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'लेसिक सर्जरी का प्रभाव केवल कुछ सालों तक रहता है', क्या आप भी मानते हैं इस मिथ को सच?

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील · फार्मेसी · Hello Swasthya


Shikha Patel द्वारा लिखित · अपडेटेड 03/12/2020

    'लेसिक सर्जरी का प्रभाव केवल कुछ सालों तक रहता है', क्या आप भी मानते हैं इस मिथ को सच?

    आपको बता दें कि 1989 में लेसिक आय सर्जरी की शुरूआत के बाद से दुनिया भर में लाखों लोगों की लेजर आय सर्जरी हुई है। आज यह स्वीकार किया जाता है कि दुनिया भर में 90% रोगियों में लेसिक आय सर्जरी के बाद से एक बेहतर विजन है। नतीजन, 98% लोग बिना ग्लासेस और कॉन्टैक्ट लेंस (contact lenses) के गाड़ी चलाने में सक्षम हैं। जहां एक तरफ लेसिक आय ट्रीटमेंट (laser eye treatment) का चलन जोर पकड़ रहा है, वहीं इससे जुड़े मिथक भी फैल रहे हैं। देखा जाए तो पिछले 20 वर्षों में लेसिक आय सर्जरी से जुड़े कई तरह के मिथ सामने आए हैं। अंतर्राष्ट्रीय दृष्टि दिवस (8 अक्टूबर) पर इनमें से अधिक प्रचलित मिथकों के बारे में इस लेख में बताया जा रहा है। लेसिक आय सर्जरी के इन मिथकों से जुड़े फैक्ट्स भी ‘हैलो स्वास्थ्य’ के इस आर्टिकल में बताए जा रहे हैं।

    लेसिक आय सर्जरी से संबंधित 11 मिथ और फैक्ट्स

    मिथ: लेसिक एक नई सर्जरी है।

    फैक्ट: यह आय सर्जरी आमतौर पर 25 से अधिक वर्षों से की जा रही है। इसका सक्सेस रेट भी काफी ज्यादा है। दीर्घकालिक अध्ययनों से सकारात्मक परिणाम मिले हैं, जिससे आज यह सबसे पॉपुलर रेफ्रेक्टिव सर्जरी बनी है। तकनीक में भी जैसे-जैसे सुधार होता गया, वैसे-वैसे इसकी जटिलाएं भी बहुत कम हो गई हैं। इस बारें में अपोलो स्पेक्ट्रा अस्पताल, पुणे के सलाहकार नेत्र रोग विशेषज्ञ (Consultant Ophthalmologist) डॉ. हेमंत टोडकर कहते हैं, ‘ लेसिक प्रोसेस के बाद दृष्टि की गुणवत्ता बेहतर हो जाती है। ये मिथ है कि लेसिक के बाद विजन खराब हो जाता है। 18 से 35 साल और 45 वर्ष की आयु तक लेसिक की सहायता से डिस्टेंस विजन की समस्या को ठीक किया जा सकता है। लेसिक के बाद एज रिलेटेड प्रेस्बायोपिया (presbyopi) हमेशा के लिए ठीक हो जाता है। 40 साल की उम्र में दूर दृष्टि दोष और निकट दृष्टि दोष, दोनों के लिए ही लेसिक किया जाता है। अभी भी लेसिक टेक्नोलॉजी विकसित हो रही है। लेसिक कॉर्निया में किया जाता है जबकि मिथ है कि लेसिक में लेंस इम्प्लांटेशन किया जाता है। ये सच है कि लेसिक के कुछ सालों के बाद तक चश्मे का नंबर नहीं बढ़ता है। मिथ ये है कि लेसिक के बाद भी तेजी से चश्मे का नंबर बढ़ता है।

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    मिथ: लेसिक आय सर्जरी हर कोई करा सकता है।

    फैक्ट: कुछ मरीज लेजर सर्जरी के लिए एलिजिबल नहीं होते हैं। जैसे- लेसिक आय सर्जरी पतले या अनियमित कॉर्निया, नेत्र रोगों या आय वायरस के रोगियों के लिए एक अच्छा विकल्प नहीं है। इसके साथ ही कुछ स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे-अनियंत्रित मधुमेह या ऑटोइम्यून बीमारी आदि भी लेजर आय सर्जरी के लिए आपको अनुपयुक्त बना सकती है। एक्सपर्ट्स की माने तो केवल 10 फीसदी लोग ही लेसिक आय सर्जरी के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं।आप चाहें तो इस बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से बात कर सकते है।

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    मिथ: लेजर आय सर्जरी दर्दनाक होती है।

    फैक्ट: लेजर आई सर्जरी दर्द रहित है। प्रक्रिया के दौरान आंख को सुन्न करने के लिए एनेस्थेटिक ड्रॉप्स का उपयोग किया जाता है। प्रक्रिया के बाद, रोगी सिर्फ कुछ घंटों के लिए आंखों में सेंसेशन जैसी असुविधा होती है। हालांकि, बहुत कम ही लोग हैं जो इस डिस्कंफर्ट का अनुभव करते हैं। बहुत से केसेस में आई इर्रिटेशन को दूर करने के लिए डॉक्टर्स बस एस्पिरिन या इबुप्रोफेन लेने की सलाह देते हैं।

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    मिथ: लेसिक ट्रीटमेंट बुजुर्ग लोगों के लिए नहीं है।

    फैक्ट: लेसिक ट्रीटमेंट के लिए आपकी उम्र कम से कम 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। लेसिक सर्जरी के लिए कोई अपर एज रिस्ट्रिक्शन नहीं है। बस इसके लिए एक ही शर्त है कि आंखों की हेल्थ ठीक होनी चाहिए। 40, 50 और 60 की उम्र के जिन लोगों की स्वस्थ आंखें हैं, वे लेजर के लिए उपयुक्त हैं।

    जैसे-जैसे आप बूढ़े होते हैं, आपकी आंखें कई हेल्थ कंडीशंस के लिए जोखिम में होती हैं, जो आपको लेजर ट्रीटमेंट से रोक सकती हैं। मैक्यूलर डिजनरेशन, मोतियाबिंद और ग्लूकोमा तीन ऐसी ही उम्र से संबंधित स्वास्थ्य स्थितियां हैं।

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    मिथ: लेसिक सर्जरी आपको अंधा कर सकती है।

    फैक्ट: लेजर सर्जरी के परिणामस्वरूप रोगी के अंधे होने का एक भी मामला दर्ज नहीं है। वास्तविकता यह है कि लेसिक कॉर्निया को फिर से आकार देने के लिए आंख की सतह परत का इलाज करता है। इससे होने वाली जटिलताएं बहुत ही दुर्लभ हैं। प्री-ऑपरेटिव कंसलटेशन और एग्जामिनेशन के दौरान, नेत्र चिकित्सक रोगी के साथ सभी संभावित जोखिमों की समीक्षा करते हैं। साथ ही यह भी निर्धारित करते हैं कि मरीज लेजर ट्रीटमेंट के लिए उचित है या नहीं।

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    मिथ: लेजर से आंखें जल सकती हैं।

    फैक्ट: सभी लेजर आय सर्जरी में ‘कोल्ड लेजर्स’ का उपयोग किया जाता है जो आंख की सतह को जलाती नहीं हैं।

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    मिथ: लेसिक सर्जरी का प्रभाव केवल कुछ वर्षों तक रहता है।

    फैक्ट: लेसिक उपचारों का अधिकांश हिस्सा परमानेंट रेफ्रेक्टिव करेक्शन प्रदान करता है। बहुत ही दुर्लभ मामलों में, निकट दृष्टि दोष एस्टिगमैटिज्म (धुंधला दिखना या नजर तिरछी होना) लेसिक ट्रीटमेंट के बाद वापस आ सकते हैं। कई एक्सपर्ट्स रेग्रेशन की संभावना को खत्म करने के लिए बिना किसी चार्ज के एन्हांसमेंट सर्जरी भी करते हैं। बढ़ती उम्र के कई मरीजों में लेसिक के बाद रेफ्रेक्टिव करेक्शन लंबे समय तक चलने वाले परिणाम प्रदान करता है।

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    मिथ: लेसिक आय सर्जरी से उबरने में एक लंबा समय लगता है।

    फैक्ट: आपको 30 मिनट की प्रक्रिया पूरी होने के तुरंत बाद दृष्टि में सुधार नजर आने लगेगा। 24 घंटों के भीतर लेसिक रिकवरी हो जाती है।

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    मिथ: लेसिक सर्जरी वाले व्यक्ति कॉन्टैक्ट लेंस नहीं पहन सकते हैं।

    फैक्ट: अधिकांश रोगियों को लेसिक के बाद कॉन्टैक्ट लेंस के उपयोग की आवश्यकता नहीं होती है। जो पेशेंट्स सर्जरी से पहले कॉन्टैक्ट लेंस पहनते थे, वे आमतौर बाद में भी इसे वियर करने में सक्षम होंगे, विशेष रूप से सॉफ्ट कॉन्टैक्ट लेंस। लेकिन जो लोग कॉन्टैक्ट लेंस पहनने की शुरुआत करना चाहते हैं, उनको लंबे समय तक लेंस पहनने की आदत डालने में कुछ समय लग सकता है।

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    मिथ: लेसिक केवल नियर साइटेडनेस (मायोपिया) रोगियों के लिए है।

    फैक्ट: पहली बार लेसिक को निकट दृष्टि दोष के उपचार के रूप में फंक्शन किया था। लेकिन एडवांस्ड टेक्नोलॉजी की वजह से लेसिक आय सर्जरी से अब फारसाइटेडनेस (हाइपरमायोपिया) के अलावा और भी कई रेफ्रेक्टिव एरर्स को ठीक किया जा सकता है।

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    मिथ: लेसिक आय सर्जरी काफी महंगी होती है।

    फैक्ट: आज भी बहुत से लोग मानते हैं कि लेसिक आय सर्जरी करना बहुत खर्चीला काम है, जो एक मिथ है। यह आय सर्जरी आपके बजट में है। आपको बता दें कि भारत में लेसिक आय सर्जरी की कीमत कम से कम लगभग पांच हजार रूपए है। लेसिक सर्जरी के प्राइज हॉस्पिटल, राज्य और इंस्ट्रूमेंट्स के हिसाब से अलग-अलग होते हैं। इसलिए लेसिक ऑपरेशन की कीमत जानने के लिए आय सर्जन से संपर्क करना सबसे सही रहेगा।

    लेसिक आय सर्जरी परमानेंट है। इससे तमाम तरह के रेफ्रेक्टिव एरर्स को ठीक किया जा सकता है जिसका असर लाइफटाइम रहता है। हालांकि, आंखों का आकार बदलने की वजह से कभी-कभी कुछ लोगों में विजन-प्रॉब्लम आ सकती है। इसे एडजस्टमेंट ट्रीटमेंट के जरिए बाद में ठीक किया जा सकता है। लेसिक आय सर्जरी कराने से पहले अपने डॉक्टर से मिलें और इससे संबंधित हर जानकारी को डॉक्टर से समझें। उम्मीद करते हैं कि यह आर्टिकल आपके लेसिक सर्जरी से जुड़े मिथ को दूर करने में कामयाब होगा। यह लेख आपको कैसा लगा? हमें स्माइलीज के जरिए फीडबैक जरूर दें।

    डिस्क्लेमर

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