Pleurisy)

प्लूरिसी (Pleurisy) को डायग्नोस करने के लिए डॉक्टर आपकी मेडिकल हिस्ट्री पूछता है और फिजिकल एग्जामिनेशन करता है। प्लूसिरी के कारणों का पता लगाने के लिए डॉक्टर निम्न टेस्ट की सलाह दे सकता हैः

ब्लड टेस्ट- किसी तरह का इंफेक्शन तो नहीं है यह पता करने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट करता है। इसके अलावा यदि ऑटोइम्यून डिसऑर्डर जैसे रूमेटाइट आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis) और ल्यूपस आदि का पता भी ब्लड टेस्ट से चलता है।

चेस्ट एक्स-रे- छाती के एक्स-रे से पता चलता है कि फेफड़ों की क्या स्थिति है। इससे पता चलता है कि क्या फेफड़े पूरी तरह से फूले हुए हैं या फेफड़े और पसलियों के बीच हला या तरल पदार्थ है।

सीटी स्कैन- चेस्ट की डिटेल इमेज के लिए सीटी स्कैन किया जाता है ताकि प्लूरा की सही कंडिशन और दर्द के कारणों का पता लगाया जा सके। यदि फेफड़ों में ब्लड जमा है तो सीटी स्कैन से इसका पता चल जाता है।

अल्ट्रासाउंड- इसमें हाई फ्रिक्वेंसी साउंड वेव्स की मदद से शरीर की आंतरिक सरंचना की इमेज निकाली जाती है, इससे यह पता लगाने में मदद मिलती है दर्द का कारण कहीं प्लूरल इफ्यूजन तो नहीं।

ECG- हार्ट से जुड़ी किसी तरह की समस्या का पता लगाने के लिए हार्ट मोनिटरिंग टेस्ट किया जाता है।

बायोप्सी- प्लूरिसी के कारणों का पता लगाने के लिए प्लूरल बायोप्सी की भी सलाह दी जाती है। इस प्रक्रिया में डॉक्टर छाती की त्वचा पर छोटा सा चीरा लगाकर सुई अंदर डालता है और प्लूरा से ऊतक का नमूना जांच के लिए निकालता है।

प्लूरिसी (Pleurisy) से जुड़े जोखिम

प्लूरिसी से जुड़े जोखिम गंभीर हो सकते हैं। इसमें शामिल हैः

  • फेफड़ों का अवरुद्ध हो जाना या जितने उन्हें फूलना चाहिए उतना नहीं हो पा रहा है
  • प्लूरल कैविटी में पस भरना
  • अचानक रक्त प्रवाह कम होना
  • संक्रमण (सेप्सिस) से गंभीर रिएक्शन

सूजन की वजह से भी प्लूरल कैविटी में तरल पदार्थ जमा हो जाता है, इसे प्लूरल इफ्यूजन कहा जाता है। इस स्थिति में दर्द भले ही कम हो, लेकिन आपके लिए सांस लेना मुश्किल हो जाता है। डॉक्टर आपको ड्यूरेटिक्स जैसी दवा दे सकता है या प्रक्रिया के तहत तरल पदार्थ को निकालता है।

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उपचार

प्लूरिसी का उपचार (Treatment of pleurisy)

प्लूरिसी (Pleurisy) का उपचार करने से पहले डॉक्टर उसके कारणों का पता लगाता है, क्योंकि कारण जानने के बाद ही सही तरीके से उपचार किया जा सकता हैः

  • यदि प्लूरिसी का कारण बैक्टीरिया हैं तो इसे एंटीबायोटिक्स देकर ठीक किया जाता है।
  • यदि फंगस की वजह से प्लूरिसी हुआ है तो डॉक्टर आपको एंटीफंगल दवा देगा।
  • यदि प्लूरिसी वायरस के कारण हुआ है तो कुछ दिनों या हफ्ते में आप अपने आप ठीक हो जाते हैं।

प्लूरिसी से पीड़ित कुछ व्यक्तियों के प्लूरा की दोनों लेयर के बीच बहुत अधिक तरला पदार्थ जमा हो जाता है। ऐसे में डॉक्टर थोड़ा सा तरल निकालता है। वह प्लूरा के बीच की थोड़ी सी जगह में सुई डालकर ऐसा करता है।

दर्द कम करने के लिए पेनकिलर और स्टेरॉयड दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है।

यदि खांसी बहुत अधिक आ रही है जिससे दर्द बढ़ता है तो डॉक्टर खांसी कम करने की दवा देता है।

जिस तरफ दर्द हो रहा है उसी साइड सोने पर आपको दर्द से थोड़ी राहत मिलेगी। जैसे ही दर्द कम हो जाए ज्यादा और गहरी सांस लें।

याद रखें इस स्थिति में स्मोकिंग बिल्कुल न करें, क्योंकि इससे फेफड़ों में इरिटेशन हो सकती है। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी प्रकार की चिकित्सा और उपचार प्रदान नहीं करता है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

डिस्क्लेमर

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