backup og meta

कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज के ट्रीटमेंट में एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स की भूमिका के बारे में जानें!

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. हेमाक्षी जत्तानी · डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/12/2021

    कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज के ट्रीटमेंट में एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स की भूमिका के बारे में जानें!

    कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज (Congenital heart disease) को जन्मजात हृदय दोष भी कहा जाता है। यह वो समस्याएं हैं जो जन्म के दौरान शिशु में मौजूद होती हैं। इन्हें कॉन्जेनिटल हार्ट डिफेक्ट्स (Congenital heart defects) भी कहा जाता है, जो हार्ट में ब्लड फ्लो के तरीके को बदल सकते हैं। कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज में ARBs (ARBs in Congenital Heart Disease) दवाओं का उपयोग प्रभावी बताया गया है। इस आर्टिकल में कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज में ARBs (ARBs in Congenital Heart Disease) का उपयोग कैसे किया जाता है इसके फायदे क्या हैं जान लेते हैं, लेकिन सबसे पहले जान लेते हैं कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज (Congenital heart disease) के लक्षणों के बारे में।

    कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज के लक्षण (Congenital heart disease symptoms)

    कई कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज के कोई भी लक्षण नजर नहीं आते हैं। लेकिन, कुछ के लक्षण उम्र के बढ़ने के साथ रोगी में नजर आ सकते हैं। बड़े होने पर इन डिफेक्ट्स के लक्षण इस प्रकार हो सकते हैं:

    • एब्नार्मल हार्ट रिदम (Abnormal Heart Rhythms )
    • त्वचा, होंठों और नाखूनों का नीला होना (Bluish discoloration of Skin, lips and nails)
    • सांस लेने में समस्या (Shortness of breath)
    • जल्दी थक जाना (Tiring quickly)
    • बॉडी टिश्यू और ऑर्गन्स में सूजन (Swelling of body Tissue or Organs)

    अगर आप को इसके बदतर लक्षण जैसे छाती में दर्द या सांस लेने में समस्या आदि महसूस होते हैं, तो तुरंत उपचार कराना जरूरी है। अब बात करते हैं कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज में ARBs  (ARBs in Congenital Heart Disease) के बारे में। इससे पहले जान लेते हैं एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स यानी (ARBs) के बारे में

    और पढ़ें : डायबिटिक नेफ्रोपैथी में एंजियोटेंसिन रिसेप्टर ब्लॉकर्स : कितनी कारगर हैं ये दवा?

    एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स क्या हैं? (Angiotensin II receptor blockers)

    ARBs यानी एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स (Angiotensin II receptor blockers) का प्रयोग हार्ट फेलियर (Heart Failure) और हाय ब्लड प्रेशर (High Blood Pressure) के उपचार के लिए किया जाता है। इन दवाईयों का प्रयोग क्रॉनिक किडनी डिजीज (Chronic Kidney Disease) के उपचार में भी किया जा सकता है। हार्ट अटैक के बाद भी इन दवाईयों को रोगी को दिया जा सकता है। हालांकि इन दवाईयों का प्रभाव एंजियोटेंसिन कंवर्टिंग एंजाइम इन्हिबिटर्स (Angiotensin converting enzyme inhibitors) यानी ACE इन्हिबिटर्स के जैसा ही होता है। लेकिन, इन्हें रोगी को तब दिया जाता है जब किन्हीं स्थितियों में रोगी ACE इन्हिबिटर्स को न ले पा रहा हो। अब जानिए ARBs कैसे काम करती हैं?

    और पढ़ें :  PCSK9 इन्हिबिटर्स : कैसे काम करती है यह दवाईयां बैड कोलेस्ट्रॉल के ट्रीटमेंट में?

    एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स (Angiotensin II receptor blockers) कैसे काम करते हैं?

    ब्लड वेसल्स हार्ट तक ब्लड और ऑक्सीजन सप्लाई करते हैं। इस लगातार सप्लाई से हार्ट को काम करने में मदद मिलती है। एंजियोटेंसिन II (Angiotensin II) हमारे शरीर द्वारा बनाये जाने वाले हॉर्मोन्स हैं और यह ब्लड वेसल्स की मसल्स को टाइट करते हैं। यही नहीं, एंजियोटेंसिन II हमारे शरीर में नमक और पानी की रिटेंशन को भी बढ़ा सकते हैं। शरीर में नमक की अधिक मात्रा और ब्लड वेसल के तंग होने से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और इससे ब्लड वेसल को नुकसान हो सकता है। एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स (Angiotensin II receptor blockers) और एंजियोटेंसिन कंवर्टिंग एंजाइम इन्हिबिटर्स (Angiotensin converting enzyme inhibitors) दोनों एंजियोटेंसिन II पर काम करते हैं। लेकिन, जब ACE इन्हिबिटर्स के कारण एंजियोटेंसिन II को बनाना सीमित कर देते हैं, तो ARBs एंजियोटेंसिन II के खास रिसेप्टर्स को ब्लॉक कर सकते हैं। इन रिसेप्टर्स को AT1 रिसेप्टर्स कहा जाता है।

    जो हार्ट, ब्लड वेसल्स और किडनी में पाए जाते हैं। जब ब्लड वेसल टाइट हो जाते हैं तो यह भी तंग हो जाते हैं, इससे खून पर अधिक दबाव पड़ता है। जब ACBs एंजियोटेंसिन II को ब्लॉक करती हैं, तो इससे ब्लड वेसल्स का टाइट होना कम हो जाता है और इससे ब्लड प्रेशर भी लो हो जाता है। अब जानते हैं कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज में ARBs के बारे में।

    और पढ़ें : एओरटिक वाल्व रिप्लेसमेंट के बाद भी फायदेमंद हो सकता है बीटा ब्लॉकर्स का उपयोग!

    कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज में ARBs (ARBs in Congenital Heart Disease)

    मेडलाइन प्लस (Medline Plus) के अनुसार कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज से पीड़ित कई बच्चों को उपचार की जरूरत नहीं होती है। लेकिन, अन्य मरीजों को इसमें उपचार की आवश्यकता पड़ती है। कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज में प्रयोग होने वाली यह दवाईयां बेहद लाभदायक मानी जाती हैं। आइए जानते हैं कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज में ARBs (ARBs in Congenital Heart Disease) दवाईयों के बारे में विस्तार से।

    कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज में ARBs: कैंडेसार्टन (Candesartan)

    यह कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज में ARBs (ARBs in Congenital Heart Disease) के समूह की दवाई है। जिसका प्रयोग बच्चों और वयस्कों में हाय ब्लड प्रेशर के उपचार के लिए किया जा सकता है। लेकिन ,इसे केवल उन्हीं बच्चों को दिया जाता है जिनकी उम्र कम से कम एक साल या उससे अधिक हो। ब्लड प्रेशर के कम होने से स्ट्रोक व हार्ट अटैक जैसी समस्याओं का जोखिम भी कम हो जाता है। वयस्कों में यह दवा हार्ट फेलियर के उपचार में भी प्रयोग में लाई जाती है। लेकिन, इस दवा का सेवन केवल तभी करना चाहिए जब आपको डॉक्टर ने इन्हें लेने के लिए कहा हो। अगर आप गर्भवती हैं तो इस दवाई का सेवन करने से बचें। इस दवाई को लेने से रोगी कुछ सामान्य साइड इफेक्ट्स जैसे एलर्जिक रिएक्शंस, छाती में दर्द ,असामान्य हार्टबीट आदि महसूस कर सकते हैं। कैंडेसार्टन(Candesartan) को इसके ब्रांड नेम एटेकेंट (Atacand) से भी जाना जाता है।

    और पढ़ें : डाइयुरेटिक्स ड्रग्स : कंजेनिटल हार्ट डिजीज में किस तरह से फायदेमंद है यह दवाईयां!

    इर्बेसार्टन (​Irbesartan)

    इर्बेसार्टन भी एक ARB है, जिसका प्रयोग हाय ब्लड प्रेशर यानी हायपरटेंशन के उपचार में किया जाता है। इर्बेसार्टन (​Irbesartan) का ब्रांड नेम है एवप्रो (Avapro)। कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज में ARBs (ARBs in Congenital Heart Disease) में इस दवा को भी शामिल किया जा सकता है। ब्लड प्रेशर के सही रहने से हृदय सम्बन्धी जटिलताओं के जोखिम को कम किया जा सकता है। यही नहीं, इस दवा का प्रयोग टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 Diabetes) के कारण होने वाली किडनी प्रॉब्लम्स के उपचार में भी किया जा सकता है। लेकिन, इन दवाईयों का सेवन केवल तभी करना चाहिए अगर डॉक्टर ने उन्हें लेने के लिए कहा हो। क्योंकि इन्हें लेने से कुछ साइड इफ़ेक्ट भी हो सकते हैं जैसे मूत्र त्याग में परेशानी, पोटैशियम लेवल का बढ़ना, छाती में दर्द, चक्कर आना आदि।

    लोसार्टन (Losartan)

    कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज में ARBs (ARBs in Congenital Heart Disease) के समूह से संबंधित अगली दवा है लोसार्टन। लोसार्टन (Losartan) का ब्रांड नेम है कोज़ार (Cozaar)। यह दवा ब्लड वेसल्स को सिकुड़ने से रोकती है, जिससे ब्लड प्रेशर लो होता है और ब्लड फ्लो सुधर सकता है। इसका प्रयोग हाय ब्लड प्रेशर के उपचार में भी किया जा सकता है और हार्ट डिजीज से पीड़ित लोगों में स्ट्रोक के जोखिम को कम करने में भी यह मददगार है। जिन लोगों को हाय ब्लड प्रेशर के साथ टाइप 2 डायबिटीज की समस्या है, उनमें किडनी डैमेज को स्लो करने में भी यह दवाई उपयोगी मानी जाती है। अपने डॉक्टर की सलाह के बाद ही इस दवाई का सेवन करें। इसके कुछ गंभीर साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं जैसे छाती में दर्द, मूड चेंज, मूत्र त्याग में समस्या, हाय पोटैशियम लेवल, वजन का बढ़ना आदि।

    और पढ़ें : कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स: कई प्रकार की हार्ट डिजीज को मैनेज करने में करते हैं मदद

    कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज में ARBs: टेल्मीसार्टन (Telmisartan)

    टेल्मीसार्टन भी एक एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स है जिसका इस्तेमाल हायपरटेंशन के उपचार में किया जाता है। ब्लड प्रेशर के कम होने से हार्ट संबंधी समस्याओं से भी बचा जा सकता है। कई कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज में भी इन दवाईयों को लाभदायक माना जाता है। स्ट्रोक, हार्ट अटैक और दिल संबंधी अन्य डिसऑर्डर्स को दूर करने भी इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर डॉक्टर में आपको इसे लेने के लिए कहा हो तभी इस दवा को लें क्योंकि अपनी मर्जी से इसे लेना आपके लिए हानिकारक हो सकता है। टेल्मीसार्टन (Telmisartan) को इसके ब्रांड नेम मकार्डिस (Micardis) से भी जाना जाता है। टेल्मीसार्टन के सामान्य साइड इफेक्ट्स में डायरिया, पीठ में दर्द, छाती में दर्द आदि शामिल हैं।

    कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज में ARBs: वलसार्टन (Valsartan)

    कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज में ARBs (ARBs in Congenital Heart Disease) के ग्रुप की अगली दवा है वलसार्टन (Valsartan)। वलसार्टन (Valsartan) का ब्रांड नेम डायवेन (Diovan) है। जिसका प्रयोग दिल के रोगों की परेशानी को कम करने के लिए किया जाता है। यह दवाई ब्लड प्रेशर को कम करने में मददगार है। ब्लड प्रेशर के लो होने से स्ट्रोक और हार्ट अटैक का जोखिम भी कम रहता है। कुछ स्थितियों में इन्हें लेने की सलाह नहीं दी जाती है जैसे गर्भावस्था। इसके साथ ही इस दवा को लेने से कुछ दुष्प्रभाव भी नजर आ सकते हैं जैसे एलर्जिक रिएक्शंस, हाय पोटैशियम लेवल, खांसी पेट और पीठ में दर्द, फ्लू आदि।

    कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज में ARBs (ARBs in Congenital Heart Disease) के समूह की किसी भी दवाई को डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन के बिना अपनी मर्जी से नहीं लेने की राय दी जाती है। अपनी मर्जी से इन्हें लेना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स के कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। जानिए इन दुष्प्रभावों के बारे में।

    और पढ़ें : जन्मजात हृदय दोष होने पर दी जाती हैं ये दवाएं, जानिए बीटा ब्लॉकर्स के बारे में

    एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स यानी ARBs के साइड इफेक्ट

    कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज में ARBs (ARBs in Congenital Heart Disease) के बारे में तो आप जान ही गए होंगे। लेकिन, कुछ लोग इन्हें लेने के बाद स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का अनुभव भी कर सकते हैं। यह साइड इफेक्ट्स इस प्रकार हो सकते हैं:

    • सिरदर्द (Headache)
    • बेहोश होना (Fainting)
    • चक्कर आना (Dizziness)
    • थकावट (Fatigue)
    • रेस्पिरेटरी सिम्पटम्स (Respiratory Symptoms)
    • उल्टीआना और डायरिया (Vomiting and Diarrhea)
    • पीठ में दर्द (Back Pain)
    • टांग में सूजन (Leg Swelling)
    • पोटैशियम लेवल का अधिक होना (High Potassium Level)

    दुर्लभ मामलों में कुछ लोग इन दवाईयों को लेने से यह समस्याएं भी अनुभव कर सकते हैं

    • एलर्जिक रिएक्शन (Allergic Reactions)
    • लिवर फेलियर (Liver Failure)
    • किडनी फेलियर (Kidney failure)
    • एंजियोडीमा (Angioedema), या टिश्यू में सूजन (Tissue swelling)
    • लो व्हाइट ब्लड सेल काउंट (Lower White Blood Cell)
    • हाय ब्लड पोटैशियम लेवल होने से इर्रेगुलर हार्टबीट (Irregular Heartbeat)

    Quiz : कितना जानते हैं अपने दिल के बारे में? क्विज खेलें और जानें

    और पढ़ें :  Mitral valve prolapse: माइट्रल वाल्व प्रोलैप्स क्या है?

    कुछ अन्य दवाईयां भी ARBs के साथ ठीक से काम नहीं कर पाती हैं। जैसे ARBs and ACE इन्हिबिटर्स को साथ में लेने की सलाह नहीं दी जाती है, क्योंकि इससे लो ब्लड प्रेशर की समस्या बढ़ सकती है। इसके साथ ही किडनी डैमेज जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। कुछ पेनकिलर जैसे आइबूप्रोफेन (Ibuprofen) और नेप्रोक्सेन (Naproxen) भी ARBs के साथ इंटरैक्ट कर सकती हैं, जिससे पोटैशियम लेवल बढ़ सकता है। ऐसे में इन्हें लेने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य लें। यह तो थी कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज में ARBs (ARBs in Congenital Heart Disease) के बारे में पूरी जानकारी। कॉन्जेनिटल हार्ट डिजीज में ARBs (ARBs in Congenital Heart Disease) के उपयोग के बारे में अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।

    डिस्क्लेमर

    हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

    के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

    डॉ. हेमाक्षी जत्तानी

    डेंटिस्ट्री · Consultant Orthodontist


    Toshini Rathod द्वारा लिखित · अपडेटेड 23/12/2021

    advertisement iconadvertisement

    Was this article helpful?

    advertisement iconadvertisement
    advertisement iconadvertisement