लिवर में सूजन की स्थिति को हेपेटाइटिस कहा जाता है। यह रोग वायरल संक्रमण या लिवर को नुकसान पहुंचाने वाले हानिकारक पदार्थों या एल्कोहॉल जैसे पदार्थों के संपर्क में आने के कारण होता है। इसके लक्षण बहुत सीमित या न के बराबर दिखाई देते हैं। इसकी वजह से इसके रोग का पता नहीं लग पाता है। हेपेटाइटिस के कारण से बचाव की प्रक्रिया में देरी भी हो सकती है। भविष्य में यह किस तरह की स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ावा दे सकता है और हेपेटाइटिस से बचाव के उपाय क्या हैं, इसके बारे में महाराष्ट्र की रहने वाली समिता पाटिल ने हमसे वायरल हेपेटाइटिस से जुड़ा सवाल पूछा है।
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हेपेटाइटिस के कारण सिरोसिस होने से जुड़े सवाल
समिता पाटिल ने सवाल पूछा है, “मुझे डर है कि मैं वायरल हेपेटाइटिस से ग्रस्त हूं। क्या यह वक्त के साथ लिवर को नुकसान पहुंचाएगा? क्या सिरोसिस या लिवर कैंसर होने की आशंका ज्यादा है? इसे होने से रोकने के सर्वोत्तम उपाय क्या हैं?’
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हेपेटाइटिस के कारण सिरोसिस होने का जवाब
समिता के इस सवाल के लिए हैलो स्वास्थ्य ने महाराष्ट्र के मुलुंड के फोर्टिस अस्पताल के लिवर ट्रांसप्लांट सर्जन डॉ. राकेश राय से बात की। डॉ. राकेश राय ने बताया कि “मानव शरीर में लिवर (यकृत) एक महत्वपूर्ण अंग है, जो कई सारे काम करता है। इनमें पोषक तत्वों को लेना, खून छानना और संक्रमण से लड़ना भी शामिल हैं।
हेपेटाइटिस की बीमारी (यकृत सूजन) अक्सर विषाणुओं से होती है। इनमें से कुछ विषाणु हमारे शरीर में काफी समय के लिए रह सकते हैं और लिवर खराब कर सकते हैं। इससे सिरोसिस और कई बार लिवर कैंसर तक हो जाता है। वायरल हेपेटाइटिस के कारण में ए और ई की बीमारी आमतौर पर दूषित पानी और भोजन से फैलती है, जबकि बी और सी खून और शरीर-द्रव्य के माध्यम से फैलती है।’
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“इसकी शुरुआत में इसके मरीजों की आंखें और मूत्र पीला (पीलिया) हो सकता है और पेट संबंधी थोड़ी गड़बड़ियां आ सकती हैं। कई बार ये लक्षण काफी कम होते हैं और कुछ मामलों में लोगों को इसका पता भी नहीं चलता कि उन्हें वायरल हेपेटाइटिस है। ऐसी बीमारी में अगर लक्षण कम भी हों, तब भी मेडिकल सलाह के लिए कहा जाता है। इससे बचाव करने के लिए यह साबित करना बहुत महत्वपूर्ण होता है कि अगर मरीज को हेपैटाइटिस है, तो कौन-सी है। आम तौर पर ए और ई कुछ हफ्तों के अंदर अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। लेकिन कुछ मामलों में हेपेटाइटिस के कारण होने वाली बीमारी तेजी से बढ़ती है। इससे लिवर काम करना बंद कर देता है। ऐसे कुछ मरीजों को लिवर बदलने की भी जरूरत पड़ सकती है।’
प्रेग्नेंट महिलाओं में इसके खतरे को लेकर डॉ. राकेश राय का कहना है “गर्भवती महिलाओं में मुख्यतः ई का संक्रमण गंभीर हो सकता है। हेपेटाइटिस बी और सी के विषाणु हेपेटाइटिस ए और ई की तरह घातक हो सकते हैं। हालांकि, कुछ मरीजों में हेपेटाइटिस बी और सी बगैर किसी लक्षण के लंबे समय तक रह सकती हैं और धीरे-धीरे लिवर को खराब कर देते हैं और वायरल हेपेटाइटिस के कारण का यही दीर्घकालिक रूप सिरोसिस और लिवर कैंसर का कारक भी बन सकता है।’
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जानिए हेपेटाइटिस के प्रकार
वायरल हेपेटाइटिस के पांच प्राकर हैं, जिनमें हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी, और ई शामिल हैं। हालांकि, इसके अलग-अलग प्रकार के लिए अलग-अलग वायरस जिम्मेदार हो सकते हैं। इसके वायरस बहुत जल्दी से फैलते हैं और यह अल्पकालिक हो सकता है। हालांकि बी, सी और डी के वायरस लंबे समय तक शरीर में रह सकते हैं। वहीं, ई के लक्षण भी तेजी से फैलते हैं और इसका खतरा आमतौर पर आमतौर पर तीव्र है, लेकिन गर्भवती महिलाओं में विशेष रूप से खतरनाक हो सकता है।
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हेपेटाइटिस ए
हेपेटाइटिस ए के वायरस (एचएवी) संक्रमण के कारण होता है। ए से संक्रमित व्यक्ति में इसके संक्रमण दूषित भोजन या दूषित पानी के कारण सबसे अधिक होता है। इसके अलावा इससे संक्रमित व्यक्ति के द्वारा त्यागा किए गए मल या दूषित भोजन या पानी के सेवन से इसके वायरस अन्य लोगों में तेजी से फैल सकते हैं।
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हेपेटाइटिस बी
बी के संक्रामक शरीर के तरल पदार्थ, जैसे खून, योनि स्राव या वीर्य के संपर्क में आने से फैलता है। इसे एचबीवी भी कहा जाता है। इसके अलावा इंजेक्शन ड्रग का इस्तेमाल करना, संक्रमित साथी के साथ यौन संबंध बनाना या संक्रमित व्यक्ति के साथ शारीरिक तौर पर किसी वस्तु का साझा करना भी इसके खतरे को बढ़ा सकता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में पाए गए आंकड़ों के मुताबिक वहां 1.2 लाख लोग और दुनिया भर में 350 लाख लोग इस पुरानी बीमारी से ग्रस्त हैं।
हेपेटाइटस सी
सी के वायरस हेपेटाइटिस सी वायरस (एचसीवी) के कारण होता है। सी संक्रमित शरीर के तरल पदार्थ के साथ सीधे संपर्क में आने के माध्यम से होता है। जैसे किसी एक संक्रमित व्यक्ति के लिए इस्तेमाल किए गए इंजेक्शन का इस्तेमाल किसी अन्य व्यक्ति में करना या यौन संबंध बनाना। एचसीवी संयुक्त राज्य अमेरिका में सबसे आम रक्त जनित वायरल संक्रमणों में से एक माना जाता है। मौजूदा समय में लगभग 2.7 से 3.9 लाख अमेरिकी लोग इस संक्रमण से पीड़ित हैं।
हेपेटाइटिस डी
इसे डेल्टा हेपेटाइटिस भी कहा जाता है। डी हेपेटाइटिस डी वायरस (एचडीवी) के कारण होता है। लीवर में होने वाली गंभीर बीमारियों में से इसे भी एक माना जाता है। HDV संक्रमित रक्त के साथ सीधे संपर्क में आने के माध्यम से होता है। डी हेपेटाइटिस के कारण का एक दुर्लभ रूप होता है जो केवल बी संक्रमण के साथ संयोजन में होता है। यानी इसका खतरा उन्हीं लोगों में अधिक हो सकता है, जो पहले से ही हेपेटाइटिस बी के वायरस से संक्रमित हैं।
हेपेटाइटिस ई
हेपेटाइटिस ई वायरस (HEV) के कारण होने वाला एक जल जनित रोग है। यानी दूषित पानी के कारण फैलने वाला रोग। ई मुख्य रूप से खराब स्वच्छता वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। इसके अलावा ऐसे इलाके जहां पर पानी की शुध्दता सबसे खराब है, वहां पर भी इसके खतरा सबसे अधिक होता है।
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हेपेटाइटिस के कारण सिरोसिस होने पर बचाव
ए, बी और ई के इलाज क्या हैं?
ए और बी के इलाज के लिए टीके उपलब्ध हैं। जो इनकी समस्या का निदान और इलाज कर सकते हैं। जबकि, ई का निदान और इलाज करने के लिए हमें अपने खाने की आदतों का ख्याल रखना होगा। इसका उपचार करने के लिए दूषित पानी व भोजन खाने से परहेज करना होगा। क्योंकि, इसका मुख्य कारण गंदगी होती है।
अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
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