ट्रीटमेंट इस बात पर निर्भर करता है कि प्लेटलेट की कितनी संख्या है और कितनी खून बह चुका है। कुछ केसेज में ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं पड़ती है। बच्चों में होने वाली एक्यूट आईटीपी को ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं पड़ती है क्योंकि ये छह से सात महीने में ठीक हो जाता है। आईटीपी के ट्रीटमेंट के लिए मेडिकेशन, सर्जरी, इमरजेंसी ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ती है। जानिए आईटीपी की बीमारी होने पर डॉक्टर किन दवाओं को लेने की सलाह देते हैं।
कोर्टिकोस्टेरॉइड्स (Corticosteroids) – प्रेडनिसोन (prednisone) का इस्तेमाल खून में प्लेटलेट की संख्या को बढ़ाने के लिए किया जाता है। ऐसा इम्यून सिस्टम की एक्टिविटी को कम करके किया जाता है।
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इंट्रावेनस इम्युनोग्लोबुलिन (Intravenous immunoglobulin) – अगर किसी व्यक्ति को ब्लीडिंग अधिक हो गई है और उसे तुरंत अधिक प्लेटलेट चाहिए, तो ऐसे में इंट्रावीनस इम्युनोग्लोबुलिन दी जाती है।
एंटी-डी इम्यूनोग्लोबुलिन (Anti-D immunoglobulin) – जिनका लोगों में ब्लड Rh-पॉजिटिव होता है, उन्हें एंटी-डी इम्यूनोग्लोबुलिन की जरूरत पड़ती है। ये शरीर में तेजी से प्लेटलेट को बढ़ाने का काम करती है। इसके दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं।
रिटक्सिमैब (Rituximab)- ये एक एंटीबॉडी थेरिपी (Antibody therapy) है, जिसमें इम्यून सेल्स को टारगेट किया जाता है। उन प्रोटीन पर हमला किया जाता है, जो प्लेटलेट पर अटैक करती हैं।
सर्जरी (Surgery)
अगर किसी व्यक्ति को क्रॉनिक आईटीपी की समस्या है, और दवाओं से इलाज नहीं हो पा रहा है, तो ऐसे में सर्जरी की सहायता ली जाती है। स्प्लेनेक्टोमी (splenectomy) की हेल्प से स्प्लीन को हटाया जाता है। स्प्लीन अपर एब्डॉमन के लेफ्ट साइट में होता है। स्प्लेनेक्टोमी बच्चों में भी की जा सकती है। इस सर्जरी से बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है।
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इन बातों का रखें ध्यान