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कार्डियोमायोपैथी के इलाज में प्रभावी हैं एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स, ब्लड प्रेशर को कम करने में करते हैं मदद

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Manjari Khare द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/12/2021

    कार्डियोमायोपैथी के इलाज में प्रभावी हैं एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स, ब्लड प्रेशर को कम करने में करते हैं मदद

    कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathy) हार्ट मसल्स (Heart muscle) की बीमारी है जिसमें हार्ट को ब्लड को पूरी बॉडी में पंप करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कार्डियोमायापैथी की वजह से हार्ट फेलियर भी हो सकता है। कार्डियोमायोपैथी के प्रकार में डायलेटेड, हायपरट्रॉफिक और रेस्ट्रिक्टिव कार्डियोमायोपैथी शामिल है। कार्डियोमायोपैथी का इलाज मेडिकेशन जिसमें एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स (Angiotensin II Receptor Blockers (ARBs), सर्जिकली इंप्लांटेड डिवाइसेस, हार्ट सर्जरी और सीवियर केस में हार्ट ट्रांसप्लांट से किया जाता है। कार्डियोमायोपैथी में एआरबी (ARB in Cardiomyopathy) का उपयोग प्रभावी माना जाता है। यह संकरी हो चुकी ब्लड वेसल्स को डायलेट करने में मदद करते हैं। हालांकि, इस बीमारी का इलाज इसके प्रकार और बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है। इस लेख में हम कार्डियोमायोपैथी में एआरबी (ARB in Cardiomyopathy) के उपयोग के बारे में जानकारी देंगे। इसके पहले जान लेते हैं कार्डियोमायोपैथी के लक्षण।

    कार्डियोमायोपैथी के लक्षण (Cardiomyopathy Symptoms)

    इस बीमारी का कारण अज्ञात है। कुछ मामलों में यह कंडिशन इंहेरिटेड (Inherited) होती है। वहीं कुछ दूसरी स्थितियां भी इसके रिस्क को बढ़ा देती हैं। जिसमें लंबे समय से हाय ब्लड प्रेशर की बीमारी, हार्ट अटैक के कारण टिशू डैमेज, लंबे समय से हार्ट बीट का बढ़ा होना, हार्ट वॉल्व प्रॉब्लम्स आदि। हो सकता है कि इस बीमारी की अर्ली स्टेज में कोई लक्षण ना दिखाई दें, लेकिन बीमारी बढ़ने पर निम्न लक्षण दिखाई देते हैं।

  • किसी काम को करते समय सांस लेने में कठिनाई
  • लेटने पर भी सांस लेना मुश्किल
  • फ्लूइड बिल्डअप के कारण एब्डोमिन ब्लोटिंग
  • थकान
  • लेटते समय कफ महसूस होना
  • सीधा सोने में परेशानी
  • हार्ट बीट का तेज होना
  • सीने पर दबाव महसूस होना
  • चक्कर आना, सिर हल्का महसूस होना, बेहोश हो जाना
  • और पढ़ें: हार्ट डिजीज के रिस्क को कम कर सकता है केला, दूसरी हेल्थ कंडिशन में भी है फायदेमंद

    कार्डियोमायोपैथी में एआरबी (ARB in Cardiomyopathy) का उपयोग इलाज के लिए क्यों किया जाता है?

    एआरबी का पूरा नाम एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स है।ये एंजियोटेंसिन II के एक्शन को ब्लॉक करके काम करते हैं। दरअसल एंजियोटेंसिन एक कैमिकल होता है जो ब्लड में बनता है। जिसकी वजह से मसल्स के आसपास की ब्लड वेसल्स कॉन्ट्रैक्ट (Contract) होती है और वेसल्स संकरी हो जाती हैं। संकरी हुई ब्लड वेसल्स हाय ब्लड प्रेशर का कारण बनती हैं। एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स ऐसी दवाएं हैं जो एंजियोटेंसिन II को ब्लड वेसल्स की आसपास की मांसपेशियों पर बाइंड होने से रोकती हैं। इसके परिणामस्वरूप ब्लड वेसल्स फैल जाती हैं और ब्लड प्रेशर कम हो जाता है। ब्लड प्रेशर कम होने से हार्ट के लिए ब्लड को पंप करना आसान हो जाता है और हार्ट फेलियर में सुधार होता है। इसी तरह कार्डियोमायोपैथी में एआरबी (ARB in Cardiomyopathy) का उपयोग असरकारक है। इसके साथ ही इससे बता दें कि हाय ब्लड प्रेशर किडनी डिजीज का भी कारण बनता है।  एसीई इंहिबिटर्स (ACE inhibitors) भी एआरबी की तरह ही काम करते हैं। वे एंजियोटेंसिन II के फॉर्मेशन को रोकते हैं।

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    एआरबीएस के अन्य उपयोग क्या है? (Other uses for ARBs)

    हाय ब्लड प्रेशर, हार्ट फेलियर, किडनी फेलियर, डायबिटीज के इलाज के साथ ही इनका उपयोग स्ट्रोक और इंलार्ज्ड हार्ट के मरीजों में किया जाता है। इसके साथ ही एट्रीयल फिब्रिलेशन (Atrial fibrillation) को रोकने में भी ये मदद करते हैं। जैसे कि हम बता चुके हैं कि एसीई इंहिबिटर्स भी एआरबी मेडिकेशन की तरह ही काम करते हैं। इसलिए एआरबी जब उपयोग किए जाते हैं तब ऐसा हो सकता है कि मरीज अधिक कफ बनने के कारण एसीई इंहिबिटर्स को सहन नहीं कर पाएँ।

    और पढ़ें: नमक की ज्यादा मात्रा कैसे बढ़ा देती है हार्ट इंफेक्शन से जूझ रहे पेशेंट की मुसीबत?

    एआरबीएस के साइड इफेक्ट्स क्या हैं? (Side effects of ARBs)

    कार्डियोमायोपैथी में एआरबी (ARB in Cardiomyopathy) का उपयोग प्रभावी है, साथ ही ये दूसरी हेल्थ कंडिशन में भी असरकारक हैं, लेकिन इनके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं। जिनके बारे में भी जानना चाहिए। इनके कॉमन साइड इफेक्ट्स में निम्न शामिल हैं।

    • कफ
    • ब्लड में पोटेशियम लेवल का बढ़ना
    • लो ब्लड प्रेशर
    • चक्कर आना
    • सिर में दर्द
    • डायरिया
    • मुंह में मेटेलिक टेस्ट आना
    • रैशेज
    • खड़े होने पर ब्लड प्रेशर कम होना
    • थकान
    • अपच
    • ब्लड ग्लूकोज लेवल का बढ़ना
    • फ्लू की तरह लक्षण
    • सायनुसायटिस (Sinusitis)
    • ब्रोंकाइटिस (Bronchitis)
    • अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (Upper respiratory tract infections)

    एआरबीएस के गंभीर साइड इफेक्ट्स (Serious side effects of ARBs)

    एआरबीएस के गंभीर, लेकिन दुलर्भ साइड इफेक्ट्स में निम्न शामिल हैं।

    • किडनी फेलियर
    • लिवर फेलियर
    • सीरियस एलर्जिक रिएक्शन
    • वाइट ब्लड सेल्स में कमी
    • ब्लड प्लेटलेट्स में कमी
    • टिशूज में सूजन आना

    कार्डियोमायोपैथी में एआरबी (ARB in Cardiomyopathy) का उपयोग कैसे किया जाना चाहिए?

    कार्डियोमायोपैथी में एआरबी (ARB in Cardiomyopathy) का उपयोग करना हो या किसी दूसरी कंडिशन में इन दवाओं का उपयोग खाली पेट या भरे हुए पेट में किया जा सकता है। इसके बारे में डॉक्टर तो आपको सलाह देगा ही साथ ही आप लेबल को भी पढ़ सकते हैं। दवा को कब तक और कितनी बार लेना है यह एआरबीएस के टाइप और बीमारी पर निर्भर करता है।

    इस दवा को कई हफ्तों तक लेना पड़ सकता है। तब ही इसका फुल इफेक्ट नजर आता है। इसलिए जब तक डॉक्टर ना कहे दवा को लेना बंद ना करें। दवा का उपयोग करते वक्त डॉक्टर की सलाह पर ब्लड प्रेशर, किडनी फंक्शन आदि की जांच नियमित रूप से करते रहे।

    और पढ़ें: सकुबिट्रिल+वालसार्टन (Sacubitril+Valsartan) दवाएं: हार्ट फेलियर के इलाज में करती हैं मदद

    कौन सी दवाएं और सप्लिमेंट्स एआरबीएस (ARBs) से इंटरैक्ट कर सकते हैं?

    कार्डियोमायोपैथी में एआरबी (ARB in Cardiomyopathy) का उपयोग कर रहे हैं या किसी दूसरी कंडिशन में इस बात ध्यान रखें कि ये दवाएं दूसरी दवाओं के साथ इंटरैक्ट कर उनके प्रभाव को प्रभावित कर सकती हैं।

    • चूंकि एआबीएस दवाएं ब्लड में पोटेशियम के लेवल को बढ़ा सकती है इसलिए पोटेशियम सप्लिमेंट्स, सॉल्ट सब्टिट्यूट जिनमें अक्सर पोटेशियम होता है, दूसरी दवाएं जो पोटेशियम की मात्रा को बढ़ाती है,  उनका एआरबीएस के साथ सेवन ब्लड में पोटेशियम की मात्रा को बढ़ाने के साथ ही कार्डिएक एरिदिमया का कारण बनता है।
    • एअरबीएस लिथियम (lithium) का ब्लड कॉन्सट्रेशन (Blood concentration) बढ़ा देता है जिससे लिथियम के साइड इफेक्ट्स बढ़ जाते हैं।
    • एआरबीएस को एसीई इंहिबिटर्स के साथ कंबाइंड नहीं किया जाता है क्योंकि इस कॉम्बिनेशन की वजह से हायपोटेंशन, हायपरकैलेमिया और किडनी फेलियर का रिस्क बढ़ जाता है।

    और पढ़ें: कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज के ट्रीटमेंट में एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स की भूमिका के बारे में जानें!

    कार्डियोमायोपैथी को कैसे रोका जा सकता है? (How to Prevent Cardiomyopathy)

    कार्डियोमायोपैथी में एआरबी (ARB in Cardiomyopathy) का उपयोग तो प्रभावी है, लेकिन इस कंडिशन को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है। ट्रीटमेंट के जरिए इसके लक्षणों को कम किया जा सकता है। कई मामलों में कार्डियोमायोपैथी को होने से रोका नहीं जा सकता, लेकिन कुछ अच्छी आदतें अपनाकर इसके रिस्क को कम किया जा सकता है। आप हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाकर कार्डियोमायोपैथी और दूसरे प्रकार की हार्ट डिजीज के रिस्क को कम कर सकते हैं। जिसमें निम्न शामिल हैं।

    सबसे पहले अगर परिवार में किसी को कार्डियोमायोपैथी की समस्या है तो, डॉक्टर को इस बारे में बताएं। ताकि वे पहले से इसके मैनेजमेंट के लिए आपको सलाह दे सकें।

    उम्मीद करते हैं कि आपको कार्डियोमायोपैथी में एआरबी (ARB in Cardiomyopathy) का उपयोग किस तरह उपयोगी है इससे संबंधित जरूरी जानकारियां मिल गई होंगी। अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट से सलाह जरूर लें। अगर आपके मन में अन्य कोई सवाल हैं तो आप हमारे फेसबुक पेज पर पूछ सकते हैं। हम आपके सभी सवालों के जवाब आपको कमेंट बॉक्स में देने की पूरी कोशिश करेंगे। अपने करीबियों को इस जानकारी से अवगत कराने के लिए आप ये आर्टिकल जरूर शेयर करें।

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