पिछले साल भारत में स्तन कैंसर के करीब 1,62,468 नए मामले सामने आए थे और लगभग 87,090 महिलाओं की मृत्यु स्तन कैंसर की वजह से हुई। भारत में हर आठ में एक महिला ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित है। दुःख की बात तो यह है की यह संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। डॉक्टर्स की मानें तो ब्रेस्ट कैंसर की पहचान अगर शुरुआत में ही कर ली जाए तो यह लाइफ सेवर साबित हो सकता है। लेकिन, ब्रेस्ट कैंसर की पहचान कैसे करें? ब्रेस्ट कैंसर की पहचान के लिए समय-समय पर खुद से स्तनों की जांच की जानी चाहिए। स्वयं ब्रेस्ट की जांच का तरीका क्या है? आइए जानते है, “हैलो स्वास्थ्य’ के इस आर्टिकल के बारे में-
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ब्रेस्ट कैंसर (Breast cancer) क्या है ?
ब्रेस्ट कैंसर की पहचान से पहले जानते है आखिर यह स्तन कैंसर क्या है? भारत में हर साल 1 लाख में 30 महिलाओं को स्तन कैंसर की बीमारी होती है। लेकिन, यह मान लेना बिल्कुल गलत है कि ब्रेस्ट कैंसर हो जाए तो मौत निश्चित है। अगर ब्रेस्ट कैंसर की पहचान शुरू में ही हो जाए तो स्तन कैंसर का इलाज सफल रूप से किया जा सकता है। ब्रेस्ट में गांठ, स्तन की त्वचा में बदलाव, निप्पल के आकार का बदलना, स्तनों का सख्त होना, स्तन के आस-पास गांठ होना, निप्पल से रक्त या तरल पदार्थ का आना या स्तन में दर्द महसूस होना ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण हैं।
स्तन कैंसर के कारण क्या हैं?
अस्त-व्यस्त दिनचर्या और असंतुलित खानपान की वजह से महिलाओं में तेजी से ब्रेस्ट कैंसर बढ़ रहा है। शराब या सिगरेट का सेवन करना, पहले गर्भधारण में देरी होना, बच्चों को ब्रेस्टफीडिंग न करवाना, शरीर का वजन अत्यधिक बढ़ना, बर्थ कंट्रोल पिल्स (birth control pills) का सेवन करना, हार्मोनल बदलाव आदि स्तन कैंसर के कारण बनते हैं। वहीं, अगर परिवार में किसी को ब्रेस्ट कैंसर हुआ हो, उम्र बढ़ना, कम उम्र में पीरियड्स शुरू हो जाना आदि बातें कैंसर का खतरा और बढ़ा देती हैं। मोनोपॉज के बाद हॉर्मोन रिप्लेसमेंट (hormone replacement) कराने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 20 गुना ज्यादा होता है। इसलिए, अगर ऐसी कोई स्थिति है तो ब्रेस्ट कैंसर की पहचान के लिए ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन (breast self examination) जरूरी होता है। जानते हैं खुद से स्तनों की जांच कैसे की जाए?
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ब्रेस्ट कैंसर की पहचान के लिए खुद से स्तनों की जांच का तरीका
25 से 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को ब्रेस्ट कैंसर की पहचान के लिए खुद से ब्रेस्ट की जांच (Breast Self Examination) जरूर करनी चाहिए।
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ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन (Breast Self Examination) से करें ब्रेस्ट कैंसर की पहचान
- स्टेप 1- मिरर के सामने खड़ी हो कर अपने कंधे सीधा रखें और दोनों हाथ कमर पर रखें। अब ब्रेस्ट के साइज और शेप पर ध्यान दें। अगर कोई बदलाव नजर आ रहा हो तो नजरअंदाज न करें।
- स्टेप 2- अब दोनों हाथों को ऊपर उठाकर ब्रेस्ट की जांच करें।
- स्टेज 3- ब्रेस्ट कैंसर की पहचान के लिए निप्पल को थोड़ा दबा कर देखें की कोई अजीब सा तरल पदार्थ तो नहीं निकल रहा है।
- स्टेज 4- चौथे स्टेज में लेट जाएं और आपने दाहिने हाथ से अपने बाएं स्तन को हल्के हाथ से दबा कर चेक करें की कोई गांठ तो नहीं है या दर्द तो महसूस नहीं हो रहा है। यही प्रक्रिया बाएं हाथ से दाएं स्तन को दबा कर दोहराएं।
- स्टेज 5- ब्रेस्ट कैंसर की पहचान के लिए पांचवें स्टेज में खड़े होकर स्तन की जांच करें। इस स्टेज में भी उंगलियों की मदद से स्तन को दबा कर चेक करें।
ब्रेस्ट कैंसर की पहचान करने का यह सबसे आसान तरीका है। अगर स्तनों की जांच के दौरान ये कुछ लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें। जैसे-
- ब्रेस्ट या निप्पल के आकार या रंग में कोई परिवर्तन,
- स्तनों के बगल में सूजन,
- ब्रेस्ट के एक तरफ असामान्य सूजन,
- ब्रेस्ट में गिल्टी,
- ब्रेस्ट के आकार और साइज में बदलाव,
- स्तनों में असामान्य सिकुड़न,
- अचानक से स्तन के आकार में असमानता (एक स्तन दूसरे से छोटा होना),
- निप्पल का अंदर की ओर धसना,
- ब्रेस्ट में कही भी गड्ढ़ा पड़ना,
- निप्पल और उसके आस पास की स्किन में ललिमा होना,
- ब्रेस्ट से पानी या खून निकलना,
- स्तन की त्वचा में असामान्य छिद्र होना,
- लिम्फ नोड्स में सूजन
स्तन कैंसर के लिम्फ नोड्स तक फैलने की वजह कॉलर बोन के आसपास स्वेलिंग आ सकती है। इसलिए, ब्रेस्ट कैंसर की पहचान के लिए आप हर महीने खुद से ब्रेस्ट चेकअप करते रहें। यदि आपको कुछ भी असमान्य दिखे तो अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
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ब्रेस्ट कैंसर की पहचान के लिए क्लीनिकल ब्रेस्ट परीक्षण (स्तन परीक्षण)
30 साल की उम्र से ज्यादा सभी महिलाओं को हर साल क्लीनिकल ब्रेस्ट टेस्ट (clinical breast test) जरूर कराना चाहिए। डॉक्टर चेकअप के लिए स्तन के निप्पल, ब्रेस्ट-स्किन, ब्रेस्ट शेप और साइज में परिवर्तन का सावधानी पूर्वक परीक्षण करेंगे। साथ ही ब्रेस्ट्स के बगल में भी जांच करेंगे जिससे लिम्फ नोड्स की किसी भी सूजन का पता लगाया जा सकें।
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ब्रेस्ट कैंसर का इलाज (Treatment for breast cancer)
ब्रेस्ट कैंसर की स्टेज का पता करके स्तन कैंसर का इलाज तय किया जाता है इलाज में रेडिएशन, कीमोथेरेपी और सर्जरी होती है लेकिन, अगर आपको स्तन कैंसर का खतरा है, तो ब्रेस्ट कैंसर की पहचान के लिए नियमित रूप से स्तनों की जांच करते रहना चाहिए। कैंसर का पता जल्दी लगने से सर्वाधिक रिकवरी की उम्मीद ज्यादा रहती है।
लाइफस्टाइल को सही करके करें ब्रेस्ट कैंसर की संभावना कम
ब्रेस्ट कैंसर की संभावना कम करने के लिए अपनी लाइफस्टाइल को सही रखना बेहद जरूरी है। इसके लिए टिप्स हैं-
- शरीर के वजन को संतुलित रखें,
- नियमित रूप से एक्सरसाइज, योग आदि करें,
- धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें,
- रेडिएशन से बचें।
- स्तनपान से ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है अगर आप न्यू मोम है तो ब्रेस्टफीडिंग कराने से न कतराएं।
स्तन कैंसर के लक्षणों का पता अगर जल्दी चल जाता है तो सर्जरी की जरूरत भी नहीं पड़ती है। इसलिए, अगर आप की उम्र 20 साल से ज्यादा है तो ब्रेस्ट कैंसर की पहचान के लिए बीच-बीच में ब्रेस्ट सेल्फ एग्जामिनेशन करना जरूरी है। ध्यान रखें ब्रेस्ट कैंसर से छुटकारा पाना आसान है लेकिन, समय रहते इलाज शुरु करवाना जरूरी है। इसलिए शरीर के किसी भी हिस्से में हो रहे बदलाव को नजरअंदाज न करें। ब्रेस्ट कैंसर की पहचान कर जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना ही आपके स्वास्थ्य के लिए बेहतर रहेगा।