एथलीट के उज्जायी ब्रीद
जब आप एरोबिक एक्सरसाइज करते हैं उसके लिए भी उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) काफी लाभकारी होता है, खासतौर पर साइकलिंग और रनिंग जैसे स्पोर्ट्स में आप हिस्सा लेते हैं तो यह एक्सरसाइज आपके लिए बेस्ट है। कई ओलंपिक विजेता एथलीटों ने यह बात कही है कि उन्होंने ट्रेनिंग सेशन में उज्जायी प्राणायाम को शामिल किया था, ताकि अपनी रेस्पिरेटरी इफीशिएंशी को बढ़ा सकें। वहीं रेस के पहले होने वाले तनाव (Tension) से मुक्ति पा सकें। आप इस एक्सरसाइज ट्रिक का इस्तेमाल अपने आप पर भी कर सकते हैं जब आप वर्किंग कर रहे हो तब।
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मुश्किल विचारों को कंट्रोल करने में करता है मदद
जब भी आप तनाव (Tension) से जूझ रहे होते हैं तो आप यदि उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) करेंगे तो आपको काफी रिलेक्स मिलेगा। ऐसे में जब भी आप तनाव महसूस करें तो चार गिनने तक श्वास लें, फिर चार गिनने तक श्वास को होल्ड कर अंदर रखें, फिर श्वास को चार गिनती के क्रम में ही निकाल दें। ऐसा करीब दस बार करें। आप खुद इस बाद का एहसास करेंगे कि आप थोड़े तनाव मुक्त हुए होंगे।
उज्जायी ब्रीद के पीछे की साइंस
पौराणिक काल में योगी, साधु व महात्मा अपने स्वास्थ्य के प्रति काफी साइंटिफिक तरीके से सोचते थे। हजारों साल पहले ही उन्होंने यह भांप लिया कि हमारे श्वास का कनेक्शन हमारे दिमाग के साथ है। उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) को करने के दौरान इंटर्नल हीट हासिल होती है। श्वास जब हमारे थ्रोट से होते हुए हमारे लंग्स के जरिए जब शरीर में जाती है तो इससे हमारे आंतरिक ऑर्गन को ऑक्सीजन के रूप में ऊर्जा हासिल होती है।
उज्जायी ब्रीद को कई बार साइकिक ब्रिद भी कहा जाता है। इस योग को करने में थ्रोट का कम इस्तेमाल होने के कारण हमारा लंग्स (Lungs) ज्यादा से ज्यादा सांस लेने के लिए फूलता है। वहीं जब सांस छोड़ते हैं तो उसी क्रम में हमारा लंग्स (Lungs) और पेट सिकुड़ता है। ऐसे में लंग्स के जिस भाग का इस्तेमाल नहीं होता है उसमें भी काफी मात्रा में ऑक्सीजन की सप्लाई होती है।
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जबतक हम दौड़ते नहीं तबतक हमारा खून, फ्लूइड और नर्वस एनर्जी का इस्तेमाल शरीर सामान्य रूप से नहीं कर पाता। वहीं जब हम एक्सरसाइज करते हैं तो हमारा मसल्स कॉन्ट्रैक्ट होता है, यही फायदा हमें उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) को करने से मिलता है। हमारे शरीर का मसल्स रिलेक्स हो जाता है। जिससे शरीर को काफी आराम मिलता है।
इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए एक्सपर्ट की सलाह लें। हैलो हेल्थ ग्रुप चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार प्रदान नहीं करता है।
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उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) को किसे नहीं करना चाहिए?
उज्जायी प्राणायाम को उन्हें नहीं करना चाहिए जिनका थायराइड (Thyroid) लेवल सामान्य से ज्यादा बढ़ा हुआ हो। जरूरी है कि ऐसे लोगों को एक्सपर्ट की मदद लेनी चाहिए। वहीं यदि इस प्राणायाम को करना चाहिए तो एक्सपर्ट के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए करना चाहिए। सबसे जरूरी लो ब्लड प्रेशर (निम्न रक्तचाप) के रोगियों को भी उज्जायी प्राणायाम को नहीं करना चाहिए। वहीं हाई ब्लड प्रेशर और हार्ट (Heart) संबंधी मरीजों को कुंभक नहीं करना चाहिए। इसके लिए एक्सपर्ट की मदद लेनी चाहिए। किसे के कहने पर उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) न करें। क्योंकि आपकी शारीरिक बनावट और आपकी शारीरिक क्षमता को समझते हुए हेल्थ एक्सपर्ट आपको सही सलाह देंगे।
मेंटल रिलेक्शन के लिए है काफी लाभकारी
उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) के बारे में जानकर हमें यह पता चला कि इसे कर हम शारिरिक रूप से पूरी तरह स्वस्थ्य रह सकते हैं। इसे कर हम ऑटोमेटिक नर्वस सिस्टम में और इजाफा कर सकते हैं, इतना ही नहीं हम इस योगाभ्यास को कर मानसिक तौर पर रिलेक्स फील करते हैं और हम रोजमर्रा के तनाव को मिटा सकते हैं। ऐसे में सभी यही होगा कि तनाव भरी जिंदगी से आराम पाने के लिए हमें अपने जीवन में इस एक्सरसाइज को शामिल करना चाहिए। लेकिन सबसे जरूरी यही है कि हाइपरसेंसिटिव मरीज इस योगाभ्यास को योग प्रशिक्षक के निर्देशन में ही करें अन्यथा इसे न दोहराए। वहीं आम से लेकर खास सभी व्यक्तियों के लिए जरूरी है कि जबतक वो न सीखें तबतक उन्हें योग प्रशिक्षक के निर्देशन में इस योगाभ्यास को दोहराना चाहिए।
इस आसन को नियमित एवं सही तरह से करने पर शरीर के सभी टॉक्सिन्स को आसानी से निकाला जा सकता है, जिससे सांस संबंधित परेशानी दूर होती है और शरीर में हॉर्मोनल संतुलन बना रहता है। अगर आप उज्जायी प्राणायाम (Ujjayi Pranayama) से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं, तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा।