जीवन का आधार ही सांस को माना जाता है। क्या आपने कभी अपनी सांसों पर ध्यान दिया है? क्या आपको पता है कि सांस लेने का सही तरीका क्या है? यहां पर हम बात कर रहे हैं, राइट ब्रीदिंग हैबिट्स के बारे में। ज्यादातर लोगों का यही मानना है कि सांस लेना स्वयं से होने वाली एक क्रिया है, लेकिन आप आपनी सांसों पर कंट्रोल करके अपने स्वास्थ्य को फायदा पहुंचा सकते हैं। इसलिए आजकल ब्रीदिंग एक्सरसाइज और योगा में प्राणायाम पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है।
सांस लेने की प्रक्रिया क्या है?
सांस लेना जीवन की एक जरूरी प्रक्रिया है। अगर इसे थोड़ा मेडिकली और शारीरिक तौर पर समझें तो यह हर एक कोशिका के लिए जरूरी है। सिर्फ हम नहीं बल्कि हमारी कोशिकाएं भी सांस लेती हैं। सांस लेने की प्रक्रिया नाक के द्वारा शुरू होती है। नाक से जब हम ऑक्सीजन लेते हैं तो वह हमारे फेफड़ों में जाती है और इसके बाद फेफड़ों के पास से गुजर रहे खून की नसों में घुल जाती है। खून में मौजूद रेड ब्लड सेल्स ऑक्सीजन को हर एक कोशिका तक पहुंचाते हैं। जिस तरह से खाना पकने के लिए ईंधन की जरूरत होती है, उसी तरह से ऑक्सीजन कोशिका में मौजूद भोजन को जलाकर ऊर्जा बनाने में मदद करती है। फिर वह ऑक्सीजन कार्बन डाइऑक्साइड में बदल जाती है, जो फिर से खून के जरिए हमारे फेफड़ों में पहुंचती है और नाक के द्वारा बाहर हो जाती है।
राइट ब्रीदिंग हैबिट्स क्या हैं?
राइट ब्रीदिंग हैबिट्स का मतलब है कि सांस लेने की सही आदतें, जिसके बारे में शायद आपको लगता होगा कि हमें तो पता है, लेकिन ऐसा नहीं है। सांस लेने की टेक्निक से हम अपने जीवन में कई तरह के बदलाव ला सकते हैं। इस विषय पर हैलो स्वास्थ्य ने मुंबई के जागृति योगा इंस्टीट्यूट की फाउंडर सुचारिता मंडल से बात की। सुचारिता मंडल बताती हैं कि “राइट ब्रीदिंग हैबिट्स से हमारा शरीर ज्यादा ऑक्सीजनेट होता है, जो हमें शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से प्रभावित करता है। इससे तनाव की समस्या, एंग्जायटी दूर होने से लेकर लंबी उम्र तक मिलती है।”
सुचारिता का कहना है कि “यूं तो आज भाग-दौड़ भरी जिंदगी में हम राइट ब्रीदिंग हैबिट्स को फॉलो नहीं कर सकते हैं, लेकिन फिर भी धीरे-धीरे आदत बना लेने से हम कहीं भी कभी भी राइट ब्रीदिंग हैबिट्स को फॉलो कर सकते हैं। कभी ऑफिस में या एग्जाम हॉल में प्रेशर या स्ट्रेस महसूस होने पर राइट ब्रीदिंग से ही राहत मिल सकती है।”
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राइट ब्रीदिंग हैबिट्स के फायदे क्या हैं?
राइट ब्रीदिंग हैबिट्स के निम्न फायदे हैं :
- एंग्जायटी और डिप्रेशन को कम होता है
- ब्लड प्रेशर नियंत्रित होता है
- एनर्जी लेवल बढ़ता है
- मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं
- तनाव और ज्यादा सोचने में कमी आती है
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राइट ब्रीदिंग हैबिट्स के लिए कौन सी तकनीक अपनाएं?
राइट ब्रीदिंग हैबिट्स के लिए निम्न तकनीक को आप फॉलो कर सकते हैं :
सीधे खड़े होकर करें ब्रीदिंग
- सीधे खड़े हो जाएं।
- बिना झुके, कंधों को थोड़ा पीछे करें।
- इसके बाद सांस लेना और आराम से छोड़ना शुरू करें।
कंधे को थोड़ा पीछे करने से श्वसन तंत्र सक्रिय होकर खुल जाता है, जिससे फेफड़े ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन ले सकते हैं।
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अपनी सांस पर ध्यान दें
आप जब भी सांस लें तो अपनी सांसों पर ध्यान दें। आप कब सांस को अंदर ले रहे हैं और कब सांस बाहर छोड़ रहे हैं। इससे सीने और पेट में होने वाली गतिविधियों पर भी आप ध्यान दे सकेंगे। इससे दो फायदे होते हैं, पहला ये कि आप मेडिटेशन कर लेते हैं, जिससे आपमें एकाग्रता बढ़ती है। दूसरा ये कि आपका स्ट्रेस दूर हो जाता है और बॉडी ऑक्सिजनेट हो जाती है।
पेट से सांस लें (Abdominal Breathing)
आप आराम से जमीन पर बैठ जाएं, इसके बाद अपने एक हाथ को पेट पर रखें। हाथ रखते समय कोशिश करें कि हाथों से किसी भी तरह का दबाव पेट पर ना बनें। इसके बाद आराम से सिर्फ नाक के द्वारा ही सांस को अंदर लें। ऐसा करने से आपके फेफड़ों में हवा भर जाएगी और फेफड़े के साथ-साथ आप अपने पेट को भी फूला हुआ महसूस करेंगे। इसके बाद कुछ सेकेंड तक खुद को इसी अवस्था में रोककर रखें। इसके बाद धीरे-धीरे अपनी सांस को छोड़ें और अब आप महसूस करेंगे कि आपका पेट रिलैक्स हो जाएगा।
एक नाक से सांस लें और दूसरे से छोड़ें (Alternate nostril breathing)
जब कभी भी आप चिंतित महसूस करें तो इस राइट ब्रीदिंग हैबिट्स को जरूर अपनाएं। इससे आपका दिमाग शांत होगा, इसे योगा में नाड़ी शोधन कहा जाता है :
- आराम से बैठ जाएं। अपने दाएं हाथ के अंगूठे से अपनी दाईं नाक को पकड़े और बाईं से गहरी सांस लें।
- बाईं नाक से पूरी तरह सांस ले लें, फिर उसे उंगलियों की मदद से बंद कर दें।
- अब दाएं नाक पर से अंगूठे को उठाएं और आराम से सांस को छोड़ दें।
- फिर दाएं नाक से ही सांस को लें, फिर बाएं से ठीक वैसे ही छोड़ें जैसा आपने पहले किया था।
- इसे आप रोजाना 3 से 5 मिनट तक करें।
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ओसियन ब्रीदिंग (Ocean Breathing)
आप जब भी गुस्से में हो, फ्रस्ट्रेट हो या परेशान हो तो ओसियन ब्रीदिंग आपको शांत होने में मदद कर सकती है। योगा में इसे ऊजई प्राणायाम कहते हैं :
- आराम से बैठ जाएं, नाक के द्वारा गहरी सांस लें।
- इस सांस को फिर मुंह के द्वारा छोड़ें।
- अगर आप इसे सही तरीके से करेंगे तो आपको अपनी सांसों में समुद्र की हवाओं की तरह आवाज सुनाई देगी। इसी कारण इस प्राणायाम को ओसियन ब्रीदिंग कहते हैं।
एनर्जाइजिंग ब्रीदिंग (Energizing Breathing)
इस राइट ब्रीदिंग हैबिट्स को भस्त्रिका भी कहते हैं। इससे हमारे मस्तिष्क में ऊर्जा का संचार होता है :
- अपने कंधों को थोड़ा रिलैक्स करें और पूरी तरह से सांस लें।
- अब थोड़ा-थोड़ा करके अपनी सांस को तेजी से छोड़ें। ऐसा करने से आपकी पूरी अपर बॉडी में मूवमेंट होगा।
- इस प्रक्रिया को आप एक सांस में 10 बार थोड़ा-थोड़ा करके छोड़ें। इसके बाद 15 से 30 सेकेंड तक रिलैक्स के बाद फिर से इस प्रक्रिया को दोहराएं।
इन राइट ब्रीदिंग हैबिट्स को अपनाकर आप अपने मानसिक और शारीरिक स्थिति को फायदा पहुंचा सकते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा। अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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