डायबिटीज और फर्टिलिटी (Diabetes and Fertility) में क्या संबंध है, आपको पता है? डायबिटीज एक आम बीमारी है, जिसे आमतौर पर हम सभी जानते हैं। लेकिन हमें इसका बहुत कम पता है कि डायबिटीज हमारे शरीर के साथ असल में क्या करता है और लंबे समय में हमें कैसे प्रभावित करता है। डायबिटीज के प्रभावों के बारे में कुछ चीजों को लोग अच्छी तरह से नहीं जानते हैं। डायबिटीज द्वारा मानव शरीर को प्रभावित करने का एक तरीका पुरूषों और महिलाओं की प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने से भी जुड़ा है। अगर किसी को डायबिटीज है, तो उसे बच्चा होने की संभावना कम होगी। डायबिटीज के साथ प्रजनन क्षमता की समस्याओं से निपटने के लिये इस बीमारी पर बहुत अच्छी तरह काबू करने की जरूरत होती है। इससे प्रजनन सम्बंधी समस्याओं का जोखिम कम हो सकता है। इससे यह भी समझ में आता है कि डायबिटीज वाले कपल्स को बच्चे के जन्म की कोशिश करने से कम से कम 3 से 6 महीने पहले सामान्य स्वास्थ्य जांच के संदर्भ में अपने डायबिटीज के निरीक्षण के लिये डॉक्टर के पास जाना चाहिये। जानिए यहां कि डायबिटीज और फर्टिलिटी (Diabetes and Fertility) में क्या संबंध है:
टाइप 2 डायबिटीज क्या है (What is Type 2 diabetes) ?
टाइप 2 डायबिटीज, मधुमेह का सबसे आम प्रकार है और यह एक क्रॉनिक कंडिशन ( Chronic condition) है। इस स्थिति में रोगी के शरीर में रक्त में शर्करा के स्तर बढ़ने लगता है। धीरे-धीरे शरीर रक्त में शर्करा को नियंत्रित करने की क्षमता खो देता है। ऐसा टाइप-2 डायबिटीज के स्तर में होता है। इसमे कोशिकाएं रक्त शर्करा से ऊर्जा का निमार्ण नहीं कर पाती हैं। टाइप 1 मधुमेह (Type 1 diabetes)के विपरीत, टाइप 2 में इंसुलिन (Insulin) का उत्पादन करने के लिए अग्न्याशय होता है, लेकिन कोशिकाएं इसका उपयोग कर नहीं कर पाती हैं। यानि कि जब किसी व्यक्ति को डायबिटीज की बिमारी है, तब उसका शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर पाता है। इस कारण से रक्त में ग्लूकोज जमा होने लगता है।
टाइप 2 मधुमेह (Type 2 diabetes) के पीछे इटीयोलॉजिकल कारण हैं:
- एक्सरसाइज में कमी (Lack of exercise)
- तनाव और एंग्जायटी (Stress and anxiety)
- खराब लाइफस्टाइल (Lifestyle Problem)
- मोटापा (Obesity)
- जेनेटिक (Genetics)
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डायबिटीज और फर्टिलिटी में संबंध (The relationship between diabetes and fertility)
डायबिटीज और फर्टिलिटी में बहुत गहरा संबंध है। डायबिटीज में होने वाली हाॅर्मोन्स की गड़बड़ी गर्भधारण में देरी या विफलता का प्रमुख कारण है। डायबिटीज से शुक्राणु और भ्रूण की गुणवत्ता कम हो जाती है और आपके डीएनए को क्षति पहुंचती है, जिससे विलोप और अनुवांशिक परिवर्तन होता है। हमारे शरीर में इंसुलिन ब्लड शुगर के स्तर और ग्लूकोज की आवश्यकता को नियंत्रित करता है। शरीर में ग्लूकोज को सहन करने की क्षमता बिगड़ने से डायबिटीज हो सकता है। महिलाओं में डायबिटीज के कारण मासिक धर्म अनियमित या गायब हो सकता है। जबकि पुरूषों में डायबिटीज से स्तंभन करने और बनाये रखने में समस्या होती है और पुरूष हार्मोन टेस्टोस्टेरॉन की दर और स्तर भी कम हो जाता है। डायबिटीज कपल के लिये गर्भपात और मृत शिशु पैदा होने का जोखिम भी बढ़ा देता है, शिशु को जन्म देने के लिये ऑपरेशन करना पड़ सकता है और जन्म के बाद शिशु को इंटेंसिव केयर की जरूरत हो सकती है।
डायबिटीज और फर्टिलिटी को देखते हुए, इस पर नियंत्रण के लिये, ब्लड शुगर के अच्छी तरह से नियंत्रित स्तर मासिक धर्म को नियमित बनाने में सहायक हो सकते हैं और पुरूषों में भी स्तंभन की समस्याओं का जोखिम कम करते हैं, क्योंकि यह पुरूषों में टेस्टोस्टेरॉन के स्तर बढ़ाता है और लिबिडो को भी बढ़ाता है, जिसका आशय कामेच्छा से है। महिलाओं को गर्भपात का जोखिम कम होगा और वे स्वस्थ शिशु को जन्म देंगी तथा जन्म के बाद शिशु को इंटेंसिव केयर यूनिट में रखने का जोखिम नहीं होगा। इसके अलावा पैदाइशी रोग का जोखिम कम होगा, जो जन्म के साथ शुरू होने वाली एक स्वास्थ्य समस्या है और बच्चा मृत पैदा होने का जोखिम भी कम होगा।
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प्रजनन सम्बंधी समस्याओं से बचने के लिये डायबिटीज को कैसे नियंत्रित करें (How to control diabetes to avoid fertility problems)
डायबिटीज और फर्टिलिटी के बीच कनेक्शन के बारे में आपने जाना यहां। ब्लड शुगर के स्तरों को नियंत्रित करने से डायबिटीज पर नियंत्रण मिल सकता है। ऐसा करने के लिये नियमित रूप से अपने ब्लड शुगर के स्तरों पर नजर रखनी चाहिये, उन्हें नोट करना चाहिये और रीडिंग्स तथा फ्रीक्वेंसी पर ध्यान देना चाहिये। नियमित शारीरिक गतिविधि के साथ स्वास्थ्यकर आहार लेना महत्वपूर्ण है। फिट रहना और वजन की स्वस्थ सीमा में रहना अच्छी बात है। तनाव और चिंता कम करने पर ध्यान देना चाहिये और धूम्रपान छोड़ देना चाहिये। इसके अलावा अगर कोई सहायता चाहिये, तो डॉक्टर के पास जाना चाहिये, ताकि दवाओं और सही जानकारी से सहयोग मिल सके।
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डायबिटीज और फर्टिलिटी : आप क्या कर सकते हैं :
डायबिटीज और फर्टिलिटी के बीच क्या है संबंध है, यह तो जान लिया आपने। ऐसे में आप क्या कर सकते हैं, यह भी जानें। बच्चे के लिये कोशिश और गर्भधारण करना तब सबसे अच्छा होता है, जब आपका डायबिटीज अच्छी तरह से नियंत्रण में हो और कोई दूसरी स्वास्थ्य समस्याएं न हों, क्योंकि इससे गर्भधारण के पहले और पहली तिमाही के दौरान डायबिटीज से जुड़े जोखिम कम होंगे। आप जैसे ही गर्भवती हों, आपको अपने डायबिटीज के निरीक्षण के लिये अपने फर्टिलिटी एक्सपर्ट के पास जाना चाहिये। फर्टिलिटी एक्सपर्ट गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज को काबू रखने के तरीके बताएगा, ताकि आपकी गर्भावस्था के दौरान र ब्लड शुगर के स्तर स्वस्थ सीमा में रहें। एक्सपर्ट अपने हवाले के अनुसार नियमित रूप से अन्य जाँचें कर सकते हैं, यह गर्भावस्था के दौरान आपकी स्थिति पर निर्भर होगा। गर्भधारण की योजना बनाते ही आपको अपने फर्टिलिटीएक्सपर्ट से मिलना चाहिये, क्योंकि फर्टिलिटी एक्सपर्ट जांच और परीक्षण के साथ सही मार्गदर्शन से आपकी सहायता करेगा। टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) वाली महिलाओं को फोलिक एसिड की भारी खुराक (रोजाना 2.5 से 5 मि.ग्रा.) लेने की सलाह दी जाती है। डायबिटीज को काबू करने के यह स्वास्थ्यकर तरीके आपके लिये नये हो सकते हैं और इनकी आदत डालने में आपको कुछ समय लग सकता है, लेकिन अध्ययनों ने साबित किया है कि जो लोग अपनी जीवनशैली को बेहतर बनाने की कोशिश करते हैं, वे गर्भधारण में ज्यादा सफल हो सकते हैं। डायबिटीज और फर्टिलिटी दोनों को प्रभावित होने से बचने के लिए खास ध्यान देना बहुत जरूरी है।
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डायबिटीज और फर्टिलिटी के बारे में आपने जाना यहां। आप और आपके पार्टनर यह उपाय करें और दोनों ही स्वस्थ रहें, जिससे आपके गर्भवती होने की संभावना बढ़ेगी और आपको स्वस्थ बच्चा होगा। इसमें आपके फर्टिलिटी एक्सपर्ट आपका साथ देंगे और आपकी गर्भावस्था पर नजर रखेंगे, ताकि आपकी मौजूदा दवाओं का बार-बार निरीक्षण कर सकें। साथ ही वे सुनिश्चित करेंगे कि आपके गर्भवती होने की कोशिश के दौरान और गर्भावस्था में वे दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हों, जब तक कि आपका बच्चा जन्म नहीं लेता है। डायबिटीज और फर्टिलिटी के में अधिक जानकारी के लिए अपने एक्सपर्ट की सलाह लें।
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