फाइब्रॉएड को आम भाषा में रसौली और गांठ भी कहते है। फाइब्रॉएड्स महिलाओं के गर्भाशय में होने वाली समस्या है। वैसे तो फाइब्रॉएड्स के प्रकार कई है, लेकिन इसके पहले हम फाइब्रॉएड्स क्या है और कैसे हो जाती है इसके बारे में जानेंगे। फाइब्रॉएड्स की वजह से महिलाओं में अनियमित पीरियड्स या ज्यादा ब्लीडिंग की परेशानी होनी लगती है। इलाज न कराने पर यह समस्या बढ़ भी जाती है।
फाइब्रॉएड्स को नजरअंदाज करने से बांझपन की समस्या तक भी हो सकती है। फाइब्रॉएड्स सामान्य तौर पर गर्भाशय (Uterus) की मांसपेशियों (Muscles) में होने वाली गांठ या ट्यूमर है जिनका आकार एक तिल से लेकर अंगूर के बराबर तक हो सकता है। जब किसी महिला को फाइब्रॉएड्स की समस्या होती है तो उसके शरीर में कई तरह बदलाव दिखने लगते है। फाइब्रॉएड्स की समस्या वैसे तो 35 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में होती है, लेकिन बदलते खान-पान, पर्यावरण प्रदूषण और अन्य कारकों की वजह से आजकल कम उम्र की लड़कियों को भी फाइब्रॉएड्स की समस्या होने लग गई है। फाइब्रॉएड्स के बारे में जानने से पहले फाइब्रॉएड्स के प्रकार के बारे में जानना जरूरी है। तो आइये जानते है फाइब्रॉएड्स के प्रकार-
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जानिए फाइब्रॉएड्स के प्रकार – Types of fibroids
फाइब्रॉएड्स गर्भाशय में किस स्थान पर है इसके अनुसार फाइब्रॉएड्स के प्रकार वर्गीकृत किए गये है। सामान्यतौर पर फाइब्रॉएड्स के प्रकार 5 तरह के होते है-
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इंट्राम्युरल फाइब्रॉएड
इस तरह के फाइब्रॉएड्स के प्रकार में फाइब्रॉएड्स का आकार जल्दी बढ़ता है, जिससे गर्भाशय का आकार भी बड़ा दिखाई देने लगता है। यह गर्भाशय की दीवार पर होता है, इसमें दर्द और ब्लीडिंग होती है।
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सबसेरोसल फाइब्रॉएड
इस तरह के फाइब्रॉएड्स के प्रकार में फाइब्रॉएड्स गर्भाशय के बाहर पाई जाने वाली दीवार पर पाई जाती है। यह आंत, रीढ़ की हड्डी और ब्लैडर पर दबाव डालता है। इसके कारण पेल्विस में तेज दर्द होता है।
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सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड
इस तरह के फाइब्रॉएड्स के प्रकार में फाइब्रॉएड्स गर्भाशय (Uterus) में मांसपेशियों के बीच के हिस्से में पाई जाती है, इस तरह की फाइब्रॉएड्स के कारण पीरियड्स में अधिक दर्द और ब्लीडिंग होती है। कई केस में तो महिला को गर्भधारण करने में भी परेशानी आती है।
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सर्वाइकल फाइब्रॉएड
इस तरह के फाइब्रॉएड्स के प्रकार में फाइब्रॉएड्स गर्भाशय की गर्दन पर होती है।
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इंट्रालिगमेंटस फाइब्रॉएड
इस तरह के फाइब्रॉएड्स के प्रकार में फाइब्रॉएड्स गर्भाशय (Uterus) के साथ जुड़े टिश्यू में हो जाती है, इसके होने से पीरियड्स अनियमित हो जाते है।
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फाइब्रॉएड्स होने के क्या लक्षण है?
आमतौर पर गर्भाशय में फाइब्रॉएड्स होने के कोई लक्षण नहीं दिखाई देते। सामान्यतौर पर फाइब्रॉएड्स के लक्षण उसके प्रकार पर भी निर्भर करते है, कुछ फाइब्रॉएड्स में तुरंत ही लक्षण दिखाई देते है, लेकिन कुछ फाइब्रॉएड्स में काफी समय के बाद लक्षण दिखाई देते है। ज्यादातर मामलों में फाइब्रॉएड्स होने के निम्न लक्षण दिखाई दिए है-
- ज्यादा ब्लीडिंग और पीरियड्स के दौरान बहुत दर्द होना।
- एनीमिया यानी शरीर में खून की कमी होना।
- पेट के निचले हिस्से यानी पेल्विक एरिया में भारीपन महसूस होना।
- बार-बार पेशाब आने का भ्रम होना।
- शारीरिक संबंध बनाते समय दर्द होना।
- कमर के निचले हिस्से में दर्द होना।
- बार-बार गर्भपात होना।
- अचानक तेजी से वजन बढ़ जाना या घट जाना
फाइब्रॉएड की जांच कैसे की जाती है?
फाइब्रॉएड्स के प्रकार जानने के बाद ये जानना जरूरी है कि फाइब्रॉएड्स का परीक्षण करने के लिए किस तरह की जांच की जाती है जिसके बाद फाइब्रॉएड का इलाज शुरू किया जाता है। फाइब्रॉइड होने का परीक्षण इस तरह से किया जाता है-
- अल्ट्रासाउंड स्कैन के जरिये सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड और सर्वाइकल फाइब्रॉएड का पता लगाया जाता है।
- एमआरआई के जरिये फाइब्रॉएड कितने है और इसके आकार के बारे में पता लगाया जाता है।
- हिस्टोरोस्कोपी जांच में गर्भाशय में कैमरे वाले एक छोटे दूरबीन का इस्तेमाल किया जाता है। जरूरत पड़ने पर उसी समय बायोप्सी भी की जाती है।
- लेप्रोस्कोपी के जरिये गर्भाशय के बाहर के हिस्से में मौजूद फाइब्रॉएड की जांच की जाती है।
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फाइब्रॉएड्स के प्रकार जानने के बाद जानिए फाइब्रॉएड्स होने पर क्या करें?
फाइब्रॉएड्स के प्रकार पर निर्भर करता है कि डॉक्टर आपको किस तरह के इलाज की सलाह दें। फाइब्रॉएड्स होने पर दवाई और सर्जरी दोनों के माध्यम से इलाज किया जाता है। किसी प्रकार की दवा का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना न करें। इसके साथ ही कुछ अन्य बातों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि इलाज सफल हो सकें। अगर आपको भी फाइब्रॉएड्स है तो आपको किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए-
- फाइब्रॉएड्स होने पर डॉक्टर से नियमित इलाज करवाएं। डॉक्टर द्वारा दी गई दवा को समय पर लें। उसमें अपनी इच्छानुसार कोई बदलाव न करें। साथ ही रेगुलर अपॉइंटमेंट लेकर डॉक्टर से मिलें।
- फल और सब्जियां खाएं। ये ओवरऑल हेल्थ को अच्छा रखने के साथ ही इस परेशानी से लड़ने में शरीर की मदद करेंगी।
- वजन घटने और बढ़ने की स्थिति में वजन को नियंत्रित करें। मोटापे के चलते कई बीमारी बिन बुलाई जाती है। इसे वजन को कंट्रोल में रखना जरूरी है।
- पीरियड्स के लिए डॉक्टर की सलाह के बिना कोई दवाई न लें।
- यदि आप शादीशुदा है तो गर्भनिरोधक दवा का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह के बगैर न लें।
- स्मोकिंग और शराब का सेवन न करें। ये हर बीमारी के लक्षणों को बिगाड़ने का काम करता है।
- प्रोसेस्ड फूड न खाएं। इसके साथ ही जंक और फास्ट फूड के सेवन से बचें।
इसके साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि सभी फाइब्रॉएड्स कैंसर में नहीं बदलते। इसलिए घवराएं नहीं और डॉक्टर द्वारा दी गई दवा और सलाह को मानें।
दवाओं के द्वारा फाइब्रॉएड्स का इलाज
- गर्भनिरोधक दवाई:- डॉक्टर ज्यादा ब्लीडिंग होने पर गर्भनिरोधक दवाई देते है, ताकि ब्लीडिंग को संतुलित किया जा सकें।
- दर्दनिवारक दवा:- फाइब्रॉएड होने पर दर्द निवारक दवा दी जाती है, ताकि नियमित रूप से होने वाले दर्द को कम किया जा सकें।
- प्रोजेस्टिन-रिलीजिंग इंट्रायूटरिन डिवाइस:- डॉक्टर छोटे आकार की फाइब्रॉएड होने पर ब्लीडिंग को संतुलित करने के लिए यह दवा देते है।
- गोनाडोट्रोपिन-रिलीजिंग हार्मोन एगोनिस्ट:- यदि डॉक्टर फाइब्रॉएड को हटाने के लिए सर्जरी करना चाहते है, या कोई अन्य योजना है तो वह यह दवाई देते है ताकि फाइब्रॉएड का आकार छोटा किया जा सकें।
फाइब्रॉएड्स महिलाओं के गर्भाशय में होने वाली गांठ है जो गर्भाशय में जिस स्थान पर हुई है, उसके आधार पर फाइब्रॉएड्स के प्रकार विभाजित किए गए हैं।
उम्मीद करते हैं कि आपको यह आर्टिकल पसंद आया होगा और फाइब्रॉएड्स के प्रकार के बारे में जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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