थर्मोग्राफी से मिले रिपोर्ट के अनुसार ब्रेस्ट में हुए गांठ की जानकरी आसानी से मिल जाती है। थर्मोग्राफी (Thermography) से किसी भी तरह का रेडिएशन नहीं होता है। 50 साल से कम उम्र की महिलाओं को थर्मोग्राफी की सलाह दी जाती है।
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थर्मोग्राफी (Thermography)–
- थर्मोग्राफी टेस्ट के दौरान ब्रेस्ट पर प्रेशर नहीं दिया जाता है
- इस टेस्ट के दौरान दर्द नहीं होता है
- थर्मोग्राफी टेस्ट के दौरान किसी भी तरह का रेडिशन नहीं होता है
- थर्मोग्राफी टेस्ट की मदद से ब्रेस्ट में हो रहे किसी भी तरह के बदलाव को आसानी से समझा जा सकता है
- थर्मोग्राफी टेस्ट से ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती स्टेज की भी जानकारी आसानी से मिल जाती है
- ब्रेस्ट टिशू में हो रहे बदलाव की जानकारी भी मिल जाती है
- इससे हॉर्मोन या पीरियड्स पर कोई असर नहीं पड़ता है
- थर्मोग्राफी रिपोर्ट कलर इमेज होती है।
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मैमोग्राफी (Mammography)-
- मैमोग्राफी और थर्मोग्राफी में अंतर यह है की मैमोग्राफी टेस्ट के दौरान ब्रेस्ट पर हल्का दबाव पड़ता है। जबकि थर्मोग्राफी में दवाब नहीं पड़ता है।
- मैमोग्राफी और थर्मोग्राफी में दूसरा अंतर यह है की थर्मोग्राफी के दौरान दर्द नहीं होता है बल्कि मैमोग्राफी के वक्त महिला को हल्का दर्द (Pain) महसूस हो सकता है।
- मैमोग्राफी और थर्मोग्राफी अंतर यह है कि थर्मोग्राफी के दौरान रेडिएशन नहीं होता है लेकिन, मैमोग्राफी टेस्ट के दौरान रेडिएशन होता है लेकिन, इसका नकारात्मक प्रभाव शरीर पर नहीं पड़ता है।
- मैमोग्राफी के दौरान छोटे से छोटे ट्यूमर की जानकारी मिल जाती है। जिससे बीमारी की सही जानकारी मिल जाती है और इलाज करना आसान हो जाता है।
- अगर महिला के मिल्क डक्ट में एब्नॉर्मल टिशू हैं तो इसकी जानकरी मिल जाती है। एब्नॉर्मल टिशू (Abnormal tissue) की जानकारी अगर जल्दी मिल जाती है, तो कैंसर एक्सपर्ट इलाज की शुरुआत जल्द से जल्द कर देते हैं।
- मैमोग्राफी और थर्मोग्राफी के रिपोर्ट्स के रंग भी अलग-अलग होते हैं। थर्मोग्राफी (Thermography) की रिपोर्ट इमेज कलर होती है वहीं मैमोग्राफी की रिपोर्ट ब्लैक एंड वाइट होती है।
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मैमोग्राफी और थर्मोग्राफी की जरूरत कब पड़ती है? (When Mammography and Thermography is required)
जब किसी भी महिला को स्तन (Breast) संबंधी परेशानी महसूस होती है, तो ऐसी स्थिति में मैमोग्राफी और थर्मोग्राफी (Mammography and Thermography) की जरूरत पड़ सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारत के तकबरीबन सभी शहरों में 25 प्रतिशत से 32 प्रतिशत महिला ब्रेस्ट कैंसर (Breast Cancer) से पीड़ित हैं। इसलिए अगर ब्लड रिलेशन में कोई ब्रेस्ट कैंसर पेशेंट (Cancer patents) है, तो ऐसी स्थिति में महिलाओं का अपना विशेष ख्याल रखना चाहिए और स्तन की जांच (Breast examine) खुद से भी करनी चाहिए। इसे मेडिकल टर्म में सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन (Self Breast Examination) भी कहते हैं। इसलिए अपने शरीर के हर एक हिस्से को ठीक से समझना चाहिए और कोई भी परेशानी महसूस होने पर उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इससे परेशानी कम होने के बजाये और बढ़ सकती है।
अगर आप मैमोग्राफी और थर्मोग्राफी (Mammography and Thermography) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।