कई बार यह जानना मुश्किल हो जाता है कि एक कंडिशन, दूसरी को किस तरह से प्रभावित करती हैं। हाल ही में यह बात साबित हुई है कि डायबिटीज और लंग डिजीज का एक-दूसरे के साथ संबंध रखते है। यह तो आप जानते ही होंगे कि डायबिटीज पैर, हार्ट, किडनी आदि को प्रभावित करती है। लेकिन, इसके कारण शरीर के कई अन्य अंग भी प्रभावित होते हैं जिनमें लंग्स शामिल हैं। अगर आपको डायबिटीज है, तो आपको कुछ खास लंग कंडिशंस का सामना करने की संभावना अधिक रहती है। लंग प्रॉब्लम्स को रेस्पिरेटरी डिजीज से जोड़ा जाता है। आइए जानते हैं डायबिटीज पेशेंट्स में रेस्पिरेटरी डिजीज रिस्क (Respiratory disease risk in diabetic patients) के बारे में। डायबिटीज पेशेंट्स में रेस्पिरेटरी डिजीज रिस्क (Respiratory disease risk in diabetic patients) से पहले डायबिटीज के बारे में जान लेते हैं।
डायबिटीज किसे कहा जाता है?
डायबिटीज को डिजीज का ग्रुप माना जाता है जो शरीर की ब्लड शुगर इस्तेमाल करने की क्षमता को प्रभावित करती है। ग्लूकोज को स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी माना जाता है। क्योंकि यह सेल्स की एनर्जी का महत्वपूर्ण सोर्स है जो मसल्स और टिश्यूज को बनाती है। इसके साथ ही यह ब्रेन के लिए फ्यूल का भी मुख्य स्त्रोत है। डायबिटीज के अंडरलायिंग कारण इसके प्रकारों पर निर्भर करते है। लेकिन, प्रकार चाहे कोई भी हो, इनके कारण ब्लड में शुगर की मात्रा अधिक हो जाती है।
ब्लड में बहुत अधिक शुगर होने से यह कई गंभीर हेल्थ प्रॉब्लम्स का कारण बन सकती है। क्रॉनिक डायबिटीज कंडिशंस में टाइप 1 डायबिटीज (Type 1 diabetes) और टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) शामिल है। इसके कुछ अन्य प्रकार भी हैं जैसे जेस्टेशनल डायबिटीज, जो प्रेग्नेंसी में होती है। डायबिटीज पेशेंट्स में रेस्पिरेटरी डिजीज रिस्क (Respiratory disease risk in diabetic patients) के बारे जानने से पहले इसके लक्षणों के बारे में जान लेते हैं।
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डायबिटीज के लक्षण क्या हैं?
डायबिटीज के अन्य लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:
- प्यास बढ़ना
- लगातार यूरिनेशन
- अधिक भूख लगना
- अस्पष्ट वजन का कम होना
- यूरिन में कीटोन्स की प्रजेंस
- थकावट
- नजरों का धुंधला होना
- जख्मों का धीरे-धीरे भरना
अब जानते हैं डायबिटीज पेशेंट्स में रेस्पिरेटरी डिजीज रिस्क (Respiratory disease risk in diabetic patients) के बारे में।
डायबिटीज पेशेंट्स में रेस्पिरेटरी डिजीज रिस्क (Respiratory disease risk in diabetic patients)
अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन (American Diabetes Association) के अनुसार जो वयस्क टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) से पीड़ित होते हैं, उनमें सामान्य लोगों की तुलना में 8% अस्थमा, 22% क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (chronic obstructive pulmonary disease) और 54% पल्मोनरी फाइब्रोसिस (Pulmonary fibrosis) होने की संभावना अधिक रहती है। इसके साथ ही उनमें निमोनिया का रिस्क भी बढ़ जाता है। यह सभी रेस्पिरेटरी डिजीज (Respiratory disease) हैं। अभी एक्सपर्ट्स और साइंटिस्ट इस बात को लेकर श्योर नहीं हैं डायबिटीज का लंग फंक्शन पर क्या और क्यों प्रभाव पड़ता है?
कुछ लोग लंग कैपेसिटी और फंक्शन के कम होने का कारण इंफ्लेमेशन को मानते हैं और इसके अलावा इसके अन्य कारणों में ओबेसिटी और स्मोकिंग भी शामिल हैं। अगर डायबिटीज के कारण ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है तो लंग फंक्शन में समस्या आ सकती है। हालांकि, लंग फंक्शन के कम होने से डेली लाइफ प्रभावित नहीं होती है। लेकिन, अगर आप मोटापा के शिकार हैं, स्मोकिंग करते हैं या आपको लंग डिजीज है तो आपको इससे प्रभाव पड़ सकता है। अगर आप हार्ट फेलियर या किडनी फेलियर की समस्या से गुजर चुके हैं तो पुअर लंग फंक्शन के कारण आपको और भी कई परेशानियां हो सकती हैं क्योंकि यह दोनों डायबिटीज संबंधी कॉम्प्लीकेशन्स हैं। आइए जानें इनके बारे में विस्तार से।
डायबिटीज पेशेंट्स में रेस्पिरेटरी डिजीज रिस्क (Respiratory disease risk in diabetic patients): कौन से फैक्टर्स बन सकते हैं इस परेशानी का मुख्य कारण?
ऐसा जरूरी नहीं है कि अगर आपको डायबिटीज है तो आपके लंग फंक्शन में समस्या हो। यानी आप रेस्पिरेटरी डिजीज (Respiratory disease) का शिकार बनें। लेकिन, कुछ स्टडीज यह भी बताती हैं कि ब्लड ग्लूकोज लेवल बढ़ने से यह समस्याएं बदतर हो सकती है। यही नहीं अगर आप डायबिटीज को सही से मैनेज नहीं करते हैं तब भी यह परेशानियां बदतर हो सकती हैं। जानिए क्या हैं इसके पीछे के कारण?
इंफ्लेमेशन
कुछ स्टडीज में, जिन लोगों में डायबिटीज विकसित हुई हो, उनमें शुरुआत में लंग फंक्शन कम थी। इसने कुछ विशेषज्ञों को आश्चर्यचकित कर दिया है कि क्या पुअर लंग हेल्थ, डायबिटीज की समस्या को बढ़ा सकती है। हालांकि, यह विचार सिद्ध नहीं हुआ है। डायबिटीज शरीर में इंफ्लेमेशन का कारण बन सकती है। अगर आपको डायबिटीज है तो आपमें इंफ्लेमेटरी कंपाउंड्स जैसे सी-रिएक्टिव प्रोटीन (C-reactive protein) का लेवल अधिक हो जाता है। इंफ्लेमेशन को लो लंग फंक्शन से लिंक किया जाता है। यानी, डायबिटीज पेशेंट्स में रेस्पिरेटरी डिजीज रिस्क (Respiratory disease risk in diabetic patients) के बढ़ने का एक कारण हो सकता है इंफ्लेमेशन।
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डायबिटीज पेशेंट्स में रेस्पिरेटरी डिजीज रिस्क (Respiratory disease risk in diabetic patients): ओबेसिटी
ओबेसिटी डायबिटीज का मुख्य रिस्क फैक्टर है। मोटापे से पीड़ित लोगों का लंग फंक्शन लो होता है और ऐसे लोगों में डायबिटीज का जोखिम भी बढ़ता है।
स्मोकिंग
अगर आपको डायबिटीज है, तो स्मोकिंग आपके लंग्स को अधिक प्रभावित कर सकती है। इसके साथ ही इससे गंभीर कॉम्प्लीकेशन्स का जोखिम भी बढ़ सकता है जैसे पुअर ब्लड फ्लो, नर्व डैमेज, ब्लाइंडनेस, किडनी डिजीज और हार्ट डिजीज आदि। स्मोकिंग छोड़ने से ब्लड ग्लूकोज लेवल्स और इन्सुलिन रेजिस्टेंस सुधरती है। यानी, स्मोकिंग से भी डायबिटीज पेशेंट्स में रेस्पिरेटरी डिजीज रिस्क (Respiratory disease risk in diabetic patients) बढ़ता है। यह तो थी डायबिटीज पेशेंट्स में रेस्पिरेटरी डिजीज रिस्क (Respiratory disease risk in diabetic patients) के बारे में जानकारी। डायबिटीज में इन समस्याओं के जोखिम को कम करने के लिए रोगी का अपनी ब्लड ग्लूकोज लेवल को सही रखना बेहद जरूरी होता है। आइए जानें कैसे करें डायबिटीज को मैनेज?
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डायबिटीज को कैसे मैनेज किया जा सकता है?
डायबिटीज एक गंभीर समस्या है जिसे सही से मैनेज न करने से कई कॉम्प्लीकेशन्स हो सकती हैं। इसलिए इन्हें मैनेज करने के लिए डॉक्टर की सलाह का पूरी तरह से पालन करना, दवाइयां लेना और जीवनशैली में बदलाव करना आदि जरूरी है। जानिए इस दौरान आपको हेल्दी लाइफस्टाइल कैसी होनी चाहिए?
- अपने खानपान का ख्याल रखें। अपने आहार में अधिक से अधिक फल, सब्जियों, साबुत अनाज आदि को शामिल करें।
- अपने वजन को संतुलित बनाए रखें। अगर आपका वजन अधिक है, तो उसे कम करने के बारे में विचार करें। सही खाएं और एक्सरसाइज करें।
- नियमित व्यायाम करें। रोज कम से कम तीस मिनट एक्सरसाइज के लिए जरूर निकालें। इससे आपको हेल्दी रहने में मदद मिलेगी।
- तनाव से बचें। तनाव से बचाव के लिए मेडिटेशन या योग करें। अगर यह समस्या अधिक है, तो डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
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यह तो थी जानकारी डायबिटीज पेशेंट्स में रेस्पिरेटरी डिजीज रिस्क (Respiratory disease risk in diabetic patients) के बारे में। ऐसा माना जाता है कि अगर आपको डायबिटीज है, तो आपको लंग कंडिशंस जैसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (Chronic obstructive pulmonary disease) और पल्मोनरी फाइब्रोसिस (Pulmonary fibrosis) होने का रिस्क अधिक रहता है। हालांकि, साइंटिस्ट इस बारे को लेकर श्योर नहीं हैं कि डायबिटीज और लंग फंक्शन्स किस तरह से रिलेटेड हैं। लेकिन, फिर भी डायबिटीज कई परेशानियों की वजह बन सकती है। इसलिए, इसे मैनेज करना बेहद आवश्यक है। अगर इस बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है, तो अपने डॉक्टर से अवश्य पूछें।
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