हमारे जीवन में डायट का बहुत इफेक्ट पड़ता है। डायट में उपस्थित पौषिक तत्वों के आधार पर ही उसे अच्छा या बहुत अच्छा कहा जाता है। वेजीटेरियन डायट, नॉन वेजीटेरियन डायट के साथ क्रैब डायट का चलन भी बढ़ चुका है। क्रैब डायट का चलन विदेशों में अधिक होता है। भारत में भी क्रैब डायट का चलन बढ़ चुका है। क्रैब डायट से जहां एक ओर शरीर को फायदा पहुंचता है, वहीं दूसरी ओर क्रैब डायट कुछ लोगों के लिए समस्या भी खड़ी कर सकती है। इस आर्टिकल के माध्यम से क्रैब डायट से शरीर को पहुंचने वाले फायदे के बारे में जाने।
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क्रैब डायट के फायदे
क्रैब डायट में लॉन्ग चेन ओमेगा-3 फैटी एसिड
- विटामिन और मिनरल रिच क्रैब मीट में फैट की कमी होती है। साथ ही इसमे लॉन्ग चेन ओमेगा-3 पॉलीअनसैचुरेड एसिड भी पाया जाता है। क्रैब डायट से शरीर को बहुत फायदा पहुंचता है।
- क्रैब डायट लेने से हार्ट डिजीज से प्रोटक्शन होता है और साथ ही ब्रेन डेवलपमेंट के लिए भी इनसेक्ट प्रोटीन डायट फायदेमंद होती है। रिचर्स में ये बात भी सामने आई है कि ओमेगा-3 एग्रेसिव बिहेवियर से बचाने का काम करता है।
- क्रैब डायट में पाए जाने वाला ओमेगा-3 आम नहीं होता है, इसकी लॉन्ग चेन हेल्थ के लिए बेनीफीशियल होती है। ये शरीर में जल्दी से अब्जॉर्व हो जाती है। ओमेगा-3 की शॉर्ट चेन वेजीटेब्ल्स और ऑयल में पाई जाती है। इसे लॉन्ग चेन में बदलने में समय लगता है।
- 100 ग्राम क्रैब से यूके की एक तिहाई जनता को ओमेगा-3 प्राप्त होता है।
- क्रैब डायट में न्यूट्रिशनल वैल्यू अधिक होती है। विटामिन-बी, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, जिंक, अल्फा लिनोलेनिक एसिड और ओमेगा -3 फैटी एसिड की अधिकता के कारण ये खाने युक्त डायट है।
- क्रैब डायट ईकोफ्रेंडली होती हैं। इनसेक्ट का फूड कन्वर्जन हाई होता है, इसलिए इन्हें पालने में भी दिक्कत नहीं होती है।
क्रैब डायट में होता है सेलेनियम
- सभी सेलफिश सेलेनियम का अच्छा स्त्रोत होती हैं, लेकिन क्रैब मीट में सेलेनियम अधिक मात्रा में पाया जाता है।
- सेलेनियम ह्युमन एंटीऑक्सीडेंट डिफेंस सिस्टम में सेल्स को डैमेज होने से बचाता है। साथ ही सेलेनियम टिशू को भी डैमेज होने से बचाता है।
- सेलेनियम इम्यून सिस्टम के लिए भी महत्वपूर्ण कार्य करता है। ये थायरॉइड हार्मोन मेटाबॉलिज्म और रिप्रोडक्शन सिंथेसिस के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार होता है।
100 ग्राम क्रैब डायट से पुरुषों के लिए रिकमंडेड वैल्यू 112% और महिलाओं के लिए रिकमंडेड वैल्यू 140% प्राप्त होती है। क्रैब डायट में कॉड की तुलना में सेलेनियम की 3 गुना और बीफ के मुकाबले 12 गुना अधिक सेलेनियम होता है।
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क्रैब डायट में होता है राइबोफ्लेविन
- विटामिन वॉटर सॉल्युबल होता है, इसकारण से बॉडी में स्टोर नहीं होता है। क्रैब डायट राइबोफ्लेविन(विटामिन B2) का रिच सोर्स होता है।
- राइबोफ्लेविन(विटामिन B2) स्टेरॉयड्स और रेड ब्लड सेल्स के प्रोडक्शन के लिए जिम्मेदार होता है। साथ ही ये बॉडी की नॉर्मल ग्रोथ, स्किन, आइज और नर्वस सिस्टम के लिए भी जरूरी होता है।
- राइबोफ्लेविन(विटामिन B2) आयरन को अवशोषित करने का काम करता है। इस कारण से डायजेशन आसान हो जाता है। साथ ही राइबोफ्लेविन(विटामिन B2)एंटीऑक्सीडेंट की एक्टीविटी को सपोर्ट करने का काम करता है।
- अधिक फिजिकल एक्टिविटी करने वाले लोगों के लिए राइबोफ्लेविन(विटामिन B2) बहुत जरूरी होता है। एनर्जी को बढ़ाने के लिए बॉडी बिल्डर और एथलीट्स को इसकी खास जरूरत पड़ती है। ऐसे लोगों को क्रैब डायट लेने की सलाह दी जाती है।
प्रोटीन के लिए बेहतर स्त्रोत होती है क्रैब डायट
शरीर की संरचना में प्रोटीन का महत्वपूर्ण योगदान होता है। क्रैब डायट की 100 ग्राम मात्रा में रोजाना की जरूरत के अनुसार प्रोटीन की मात्रा उपस्थित होती है। अगर क्रैब डायट को शामिल किया जाए तो हार्ट संबंधि बीमारियों को भी कम किया जा सकता है। क्रैब में पाई जाने वाली हाई क्वालिटी की होती है, जिसे आसानी से पचाया जा सकता है। कनेक्टिव टिशू न होने के कारण क्रैब डायट सभी आयु के लोगों के लिए पाचनवर्धक होती है।
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डायबिटीज में भी है लाभकारी
सभी सेलफिश के साथ ही, क्रैब्स क्रोमियम रिच होते हैं, शुगर मेटाबॉलिज्म में इंसुलिन की हेल्प करता है। साथ ही क्रैब डायट से ब्लड ग्लूकोज लेवल भी कम होता है। अगर किसी भी व्यक्ति को डायबिटीज की समस्या है तो वो क्रैब डायट ले सकता है।
क्रैब डायट लेनी है या फिर नहीं, इस बारे में एक बार अपने डॉक्टर से जानकारी जरूर लें। कई बार कुछ खास प्रकार की डायट से एलर्जी की प्रॉब्लम भी हो सकती है। इस समस्या से बचने के लिए रहेगा कि बिना डॉक्टर की सलाह के क्रैब डायट न लें।
सेलफिश या घोंघा (Shellfish)
क्रैब डायट में घोंघा शामिल किया जाता है। सेलफिश में लीन प्रोटीन मौजूद होती है। साथ ही इसमे हेल्दी फैट्स और मिनिरल्स भी मौजूद होते हैं। रेगुलर सेलफिश खाने वाले लोगों में इम्युनिटी बढ़ने के साथ ही वेट लॉस और ब्रेन, हार्ट संबंधि समस्याएं कम होती हैं। कुछ सेलफिश खाने से एलर्जी की समस्या हो सकती है, साथ ही कुछ सेलफिश में हैवी मैटल्स भी होते हैं। अगर आप क्रैब डायट में सेलफिश शामिल कर रहे हैं तो उसके खतरे और बेनिफिट्स के बारे में जानकारी होना भी बहुत जरूरी है।
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कैसे खाई जाती हैं सेलफिश?
सेलफिश ग्रोसरी स्टोर और रेस्टोरेंट में आसानी से उपलब्ध होते हैं। लेकिन कुछ सेलफिश सॉल्टवॉटर और फ्रेश वॉटर में भी पाई जाती है। उदाहरण के लिए झींगा मछली( lobster ) संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वोत्तर में लोकप्रिय भोजन है, जबकि श्रिम्प (shrimp) देश के दक्षिण से व्यंजनों में एक प्रधान है। ज्यादातर सेलफिश को स्टीम, बेक्ड या फ्राई करके खाया जाता है। सीप और क्लैम को कच्चे या आंशिक रूप से पकाया जा सकता है। इसका स्वाद हल्का मीठा होता है। क्रैब डायट का स्वाद उसके पकाने की विधि पर निर्भर करता है।
क्रैब डायट खाने से एलर्जी रिएक्शन
सेलफिश खाने से एलर्जी रिएक्शन की समस्या भी हो सकती है। सेलफिश खाने से एडल्टहुड और या फिर चाइल्डफुड में एलर्जी की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
- सेलफिश खाने से निम्न एलर्जी रिएक्शन हो सकते हैं।
- वॉमिटिंग और डायरिया
- स्टमक पेन और क्रैम्प
- गले में, जीभ में या फिर लिप्स में सूजन
- सांस लेने में समस्या होना
अगर किसी भी व्यक्ति को क्रैब डायट से एलर्जी है तो उनके लिए इस डायट से दूर रहना ही बेहतर रहेगा। साथ ही क्रैब डायट लेने के बाद अगर किसी भी प्रकार की समस्या होती है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है।
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