इंफ्लेमेशन
कुछ स्टडीज में, जिन लोगों में डायबिटीज विकसित हुई हो, उनमें शुरुआत में लंग फंक्शन कम थी। इसने कुछ विशेषज्ञों को आश्चर्यचकित कर दिया है कि क्या पुअर लंग हेल्थ, डायबिटीज की समस्या को बढ़ा सकती है। हालांकि, यह विचार सिद्ध नहीं हुआ है। डायबिटीज शरीर में इंफ्लेमेशन का कारण बन सकती है। अगर आपको डायबिटीज है तो आपमें इंफ्लेमेटरी कंपाउंड्स जैसे सी-रिएक्टिव प्रोटीन (C-reactive protein) का लेवल अधिक हो जाता है। इंफ्लेमेशन को लो लंग फंक्शन से लिंक किया जाता है। यानी, डायबिटीज पेशेंट्स में रेस्पिरेटरी डिजीज रिस्क (Respiratory disease risk in diabetic patients) के बढ़ने का एक कारण हो सकता है इंफ्लेमेशन।
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डायबिटीज पेशेंट्स में रेस्पिरेटरी डिजीज रिस्क (Respiratory disease risk in diabetic patients): ओबेसिटी
ओबेसिटी डायबिटीज का मुख्य रिस्क फैक्टर है। मोटापे से पीड़ित लोगों का लंग फंक्शन लो होता है और ऐसे लोगों में डायबिटीज का जोखिम भी बढ़ता है।
स्मोकिंग
अगर आपको डायबिटीज है, तो स्मोकिंग आपके लंग्स को अधिक प्रभावित कर सकती है। इसके साथ ही इससे गंभीर कॉम्प्लीकेशन्स का जोखिम भी बढ़ सकता है जैसे पुअर ब्लड फ्लो, नर्व डैमेज, ब्लाइंडनेस, किडनी डिजीज और हार्ट डिजीज आदि। स्मोकिंग छोड़ने से ब्लड ग्लूकोज लेवल्स और इन्सुलिन रेजिस्टेंस सुधरती है। यानी, स्मोकिंग से भी डायबिटीज पेशेंट्स में रेस्पिरेटरी डिजीज रिस्क (Respiratory disease risk in diabetic patients) बढ़ता है। यह तो थी डायबिटीज पेशेंट्स में रेस्पिरेटरी डिजीज रिस्क (Respiratory disease risk in diabetic patients) के बारे में जानकारी। डायबिटीज में इन समस्याओं के जोखिम को कम करने के लिए रोगी का अपनी ब्लड ग्लूकोज लेवल को सही रखना बेहद जरूरी होता है। आइए जानें कैसे करें डायबिटीज को मैनेज?
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डायबिटीज को कैसे मैनेज किया जा सकता है?