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“इसकी शुरुआत में इसके मरीजों की आंखें और मूत्र पीला (पीलिया) हो सकता है और पेट संबंधी थोड़ी गड़बड़ियां आ सकती हैं। कई बार ये लक्षण काफी कम होते हैं और कुछ मामलों में लोगों को इसका पता भी नहीं चलता कि उन्हें वायरल हेपेटाइटिस है। ऐसी बीमारी में अगर लक्षण कम भी हों, तब भी मेडिकल सलाह के लिए कहा जाता है। इससे बचाव करने के लिए यह साबित करना बहुत महत्वपूर्ण होता है कि अगर मरीज को हेपैटाइटिस है, तो कौन-सी है। आम तौर पर ए और ई कुछ हफ्तों के अंदर अपने आप ही ठीक हो जाते हैं। लेकिन कुछ मामलों में हेपेटाइटिस के कारण होने वाली बीमारी तेजी से बढ़ती है। इससे लिवर काम करना बंद कर देता है। ऐसे कुछ मरीजों को लिवर बदलने की भी जरूरत पड़ सकती है।’
प्रेग्नेंट महिलाओं में इसके खतरे को लेकर डॉ. राकेश राय का कहना है “गर्भवती महिलाओं में मुख्यतः ई का संक्रमण गंभीर हो सकता है। हेपेटाइटिस बी और सी के विषाणु हेपेटाइटिस ए और ई की तरह घातक हो सकते हैं। हालांकि, कुछ मरीजों में हेपेटाइटिस बी और सी बगैर किसी लक्षण के लंबे समय तक रह सकती हैं और धीरे-धीरे लिवर को खराब कर देते हैं और वायरल हेपेटाइटिस के कारण का यही दीर्घकालिक रूप सिरोसिस और लिवर कैंसर का कारक भी बन सकता है।’
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जानिए हेपेटाइटिस के प्रकार
वायरल हेपेटाइटिस के पांच प्राकर हैं, जिनमें हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी, और ई शामिल हैं। हालांकि, इसके अलग-अलग प्रकार के लिए अलग-अलग वायरस जिम्मेदार हो सकते हैं। इसके वायरस बहुत जल्दी से फैलते हैं और यह अल्पकालिक हो सकता है। हालांकि बी, सी और डी के वायरस लंबे समय तक शरीर में रह सकते हैं। वहीं, ई के लक्षण भी तेजी से फैलते हैं और इसका खतरा आमतौर पर आमतौर पर तीव्र है, लेकिन गर्भवती महिलाओं में विशेष रूप से खतरनाक हो सकता है।
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हेपेटाइटिस ए