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क्या है वायु मुद्रा, इसे करने का सही तरीका और फायदे के बारे में जानें

क्या है वायु मुद्रा, इसे करने का सही तरीका और फायदे के बारे में जानें

वायु मुद्रा वात दोष को बैलेंस करने की मुद्रा को कहा जाता है। वायु एक संस्कृत शब्द है। इसका अर्थ हवा होता है। वायु मुद्रा (Vayu Mudra) हाथों से जुड़ी मुद्रा है, जो शरीर के अंदर वायु के सही प्रवाह को संचालित करने में मदद करता है। वायु मुद्रा को करने से शरीर में अत्यधिक व शरीर को नुकसान पहुंचाने वाली हवा निकल जाती है। खासतौर पर हमारे इंटेस्टाइन में मौजूद अतिरिक्त हवा और शरीर के लिए हानिकारक हवा वायु मुद्रा को करने से समाप्त होती है। यदि वायु दोष को शरीर से ठीक न किया जाए सांस लेने में तकलीफ हो सकती है। यदि इसे ठीक न किया जाए तो ब्रिदिंग रेट भी प्रभावित हो सकता है। वायु मुद्रा (Vayu Mudra) आयुर्वेद के वात दोष से जुड़ा होता है। यही कारण है कि शरीर में बिगड़े हुए वात के साथ जिनके शरीर में अत्यधिक वायु होता है उसमें सुधार किया जाता है।

वायु मुद्रा यौगिक हाथ से जुड़ी मुद्रा होती है। आयुर्वेद में हमारे अंगूठे को अग्नि की संज्ञा दी गई है। वहीं तर्जनी उंगली व इंडेक्स फिंगर का संबंध वायु से है। इन दोनों को मिलाकर जो क्रिया की जाती है उसे को वायु मुद्रा कहते हैं।

वायु मुद्रा (Vayu Mudra) करने का सही तरीका जानें

वायु मुद्रा को किसी भी स्थिति में कर सकते हैं। बैठकर, खड़े होकर, लेटकर,प्राणायाम करते हुए या फिर चलते हुए भी इस मुद्रा को कर सकते हैं। इसे करने के लिए तर्जनी उंगली (Index finger) को अंगूठे के नीचे अच्छे से प्रेस करें। वहीं बाकी की उंगलियों को सीधे रखें। इसे करीब दस से लेकर 15 मिनटों तक करें। वहीं दो से तीन बार इसे दोहराएं। कोशिश यही रहनी चाहिए कि दिनभर में करीब इसे 45 मिनटों तक करें। वहीं लोग जिनको कब्जियत सहित पेट से जुड़ी कोई परेशानी नहीं है वैसे लोगों को यह योग नहीं करना चाहिए। वहीं यदि आपको लक्षण न दिखाई दे तो इस मुद्रा को नहीं करनी चाहिए। वहीं शरीर में वायु दोष के इम्बैलेंस को ठीक करने के लिए सामान्य व्यक्ति को इसे कम से कम पांच से दस मिनटों तक के लिए करनी चाहिए।

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वायु मुद्रा के फायदों पर एक नजर (Benefits of Vayu Mudra)

वायु मुद्रा को करने से शरीर में बढ़ा हुआ वात दोष ठीक होता है। वात दोष बढ़ने से शरीर में विभिन्न प्रकार की समस्याएं हो सकती है। जैसे तनाव, कंफ्यूजन, गुस्सा, ड्रायनेस, गैस, सूजन, कब्जियत, इरीटेबल बावेल सिंड्रोम (Irritable bowel syndrome,), सिर चकराना, हाथ व पांव का ठंडा पड़ना, ज्वाइंट का टूटना व फटना, आंख व बालों का सूखापन, स्किन का रूखापन, भूख में परिवर्तन महसूस होता है। यदि इस योगासन को किया जाए तो या यूं कहें नियमित तौर पर वायु मुद्रा को किया जाए तो इस प्रकार की परेशानी से निजात पाया जा सकता है।

एक नजर इसके फायदों पर

  • माना जाता है कि वायु मुद्रा को करने से शरीर में करीब 150 प्रकार के वायु से संबंधित दोष खत्म होते हैं।
  • पेट में मौजूद अत्यधिक गैस को कम करने से साथ पेट में सूजन और कब्जियत की समस्या को खत्म करता है। इसलिए अगर आपको गैस, बेचैनी या उल्टी की समस्या होती है, तो वायु मुद्रा नियमपूर्वक करें।
  • जोड़ों और घुटनों के दर्द को कम करने के लिए वायु मुद्रा सबसे अच्छी मुद्रा है
  • वैसे लोग जो वात दोष से पीड़ित हैं या जिनको रियूमेटिज्म (Rheumatism), साइटिका (Sciatica), अर्थराइटिस और गाउट की बीमारी से ग्रसित हैं उन्हें काफी राहत मिलती है।
  • इसे करने से उन लोगों को राहत मिलती है जो छोटी छोटी बातों से चिंतित हो जाते हैं व छोटी घटनाओं से ही घबरा जाते हैं
  • वायु मुद्रा को करने से जिनका सिर चकराता है और नींद नहीं आती है उनका मेंटल स्ट्रेस कम होता है
  • वात दोष के कारण पीठ दर्द को ठीक करने में वायु मुद्रा काफी मददगार होता है। वैसी लोग जिनमें सैनोवियल फ्लूड (synovial fluid) जो ज्वाइंट में लूब्रिकेट का काम करते हैं, उसकी कमी के कारण पीठ दर्द की समस्या होती है और हड्डियों के चटकने की आवाज आती है, वैसे लोग वायु मुद्रा करें तो उन्हें काफी राहत मिलती है।
  • इंडोक्राइन ग्लैंड के इम्बैलेंस के मामले में यदि व्यक्ति वायु मुद्रा को करे तो उसे काफी राहत मिलती है।
  • इसे करने से हमारे कान सुचारू रूप से काम करते हैं।
  • हिचकी कंट्रोल होती है।
  • ड्राय स्किन सामान्य होती है।
  • खराब नाखून और बालों से जुड़ी समस्या भी ठीक होती है।
  • सेप्टिक पैरालायसिस (spastic paralysis) और पार्किनसन डिजीज (Parkinson’s disease) से ग्रसित मरीज यदि इस मुद्रा को करे तो उसे काफी राहत मिलता है वो असामान्य रूप से नहीं हिलता और उसे सिहरन भी महसूस नहीं होती।
  • स्पॉन्डलाइटिस के कारण गर्दन के जकड़न को ठीक करता है।
  • शारीरिक पीड़ा होने पर या शरीर सुन्न पड़ने के किसी भी स्थिति से बचने के लिए वायु मुद्रा अत्यंत लाभकारी माना जाता है। मुद्राओं से जुड़े जानकार मानते हैं कि इसे नियमित करने से कोई भी बीमारी शरीर में दस्तक नहीं दे सकती है।
  • वायु मुद्रा को करने के लिए हमेशा बज्रासन मुद्रा में बैठकर करें।
  • वायु मुद्रा से वात रोग और गठिया जैसी समस्याओं से जल्द से जल्द निजात पाया जा सकता है।
  • पोलियो के मरीज को भी इस मुद्रा से लाभ मिलता है।
  • पैरालेसिस के मरीजों के लिए भी वायु मुद्रा अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

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नोट- यदि आपको गैस की समस्या है, खाना खाने के बाद आपका पेट फूलता है तो आप बैठकर वज्रआसन करने के साथ करीब 10 से 15 मिनटों के लिए वायु मुद्रा में रहें। आपको आराम महसूस होगा।

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वायु मुद्रा के साइड इफेक्ट (Side effects of Vayu Mudra)

वैसे तो सभी मुद्रा हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं। लेकिन कुछ मुद्रा के साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। यदि आप इस योग को करने के दौरान किसी प्रक्रार के साइड इफेक्ट को महसूस करते हैं तो इस योगिक क्रिया को जल्द से जल्द बंद कर देना चाहिए और किसी एक्सपर्ट की सलाह लेनी चाहिए।

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कब और कितने लंबे समय के लिए करनी चाहिए वायु मुद्रा (Vayu Mudra)

रोजाना यदि 45 मिनटों तक वायु मुद्रा को किया जाए तो शरीर में एयर के इम्बैलेंस के कारण होने वाली बीमारी नहीं होगी। वहीं 12 से 24 घंटों में इस प्रकार की समस्या से निजात मिल जाती है। यदि आप वायु मुद्रा के बेहतर परिणाम पाना चाहते हैं तो जरूरी है कि रोजाना दो महीनों तक वायु मुद्रा को नियमित तौर पर करें। आप चाहे जिस अवस्था में हो बैठे हो या फिर खड़े हो आप चाहे तो वायु मुद्रा को कर सकते हैं।

रोजाना इस मुद्रा को 15 से 20 मिनटों तक करने से ही काफी बेहतर रिजल्ट मिलते हैं। इसलिए यदि आप अपने शरीर से वायु से संबंधित परेशानी को हटाना चाहते हैं तो इस योगिक क्रिया को नियमित रूप से करें।

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हर उम्र के लोग कर सकते हैं वायु मुद्रा (Vayu Mudra)

वैसे वायु मुद्रा को हर उम्र के लोग, बच्चों से लेकर बड़े तक कर सकते हैं। वहीं वैसे लोग जिन्हें कब्ज, अपच, पेट में सूजन व पाचन संबंधी परेशानी है, जोड़ों में दर्द है वैसे लोगों को वायु मुद्रा करनी चाहिए। जोड़ों के दर्द के मामले में लोग इस योग को ज्यादा से ज्यादा करते हैं, यहां तक कि दर्द ठीक होने के बाद भी करते हैं, लेकिन उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए। क्योंकि ऐसे में फायदा होने की बजाय हानि हो सकती है। वहीं वायु मुद्रा (Vayu Mudra) को करने के बाद जब दर्द हल्का हो जाए, पेट संबंधी परेशानी कम हो जाए तो इसे नहीं करना चाहिए।

एक्सपर्ट की सलाह लें

यदि आप जीवन में हेल्थ बेनीफिट्स चाहते हैं तो इस यौगिक क्रिया को अपनाकर कई प्रकार के रोग से मुक्त रह सकते हैं, लेकिन जरूरी है कि इस यौगिक क्रिया को सही से किया जाए। इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए योगा एक्सपर्ट की सलाह लें। हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है। वहीं यदि आप योग नहीं करते हैं तो जरूरी है कि योग को जीवन में शामिल कर मानसिक व शारिरिक रूप से स्वस्थ्य रह सकें।

अगर आप वायु मुद्रा (Vayu Mudra) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।

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डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

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Current Version

18/05/2021

Satish singh द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड डॉ. प्रणाली पाटील

Updated by: Nidhi Sinha


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डॉ. प्रणाली पाटील

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Satish singh द्वारा लिखित · अपडेटेड 18/05/2021

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