स्ट्रेस फ्रैक्चर (Stress fracture) क्या है ?
हड्डियों या टिशू पर किसी कारण अत्यधिक दवाब पड़ने से होने वाले नुकसान जैसे हड्डियों में हल्का क्रेक या सूजन आने की स्थिति को स्ट्रेस फ्रैक्चर कहते हैं। स्ट्रेस फ्रैक्चर ट्रैक करने वाले, फील्ड एथलीट और सैन्य भर्ती वाले व्यक्तियों में ज्यादा होती है।
स्ट्रेस फ्रैक्चर (Stress fracture) कितना सामान्य है ?
स्ट्रेस फ्रैक्चर फील्ड एथलीटों, जिमनास्ट, डांसर, टेनिस खिलाड़ियों और बास्केटबॉल खिलाड़ियों के लिए सामान्य है। इन लोगों के अलावा अन्य लोगों को भी स्ट्रेस फ्रैक्चर की समस्या हो सकती है। कमजोर हड्डियों या पोषण की कमी हुए व्यक्तियों को भी इसकी परेशानी हो सकती है। पैर, रीढ़, हाथ, पसलियों और हड्डियों में स्ट्रेस फ्रैक्चर की समस्या हो सकती है। ऐसी स्थिति होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
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लक्षण
स्ट्रेस फ्रैक्चर (Stress fracture) के लक्षण क्या हैं ?
इसके निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:
- पैर, स्पाइन और शरीर के अलग-अलग हिस्से में दर्द होना।
- शारीरिक हिस्सों में किसी भी काम के दौरान दर्द महसूस होना।
- आराम करने के दौरान भी दर्द होना।
- समय के साथ-साथ दर्द और तेज होना।
- कभी-कभी हल्की सूजन या प्रभावित एरिया लाल होना।
इन लक्षणों के अलावा अन्य लक्षण भी होना। इसलिए परेशानी महसूस होने पर डॉक्टर से संपर्क करना बेहतर विकल्प होगा।
डॉक्टर से कब मिलना चाहिए ?
निम्नलिखित परेशानी महसूस होने पर डॉक्टर से मिलें:
- अत्यधिक तेज दर्द
- आराम करने के दौरान भी तेज दर्द
- उपाय करने के बाद भी दर्द होना
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कारण
स्ट्रेस फ्रैक्चर (Stress fracture) किन कारणों से होता है?
- शारीरिक एक्टिविटी या बहुत तेजी से काम करने की वजह से स्ट्रेस फ्रैक्चर होने की संभावना होती है।
- शरीर का वजन के साथ-साथ लंबाई ज्यादा होना। इससे पैर पर अत्यधिक भार पड़ता है।
- लगातार कई घंटे तक काम करना।
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जोखिम
स्ट्रेस फ्रैक्चर (Stress fracture) का सबसे बड़ा कारण क्या है ?
निम्नलिखित कारणों की वजह से स्ट्रेस फ्रैक्चर हो सकता है:
- स्ट्रेस फ्रैक्चर फील्ड एथलीटों, डांसर, टेनिस और बास्केटबॉल खिलाड़ियों के लिए सामान्य है।
- वैसे लोग जो कभी एक्सरसाइज नहीं करते हैं और अचानक एक्सरसाइज शुरू कर देते हैं। ऐसे में स्ट्रेस फ्रैक्चर की समस्या हो सकती है।
- वैसे महिलाएं जिनमें पीरियड्स (मासिक धर्म) ठीक से नहीं आने की समस्या हो, तो ऐसी परिस्थिति में भी स्ट्रेस फ्रैक्चर का खतरा बढ़ सकता है।
- पैर के तल्वे फ्लैट या ज्यादा ऊंचे होने की स्थति में स्ट्रेस फ्रैक्चर की समस्या हो सकती है।
- सही जूते नहीं पहनने की स्थिति में भी स्ट्रेस फ्रैक्चर की समस्या हो सकती है।
- हड्डियों के कमजोर होने की स्थिति में भी स्ट्रेस फ्रैक्चर की परेशानी हो सकती है।
- अगर पहले कोई फ्रैक्चर हुआ ही, तो ऐसी स्थिति में भी स्ट्रेस फ्रेक्चर हो सकता है।
- पौष्टिक आहार का सेवन नहीं करना, विटामिन-डी और कैल्शियम की कमी की वजह से भी स्ट्रेस फ्रैक्चर हो सकता है।
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निदान और उपचार
दी गई जानकारी किसी भी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने चिकित्सक से संपर्क करें और सलाह लें।
स्ट्रेस फ्रैक्चर का निदान कैसे किया जाता है ?
डॉक्टर्स मेडिकल हिस्ट्री देखकर और शारीरिक जांच के अलावा निम्लिखित टेस्ट कर स्ट्रेस फ्रैक्चर की स्थति को समझ सकते हैं:
- एक्स-रे (X-rays)- एक्स-रे से स्ट्रेस फ्रैक्चर की स्थिति को समझा जाता है। इसे ठीक होने में एक सप्ताह या एक महीने तक का वक्त लग सकता है।
- बोन स्कैन– बोन स्कैन के पहले इंट्रावेनस में रेडियोएक्टिव की खुराक (डोस) दी जाती है। इसे उन हिस्सों को समझने में आसानी होती है जहां स्ट्रेस फ्रैक्चर हुआ है। स्ट्रेस फ्रेक्चर होने पर अन्य टेस्ट भी किये जाते हैं।
- मेग्नेटिक रेजोनेंस इमेज (MRI)– इसमें रेडियो वेव्स का प्रयोग किया जाता है। इससे इंजरी के पहले सप्ताह ही फ्रैक्चर की जानकारी मिल सकती है। इससे स्ट्रेस फ्रेक्चर और सॉफ्ट टिशू में आई चोट को समझना आसान हो जाता है।
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स्ट्रेस फ्रैक्चर (Stress fracture) का इलाज कैसे किया जाता है ?
स्ट्रेस फ्रैक्चर की परेशानी ज्यादा होने पर सर्जरी की जा सकती है। चलने में परेशानी होने पर वॉकिंग बोट जैसे अन्य चीजों का सहारा लिया जा सकता है। स्ट्रेस फ्रैक्चर सर्जरी में आमतौर पर 30 मिनट से 1 घंटे तक का समय लग सकता है। इसके लिए प्रभावित जगह पर चीरा लगाया जाता है और ऑपरेशन का प्रॉसेज होता है ताकि टूटी हई हड्डी को जोड़कर रिपेयर किया जा सके। फ्रैक्चर को ठीक करने के लिए आमतौर पर डॉक्टर स्क्रू और प्लेट का इस्तेमाल किया जाता है।
जीवनशैली में बदलाव और घरेलू उपचार
निम्नलिखित टिप्स अपनाकर स्ट्रेस फ्रैक्चर से बचा जा सकता है:
- अत्यधिक वजन नहीं उठायें।
- सूजन को कम करने और दर्द से राहत पाने के लिए डॉक्टर आवश्यकतानुसार चोट वाले स्थान पर आइस पैक लगाने की सलाह दे सकते हैं- दिन में 15 मिनट के लिए 3 से 4 बार सिकाई की सलाह दी जा सकती है।
- पेशेंट को ठीक होने के बाद भी तेजी से कोई भी काम नहीं करना चाहिए।
- अत्यधिक वजन और एक्सरसाइज भी हल्की करनी चाहिए।
- स्ट्रेस फ्रैक्चर कभी-कभी कैल्शियम की कमी से होता है। कैल्शियम की कमी का इलाज करना हो तो हर घर में पकने वाले पालक को नियमित रूप से अपने आहार में शामिल करें। इसमें 250 ग्राम कैल्शियम पाया जाता है। इससे शरीर में कैल्शियम का स्तर संतुलित रखा जा सकता है। कई लोगों को पालक की सब्जी या साग पसंद नहीं होता, उन्हें पालक से बनी सलाद का सेवन करना चाहिए।
- दूध तथा दही दोनों में अलग-अलग 125 मिलीग्राम कैल्शियम पाया जाता है। यह मात्रा शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में बहुत महत्वपूर्ण है। कम वसा वाले दही (योगर्ट) में कैल्शियम भरपूर मात्रा पाया जाता है।
- कैल्शियम की कमी का इलाज कई प्रकार की बीजों के सेवन से किया जा सकता है। इनमें से सबसे प्रमुख है शीशम के बीज, अलसी के बीज, तरबूज के बीज। इनमें से सिर्फ शीशम के बीज में लगभग 975 मिलीग्राम कैल्शियम पाया जाता है। जिससे हड्डियां मजबूत होंगी।
इस आर्टिकल में हमने आपको स्ट्रेस फ्रैक्चर से संबंधित जरूरी बातों को बताने की कोशिश की है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस बीमारी से जुड़े किसी अन्य सवाल का जवाब जानना है, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्सर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे। अपना ध्यान रखिए और स्वस्थ रहिए।
हैलो स्वास्थ्य किसी भी तरह की कोई भी मेडिकल सलाह नहीं दे रहा है, अधिक जानकारी के लिए आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
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