स्केरॉटिक लीजन्स (Sclerotic lesions) हड्डियों का असामान्य रूप से कठोर और मोटा होना है। ये किसी भी हड्डी को प्रभावित कर सकते हैं और ये बिनाइन और कैंसरस दोनों प्रकार के हो सकते हैं। आमतौर पर ये धीरे-धीरे विकसित होते हैं। दोनों बिनाइन और मेलिग्नेंट लीजन्स संख्या और साइज के आधार पर क्लासिफाइड किए जाते हैं।
- सॉलिटरी (Solitary) यानी एक लीजन
- मल्टीफोकल (Multifocal) यानी कई लीजन्स
- डिफ्यूज (Diffuse) यानी विभिन्न लोकेशन्स पर कई लीजन्स का होना
कैंसरस की तुलना में बिनाइन स्केरॉटिक लीजन्स का होना आम है और ये आकार में छोटे होते हैं। इस लेख में स्केरॉटिक लीजन्स (Sclerotic lesions) से संबंधित जानकारी दी जा रही है।
स्केरॉटिक लीजन्स के लक्षण क्या हैं? (Symptoms of Sclerotic lesions)
बिनाइन स्केरॉटिक (Sclerotic lesions) लीजन्स आमतौर पर लक्षणों का कारण नहीं बनते। कई लोगों के इनके होने के बारे में तब तक पता नहीं चलता जब तक कि वे किसी दूसरी कंडिशन के लिए एक्स रे नहीं करवाते। हालांकि, कैंसरस और बड़े बिनाइन स्केरॉटिक लीजन्स (Sclerotic lesions) निम्न का कारण बन सकते हैं।
- बिना किसी कारण के दर्द होना जो कि समय के साथ बढ़ता जाता है
- दर्द होने वाले हिस्से में सूजन और जकड़न
- दर्द होने वाले हिस्से में लम्प
स्केरॉटिक लीजन्स के कारण होने वाले दर्द रात में बढ़ जाता है। साथ ही वेट उठाने वाली एक्टिविटीज करने के बाद भी यह काफी तेज हो सकता है।
लक्षण लीजन्स के साइज और लोकेशन पर भी निर्भर करते हैं। स्पाइन में होने वाला मेलिग्नेंट लीजन्स नर्व पर प्रेशर डाल सकता है जिसकी वजह से सुन्नपन्न और झुनझुनी हो सकती है। गर्दन पर होने वाला लीजन्स निगलने और सांस लेने को मुश्किल बना सकते हैं। दोनों प्रकार के लीजन्स हड्डियों को कमजोर कर सकते हैं जिससे फ्रैक्चर की संभावना बढ़ जाती है।
स्केरॉटिक लीजन्स होने के कारण क्या हैं? (Causes of Sclerotic lesions)
स्केरॉटिक लीजन्स (Sclerotic lesions) होने के कई कारण हो सकते हैं। जिसमें लाइफस्टाइल फैक्टर्स से लेकर मेडिकल कंडिशन्स तक शामिल हैं।
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बिनाइन लीजन्स के कारण क्या हैं? (Benign lesions causes)
बिनाइन लीजन्स के संभावित कारणों में निम्न हैं।
- ब्लड वेसल में इंफ्लामेशन
- कोलेजन वैस्कुलर डिजीज
- सिकल सेल डिजीज
- एल्कोहॉल एब्यूज
- लंबे समय तक कॉर्टिकोस्टेरॉइड थेरिपी का उपयोग
- एंबोलिज्म
बोन इंफेक्शन जिसे ऑस्टियोमायेलिटिस (Osteomyelitis) कहते हैं वह भी स्केरॉटिक लीजन्स का कारण बन सकता है। यह इंफेक्शन इंट्रोवेनस ड्रग के उपयोग, डायबिटीज कॉम्प्लिकेशन्स, ट्रॉमेटिक इंजरीज जैसे कि कार एक्सीडेंट के कारण हो सकता है।
मेलिग्नेंट लीजन्स के कारण (Malignant lesions causes)
ऐसा होना दुलर्भ है कि मेलिग्नेंट स्केरॉटिक लीजन हड्डियों से शुरू हो। ये आमतौर पर दूसरे एरिया में फैलने वाले कैंसर का परिणाम होते हैं। सभी प्रकार के कैंसर मेटासाइज हो सकते हैं और हड्डियों तक फैल सकते हैं। हालांकि, सभी प्रकार के कैंसर जो हड्डियों तक फैल सकते हैं उनमें निम्न शामिल हैं।
- ब्रेस्ट कैंसर
- किडनी कैंसर
- लंग कैंसर
- लिम्फोमा
- मल्टिपल मायलोमा
- प्रोस्टेट कैंसर
- थायरॉइड कैंसर
दूसरे कारक जो मेलिग्नेंट स्केरॉटिक कैंसर के डेवलप होने के रिस्क को बढ़ा सकते हैं उनमें निम्न शामिल हैं।
- हाय डोज रेडिएशन थेरिपी
- कैंसर के इलाज में उपयोग होने वाली दवाएं
- परिवार में बोन डिफेक्ट्स का इतिहास होना
- बोन फ्रैक्चर के रिपेयर में यूज होने वाला मेटल इंप्लाट
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इनका निदान कैसे किया जाता है? (How to diagnose sclerotic lesions?)
स्केरॉटिक लीजन का डायग्नोस करने के लिए डॉक्टर मरीज और फैमिली की मेडिकल हिस्ट्री के बारे में पूछेंगे ताकि संभावित कारणों के बारे में पता चल सके। इसके बाद वे इमेजिंग टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं ताकि हड्डियों को अच्छी तरह से देखा जा सके। इन टेस्ट में निम्न शामिल हो सकते हैं।
- एक्स रे
- सीटी स्कैन्स
- एमआरआई स्कैन्स
- बोन स्कैन्स
- पीईटी स्केन्स
इमेज के रिजल्ट के आधार पर डॉक्टर फॉलो अप के लिए ब्लड और यूरिन टेस्ट भी करवा सकते हैं। जिससे लीजन के अंडरलाइन कारणों के बारे में पता चल सकता है। अगर डॉक्टर को लगता है कि लीजन कैंसरस है जो वे बोन बायोप्सी भी कर सकते हैं। जिसमें नीडल की तरह इंस्ट्रमेंट का उपयोग करके लीजन से छोटा सैम्प्ल निकाला जाता है। लीजन को माइक्रोस्कोप के नीचे देखा जाएगा जिससे पता सके कि इसमें कोई कैंसर कोशिकाएं तो मौजूद नहीं हैं।
इलाज (Sclerotic lesions treatments)
स्केरॉटिक लीजन का इलाज इस पर निर्भर करता है कि यह बिनाइन है या मेलिग्नेंट। ऊपर बताए गए डायग्नोसिस प्रोग्राम के जरिए डॉक्टर इसके बारे में पता लगा देते हैं और रिजल्ट के आधार पर ही ट्रीटमेंट प्लान बनाते हैं।
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बिनाइन लीजन्स का इलाज (Benign lesions treatment)
बिनाइन लीजन्स बहुत आम हैं। ये बच्चों और 30 साल के व्यस्कों में पाया जाता है। कुछ प्रकार के बिनाइन लीजन्स को ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती है। डॉक्टर अक्सर हर लक्षण को मॉनिटर करने और किसी भी बदलाव पर ध्यान रखने की सलाह दे सकते हैं। दूसरे मामलों में मरीज को डॉक्टर के साथ अंडरलाइन कारणों के इलाज पर ध्यान देना चाहिए। संभावित कारणों के इलाज में निम्न शमिल हैं।
- ऑस्टियोमायलेटिस के लिए एंटीबायोटिक्स
- रेडियोफ्रिक्वेंसी एब्लेशन जिसमें दर्द को कम करने के लिए हीट का उपयोग किया जाता है
- हाय ब्लड प्रेशर को कम करने के लिए दवाएं
याद रखें किसी भी दवा का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना ना करें।
मेलिग्नेंट लीजन्स का इलाज (Malignant lesions treatments)
मेलिग्नेंट स्केरॉटिक लीजन्स (Sclerotic lesions) का इलाज कैंसर के प्रकार और यह बोन में कहां पर है उस पर निर्भर करता है। बोन में होने वाले कैंसर के लिए मरीज को सर्जरी के बाद कीमोथेरिपी और रेडिएशन थेरिपी दी जाती है। ताकि बचे हुए लीजन को हटाया जा सके। स्केरॉटिक लीजन्स जो मेटास्टसाइज्ड कैंसर के कारण होता है उसे रेडिएशन ट्रीटमेंट की जरूरत होती है। इसके अलावा डॉक्टर दवाएं भी प्रिस्क्राइब कर सकते हैं जो बोन के डिस्ट्रक्शन को कम करने में मदद करती हैं। अधिक गंभीर मामलों में मरीज को सर्जरी की जरूरत होती है। याद रखें किसी भी दवा का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बिना ना करें। ना ही डॉक्टर द्वारा दी गई दवा के डोज में बदलाव करें।
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याद रखें
स्केरॉटिक लीजन्स (Sclerotic lesions) के संभावित कारणों और लक्षणों की एक विस्तृत श्रृंखला होती है। हालांकि, वे अक्सर हानिरहित होते हैं और किसी भी लक्षण या जटिलताओं का कारण नहीं बनते हैं। जब वे कैंसरग्रस्त होते हैं, तो वे सर्जरी, विकिरण चिकित्सा और कीमोथेरेपी के संयोजन के लिए अच्छी प्रतिक्रिया देते हैं। इसलिए घबराएं नहीं, लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर से संपर्क करें। वे स्थिति के अनुसार उचित ट्रीटमेंट प्लान सजेस्ट करेंगे। हेल्दी डायट और एक्सरसाइज को अपने रूटीन में शामिल करें ये ओवरऑल हेल्थ को सुधारने में मददगार है। साथ ही स्मोकिंग और एल्कोहॉल कंजप्शन को बंद करें।
उम्मीद करते हैं कि आपको स्केरॉटिक लीजन्स (sclerotic lesions) से संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।