उनके ब्लड सैम्पल्स लिए गए ताकि ब्लड ग्लूकोज, प्लाज्मा इंसुलिन, HbA1c, HDL कोलेस्ट्रॉल, LDL कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड और फ्री फैटी एसिड्स को भी मापा जा सके। उनकी एरोबिक कैपेसिटी (Aerobic capacity), डेली फिजिकल एक्टिविटी (Daily physical activities) और सिस्टमिक ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस आदि के बारे में भी जाना गया। इस स्टडी में यह निष्कर्ष निकला कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम पेशेंट्स में सिस्टेमिक ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस (Systemic Oxidative Stress in metabolic syndrome patients), लो एरोबिक कैपेसिटी और बिगड़ी स्केलेटन मसल एनर्जी मेटाबोलिज्म से जुड़ा हुआ है।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम पेशेंट्स में सिस्टेमिक ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस(Systemic Oxidative Stress in metabolic syndrome patients): मेटाबॉलिक सिंड्रोम को इस तरह से करें मैनेज
यह तो थी मेटाबॉलिक सिंड्रोम पेशेंट्स में सिस्टेमिक ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस (Systemic Oxidative Stress in metabolic syndrome patients) के बारे में जानकारी। एक स्वस्थ जीवनशैली का पालन करना उन स्थितियों को रोक सकती है, जो मेटाबॉलिक सिंड्रोम (Metabolic syndrome) का कारण बनती हैं। ऐसे में हेल्दी जीवनशैली में इन अच्छी आदतों को अवश्य शामिल करें जैसे नियमित फिजिकल एक्टिविटीज करें। रोजाना कम से 30 मिनट अवश्य निकालें ताकि आप व्यायाम कर सकें। अधिक से अधिक सब्जियों, फलों, लीन प्रोटीन और साबुत अनाज का सेवन करें। इसके साथ सैचुरेटेड फैट, चीनी और नमक सीमित मात्रा में लें। अपने वजन को सही रखें और स्मोकिंग करने से बचें।
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उम्मीद है कि मेटाबॉलिक सिंड्रोम पेशेंट्स में सिस्टेमिक ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस (Systemic Oxidative Stress in metabolic syndrome patients) के बारे में यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। अगर इसके बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है, तो अपने डॉक्टर से अवश्य जानें। आप हमारे फेसबुक पेज पर भी अपने सवालों को पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।