नेसोफेरिंजियल कैंसर (Nasopharyngeal cancer) सिर और गले का दुलर्भ प्रकार का कैंसर है। यह गले के ऊपरी हिस्से से, नाक के पीछे से शुरू होता है। इस हिस्से को नेसोफेरिन्स Nasopharynx कहते हैं। नेसोफेरिंजियल कैंसर को नेसोफेरिंजियल कार्सिनोमा (Nasopharyngeal carcinoma) (NPC) भी कहा जाता है। इस कैंसर का कारण क्या है इसके बारे में पता नहीं है। हालांकि यह कैंसर इप्सटीन बार वायरस (Epstein-Barr virus) (EBV) से संबंधित है। यह इंफेक्शन कॉमन है, लेकिन इस इंफेक्शन से ग्रसित सभी लोगों को यह कैंसर नहीं होता है।
महिलाओं की तुलना में पुरुषों को यह कैंसर अधिक होता है। नमक का उपयोग अधिक करने वाले व्यक्तियों, जिनकी कैंसर की फैमिली हिस्ट्री होती है, कैंसर डेवलपमेंट वाले जीन्स होने पर नेसोफेरिंजियल कैंसर का रिस्क बढ़ जाता है। नेसोफेरिंजियल कैंसर का ट्रीटमेंट मरीज की ईटिंग को प्रभावित कर सकता है। इस दौरान निगलने में परेशानी, टेस्ट में बदलाव, वेट लॉस और ड्राय माउथ जैसे परेशानियां हो सकती हैं। इससे निपटने के लिए डायट का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। आइए जानते हैं नेसोफेरिंजियल कैंसर डायट (Nasopharyngeal Cancer diet) के बारे में।
नेसोफेरिंजियल कैंसर डायट (Nasopharyngeal Cancer diet)
नेसोफेरिंजियल कैंसर डायट में सॉफ्ट फूड्स को शामिल करना चाहिए। इससे चबाने और निगलने में होने वाली परेशानी से राहत मिलेगी। अगर आप नेसोफेरिंजियल कैंसर डायट में सॉफ्ट डायट को फॉलो कर रहे हैं तो कई सारे फूड वैरायटीज को अपनाना मुश्किल होगा। इसके साथ ही मरीज को हेल्दी रहने और वजन को बढ़ाने के लिए कैलोरीज की पर्याप्त मात्रा में जरूरत होगी। यहां बताई जा रही टिप्स नेसोफेरिंजियल कैंसर डायट को फॉलो करने में मदद कर सकती हैं।
- छोटे-छोटे मील्स लें। इससे शरीर में पोषक तत्वों की पूर्ति होगी।
- नेसोफेरिंजियल कैंसर डायट में सॉफ्ट फूड्स का सेवन करें जैसे कि उबले अंडे और बैक्ड बीन्स
- फूड को सॉफ्ट करने के लिए सॉस, ग्रेवीज, क्रीम, बटर और कस्टर्ड का उपयोग कर सकते हैं। सॉफ्ट फूड को निगलना और चबाना आसान होता है।
- फिश को पालक के सॉस के साथ भी ट्राय कर सकते हैं।
- नेसोफेरिंजियल कैंसर डायट में सॉफ्ट फूड का उपयोग करने के लिए मिल्कशेक्स भी पी सकते हैं जिसमें बनाना, स्ट्राबेरी, मेंगो जैसे फलों का उपयोग किया जा सकता है। एक्सट्रा कैलोरीज के लिए इसमें चॉकलेट या आइसक्रीम का उपयोग भी किया जा सकता है।
- नेसोफेरिंजियल कैंसर डायट में बटर, मिल्क, क्रीम और आइसक्रीम का डेयरी फ्री ऑल्टरनेटिव भी ट्राय किया जा सकता है।
- दलिया और सॉफ्ट सीरियल्स भी खाएं जा सकते हैं।
- ऐसे फूड्स को अवॉइड करें जिन्हें चबाने और निगलने में परेशानी हो। जैसे कि ड्राय फ्रूट्स, कच्ची सब्जियां, कड़क बिस्कुट और मीट।
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नेसोफेरिंजियल कैंसर डायट (Nasopharyngeal Cancer diet): सॉफ्ट डायट के लिए आप इन चीजों को ट्राय कर सकते हैं।
- सूप
- चिकन विथ क्रीमी सॉस
- टूना मायोनीज
- क्रीमी सॉस के साथ फिश और आलू
- उबली हुई दालें
- उबली हुईं सब्जियां
- अलग-अलग सॉस के साथ पास्ता
- सॉफ्ट नूडल्स
- ऑमलेट
- योगर्ट रायता
- योगर्ट कस्टर्ड
अगर डेजर्ट खाने का मन करें ये निम्न ऑप्शन ट्राय कर सकते हैं
- ब्रेड बटर पुडिंग
- खीर
- रेडी मेड चॉकलेट डेजर्ट
- चीजकेक
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नेसोफेरिंजियल कैंसर डायट (Nasopharyngeal Cancer diet) में प्रोटीन इंटेक को शामिल करने के लिए क्या करें?
यदि आप नेसोफेरिंजियल कैंसर डायट में सॉफ्ट फूड ले रहे हैं तो आपको आवश्यक प्रोटीन और कैलोरी लेने में मुश्किल हो सकती है। सॉफ्ट फूड्स का मतलब है कि आपको भोजन को नरम करने के लिए आपको इसमें पानी या कोई अन्य लिक्विड एड करना होगा। इससे खाने की मात्रा तो बढ़ती है, लेकिन खाने के न्यूट्रिशन और टेस्ट कम हो सकता है, लेकिन सॉफ्ट डायट में कैलोरी बढ़ाने के कुछ तरीके हैं:
- होल मिल्क की जगह सेमी स्किमम्ड मिल्क का उपयोग करें।
- डेयरी फ्री डायट में सोया प्रोडक्ट्स का उपयोग करें।
- दूध में प्रोटीन कंटेंट एड करने के लिए एक टेबलस्पून मिल्क पाउडर का उपयोग करें
- दलिया एक बहुत हेल्दी ब्रेकफास्ट है। दूध या फोर्टिफाइड मिल्क के साथ इसका सेवन करें।
- सॉस को पानी की जगह दूध में बनाएं और क्रीम और चीज से सजाएं
- कुछ आलूओं उबालकर मेश करें और दूध, शक्कर और क्रीम डालकर खाएं
- आमलेट में थोड़ा चीज और क्रीम डालें
- टोफू का उपयोग करें
अगर मुंह का टेस्ट चेंज हो जाए तो नेसोफेरिंजियल कैंसर डायट (Nasopharyngeal Cancer diet) में किन चीजों को शामिल करें?
कई प्रकार कैंसर के ट्रीटमेंट के दौरान रेडिएशन थेरिपी की वजह से मरीज के टेस्ट में परिवर्तन आ जाता है। ऐसे में मरीज को निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए। कुछ हफ्तों के लिए ऐसे फूड्स को अवॉइड करें जिनका टेस्ट पसंद नहीं आ रहा हो, लेकिन बीच-बीच में उनके खाकर जांचते भी रहें कि कहीं आपको टेस्ट वापस तो नहीं आ गया। मुंह का टेस्ट चला जाने पर नेसोफेरिंजियल कैंसर डायट में ऐसे फूड्स का चयन करें जिनका फ्लेवर स्ट्रॉन्ग हो। लहसुन, लेमन जूस, हर्ब और स्पाइसेज का उपयोग करें।
- खाने को कुछ समय के लिए मेरिनेट करके रखें। इसे पकाते वक्त आपको जो भी मसाले और हर्ब पसंद है उनका उपयोग करें।
- गर्म तीखे फूड को अवॉइड करें क्योंकि यह परेशानी को और बढ़ा सकते हैं।
- ग्रेवीज और सॉसेज मील में फ्लेवर्स एड करने का काम कर सकते हैं।
- मेटल की जगह मेटल के बर्तनों का उपयोग करें। यह मेटेलिक टेस्ट को कम करने में मद द करेगा।
- खाने में टेस्ट बढ़ाने के लिए चटनी, अचार आदि का उपयोग करें।
- दांतों और मुंह को साफ रखें।
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वेट लॉस होने पर
कैंसर डायग्नोस होने पर अक्सर लोगों का वजन कम हो जाता है। नेसोफेरिंजियल कैंसर में खाने और निगलने में परेशानी होती है जिससे लोगों को खाने और निगलने में परेशानी होती है और वे खाना कम कर देते हैं और इससे वजन कम हो जाता है। ट्रीटमेंट के बाद वजन बढ़ाना जरूरी होता है। यहां बताए गए टिप्स को नेसोफेरिंजियल कैंसर डायट में शामिल कर वजन को हेल्दी तरीके से बढ़ाया जा सकता है।
खाने और ड्रिंक्स में ज्यादा कैलोरीज का उपयोग करके घटे वजन को बढ़ाया जा सकता है। कैंसर ट्रीटमेंट की वजह से हुए लॉस के लिए मरीज को प्रोटीन की भी अधिक जरूरत होती है ताकि टिशू मसल्स को रिपेयर किया जा सके और इम्यून फंक्शन को ठीक रखा जा सके। इसके लिए सप्लिमेंट्स का उपयोग भी किया जा सकता है, लेकिन डॉक्टर की मदद से। भले ही खाना अच्छा न लगे लेकिन हर दो घंटे में थोड़ा- थोड़ा खाएं। हर मील में प्रोटीन को शामिल करने की कोशिश करें। एग्स, बीन्स, चिकन, मछली इसका अच्छा ऑप्शन हैं। खाने से पहले बहुत सारा पानी न पिएं। इससे पेट भरा हुआ महसूस होता है और खाना खाने का मन नहीं करता।
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उम्मीद करते हैं कि आपको नेसोफेरिंजियल कैंसर डायट Nasopharyngeal Cancer diet संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।
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