अगर व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ है, तो वह जो भी डायट ले रहा है, उसे ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं पड़ती है। अगर स्वस्थ व्यक्ति कभी कभार ज्यादा मीठा या अधिक कार्बोहाइड्रेड वाली डाइट लेता है, तो शरीर पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। वहीं व्यक्ति अगर किसी गंभीर या क्रॉनिक कंडीशन में है, तो ऐसे में खानपान का खास ध्यान रखना पड़ता है। आज हम बात करने जा रहे हैं ऐसी बीमारी की, जिसमें खानपान या डायट को कंट्रोल कर बीमारी की गंभीरता को भी कम किया जा सकता है। डायबिटिक्स के लिए कार्निवोर डायट (Carnivore diet benefits for diabetics) बेहतर ऑप्शन के तौर चुनी जा सकती है या नहीं। डायबिटीज की बीमारी में डायट पर बहुत ज्यादा ध्यान देना पड़ता है। आप जो भी खा रहे हैं, उसका सीधा असर ब्लड में शुगर लेवल पर पड़ता है। हेल्दी डायट आपके ब्लड में शुगर के लेवल को कंट्रोल करने में मदद कर सकती है। इस तरह से फायदा पहुंचाती है या नुकसान पहुंचाती है आपको जानकारी होना बहुत जरूरी है हम आपको डायबिटीज पेशेंट के लिए डाइट के बारे में बताएंगे।
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डायबिटिक्स के लिए कार्निवोर डायट (Carnivore diet benefits for diabetics)
कार्निवोर डायट (Carnivore diet) में एनिमल फूड्स को शामिल किया जाता है। कार्निवोर डायट में रेड मीट (Red meat), पोल्ट्री ( Poultry), ऑर्गन मीट (organ meats), प्रोसेस्ड मीट (processed meats) जैसे बेकन ( bacon), सॉसेज, हॉट डॉग ( Hot dogs), मछली और अंडे (eggs) आदि शामिल किए जाते हैं। कुछ लोग खाने में डेयरी प्रोडक्ट जैसे कि चीज को भी शामिल करते हैं। डायबिटिक्स के लिए कार्निवोर डायट (Carnivore diet benefits for diabetics) फायदेमंद होती है या नहीं, इसको लेकर कुछ स्टडीज की गई। कार्निवोर डायट (Carnivore diet) को अपनाने वाले लोगों को मानना था कि इस डायट को अपनाने के बाद उनके ब्लड में शुगर का लेवल मेंटेन रहना लगा और साथ ही वजन में भी कमी हुई। अगर बायोकैमेस्ट्री स्टैंडपॉइंट से देखा जाए तो मीट की मात्रा अधिक लेने से ग्लूकोज कम मात्रा में ही शरीर में पहुंचता है, जिसके कारण ब्लड में शुगर का लेवल बढ़ नहीं पाता है। जो लोग केवल मांस या मीट खाते हैं, तो उनकी डायट में बहुत सारे पोषक तत्वों, फाइबर, एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन और खनिजों की कमी हो सकती है। और आप बहुत बड़ी मात्रा में संतृप्त वसा यानी सैचुरेटेड फैट प्राप्त कर रहे होते हैं।
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डायबिटिक्स के लिए कार्निवोर डायट: सैचुरेटेड फैट से बढ़ जाता है हार्ट डिजीज का खतरा
अगर आप अधिक मात्रा में मीट का सेवन कर रहे हैं, तो आपकी डायट में अधिक मात्रा में सैचुरेटेड फैट भी शामिल हो रहा है। जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या होती है, उन लोगों को हार्ट डिजीज (Heart disease) का भी खतरा रहता है। डायबिटीज पेशेंट अधिक मात्रा में मीट या कार्निवोर डायट (Carnivore diet) का सेवन करते हैं, तो यह आपके हार्ट के लिए बुरी खबर हो सकती है। हार्वर्ड के शोधकर्ताओं ने हाल ही में 115,000 से अधिक लोगों के दो दशकों से अधिक के डेटा की समीक्षा की, उन्होंने पाया कि सैचुरेटेड फैट का अधिक सेवन हार्ट डिजीज के लिए 18 प्रतिशत तक जोखिम को बढ़ा देता है। जबकि हैरानी में डालने वाली बात ये है कि फैट के करीब एक प्रतिशत हिस्से में पॉलीअनसेचुरेटेड फैट, साबुत अनाज या पौधों के प्रोटीन से प्राप्त समान संख्या की कैलोरी का सेवन करने से रिस्क 6 से 8 प्रतिशत तक कम हो जाता है।
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डायबिटिक्स के लिए कार्निवोर डायट लेना सही है?
अगर आप कम मात्रा कार्बोहाइड्रेट लेते हैं या फिर करीब 24 घंटे की फास्टिंग रखते हैं, तो लिवर ग्लाइकोजन स्टोर नहीं उपलब्ध हो पाता है। मसल्स को सेल्स से ग्लूकोज लेने के लिए इंसुलिन की जरूरत होती है। अगर व्यक्ति कार्ब को पूरी तरह से छोड़ देता है, तो हाय ग्लूकोज रीडिंग की संभावना बढ़ जाती है। डायबिटीज से पीड़ित व्यक्ति, जो इंसुलिन जैसी दवा ले रहा है, केवल मीट खाने से हाइपोग्लाइसीमिया (hypoglycemia) या लो ब्लड शुगर लेवल का अनुभव कर सकते हैं। डायबिटिक्स के लिए कार्निवोर डायट (Carnivore diet benefits for diabetics) को आयडल डायट नहीं कहा जा सकता है। डायबिटिक्स की डायट में हेल्दी फूड्स का शामिल होना बहुत जरूरी होता है। आप चाहे तो लो फैट वीगन डायट भी अपना सकते हैं। कुछ एक्सपर्ट का मानना है कि डायबिटीज के पेशेंट्स को डैश डायट (DASH diet) अपनानी चाहिए। वहीं कुछ लोगों को प्लांट बेस्ड डायट अपनाने में अधिक फायदा नजर आते है। आप डॉक्टर से डायबिटिक्स के लिए कार्निवोर डायट (Carnivore diet benefits for diabetics) के बारे में अधिक जानकारी ले सकते हैं।
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डायबिटिक्स के लिए कार्निवोर डायट को नहीं मान सकते हैं आइडियल डायट!
जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि डायबिटिक्स के लिए कार्निवोर डायट (Carnivore diet benefits for diabetics) को सबसे बेहतर डायट कहना गलत होगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि मार्केट में विभिन्न प्रकार के एनिमल प्रोडक्ट मिलते हैं। कुछ प्रोडक्टड्स में समस्या हो सकती है। कुछ मीट जैसे कि फिश और ऑर्गन मीट में कम समस्या पैदा होती है जबकि प्रोसेस्ड मीट को क्लास 1 और क्लास 2 में डब्लूएचओ (WHO) ने बांटा है। सलामी, बेकन, सॉसेज और हॉट डॉग सहित मीट को ग्रुप 1 में रखा गया है। इससे मतलब ये है कि इनका सेवन कैंसर का कारण भी बन सकता है। वहीं रेड मीट जैसे कि वील, पोर्क, लैम्ब, हॉर्स, गोट आदि को ग्रुप 2 में रखा गया है। इसका मतलब है कि जरूरी नहीं कि ये कैंसर का कारण बनें। शायद ये कैंसर के लिए जिम्मेदार भी हो सकते हैं। अगर आप डायबिटीज के पेशेंट हैं, तो बेहतर होगा कि आप मीट के साथ ही फ्रेश फ्रूट्स, वेटीबल्स आदि का भी सेवन करें। आप चाहे, तो इस बारे में डॉक्टर से राय ले सकते हैं।
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मीट में पाए जाने वाले कुछ कम्पाउंड सेहत के लिए अच्छे नहीं होते हैं। कुछ कम्पाउंड जैसे कि ल्यूसीन इंसुलिन का अधिक मात्रा में प्रोडक्शन कर सकते हैं। वहीं हीम आयरन से डायबिटीज का खतरा अधिक बढ़ सकता है। प्रोसेस्ड मीट में नाइट्रेट और नाइट्राइट्स होते हैं, जो इंसुलिन रसिस्टेंस (insulin resistance.) का खतरा बढ़ा सकते हैं। मीट में पाए जाने वाले सोडियम की मात्रा अधिक बीपी के लिए जिम्मेदार हो सकता है।
डायबिटिक्स के लिए कार्निवोर डायट को बिल्कुन न नहीं कह सकते। मीट खाना बंद ना करें बल्कि मीट के साथ ही अपने खाने में अन्य फूड्स को भी शामिल करें। आप खाने में फ्रेश वेजिटेबल्स के साथ ही फ्रेश फ्रूट्स को भी शामिल कर सकते हैं। ऐसा करने से आपको किसी प्रकार की हानि नहीं होगी। अगर आप मीट या प्रोसैस्ड मीट (processed meat) खाते हैं, तो डॉक्टर से इस बारे में जानकारी लें कि आप को किस प्रकार का खतरा हो सकता है। डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए आपको खानपान में ध्यान रखने के साथ ही एक्सरसाइज और लाइफस्टाइल में सुधार करने की भी जरूरत है। अधिक जानकारी के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
इस आर्टिकल में हमने आपको डायबिटिक्स के लिए कार्निवोर डायट (Carnivore diet benefits for diabetics) के बारे में जानकारी दी है। उम्मीद है आपको हैलो हेल्थ की दी हुई जानकारियां पसंद आई होंगी। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए, तो हमसे जरूर पूछें। हम आपके सवालों के जवाब मेडिकल एक्स्पर्ट्स द्वारा दिलाने की कोशिश करेंगे।
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