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ऑस्टियोसार्कोमा के लिए सर्जरी कैसे की जाती हैं जानिए

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 08/07/2022

    ऑस्टियोसार्कोमा के लिए सर्जरी कैसे की जाती हैं जानिए

    ऑस्टियोसार्कोमा (Osteosarcoma) बोन कैंसर का एक प्रकार है। जो हड्डियों में मौजूद कोशिकाओं से शुरू होता है। यह आमतौर पर लंबी हड्डियों में होता है जैसे कि पैर और कभी-कभी हाथ में। ट्रीटमेंट ऑप्शन में कीमोथेरिपी, सर्जरी और रेडिएशन थेरिपी शामिल है। इस लेख में हम ऑस्टियोसार्कोमा सर्जरी के बारे में जानकारी देंगे। यहां हम ऑस्टियोसार्कोमा सर्जरी (Surgery for Osteosarcoma) की प्रक्रिया के साथ ही इसके प्रकारों के बारे में भी बताएंगे। बता दें कि डॉक्टर ट्रीटमेंट ऑप्शन का चयन कैंसर कहां से शुरू हो रहा है इसकी साइज, टाइप और ग्रेड के आधार पर करते हैं।

    ऑस्टियोसार्कोमा सर्जरी (Surgery for Osteosarcoma)

    सर्जरी ऑस्टियोसार्कोमा के ट्रीटमेंट का जरूरी हिस्सा है। सर्जरी के पहले डॉक्टर निदान के लिए इमेजिंग टेस्ट और बायोप्सी का सहारा लेते हैं। डॉक्टर कोशिश करते हैं कि बायोप्सी और ट्यूमर को हटाने वाली सर्जरी को एक साथ प्लान किया जाए और एक ऑर्थोपेडिक सर्जन बायोप्सी और सर्जरी दोनों कर देते हैं। सर्जरी का मुख्य उद्देश्य कैंसर को पूरी तरह से रिमूव करना होता है।

    अगर थोड़ी सी भी कैंसर कोशिकाएं बची रह जाती हैं तो वे बढ़ सकती हैं और नए ट्यूमर का निमार्ण कर सकती हैं और शरीर के दूसरे हिस्सों में फैल सकती हैं। इस रिस्क को कम करने के लिए सर्जन ट्यूमर को हटाने के साथ ही इसके चारों और फैले नॉर्मल टिशूज को भी हटा देते हैं। डॉक्टर पैथोलॉजिस्ट से हटाए गए टिशूज को माइक्रोस्कोप के नीचे देखने के लिए कहता है कि वह पता करे कि क्या कैंसर कोशिकाएं बाहरी किनारों पर बची हुई हैं।

    क्या होता है पॉजिटिव और निगेटिव मार्जिंन्स?

    • अगर टिशूज के किनारे पर कैंसर कोशिकाएं बची हैं तो मार्जिन्स को पॉजिटिव कहा जाता है। पॉजिटिव मार्जिन्स का मतलब होता है कि कैंसर बचा हुआ है।
    • जब टिशूज के किनारों पर कैंसर कोशिकाएं नहीं होती है तो मार्जिन्स निगेटिव, क्लीन या क्लियर कहा जाता है। क्लीन मार्जिन्स का होना कैंसर के वापस आने के रिस्क को कम करता है।

    ऑस्टियोसार्कोमा सर्जरी (Surgery for Osteosarcoma) का प्रकार ट्यूमर के साइज और लोकेशन पर निर्भर करता है। हालांकि ऑस्टियोसार्कोमा को हटाने वाले सभी ऑपरेशन कठिन होते हैं। हाथ या पैर में होने वाले ट्यूमर्स का हटाना इतना मुश्किल नहीं होता है। जबकि जॉ बोन, स्कल के बेस में, स्पाइन और पेल्विस बोन में होने वाला ट्यूमर्स को निकालना कठिन लग सकता है। आस्टियोसार्कोमा सर्जरी में निम्न ऑप्शन शामिल हैं।

    लिंब साल्वेज सर्जरी (Limb-salvage surgery)

    ऑस्टियोसार्कोमा सर्जरी में  ज्यादातर मरीज जिनके हाथ और पैर में ट्यूमर होता है उनके लिए लिंब स्पारिंग सर्जरी की जाती है, लेकिन यह इस पर निर्भर करता है कि ट्यूमर कहां पर है और कितना बड़ा है और क्या है आसपास के अंगों तक पहुंच चुका है। यह एक कॉम्प्लेक्स ऑपरेशन होता है जो सर्जन ये ऑपरेशन करते हैं उनके पास स्पेशल स्किल और एक्सपीरियंस होता है।

    इस ऑपरेशन में सबसे बड़ी चुनौति पूरे ट्यूमर को हटाने के साथ आसपास के टेंडन, नर्व्स और ब्लड वेसल्स को बचाने की होती है ताकि लिंब का फंक्शन को अपीरिएंस ठीक रहे। अगर कैंसर यहां तक भी फैल चुका है तो डॉक्टर इसे पूरे स्ट्रक्चर को ट्यूमर के साथ हटा देंगे।

    अगर बोन के एक सेक्शन को हटा दिया जाता है तो सर्जन बोन को रिकंस्ट्रक्ट करेगा। रिकंस्ट्रक्शन का तरीका सिचुएशन पर निर्भर करता है। इसके ऑप्शन में मेटल प्रोस्थेटिक्स (Metal prosthetics) और बोन ग्राफ्ट (Bone grafts) शामिल है।

    ऑस्टियोसार्कोमा सर्जरी

    लिम्ब साल्वेज सर्जरी के कॉम्प्लिकेशन

    ऑस्टियोसार्कोमा सर्जरी के इस प्रकार के कुछ कॉम्प्लिकेशन्स में इंफेक्शन और ग्राफ्ट्स, रोड्स का ढीला होना या टूटना है। मरीज जिनकी लिंब साल्वेज सर्जरी हुई होती है उन्हें आने वाले सालों में सर्जरी की जरूरत पड़ती है। वहीं कुछ को एमप्यूटेशन (Amputation) की। बढ़ते बच्चों में आंतरिक कृत्रिम अंग का उपयोग करना विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है। बच्चे के बड़े होने पर कृत्रिम अंग को लंबे समय तक बदलने के लिए कभी-कभी ऑपरेशन की आवश्यकता होती थी।

    नए आने वाले कृत्रिम अंग अब बहुत परिष्कृत हो गए हैं और अक्सर बिना किसी अतिरिक्त सर्जरी के इसे लंबा किया जा सकता है।

    और पढ़ें: Bone Marrow Cancer: बोन मैरो कैंसर क्या है और कैसे किया जाता है इसका इलाज?

    एम्प्यूटेशन (Amputation)

    ऑस्टियोसार्कोमा सर्जरी (Surgery for Osteosarcoma) में कुछ मरीजों के लिए एम्प्यूटेशन बेस्ट ऑप्शन होता है। उदाहरण के लिए अगर ट्यूमर बहुत बड़ा है और नर्व और ब्लड वेसल्स तक पहुंच गया है तो यह संभव नहीं है कि लिम्ब को बचाया जा सके। सर्जन एमआरआई स्कैन के जरिए इस बात का पता करेगा कि हाथ और पैर को कितना एम्प्यूलेटेड करने की जरूरत है। इसके साथ ही सर्जरी के बाद हटाए गए टिशूज का एग्जामिनेशन भी किया जाएगा।

    रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी कुछ ऐसे मरीजों की मदद कर सकती है जो कार्य करने के लिए एक अंग खो देते हैं। उदाहरण के लिए, यदि पैर को जांघ के मध्य (घुटने के जोड़ सहित) काटा जाना चाहिए, तो निचले पैर और पंजे को घुमाया जा सकता है और जांघ की हड्डी से जोड़ा जा सकता है, ताकि टखना एक नए घुटने के जोड़ के रूप में कार्य करे। इस सर्जरी को रोटेशनप्लास्टी कहते हैं। पैर के निचले हिस्से को बदलने के लिए रोगी को अभी भी कृत्रिम अंग की आवश्यकता होगी।

    उचित शारीरिक उपचार के साथ, एक व्यक्ति अक्सर लेग एम्प्यूटेशन के 3 से 6 महीने बाद अपने आप चलने में सक्षम होता है। यदि ओस्टियोसार्कोमा कंधे या ऊपरी बांह में है और प्रोस्टेथिक की आवश्यकता है, तो कुछ मामलों में ट्यूमर वाले क्षेत्र को हटाया जा सकता है और निचले हाथ को फिर से जोड़ा जा सकता है ताकि रोगी के पास एक फंक्शनल, भले ही छोटा हाथ हो।

    शरीर के दूसरे हिस्सों में शुरू होने वाले ट्यूमर्स (Tumors that start in other areas)

    शरीर के दूसरे हिस्सों में शुरू होने वाले ट्यूमर्स के लिए निम्न प्रॉसीजर अपनाया जाता है।

    पेल्विक बोन में होने वाले ट्यूमर्स (Tumors in the pelvic (hip) bones)

    पेल्विक में होने वाले ट्यूमर्स को सर्जरी से पूरी तरह हटाना संभव नहीं होता है, लेकिन अगर ट्यूमर कीमोथेरिपी के प्रति अच्छी तरह रिस्पॉन्ड करता है तो सर्जरी जिसे कई बार रेडिएशन थेरिपी के साथ दिया जाता है कैंसर से पूरी तरह राहत दिलाने में मदद करती है। सर्जरी के बाद पेल्विक बोन्स को रिकंस्ट्रक्ट किया जा सकता है।

    निचले जबड़े की हड्डी में ट्यूमर्स (Tumors in the lower jaw bone)

    निचले जबड़े की हड्डी में ट्यूमर के लिए, जबड़े के पूरे निचले आधे हिस्से को हटाया जा सकता है और बाद में शरीर के अन्य हिस्सों की हड्डियों से बदल दिया जाता है। यदि सर्जन सभी ट्यूमर को नहीं हटा सकता है, तो विकिरण चिकित्सा का भी उपयोग किया जा सकता है।

    और पढ़ें: सावधान: शरीर के इन हिस्सों में दर्द हो सकते हैं हड्डी के रोग के लक्षण

    रीढ़ या खोपड़ी जैसे क्षेत्रों में ट्यूमर्स (Tumors in areas like the spine or the skull)

    रीढ़ या खोपड़ी जैसे क्षेत्रों में ट्यूमर के लिए, सभी ट्यूमर को सुरक्षित रूप से निकालना संभव नहीं हो सकता है। इन हड्डियों में कैंसर के लिए कीमोथेरेपी, सर्जरी और विकिरण जैसे उपचारों के संयोजन की आवश्यकता हो सकती है।

    जॉइंट फ्यूजन (Joint fusion)

    कभी-कभी, एक ट्यूमर को हटाने के बाद जिसमें एक जोड़ शामिल होता है (एक ऐसा क्षेत्र जहां दो हड्डियां एक साथ आती हैं), जॉइंट का पुनर्निर्माण करना संभव नहीं हो सकता है। इस मामले में, दो हड्डियों को एक साथ मिलाने के लिए सर्जरी की जा सकती है। स्पाइन में ट्यूमर होने पर अक्सर ऐसा किया जाता है।

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    मेटास्टेटिस ऑस्टियोसार्कोमा के लिए सर्जरी (Surgical treatment of metastases)

    यदि ऑस्टियोसार्कोमा शरीर के अन्य भागों में फैल गया है, तो कैंसर को ठीक करने के लिए इन ट्यूमर को हटाने की जरूरत होती है। ऑस्टियोसार्कोमा सबसे अधिक फेफड़ों में फैलता है। यदि इन मेटास्टेस को हटाने के लिए सर्जरी की जा सकती है, तो इसकी योजना बहुत सावधानी से बनाई जाती है। ऑपरेशन से पहले निम्न फैक्टर्स का ध्यान रखा जाता है:

  • ट्यूमर की संख्या
  • ट्यूमर का स्थान (एक फेफड़ा या दोनों फेफड़े)
  • ट्यूमर का आकार
  • ट्यूमर ने कीमोथेरेपी के प्रति कितनी अच्छी प्रतिक्रिया दी
  • व्यक्ति का समग्र स्वास्थ्य
  • चूंकि सर्जरी से पहले किया गया चेस्ट सीटी स्कैन फेफड़ों के सभी ट्यूमर नहीं दिखा सकता है, ऑपरेशन के दौरान अधिक ट्यूमर पाए जाने पर सर्जन के पास उपचार योजना होगी। जिन रोगियों के दोनों फेफड़ों में ट्यूमर है और कीमोथेरेपी के लिए अच्छी प्रतिक्रिया देते हैं, वे एक समय में एक फेफड़े की सर्जरी कर सकते हैं। एक ही समय में दोनों फेफड़ों से ट्यूमर निकालना एक अन्य विकल्प हो सकता है। यह ऑस्टियोसार्कोमा सर्जरी बेहद महत्वपूर्ण है।

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    उम्मीद करते हैं कि आपको ऑस्टियोसार्कोमा सर्जरी  (Surgery for Osteosarcoma) से संबंधित जानकारियां मिल गईं होगी अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह लें। अगर आपके मन में ऑस्टियोसार्कोमा सर्जरी से संबधित अन्य सवाल है तो हमारे फेजबुक पेज पर पूछ सकते हैं।

    डिस्क्लेमर

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