टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes), डायबिटीज का सबसे कॉमन रूप है। टाइप 2 डायबिटीज यानी आपका शरीर इंसुलिन का ठीक से उपयोग नहीं कर रहा है। मिडिल एज्ड या उससे अधिक उम्र के लोगों को इस प्रकार का मधुमेह होने की सबसे अधिक संभावना होती है, लेकिन टाइप 2 डायबिटीज बच्चों और टीन्स को भी प्रभावित करती है। अनकंट्रोल्ड टाइप 2 डायबिटीज लंबे समय तक हाय ब्लड ग्लूकोज (High Blood glucose) लेवल को जन्म दे सकती है, जो कई गंभीर लक्षण डेवलप कर सकता है और संभावित रूप से गंभीर कॉम्प्लिकेशन्स का कारण बन सकता है। अच्छी बात यह है कि टाइप 2 डायबिटीज मैनेजमेंट (Type 2 diabetes management) के जरिए इसे कंट्रोल किया जा सकता है। इसलिए, कुछ लोग हेल्दी डायट और एक्सरसाइज के साथ अपने ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित कर सकते हैं। जानें कि टाइप 2 डायबिटीज मैनेजमेंट (Type 2 diabetes Management) कैसे किया जाता है?
टाइप 2 डायबिटीज मैनेजमेंट (Type 2 diabetes Management)
टाइप 2 डायबिटीज मैनेजमेंट (Type 2 diabetes Management) में शामिल हैं:
- पौष्टिक भोजन
- नियमित एक्सरसाइज
- वजन कम करना
- डायबिटीज की दवा या इंसुलिन थेरेपी
- ब्लड शुगर मॉनिटर करना
ये कुछ आसान से स्टेप्स आपके ब्लड शुगर लेवल को सामान्य रखने में मदद करेंगे, जिससे कॉम्प्लिकेशन्स से बचा जा सकता है।
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1.टाइप 2 डायबिटीज मैनेजमेंट के लिए हेल्दी ईटिंग (Healthy Eating for Type 2 Diabetes Management)
टाइप 2 डायबिटीज का निदान होने पर सबसे पहले मन में यही सवाल आता है कि “मैं क्या खा सकता/सकती हूं?” आपको बता दें कि टाइप 2 डायबिटीज मैनेजमेंट (Type 2 diabetes Management) के लिए कोई स्पेशल डायबिटीज डायट नहीं है। इसलिए, बेहतर तरीके से ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के लिए डायट के लिए डायटीशियन या नूट्रिशनिस्ट से परामर्श लें।
खाने से ज्यादा जरूरी है पोर्शन साइज पर ध्यान देना। इसके लिए डायबिटीज प्लेट मेथड इसे सुनिश्चित करने का एक सरल तरीका है। इसमें पर्याप्त नॉन-स्टार्ची वेजिटेबल्स (Non-starchy vegetables) और लीन प्रोटीन (Lean protein) महत्वपूर्ण होता है, जबकि हाय-कार्ब फूड्स (High carbs foods) की मात्रा को लिमिटेड किया जाता है। इस मेथड में, प्लेट के ½ हिस्से में फल और सब्जियां होनी चाहिए, 1/4 जगह ब्राउन राइस, ओट्स/ओटमील जैसे साबुत अनाज के लिए होनी चाहिए, और 1/4 प्लेट का हिस्सा लीन प्रोटीन से भरा होना चाहिए, जैसे टोफू, अंडे, स्किनलेस चिकन या बीन्स।
2.टाइप 2 डायबिटीज मैनेजमेंट के लिए फिजिकल एक्टिविटी (Physical activity for type 2 diabetes management)
वजन कम करना या हेल्दी वेट बनाए रखने के लिए एक्सरसाइज जरूरी है। यह ब्लड शुगर के लेवल को रेगुलेट करने में भी मदद करता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कौन-सी एक्टिविटीज आपके लिए सेफ हैं, अपना एक्सरसाइज प्रोग्राम शुरू करने या बदलने से पहले अपने हेल्थ केयर प्रोवाइडर से बात करें। डायबिटीज में निम्न दो तरह की एक्सरसाइज फायदेमंद होती हैं।
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एरोबिक एक्सरसाइज (Aerobic Exercise)
एक एरोबिक एक्सरसाइज चुनें जिसे आप पसंद करते हैं, जैसे चलना, तैरना, बाइकिंग या रनिंग। वयस्कों को प्रतिदिन 30 मिनट या उससे अधिक मॉडरेट एरोबिक एक्सरसाइज या सप्ताह में कम से कम 150 मिनट का टारगेट रखना चाहिए। बच्चों को प्रतिदिन 60 मिनट का मॉडरेट से हाई इंटेंसिटी एरोबिक एक्सरसाइज (High intensity aerobic exercise) करनी चाहिए।
रेजिस्टेंट एक्सरसाइज (Resistance Exercise)
रेजिस्टेंस एक्सरसाइज स्ट्रेंथ, बैलेंस और दैनिक जीवन की गतिविधियों को अधिक आसानी से करने की क्षमता को बढ़ाती हैं। रेजिस्टेंस ट्रेनिंग में वेटलिफ्टिंग (Weightlifting), योग और कैलिस्थेनिक्स (Calisthenics) शामिल हैं।
टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित एडल्ट्स को प्रत्येक सप्ताह रेसिस्टेन्स एक्सरसाइज के दो से तीन सेशंस का टारगेट रखना चाहिए। बच्चों को ऐसी गतिविधियों में शामिल होना चाहिए जो सप्ताह में कम से कम तीन दिन स्ट्रेंथ और फ्लैग्जिबिलिटी को बिल्ड करें।
ध्यान रखें: इनएक्टिविटी को सीमित करें। जैसे कि कंप्यूटर पर लंबे समय तक बैठना, ब्लड शुगर लेवल को असंतुलित कर सकता है। इसलिए, हर 30 मिनट में कुछ मिनट खड़े रहने, टहलने या कुछ लाइट एक्टिविटी करने के लिए ट्राय करें।
3.टाइप 2 डायबिटीज मैनेजमेंट (Type 2 diabetes management) के अंतर्गत में वजन को कम करना है बेहद जरूरी
वजन घटाने से ब्लड शुगर लेवल, कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स (Triglycerides) और ब्लड प्रेशर पर कंट्रोल अच्छा होता है। यदि आप ओवरवेट हैं, तो आप अपने शरीर के वजन का 5% कम करने के बाद इन फैक्टर्स में इम्प्रूवमेंट देखना शुरू कर सकते हैं। हालांकि, आप जितना ज्यादा वजन कम करने में सक्षम होंगे, आपकी हेल्थ और डिजीज मैनेजमेंट में उतना ज्यादा लाभ होगा।
अपने डायटीशियन से वजन घटाने के बारे में बात करें। वह आपको हेल्दी तरीके से वेट कम करने के उपाय के बारे में सजेस्ट करेगा।
4.दवाएं (Medications)
अधिकांश लोगों को टाइप 2 डायबिटीज मैनेजमेंट (Type 2 diabetes) के लिए दवा की आवश्यकता होती है। हेल्थ प्रॉब्लम्स से बचने के लिए दवा ब्लड शुगर लेवल को सामान्य रखने में मदद करती है। हालांकि, इन दवाओं का सेवन आपको पूरी लाइफ करना पड़ सकता है। डायबिटीज की बीमारी समय के साथ और बिगड़ सकती, इसलिए आपकी दवा या डोज को बदलने की आवश्यकता हो सकती है। इसलिए, समय-समय पर डॉक्टर विजिट करें और उन्हें अपनी मौजूदा स्थिति के बारे में जानकारी दें ताकि डॉक्टर आपकी डोज या दवा को बदल सके। साथ ही प्रिस्क्राइब की गई दवाओं के सेवन डॉक्टर द्वारा निर्देशित समय पर ही लें।
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5.टाइप 2 डायबिटीज मैनेजमेंट में इंसुलिन थेरिपी (Insulin therapy in type 2 diabetes management)
टाइप 2 मधुमेह वाले कुछ लोगों को इंसुलिन थेरिपी (Insulin therapy) की जरूरत होती है। पहले इंसुलिन थेरिपी का उपयोग लास्ट टाइम पर किया जाता था, लेकिन आज इसे जल्द ही प्रिस्क्राइब किया जा सकता है। यदि लाइफस्टाइल में बदलाव और अन्य दवाओं के साथ भी ब्लड शुगर लेवल का टारगेट कंप्लीट नहीं होता है तो डॉक्टर्स इस थेरिपी को प्रिस्क्राइब कर देते हैं।
कई प्रकार के इंसुलिन होते हैं। ये इस हिसाब से डिजाइन किए जाते हैं कि वे कितनी जल्दी काम करते हैं और उनका प्रभाव कितने समय तक रहता है। जैसे लॉन्ग-लास्टिंग इन्सुलिन (Long-lasting insulin) को ब्लड शुगर लेवल को रात भर या पूरे दिन स्थिर रखने के लिए डिजाइन किया गया है। शॉर्ट-एक्टिंग इंसुलिन (Short-acting insulin) का उपयोग मील टाइम पर किया जा सकता है।
डॉक्टर यह निर्धारित करेंगे कि आपके लिए किस प्रकार का इंसुलिन उपयुक्त है और आपको इसे कब लेना चाहिए। आपका ब्लड शुगर लेवल कितना स्टेबल है, इसके आधार पर इंसुलिन का प्रकार, डोज और शेड्यूल बदल सकता है। ज्यादातर इंसुलिन इंजेक्शन से लिए जाते हैं।
इंसुलिन के साइड इफेक्ट्स में लो ब्लड शुगर (हाइपोग्लाइसीमिया) (Hypoglycemia), डायबिटीज केटोएसिडोसिस (Diabetic ketoacidosis) और हाय ट्राइग्लिसराइड्स (High triglycerides) का रिस्क शामिल है।
6.अपने ब्लड शुगर लेवल (Blood sugar level) को करें मॉनिटर
टाइप 2 डायबिटीज मैनेजमेंट (Type 2 diabetes Management) के अंतर्गत डॉक्टर्स आपको सलाह देंगे कि आप अपने ब्लड शुगर लेवल की कितनी बार जांच करें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आप अपने टारगेट रेंज को मेंटेन कर सकें। उदाहरण के लिए, आपको इसे दिन में एक बार और एक्सरसाइज से पहले या बाद में चेक करना पड़ सकता है। यदि आप इंसुलिन लेते हैं, तो आपको इसे दिन में कई बार चेक करने की आवश्यकता हो सकती है। घर पर ही आप ब्लड ग्लूकोज मीटर (Blood glucose meter) से ब्लड की एक ड्राप से शुगर लेवल चेक कर सकते हैं।
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7.टाइप 2 डायबिटीज मैनेजमेंट (Type 2 diabetes Management) के लिए सपोर्ट
टाइप 2 डायबिटीज एक गंभीर बीमारी है, और डायबिटीज मैनेजमेंट में डायट प्लान को फॉलो करने के लिए चौबीसों घंटे का कमिटमेंट जरूरी है। इसलिए, बेहतर टाइप 2 डायबिटीज मैनेजमेंट (Type 2 diabetes) के लिए आपको एक अच्छे सपोर्ट नेटवर्क की आवश्यकता हो सकती है। सपोर्ट ग्रुप, डायबिटीज एजुकेशन, इमोशनल सपोर्ट और हेल्पफुल इन्फॉर्मेशन के अच्छे सोर्स हो सकते हैं।
डायबिटीज से पीड़ित लोगों में एंजायटी और डिप्रेशन आम है। एक काउंसलर या थेरेपिस्ट से बात करने से आपको लाइफस्टाइल में बदलाव या टाइप 2 मधुमेह के निदान के साथ आने वाले स्ट्रेस से निपटने में मदद मिल सकती है।
टाइप 2 डायबिटीज एक सामान्य स्थिति है जो अक्सर कुछ अनहेल्दी इफस्टाइल चॉइसेस की वजह से ट्रिगर होती है। हालांकि, हेरिडिटी, ऐज और जेनेटिक्स भी इसके लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। अच्छी बात यह है कि टाइप 2 डायबिटीज को मैनेज किया जा सकता है। कुछ जीवनशैली में बदलाव के साथ टाइप 2 डायबिटीज मैनेजमेंट (Type-2 diabetes management) आसान है। अधिक गंभीर मामलों के लिए, दवा भी अवेलेबल है। यदि आपको टाइप 2 मधुमेह है, तो अपनी लाइफस्टाइल के लिए काम करने वाले ट्रीटमेंट प्लान के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें। टाइप 2 डायबिटीज मैनेजमेंट के बारे में अधिक जानने के लिए एक्सपर्ट की सलाह लें।
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