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लैप्रोस्कोपिक तकनीक से ओवेरियन सिस्ट सर्जरी कितनी सुरक्षित है?

लैप्रोस्कोपिक तकनीक से ओवेरियन सिस्ट सर्जरी कितनी सुरक्षित है?

सर्जरी चाहे कोई भी मन में संशय होना लाजमी है। वहीं, जब बात हो गर्भाशय या उससे संबंधित अंगों के सर्जरी की तो मामला ज्यादा संजीदा हो जाता है। जैसे- ओवेरिन सिस्ट सर्जरी। इस संबंध में राजस्थान के जयपुर की रहने वाली रीता रॉय ने हमसे ओवेरियन सिस्ट लैप्रोस्कोपिक सर्जरी के बारे में एक सवाल पूछा है। 

ओवेरिन सिस्ट सर्जरी से जुड़े सवाल

रीता रॉय कहती हैं कि मेरी उम्र 48 साल है। सात साल पहले मेरा ऑपरेशन हुआ था, क्योंकि मेरे बाएं अंडाशय में सिस्ट था। अब मेरे दाएं ओवेरी में सिस्ट है। डॉक्टर ने ओवेरियन सिस्ट सर्जरी कराने की सलाह दी है। क्या लैप्रोस्कोपिक तकनीक से मेरा गर्भाशय  (Uterus) निकाले बिना मेरा दाएं अंडाशय (Ovary) से सिस्ट निकाली जा सकता है?

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जवाब

ओवेरियन सिस्ट से जुड़े रीता के इस सवाल के लिए हैलो स्वास्थ्य ने नई दिल्ली के सनराइज अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ एवं लैपरोस्कोपिक सर्जन डॉ. निकिता त्रेहन से बात की। डॉ. निकिता ने बताया कि, ‘अंडाशय में गांठ बनने की कई वजहें हो सकती हैं। इनमें फिजियोलॉजिकल या पैथोलॉजिकल कारण भी शामिल हैं। फिजियोलॉजिकल सिस्ट के इलाज की जरूरत नहीं होती है। पैथोलॉजिकल कारणों से होने वाले सिस्ट के बेनाइन यानी नॉन कैंसरस सिस्ट डर्माइड्स एंडोमेट्रोसिस और कई अन्य तरह के संकेत हो सकते हैं। जिनमें कुछ असाध्य भी हो सकते हैं।

आजकल बिनाइन या असाध्य दोनों तरह के ओवेरियन सिस्ट सर्जरी लैप्रोस्कोपिक तकनीक से की जा रही है। इसके लिए एक्सपर्ट डॉक्टर की जरूरत है और ओवेरियन सिस्ट सर्जरी सफल भी हो रही है। इसमें ब्लड का कम नुकसान होता है, अस्पताल में ठहरने का समय कम होता है और अन्य अंगों पर बुरा असर पड़ने का खतरा भी कम होता है। अगर ओवेरियन सिस्ट नॉन कैंसरस है तो लैप्रोस्कोपी के जरिए उसे बिना गर्भाशय को नुकसान पहुंचाए निकाला जा सकता है।

क्या होती है ओवेरियन सिस्ट?

ओवेरियन सिस्ट एक मेडिकल कंडिशन है जिसमें ओवरी की सतह पर तरल पदार्थ की एक थैली बनकर तैयार हो जाती है। ओवरी महिलाओं की शारीरिक संरचना का अहम अंग है। हर महिला के शरीर में दो ओवरी (अंडाशय) होती हैं। यह गर्भाशय के दोनों तरफ निचली और होती हैं।

आमतौर पर ओवेरियन सिस्ट हानिकारक नहीं होतीं हैं। इनमें ज्यादातर सिस्ट खुद ही ठीक हो जाती हैं, लेकिन कई बार यदि सिस्ट ठीक नहीं हो पाती तो वो काफी परेशानी पैदा करती है। इनका समय पर इलाज कराना बेहद जरूरी है। एक अध्ययन के अनुसार, 10 प्रतिशत महिलाएं ओवेरियन सिस्ट की परेशानी से पीड़ित हैं।

ओवेरियन सिस्ट के लक्षण और उपचार:

ओवेरियन सिस्ट से जुड़े कुछ ऐसे लक्षण और संकेत हो सकते हैं जिनके बारे में ऊपर नहीं बताया गया है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से कंसल्ट करें।

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कब आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए?

ओवेरियन सिस्ट के निम्नलिखित लक्षण नजर आने पर तुरंत अपने डॉक्टर से कंसल्ट करें:

  • पेल्विक पेन या अचानक बहुत तेज दर्द होना
  • दर्द के साथ बुखार या उल्टी होना
  • सदमा लगना
  • बहुत तेज ठंड लगना
  • चक्कर या कमजोरी महसूस होना
  • तेजी से सांस लेना
  • त्वचा का चिपचिपा होना

इनमें से कोई भी लक्षण अगर आपको महसूस हो तो बिना देरी करें अपने डॉक्टर से कंसल्ट करें।

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कितने तरह का होता है ओवेरियन सिस्ट?

फॉलिकल सिस्ट:

मासिक चक्र के दौरान महिलाओं की फॉलिकल थैली में एक अंडे का विकास होता है। फॉलिकल सिस्ट की शुरुआत तब होती है जब कुछ फॉलिकल थैली टूट जाती है और अंडा रिलीज नहीं हो पाता। ऐसे में फ्लूइड अंदर ही जमा हो जाता है और सिस्ट बना देता है। आमतौर पर यह ओवेरियन सिस्ट खुद ठीक हो जाती है।

कॉर्पस ल्यूटियम सिस्ट:

जब एक फॉलिकल अपने अंडे को रिलीज करता है तो टूटा हुआ फॉलिकल फर्टिलाइजेशन के लिए एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन अधिक मात्रा में निर्माण करते हैं। इस फॉलिकल्स को कॉर्पस ल्यूटियम कहा जाता है। अगर प्रेग्नेंसी नहीं होती तो ये कॉर्पस ल्यूटियम अपने आप टूट जाता है। ये फ्लूइड के रूप में अंदर जमा हो जाता है, जिससे कॉर्पस ल्यूटियम में सिस्ट बनती है। ये सिस्ट प्रेग्नेंसी को रोकते या किसी तरह की कोई हानि नहीं पहुंचाती हैं। ये दो या तीन मासिक धर्म के बाद खुद ठीक हो जाती हैं।

एंडोमेट्रियमोमास सिस्ट :

ये सिस्ट तब बनते हैं जब कोई टिशू गर्भाशय के अंदर बनने लगता है। ये गर्भाशय के बाहर भी विकसित होने लगता है और अंडाशय से जुड़ा होता है। यही कारण है कि इससे सिस्ट बन जाती है। इसका निर्माण तब होता है जब यूटेराइन एंडोमेट्रियल कोशिका गर्भाशय के बाहर बढ़ने लगता है।

डर्मोईड सिस्ट :

इन सिस्ट में टिश्यू हो सकते हैं जैसे बाल, चमड़ी या दांत। क्योंकि ये सेल्स से बनते हैं जो ह्यूमन एग का निर्माण करते हैं। बहुत कम समय में ये कैंसर का रूप ले लेता है। ये सिस्ट ओवेरियन टिश्यू से बनते हैं और तरल पानी या म्यूकस (mucous) से भरे हो सकते हैं।

कब जरूरत पड़ती है लैप्रोस्कोपिक तकनीक से ओवेरियन सिस्ट सर्जरी कराने की?

  • जब सिस्ट से कैंसर होने का खतरा हो (आमतौर पर ये ज्यादा उम्र की महिलाओं में होने की संभावना रहती है)
  • जब 2.5 इंच से बड़ा सिस्ट हो
  • जब फ्लूइड के अलावा सिस्ट में कुछ ठोस हो
  • अत्यधिक दर्द होने पर

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और पढ़ें: Polycystic Ovary Syndrome: पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

लैप्रोस्कोपिक तकनीक से ओवेरियन सिस्ट सर्जरी कराने से क्या साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?

वैसे तो इससे बहुत कम ही साइड इफेक्ट होने का खतरा है, लेकिन कोई भी क्रिया पूरी तरह से जोखिम से मुक्त नहीं है। यदि आप एक ओवेरियन सिस्ट को हटवाने वाले हैं, तो आपका डॉक्टर संभावित जटिलताओं के बारे में आपको बताएगा, जिसमें शामिल हो सकते हैं:

  • इंफेक्शन
  • ब्लीडिंग
  • सिस्ट को हटाने के बाद सिस्ट का दोबारा आना
  • एक या दोनों ओवरी को बाहर निकलवाना
  • इनफर्टिलिटी की समस्या
  • ब्लड क्लॉट
  • किसी और अंग का नष्ट होना

ओवेरियन सिस्ट सर्जरी को कराने से पहले निम्नलिखित बातों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें क्योंकि इससे परेशानी होने का खतरा रहता है:

उम्मीद करते हैं कि आपको इस आर्टिकल की जानकारी पसंद आई होगी और आपको ओवेरियन सिस्ट सर्जरी से जुड़ी सभी जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Current Version

27/07/2020

Shayali Rekha द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Manjari Khare


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डॉ. प्रणाली पाटील

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Shayali Rekha द्वारा लिखित · अपडेटेड 27/07/2020

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