डायबिटीज की बीमारी के संबंध में कई प्रकार की स्टडी होती रहती हैं। डायबिटीज के दौरान एक्सरसाइज का प्रभाव पड़ता है या फिर डायबिटीज की बीमारी शरीर के किन अंगों पर बुरा प्रभाव डाल सकती है आदि। लेफ्ट वेंटिकुलर फंक्शन में एक्सरसाइज का इंपेक्ट (Exercise impact on left ventricular function) क्या होता है, इसके संबंध में भी स्टडी की गई, जिसके कुछ परिणाम सामने आएं हें।
डायबिटीज या मधुमेह की बीमारी आज के समय में आम बीमारी के तौर पर उभर रही है। यह बीमारी जहां पहले कुछ लोगों को होती थी, वहीं अब यह बीमारी ज्यादातर लोगों को अपनी शिकार बना रही है। डायबिटीज दो प्रकार के होती हैं। टाइप वन डायबिटीज और टाइप टू डायबिटीज। टाइप 1 डायबिटीज से 8% लोग ही प्रभावित होते हैं, जबकि टाइप 2 डायबिटीज से ज्यादातर लोग प्रभावित होते हैं। टाइप 1 डायबिटीज की समस्या होने पर इंसुलिन का उत्पादन ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है। टाइप 2 डायबिटीज की समस्या होने पर इंसुलिन का इस्तेमाल कोशिकाएं ठीक प्रकार से नहीं कर पाती हैं। दोनों ही डायबिटीज भले ही अलग होते हो लेकिन दोनों के कारण ब्लड में शुगर का लेवल मेंटेन नहीं रह पाता है। आज हम आपको टाइप 1 डायबिटीज की समस्या में लेफ्ट वेंटिकुलर फंक्शन में एक्सरसाइज का इंपेक्ट (Exercise impact on left ventricular function) संबंधी की स्टडी के संबंध में अहम जानकारी देंगे।
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लेफ्ट वेंटिकुलर फंक्शन में एक्सरसाइज का इंपेक्ट (Exercise impact on left ventricular function)
रेग्युलर फिजिकल एक्टिविटी से एक नहीं बल्कि कई प्रकार के लाभ होते हैं। जिन लोगों को पहले से ही हार्ट संबंधी समस्या या फिर डायबिटीज की समस्या है, उनके लिए रेग्लुर फिजिकल एक्टिविटी कई समस्याओं को हल करने का काम करती है। क्रॉनिक डिजीज जैसे कि कार्डियोवैस्कुलर डिजीज और डायबिटीज में एक्सरसाइज ट्रेनिंग किस तरह से कैपेसिटी को बढ़ाने का काम करती है और किस तरह से यह ट्रेनिंग शरीर की अन्य गतिविधियों पर असर करती है, इसके संबंध में समय-समय पर स्टडी होती रही है। ट्रेनिंग की मदद से लेफ्ट वेंट्रीकल स्ट्रोक वॉल्यूम को बढ़ाया जा सकता है।
लेफ्ट वेंटिकुलर फंक्शन में एक्सरसाइज का इंपेक्ट (Exercise impact on left ventricular function) को लेकर एक स्टडी की गई स्टडी के परिणाम मिले जुले रहे।
एक्सरसाइज ट्रेनिंग एरोबिक कैपेसिटी ने दोनो ट्रेनिंग ग्रुप में 10 प्रतिशत तक और स्ट्रोक वॉल्यूम को 6 प्रतिशत तक इंप्रूव किया।लेकिन टाइप 1 डायबिटीज वाले ग्रुप में ट्रेंड कंट्रोल सब्जेक्ट की तुलना में कम रही। टाइप 1 डायबिटीज वाले वाले किशोरों में स्ट्रोक की मात्रा में वृद्धि लेफ्ट वेंट्रिकुलर कॉन्ट्रेक्टिलिटी (इजेक्शन फैक्शन में 9% की वृद्धि और एंड-सिस्टोलिक वॉल्यूम में 11% की कमी) हुई। कुछ हद तक, बाएं वेंट्रिकुलर फिलिंग (6%) में सुधार हुआ। टाइप 1 डायबिटीज वाले किशोरों में व्यायाम प्रशिक्षण से बिगड़ा हुआ डायस्टोलिक कार्य प्रभावित हो सकता है। इंसुलिन के उपयोग में 10% की कमी आई, लेकिन ग्लाइसेमिक लेवल में कोई बदलाव नहीं देखा गया।
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स्टडी के बाद आकड़ों से ये पता चलता है कि किशोरों में टाइप 1 डायबिटीज (type 1 diabetes) के साथ ही लेफ्ट वेंट्रिकुलर फंक्शन में कमी को रोजाना रेग्युलर इंटेंस फिजिकल एक्टिविटी की मदद से सामान्य नहीं किया जा सकता है। डायबिटीज के साथ ही डायस्टोलिक डिसफंक्शन (हार्ट फेलियर लिए जिम्मेदार) ग्रुप में की गई स्टडी वाले लोगों में पार्शियल रिवर्सिबल दिखा। टाइप 1 डायबिटीज वाले वयस्कों और किशोरों में एक्सरसाइज कैपेसिटी कम हो जाती है। जिसके कारण कार्डियोवस्कुलर मॉर्बिडिटी और मोर्टेलिटी बढ़ जाती है। स्टडी के दौरान ये बात भी सामने आई है टाइप 1 डायबिटीज वाले किशोरों में व्यायाम के दौरान स्ट्रोक वॉल्युम कम होता है, जिसे लेफ्ट वेंट्रिकुलर फंक्शन में परिवर्तन के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।
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लेफ्ट वेंटिकुलर फंक्शन में एक्सरसाइज का इंपेक्ट संबंधी स्टडी का क्या रहा रिजल्ट
बेसलाइन पर नामांकित 75 प्रतिभागियों में से, टाइप 1 मधुमेह वाले 3 प्रतिभागियों (1 पुरुष और 2 महिला) ने अध्ययन पूरा नहीं किया। फाइनल स्टडी पॉपुलेशन में 72 प्रतिभागी शामिल थे: 37 एक्सरसाइज ट्रेनिंग ग्रुप में टाइप 1 मधुमेह के साथ। 13 कंट्रोम ग्रुप में टाइप 1 मधुमेह के साथ और एक्सरसाइज ट्रेनिंग ग्रुप में मधुमेह के बिना 22 किशोर। अध्ययन इस बात की पुष्टि करता है कि इन किशोरों में एरोबिक कैपिसिटी कम हो गई है और यह कम से कम आंशिक रूप से, बिगड़ा हुआ लेफ्ट वेंट्रिकुलर फंक्शन और एक्सरसाइज के लिए एक बहुत जोरदार हार्ट रिस्पॉन्स के लिए जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
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डायबिटीज की बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। टाइप वन डायबिटीज अनुवांशिक यानी कि जेनेटिक भी हो सकती है। टाइप टू डायबिटीज लाइफस्टाइल से संबंधित बीमारी हो सकती है। अगर आप खानपान ठीक प्रकार से नहीं करते हैं या फिर रोजाना एक्सरसाइज नहीं करते हैं, अधिक स्ट्रेस लेते हैं, तो आपको टाइप टू डायबिटीज की समस्या हो सकती है। ऐसे में बेहतर है कि आप बेहतर लाइफस्टाइल अपनाएं। बेहतर लाइफ स्टाइल में बैलेंस्ड डाइट, पर्याप्त मात्रा में नींद लेना, स्ट्रेस से छुटकारे के लिए मेडिटेशन, रोजाना एक्सरसाइज करना आदि शामिल है। डायबिटीज की बीमारी से कैसे छुटकारा पाया जाए, इस बारे में आप डॉक्टर से भी जानकारी ले सकते हैं।
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समय-समय पर की गई स्टडी बीमारी के खतरे के बारे में या फिर फिजिकल एक्टिविटी का बीमारी पर क्या असर हो रहा है इस बारे में जानकारी देती रहती हैं। बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप हैलो स्वास्थ्य वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। किसी प्रकार की बीमारी होने पर या पर बीमारी के लक्षण दिखने पर बेहतर होगा कि आप डॉक्टर से जांच कराएं और बीमारी का ट्रीटमेंट जल्द से जल्द कराएं।
इस आर्टिकल में हमने आपको लेफ्ट वेंटिकुलर फंक्शन में एक्सरसाइज का इंपेक्ट (Exercise impact on left ventricular function) को लेकर जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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