फेटल सेक्स और ट्विन्स जेस्टेशन का प्रभाव मैटरनल डायबिटीज (Effects of Fetal Sex and Twins Gestation on Maternal Diabetes)
फेटल सेक्स और ट्विन्स जेस्टेशन का प्रभाव मैटरनल डायबिटीज पर प्रभाव हो सकता है। कुछ विरासत में मिली बीमारियों के जोखिम, जिसमें जेनेटिक डायबिटीज भी शामिल है। कई बार फेमिली हिस्ट्री होने की वजह से भी परिवारों में गर्भावस्था के प्रबंधन में भ्रूण के लिंग की प्रारंभिक जन्मपूर्व पहचान बहुत महत्वपूर्ण होती है। प्रसवपूर्व पहचान वर्तमान में केवल आक्रामक प्रक्रियाओं और कोरियोनिक विलस सैंपलिंग (सीवीएस) के माध्यम से ही संभव है। गर्भावस्था की पहली तिमाही यानि कि 11वें सप्ताह से ही भ्रूण के लिंग की पहचान जननांग ट्यूबरकल द्वारा की जा सकती है।
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फेटल सेक्स और ट्विन्स जेस्टेशन का प्रभाव मैटरनल डायबिटीज पर (Effects of Fetal Sex and Twins Gestation on Maternal Diabetes) के प्रभावों की बात करें तो भ्रूण के सेक्स को प्रसवकालीन परिणामों के अंतर जोखिमों से जोड़कर देखा गया है। विशेष रूप से, यह लंबे समय से माना जाता है कि एक पुरुष भ्रूण की उपस्थिति प्रतिकूल परिणामों के जोखिम को बढ़ाती है, जिसमें प्रीटरम डिलीवरी, झिल्ली का समय से पहले टूटना आदि है। मेल भ्रूण की उपस्थिति मां में गर्भकालीन मधुमेह मेलेटस (जीडीएम) की बढ़ती घटनाओं से जुड़ी हो सकती है। । दरअसल, जीडीएम का पैथोफिजियोलॉजिकल आधार पर अग्नाशयβ-सेल डिसफंक्शन है, जिसे देर से गर्भावस्था के शारीरिक इंसुलिन रेजिस्टेंस की पूरी तरह से क्षतिपूर्ति करने के लिए है। इसके लिए पर्याप्त इंसुलिन स्रावित करने में β-कोशिकाओं की अक्षमता के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप हाइपरग्लेसेमिया होता है जिसके द्वारा जीडीएम निदान किया जाता है।
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स्वस्थ रहने के लिए अपनाएं ये आसान उपाय (Follow these easy steps to stay healthy)
जेस्टेशनल डायबिटीज से बचने के लिए कम चीनी और कैलोरीज वाला आहार लें। यह सुनिश्चित करने के लिए अपने डॉक्टर की सलाह ले कि आपके डायट में कौन से जरूरी पोषण शामिल होने चाहिए और कौन से आपको मिल रहे हैं। आपको वो पोषण मिलने की बहुत आवश्यकता है, जिसकी आपके शरीर में कमी हो। मधुमेह वाले किसी व्यक्ति के लिए बनाई गई भोजन योजना का पालन करें:
- आप नैचुरल शुगर वाले फूड लें, जिसमें किशमिश, खजूर और अनार आदि ले सकते हैं। सब्जियां और साबुत अनाज अपने डायट में शामिल करें।
- दिन में शॉर्ट मिल लें, यानि कि आपनी डायट में लेने वाले फूड को हर तीन घंटे में विभाजित कर लें। यानि कि हर तीन घंटे में थोड़ा-थोड़ा कुछ खाते रहें। लेकिन आप जाे भी डायट में ले रहें हैं, वो एक बार डॉक्टर से सलाह कर लें।
- अपनी दैनिक कैलोरी में 40% कार्ब्स से और 20% प्रोटीन भी जरूर शामिल करें। 50 प्रतिशत कार्ब्स के साथ हाय फाइबर वाले कार्ब्स होने चाहिए, जिसमें वसा 25% से 30% के बीच होना चाहिए।
- एक दिन में 20-35 ग्राम फाइबर की मात्रा अपने डायट में जरूर शामिल करने की कोशिश करें।
- अपनी कुल वसा को अपने दैनिक कैलोरी के 40% से कम तक सीमित करें। सैच्युरेटेड फैट आपके द्वारा खाए जाने वाले सभी फैट के 10% से कम होना चाहिए। इसके बारे में भी एक बार आप डॉक्टर से समझ लें।
- यह सुनिश्चित करने के लिए कि आपके डायट में सभी पर्याप्त विटामिन और खनिज शामिल हो, इसके लिए विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ खाएं।
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