मोटापा और डाययबिटीज, आज के समय में लोगों में सबसे अधिक देखी जाने वाली समस्याओं में से एक है। यह दोनों ही एक लाइफस्टाइल डिजीज है और इन दोनों में बहुत गहरा संबंध है। यानि कि कई लोगों में टाइप 2 डायबिटीज होने का कारण ही मोटापा है। इस आर्टिकल में आप यहां जानेंगे वेटलॉस एंड प्रिवेंशन ऑफ टी2डीएम (Weight loss and prevention of T2DM) के बारे में, यानि कि वजन घटाने और T2DM की रोकथाम के लिए क्या करें। बढ़ते माटापा केवल डायबिटीज को ही नहीं जन्म देता है, बल्कि और भी कई बीमारियों का कारण बन सकता है। इससे बचाव के लिए एक अच्छे लाइफस्टाइल का होना बहुत जरूरी है तो इस समस्या के बचने के लिए जानते हैं कि वेटलॉस एंड प्रिवेंशन ऑफ टी2डीएम (Weight loss and prevention of T2DM) के बारे में।
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वेटलॉस एंड प्रिवेंशन ऑफ टी2डीएम (Weight loss and prevention of T2DM) क्या है?
वेटलॉस एंड प्रिवेंशन ऑफ टी2डीएम (Weight loss and prevention of T2DM) यानि कि वेट कंट्रोल से टाइप 2 डायबिटीज को कैसे रोका जा सकता है। जिन लोगों में टाइप 2 डायबिटीज के उच्च जोखिम हैं, उनमें स्वस्थ आहार, शारीरिक गतिविधि और वेट मैनेजमेंट से मधुमेह की शुरुआत को रोका जा सकता है। जिनमें शुरुआती लक्षण, उनमें कंट्रोल किया जा सकता है। डायबिटीज से बचाव में शारीरिक गतिविधि और अच्छी डायट को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। डायबिटीज के लक्षणों वाले मरीजों को कम कैलोरी, कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन की सलाह दी जाती है। मोटापा और डायबिटीज का बहुत गहरा संबंध है। यदि समय रहते वेट मैनेजमेंट पर ध्यान न दिया जाए, तो डायबिटीज का रिस्क बहुत ज्यादा होता है। फिर डायबिटीज भी अपने साथ कई बीमारियों को लेकर आता है, जिनमें सबसे ज्यादा हार्ट प्रॉब्लम देखी जाती है।
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वेटलॉस एंड प्रिवेंशन ऑफ टी2डीएम : वेट लॉस और टाइप 2 डायबिटीज में संबंध
टाइप 2 मधुमेह वाले मरीजों में मोटापा एक बड़ा कारण देखा गया है। जो लोग ओबेसिटी के शिकार होते हैं, उनमें मोटापे का रिस्क सबसे ज्यादा होता है। एक यूरोपीय जनसंख्या-आधारित अध्ययन में यह पाया गया है कि टाइप 2 मधुमेह के निदान के बाद पहले वर्ष में 10% का वजन घटाना्, अगले पांच वर्षों में छूट की संभावना के दोगुने से जुड़ा था। मधुमेह की अवधि बढ़ने पर छूट की संभावना बहुत कम हो जाती है, लेकिन कोशिश करने में कभी देर नहीं होती। 6 कम ऊर्जा, कम जीआई और संशोधित मैक्रोन्यूट्रिएंट आहार दृष्टिकोण, जैसे कम कार्बोहाइड्रेट, कम वसा और उच्च प्रोटीन आहार, वजन घटाने और टाइप 2 मधुमेह की छूट प्राप्त करने में प्रभावी रहे हैं, हालांकि, कोई निर्णायक सबूत नहीं है कि एक दृष्टिकोण दूसरे की तुलना में अधिक प्रभावी है।
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जानें इस पर एक्स्पर्ट की राय
वेटलॉस एंड प्रिवेंशन ऑफ टी2डीएम (Weight loss and prevention of T2DM) यानि कि वेट कंट्रोल से टाइप 2 डायबिटीज को कैसे रोका जा सकता है। यह जानें एनएफएक्स के फिटनेस जोन के फिटनेस एक्सपर्ट आदित्य सिंह का कहना है कि जिन लोगों में मोटापा अधिक होता है, उनमें टाइप 2 डायबिटीज का रिस्क सबसे ज्यादा होता है। अगर आपको डायबिटीज से बचना है, तो वेट लॉस पर बहुत ध्यान देना होगा। वैसे भी 30 की उम्र के बाद लोगों का मेटाबॉल्जिम बहुत धीमा हो जाता है, तो में वेट लॉस होना थोड़ा मुश्किल हो जाता है, इसलिए 30 की उम्र के बाद अपनी लाइफस्टाइल में इन बातों का ध्यान रखना आवश्यक है, जिनमें शामिल हैं:
प्रोटीन (Proteins) को बनाएं आहार का हिस्सा
उम्र बढ़ने के साथ हमारे शरीर को कुछ खास तत्वों की जरूरत होती है, जिसमें प्रोटीन (Proteins) एक है। प्रोटीन का इनटेक आपके वजन को नियंत्रित कर सकता है। इसके साथ ही, प्रोटीन युक्त नाश्ता करने से आपको दिनभर भूख कम लगेगी। यही कारण है कि विशेषज्ञ वजन को नियंत्रित करने के लिए प्रोटीन युक्त नाश्ता करने की सलाह देते हैं। दिन का पहला मील प्रोटीन युक्त लेंगी तो, दिनभर खुद ही भूख कम महसूस करेंगी। तो सोच क्या रही हैं आज से प्रोटीन को अपने आहार का हिस्सा बनाएं। प्रोटीन युक्त नाश्ते के लिए दलिया, स्प्राउट्स (Sprouts), अंडे (Egg), पनीर भुर्जी, ओट्स (Oats), बेसन का चीला आदि का सेवन कर सकती हैं।
बैलेंस डायट(Balance diet) है जरूरी
30 की उम्र के बाद वेट लाॅस करने के प्रयास में जुटी कुछ महिलाएं फैट और कार्ब्स से डायट को बाहर कर देती हैं। हां, वजन को कम करने के लिए इनका इनटेक अच्छा नहीं होता है, लेकिन इसका पूरी तरह से डायट से बहिष्कार करना बेहतर विकल्प नहीं है। हमारे शरीर को कार्य करने के लिए गुड फैट और कॉम्प्लेक्स कार्ब्स (Carbs) की भी जरूरत होती है। इसलिए अपनी डायट को बैलेंस (Balance Diet) बनाएं। केवल प्रोटीन को लेने से सारी परेशानी का हल नहीं निकलेगा। इससे शरीर में दूसरे पोषक तत्वों की कमी हो सकती है।
फिजिकल एक्टिविटी (Physical activity)
जब बात वजन कम (Weight loss) करने की होती है, तो सबसे पहले महिलाओं के दिमाग में आता है कि उन्हें जिम (Gym), जुंबा (Zumba) या योग (Yoga) आदि करना होगा। ये सब एक्सरसाइज करना स्वास्थ्य के लिए अच्छा है, लेकिन हर महिला के लिए जिम जाने के लिए समय निकालना मुनासिब नहीं होता है। वहीं ऐसा बिल्कुल नहीं है कि आप किसी भारी भरकम वर्कआउट (Workout) को जॉइन करें वजन को कम नहीं कर सकती हैं। वजन को कम करने के लिए आप दिनभर खुद को एक्टिव रखें। रोजाना वॉक पर जाएं। इसकी शुरुआत आप दिन में 2500 स्टेप्स से शुरू कर सकते हैं। धीरे-धीरे इसे बढ़ाने का प्रयास करें। इसके अलावा घर में सीढ़ियां है तो सीढ़ियों को अपनी फिजिकल एक्टिविटी का हिस्सा बनाएं। प्रतिदिन 10 हजार स्टेप्स को टारगेट (10,000 Steps Target) बनाने व पूरा करने की कोशिश करें। एक्सरसाइज 30 की उम्र के बाद वेट लाॅस करने में काफी मददगार है।
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नींद का रखें खास ख्याल (Sleep)
30 की उम्र में आने के बाद बहुत सारी महिलाएं घर के कामकाज से लेकर सोशल लाइफ (Social Life) में इतनी व्यस्त हो जाती हैं, जिसका असर उनकी नींद के समय और नींद की गुणवत्ता पर पड़ने लगता है। महिलाएं साउंड स्लीप (गहरी नींद [ Sound Sleep)) नहीं ले पाती हैं व नींद की कमी से गुजरती हैं। इसके कारण उनमें भूख हाॅर्मोन (Hormone) बढ़ने लगता है, जिससे उनका कैलोरी इनटेक (Calories Intake) बढ़ जाता है। ऐसे में महिलाओं के लिए वजन कम करना और भी ज्यादा मुश्किल हो जाता है। इसलिए वजन को नियंत्रित व ओवरऑल हेल्थ के लिए प्रतिदिन 8 घंटे की नींद जरूर लें।
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वेटलॉस एंड प्रिवेंशन ऑफ टी2डीएम (Weight loss and prevention of T2DM) के बारे में आपने जाना यहां। यदि आपको डायबिटीज से बचना है, तो अपने वजन के अनुसार वेट मैनेजमेंट पर बहुत अधिक ध्यान देना होगा। नहीं तो बढ़ता वजन आपमें और भी कई बीमारियों को जन्म दे सकता है। इससे बचाव के लिए एक अच्छी लाइफस्टाइल का होना बहुत जरूरी है। वेटलॉस एंड प्रिवेंशन ऑफ टी2डीएम के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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