बदलते वक्त के साथ हमारा रहन सहन, खानपान और आदतें सब बदलती जा रही हैं। ऐसे में फिट रहना आज के समय में काफी चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है। फिट रहने के लिए लोग अलग-अलग तरह की एक्सरसाइज करते हैं, उनमें से एक है कैलिस्थेनिक्स वर्कआउट,जिससे बॉडी का वेट संतुलित रहता है, साथ ही शरीर और मांसपेशियां दोनों ही स्ट्रांग होते हैं। आइए जानें क्या है कैलिस्थेनिक्स वर्कआउट (Calisthenics Workout) और इसे कैसे करना चाहिए।
जानिए कैलिस्थेनिक्स (Calisthenics) वर्कआउट को करने का तरीका
कैलिस्थेनिक्स (calisthenics) एक्सरसाइज को दो अलग-अलग तरह से कर सकते हैं।
- जिम वाली मशीनों के द्वारा।
- बिना किसी मशीन के द्वारा।
कैसे करें कैलिस्थेनिक्स (Calisthenics) एक्सरसाइज?
1. बर्पी (Burpees) एक्सरसाइज: बर्पी कैलिस्थेनिक्स एक्सरसाइज के अंतर्गत आता है और एक महत्वपूर्ण एक्सरसाइज है, शारीरिक क्षमता को बढ़ाने के लिए ये एक्सरसाइज काफी प्रभावकारी है। बर्पी एक्सरसाइज को स्क्वाट थ्रस्ट्स (squat thrusts) के नाम से भी जाना जाता है। इस एक्सरसाइज को करने के लिए किसी भी उपकरण की आवश्यकता नहीं होती है। बर्पी एक्सरसाइज पूरे शरीर पर काम करती है और कार्डियोवस्कुलर (cardiovascular) एक्सरसाइज जैसा लाभ देती है। नियमित रूप से वर्कआउट करते हैं तो शारीरिक मजबूती और एरोबिक फिटनेस को बढ़ाने के लिए बर्पी एक्सरसाइज जरूर करना चाहिए।
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2. जंपिंग जैक्स (Jumping Jacks): जंपिंग जैक्स एक्सरसाइज सबसे आसान एक्सरसाइज में से एक है, जिसे कैलिस्थेनिक्स वर्कआउट के अंतर्गत रखा जाता है। इसे खड़े हो कर कूद कर किया जा सकता है। जंपिंग जैक्स एक्सरसाइज को कंप्लीट वर्कआउट भी कहा जा सकता है। इस वर्कआउट की सबसे अच्छी बात ये है की आप इसे कहीं भी कर सकते हैं। यह एक तरह का पॉलीमेट्रिक्स वर्कआउट है जिसे एरोबिक एक्सरसाइज का कॉम्बिनेशन माना जाता है। इस तरह के वर्कआउट आपके हार्ट, लंग्स और मसल्स को स्ट्रॉन्ग रखने में मदद करते हैं।
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3. प्रिजनर स्क्वाट जंप (Prisoner Squat Jumps): यह एक्सरसाइज बड़े ही आसानी से किया जा सकता है। इसे करने के लिए स्ट्रेट खड़े होकर दोनों पैरों के बीच थोड़ा गैप रखना चाहिए। फिर दोनों हांथों को कंधे पर गर्दन के पास रखना है और इसी पॉजीशन में धीरे से ऊपर की ओर जंप करना है। फिर सावधानी पूर्वक धीरे से नीचे आना है। ध्यान रहे कि बहुत ज्यादा ऊपर नहीं जंप करना है।
4. बाइसाइकिल क्रंचेज (Bicycle Crunches): बाइसकिल क्रंचेज सबसे प्रभावकारी एक्सरसाइज में से एक है। इसे करने के लिए मैट पर लेट कर दोनों पैरों को ठीक वैसे ही चलाएं जैसे कि साइकिल चलाई जाती है।
5. सुपरमैन (Superman)एक्सरसाइज: सुपरमैन नाम से ही समझा जा सकता है कि ये एक्सरसाइज क्या है। इस एक्सरसाइज में भाग-दौड़ नहीं करना है बल्कि आराम से पेट के बल लेट कर दोनों हांथों और दोनों पैरों को ऊपर की ओर धीरे से उठाना है और फिर आराम से नीचे लाना है।
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ऊपर बताये गये इन 5 वर्कआउट से आप अपने आपको फिट रख सकते हैं लेकिन, आप पहली बार कैलिस्थेनिक्स वर्कआउट की शुरुआत कर रहें हैं, तो सबसे पहले इसे आप बिगनर्स कैलिस्थेनिक्स वर्कआउट से इसकी शुरुआत कर सकते हैं। बिगनर्स कैलिस्थेनिक्स वर्कआउट में शामिल है निम्नलिखित एक्सरसाइज। जैसे-
पुश-अप: पुश-अप की मदद से आप चेस्ट, ट्राइसेप्स और कंधें को मजबूत बना सकते हैं। फिटनेस एक्सपर्ट के अनुसार पुश अप अपने आप में ही एक कम्प्लीट वर्कआउट माना जाता है। इससे न सिर्फ बाजुओं बल्कि पूरी अपर बॉडी पर काम करते हैं। पुश अप को घर पर ही आसानी से किया जा सकता है। ये बाहों की चर्बी को कम करने के साथ ही पैरों को भी टोन करने का सबसे बेहतरीन तरीका है।
प्लैंक: प्लैंक एक्सरसाइज की मदद से आप शरीर के ऊपरी हिस्से की स्ट्रेंथ को बढ़ा सकते हैं। अगर आप घर या ऑफिस में बैठे-बैठे कमर दर्द महसूस करते हैं तो इस समस्या को प्लैंक एक्सरसाइज से कम किया जा सकता है। इस एक्सरसाइज को नियमित रूप से करने पर अपर बॉडी जैसे कंधे, गर्दन और एब्स को मजबूत किया जा सकता है। इसके साथ ही इससे पोस्चर भी ठीक होता है। पेट की चर्बी कम करने के लिए भी यह अपर बॉडी एक्सरसाइज बहुत कारगर है। परफेक्ट बॉडी शेप के साथ ही वजन घटाने के लिए भी यह उपयोगी है।
लंजेस: इस व्यायाम को करते समय पीठ सीधी रखें। ध्यान रहे कि घुटने 90 डिग्री से अधिक के एंगल पर मुड़े हुए न हों, नहीं तो चोट लगने का खतरा बढ़ सकता है। लंजेस करने के लिए, सीधे नीचे की तरफ झुकें। एड़ी पूरे समय ऊपर की ओर उठी रहनी चाहिए। स्क्वॉट्स एंड लंजेस विशेषज्ञ की मार्गदर्शन में करें। अगर स्क्वॉट्स करते समय पीठ में दर्द हो तो पीठ के पीछे दीवार के सहारे एक जिम बॉल रखें और ऐसा करें। पहले दिन ही थोड़ी ही एक्सरसाइज करें, फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाएं।
कैलिस्थेनिक्स(calisthenics) एक्सरसाइज से होने वाले फायदे
किसी भी वक्त कर सकते हैं एक्सरसाइज
बॉडी वेट ट्रेनिंग कहीं भी करना बहुत आसान होता है। सिर्फ कैलिस्थेनिक्स ट्रेनिंग सीखने के लिए जगह की जरूरत होती है।
बहुत ज्यादा एकुप्मेंट्स की जरूरत नहीं होती
कैलिस्थेनिक्स ट्रेनिंग के लिए भारी डंबल जैसे किसी भी उपकरण की आवश्यकता नहीं होती है।
अपनी गति को नियंत्रित कर सकते हैं
कैलिस्थेनिक्स ट्रेनिंग को अपने स्पीड के अनुसार कर सकते हैं। इसे कम समय में भी किया जा सकता है।
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क्यों करना चाहिए कैलिस्थेनिक्स ट्रेनिंग ?
बॉडी में एनर्जी बढ़ती है: यह एक्सरसाइज पूरे शरीर में नई ऊर्जा भरने का काम करती है और वजन को नियंत्रित रखने में भी मददगार है। इस ट्रेनिंग का अभ्यास करने के लिए शरीर को संतुलित रखने की जरूरत होती है।
मांसपेशियां मजबूत होती है: यह ट्रेनिंग मांसपेशियों की मजबूती को बढ़ाने में सहायक है, साथ ही जो मांसपेशियां कमजोर हो चुकी हैं, उन्हें भी स्ट्रांग बनाती है। पुल-अप करते समय यह लैट्स, रोम्बॉइड्स, एब्डॉमिनल, बाइसेप्स, फोरआर्म्स और ग्लुट्स जैसे अलग-अलग भागों पर जोर देता है।
जोड़ों की परेशानी दूर होती है: कैलिस्थेनिक्स ट्रेनिंग में थेराप्यूटिक इफेक्ट होता है, जो जोड़ों के दर्द को ठीक करने में मदद कर सकता है।
कैलिस्थेनिक्स वर्कआउट बीना जिम गए और बिना किसी जिम के एकुप्मेंट्स के किया जा सकता है। लेकिन, कैलिस्थेनिक्स वर्कआउट शुरू करने के पहले एक बार फिटनेस एक्सपर्ट से सलाह लेना चाहिए और इसे कैसे ठीक से किया जाए, ये जरूर समझना चाहिए।
अगर आप कैलिस्थेनिक्स वर्कआउट से जुड़े किसी तरह के कोई सवाल का जवाब जानना चाहते हैं तो विशेषज्ञों से समझना बेहतर होगा। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी तरह की मेडिकल एडवाइस, इलाज और जांच की सलाह नहीं देता है। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।
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