एक स्वस्थ शरीर तब बीमार होता है जब उसमें कुछ बाहरी बैक्टीरिया या वायरस प्रवेश कर जाते हैं। इस स्थिति में हमारा प्रतिरक्षा तंत्र उस बैक्टीरिया या वायरस से लड़ता है । लेकिन कभी-कभी हमारा इम्यून सिस्टम ही हमारे शरीर पर हमला करने लगे तो यह स्थिति बहुत भयानक हो जाती है। इस स्थिति को ऑटोइम्यून डिसऑर्डर कहते हैं। ऑटोइम्यून डिसऑर्डर कई बीमारियों का समूह है, जिसमें शॉग्रेंस सिंड्रोम भी एक है। शॉग्रेंस सिंड्रोम आंखों और मुंह से संबंधित विकार है।
शॉग्रेंस सिंड्रोम क्या है?
शॉग्रेंस सिंड्रोम एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जिसमें मुख्य रूप से लार और लैक्रिमल ग्रंथियां प्रभावित होती हैं। ये ग्रंथियां आंखों और मुंह में लार व आंसू बनाने में मदद करती हैं। आंखों और मुंह में नमी रहना बहुत जरूरी है। वरना इसकी त्वचा फट कर पपड़ी पड़ने लगती है। शॉग्रेंस सिंड्रोम होने पर आंखों और मुंह की नमी खत्म हो जाती है। जिससे वह सूख जाते हैं।
सन् 1900 में स्वीडिश फिजिशियन हेनरिक शोग्रेंस ने सबसे पहले इस बीमारी का पता लगाया था। इसलिए उन्हीं के नाम के आधार पर इस ऑटोइम्यून डिजीज का नाम शॉग्रेंस सिंड्रोम पड़ गया। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर के अनुसार भारत में लगभग एक करोड़ लोग शॉग्रेंस सिंड्रोम से ग्रसित हैं। वहीं, कुछ लोगों को सेकेंड्री शॉग्रेंस सिंड्रोम डिजीज होती है, तो उन्हें कुछ और ऑटोइम्यून डिजीज हो जाती है। पुरुषों के तुलना में महिलाओं को शॉग्रेंस सिंड्रोम अधिक प्रभावित करता है।
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शॉग्रेंस सिंड्रोम के लक्षण क्या है?
शॉग्रेंस सिंड्रोम का सबसे सामान्य लक्षण आंखों और मुंह का सूखना है। इसमें मुंह से कुछ भी खाने या निगलने में समस्या होती है। च्यूइंगम चबाने और कैंडी चूसने से शॉग्रेंस सिंड्रोम के लक्षणों में थोड़ा आराम मिल सकता है। शॉग्रेंस सिंड्रोम में मुंह के बाद आंखें प्रभावित होती है। जिसमें आंखें सूख जाती हैं। शॉग्रेंस सिंड्रोम में वजायनल ड्राइनेस, ड्राइ स्किन, थकान, रैशेज या जोड़ों में दर्द आदि समस्याएं भी होती है। कुछ मामलों में तो ऑर्गन भी डैमेज हो जाते हैं, जैसे- किडनी और फेफड़े। अगर आपको लगातार दर्द हो रहा है तो डॉक्टर ऑर्गन डैमेज को बचाने के लिए दवा देते हैं। इस दवा को डिजीज-मॉडिफाइंग एंटी-रूमेटिक ड्रग्स कहते हैं।
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शॉग्रेंस सिंड्रोम होने का कारण क्या है?
शॉग्रेंस सिंड्रोम होने के सटीक कारणों का पता नहीं है। लेकिन ऐसा माना जाता है कि ऑटोइम्यून डिजीज होने के नाते शॉग्रेंस सिंड्रोम के होने का कारण इम्यून सिस्टम लार और लैक्रिमल ग्रंथियों पर अटैक करता है। जिससे आंसू और लार में को बनाने वाली ग्रंथियाें में सूजन आने से क्षतिग्रस्त हो जाती हैं।
- शॉग्रेंस सिंड्रोम आनुवंशिकता के कारण भी हो सकती है। अगर माता-पिता में इस रोग के जीन हैं तो बच्चे को होने के भी चांसेस रहते हैं।
- कभी-कभी शॉग्रेंस सिंड्रोम पर्यावरण के कारण भी होता है। पर्यावरण में बदलाव या कुछ वायरस भी इस रोग को पैदा करने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
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शॉग्रेंस सिंड्रोम का पता कैसे लगाते हैं?
शॉग्रेंस सिंड्रोम का पता डॉक्टर आपकी फिजिकल जांच, ब्लड टेस्ट और लक्षणों के आधार पर लगाते हैं। सूखी आंखों और मुंह से शॉग्रेंस सिंड्रोम के लक्षणों की शुरुआत हो सकती है। शॉग्रेंस सिंड्रोम में आंखों की जांच भी करने के लिए कहा जाता है, ताकि पता लगाया जा सके कि आपकी आंखों का कोई भाग डैमेज तो नहीं हुआ है।
वहीं, ब्लड टेस्ट से एंटीबॉडी की स्थिति के बारे में भी पता लगाया जाता है कि वही किस तरह से ग्रंथियों को प्रभावित कर रहे हैं। ब्लड टेस्ट में विशिष्ट एंटीबॉडी में एंटी-न्यूक्लियर एंटीबॉडी (ANA), एंटी-एसएसए और एसएसबी एंटीबॉडी या रूमेटाइड फैक्टर कारक शामिल हैं या नहीं इसका पता लगाया जाता है। हालांकि ये हमेशा ब्लड में मौजूद नहीं होते हैं। चेहरे के चारों ओर या होंठ की सतह के नीचे लार ग्रंथियों की बायोप्सी कर के भी शॉग्रेंस सिंड्रोम का पता लगाया जाता है।
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शॉग्रेंस सिंड्रोम का इलाज क्या है?
शॉग्रेंस सिंड्रोम का कोई सटीक इलाज नहीं है। लेकिन इसका इलाज किया जा सकता है। दवा के साथ आप सामान्य जिंदगी व्यतीत कर सकते हैं। आंखों के सूखेपन के लिए डॉक्टर आईड्रॉप देते हैं, जिसे आर्टिफिशियल टियर कहते हैं। इससे आंखों में नमी बनी रहती है।
अगर जोड़ों में दर्द है तो नॉन-स्टेरॉइडल एंटी इंफ्लमेटरी ड्रग्स से इलाज किया जाता है। कभी-कभी लक्षणों के आधार पर इम्यूनोसप्रसेंट दवाएं भी दी जाती हैं। जिससे हमारा इम्यून सिस्टम हमारे शरीर पर अटैक न कर सके।
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शॉग्रेंस सिंड्रोम के साथ और क्या समस्या हो सकती है?
शॉग्रेंस सिंड्रोम के साथ कुछ अन्य बीमारियों के होने का खतरा बढ़ जाता है, जैसे- लिम्फोमा। लिम्फोमा एक लिम्फेटिक सिस्टम में होने वाला कैंसर है, जो कि इम्यून सिस्टम के अटैक के द्वारा होता है। अगर आपकी लार ग्रंथियों में आपको सूजन नजर आए तो आप अपने डॉक्टर से मिले, ये लिम्फोमा हो सकता है।
लिम्फोमा के लक्षण निम्न हैं :
- रात में सोते समय पसीना आना
- बुखार होना
- थकान होना
- वजन घटना
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शॉग्रेंस सिंड्रोम में अपना ख्याल कैसे रखें?
शॉग्रेंस सिंड्रोम होने पर आप अपना ख्याल लक्षणों को नियंत्रित कर के रख सकते हैं। अगर आपका मुंह हमेशा सूखा है तो आप थोड़ा-थोड़ा पानी पी कर अपने मुंह में नमी बरकरार रख सकते हैं। इसके अलावा च्यूइंगम चबा कर या कैंडी को चूस कर आप लार के फ्लो को नियंत्रित कर सकते हैं। कोशिश करें कि च्यूइंगम और कैंडी मीठे न हो वरना आपके दांतों में कैविटी होने का खतरा है।
आप अपने डेंटिस्ट या डॉक्टर से राय ले लें कि आपके लिए कौन सी कैंडी या च्यूइंगम सही रहेगा, साथ ही माउथवॉश के बारे में पता कर लें। कभी-कभी कुछ माउथस्प्रे भी मुंह में नमी बनाने के लिए आते हैं। उसे अपने डॉक्टर के परामर्श पर ही खरीदें। अगर आप कैंडी चूसते हैं तो आप हमेशा और नियमित रूप से दांतों को ब्रश करते रहें। साथ ही हमेशा डेंटिस्ट के पास रेग्यूलर चेकअप के लिए जाते रहें।
अगर शॉग्रेंस सिंड्रोम के कारण आपकी आंखें सूख गई हैं तो रात में सोते समय ह्यूमिडिफायर या वैपोराइजर का इस्तेमाल करिए। ये मशीन आपके सूखे मुंह और आंखों के लिए नमी उत्पन्न करती है। अगर आपकी त्वचा सूख गई है तो अच्छे क्वॉलिटी का मॉस्चराइजर का इस्तेमाल करें। साथ ही डॉक्टर से निर्देश पर आप नहाने का साबुन खरीदें।
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