रिनल हाइपरटेंशन(Renal Hypertension) क्या है?
रेनोवैस्कुलर हाइपरटेंशन या रिनल हाइपरटेंशन वह स्थिति है जब किडनी तक ब्लड पहुंचाने वाली रक्त वाहिकाओं में संकरापन पैदा होने के कारण दबाव बनता है। किडनी को पर्याप्त रक्त नहीं मिलने के कारण वे एक हार्मोन बनाते हैं, जिसके कारण हाई ब्लड प्रेशर की समस्या उत्पन्न हो जाती है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि यह किडनी से जुड़ी समस्या है।
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रिनल हाइपरटेंशन या रिनोवेस्कुलर हाइपरटेंशन के लक्षण क्या हैं?
हाइपरटेंशन हो या रिनल हाइपरटेंशन किसी के भी निश्चित लक्षण बता पाना मुश्किल होता है। फिर भी निम्न लक्षणों को आप रिनल हाइपरटेंशन से जोड़ सकते हैं।
- छोटी उम्र में उच्च रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर
- स्थिर उच्च रक्तचाप जो अचानक बिगड़ जाए और जिसे नियंत्रित करना मुश्किल होता है।
- किडनी का सामान्य रूप में काम ना करना।
- शरीर की धमनियां जैसे पैर, मस्तिष्क, आंखें आदि का संकुचित हो जाना।
- फेफड़ों के अंदर तरल पदार्थ का अचानक निर्माण होना। इसे पल्मोनरी एडिमा कहा जाता है।
रिनल हाइपरटेंशन या रिनोवेस्कुलर हाइपरटेंशन के कारण क्या हैं?
धमनियों के संकुचित होने के कारण
धमनियों के संकुचित होने के कारण जब किडनी तक रक्त का संचार नहीं हो पाता। इसमें एक या दोनों धमनियां संकुचित हो सकती हैं। इसे रिनल आर्टरी स्टेनोसिस कहा जाता है।
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हॉर्मोन
जब किडनी तक कम रक्त पहुंचता है तो वह इसे डिहाइड्रेशन समझती है। इस कारण किडनी एक हॉर्मोन बनाती है। यह होर्मोन शरीर को सोडियम और पानी बनाए रखने के लिए उत्तेजित करता है। इस कारण रक्त वाहिकाएं अतिरिक्त द्रव से भर जाती है और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है।
एथेरोस्क्लेरोसिस (atherosclerosis) के कारण
एक या दोनों धमनियों में संकुचन अक्सर एथेरोस्क्लेरोसिस (atherosclerosis) के कारण होता है। एथेरोस्क्लेरोसिस का अर्थ धमनी की दीवारों पर वसा कोलेस्ट्रॉल और अन्य पदार्थों का निर्माण है। इस जमावड़े के कारण धमनियां सख्त व संकुचित होने लगती हैं। इस कारण रक्त प्रवाह कम हो जाता है। renal artery stenosis के अधिकतर मामले एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण ही होते हैं।
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फाइब्रोमस्क्यूलर डिसप्लेसिया(fibromuscular dysplasia)
एक अन्य कारण जिस वजह से धमनियां संकुचित होती हैं उसे फाइब्रोमस्क्यूलर डिसप्लेसिया(fibromuscular dysplasia) कहा जाता है। फाइब्रोमस्क्यूलर डिसप्लेसिया में धमनी की दीवार की मांसपेशी असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं। गुर्दे की धमनी इतनी संकीर्ण हो सकती है कि गुर्दे को रक्त की पर्याप्त आपूर्ति नहीं मिलती। इस कारण दोनों किडनी काम करना बंद कर सकती हैं। फाइब्रोमस्क्यूलर डिसप्लेसिया क्यों होता है इसका कारण अभी तक विशेषज्ञों को पता नहीं है। हां विशेषज्ञों की मानें तो महिलाएं इससे ज्यादा प्रभावित होती हैं।
स्टेनोसिस अन्य स्थितियों जैसे रक्त वाहिकाओं की सूजन (वास्कुलिटिस) से उत्पन्न होता है; एक तंत्रिका तंत्र विकार जो ट्यूमर को तंत्रिका ऊतक (न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस) पर विकसित करने का कारण बनता है; या एक विकास जो आपके पेट में विकसित होता है और आपके गुर्दे की धमनियों (बाहरी संपीड़न) पर दबाता है।
रिनल हाइपरटेंशन या रिनोवेस्कुलर हाइपरटेंशन का उपचार क्या है?
रिनल हाइपरटेंशन के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं
एस इनहिबिटर्स (Ace Inhibitors)
रिनल हाइपरटेंशन के लिए डॉक्टर एंजियोटेनसिन कन्वर्टिंग एंजाइम (ACE) अवरोधक का उपयोग कर हाइपरटेंशन को कम करने की कोशिश करते हैं। इनहिबिटर्स आपके रक्त वाहिकाओं को आराम पहुंचाकर ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करते हैं। बता दें कि इससे सूखी खांसी, सोने में दिक्कत, थकान महसूस करना, चक्कर आना व सिर दर्द की समस्या हो सकती है।
एंजियोटेंसिन 2 रिसेप्टर ब्लॉकर्स (Angiotensin 2 Receptor Blockers)
एंजियोटेंसिन 2 रिसेप्टर ब्लॉकर्स एंजियोटेंसिन को रक्त वाहिकाओं पर रिसेप्टर्स को बांधने से रोकते हैं। इससे हाई ब्लड प्रेशर कम करने में मदद मिलती है। इस दवा से साइनस की समस्या, असंतोष, चक्कर, दस्त व पीठ में दर्द जैसे दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
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दवा के बाद सर्जरी
यदि दवाओं का असर मरीज पर न पड़ रहा हो तो सर्जरी की जाती है। एंजियोप्लास्टी की मदद से संकीर्ण हुई धमनियों को खोला जाता है। इससे ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद मिलती है। इसके साथ ही यदि किडनी सही से काम न कर रही हो तो भी एंजियोप्लास्टी का उपयोग किया जाता है।
रिनल हाइपरटेंशन से बचाव का क्या उपाय है?
यदि आप चाहते हैं कि आप हाइपरटेंशन की समस्या से न जुझें तो आपको स्वस्थ जीवनशैली अपनानी चाहिए।
खानपान
रिनल हाइपरटेंशन से बचाव चाहते हैं तो खान—पान का चयन बहुत ध्यान से करें। ऐसी चीजों से दूरी बना लें जो ब्लड प्रेशर को बढ़ाते हैं या जो आपकी किडनी पर बुरा असर डालते हैं। नमक, चीनी और प्रोसेस्ड फूड आदि से दूरी बनाने में ही समझदारी है। इसके साथ ही फल—सब्जियों में ऐसी फल और सब्जियों का चयन कर सकते हैं जो हाइपरटेंशन को कंट्रोल में रखती हैं। चाहें तो डैश डायट का उपयोग कर हाइपरटेंशन को कम कर सकते हैं।
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स्मोकिंग के कारण हो सकता है हापरटेंशन
स्मोकिंग के कारण ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार स्मोकिंग के कारण आने वाले वक्त में मौत की संख्या में इजाफा होने की संभावना है। यदि देखा जाए तो स्मोकिंग छोड़ने के 12 घंटे के भीतर ही कार्बन मोनोऑक्साइड का स्तर शरीर में कम होने लगता है। इस कारण शरीर के सभी हिस्सों में रक्त का संचार अच्छी तरह से होने लगता है और आपका ब्लड प्रेशर दुरुस्त होने लगता है। इसलिए स्मोकिंग से दूरी बनना आपके हाइपरटेशन के लिए फायदेमंद है।
एक्सरसाइज करें
रिनल हाइपरटेंशन हो या अन्य कोई भी प्रकार का हाइपरटेंशन हो एक्सरसाइज उससे बचाव और कम करने के लिए काफी कारगर साबित हो सकती है। आप कार्डियो एक्सरसाइज कर दिल को दुरुस्त रखने के साथ ही पूरे स्वास्थ्य को तंदुरुस्त कर सकते हैं। वहीं योगा और मेडिटेशन भी फायदेमंद साबित हो सकता है। याद रखने योग्य बात बस इतनी है कि एक्सरसाइज हो या योगा नियमित रूप से आधे घंटे कम से कम जरूर करें।
एल्कोहॉल भी बन सकता है हाइपरटेंशन का कारण
कई शोधों में पाया गया है कि कई दिनों तक लगातार शराब का सेवन करने से ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। लगातार और लंबे समय तक भारी मात्रा में शराब पीने से क्रोनिक हाइपरटेंशन की समस्या हो सकती है। क्रोनिक हाइपरटेंशन कोरोनरी आर्टरी की बीमारी का एक बहुत बड़ा कारण बन सकती है। एथेरोस्क्लेरोसिस जर्नल (Journal Atherosclerosis) के अनुसार वैज्ञानिकों ने पाया है कि लगातार शराब का सेवन करने से आर्टरी संकुचित हो जाती है। इससे दिल का दौरा या स्ट्रोक आ सकता है। इसलिए अमेरीकन हार्ट एसोसिएशन ने सुझाव दिया है कि पुरुषों को प्रति दिन 2 से अधिक ड्रिंक्स नहीं पीने चाहिए और महिलाओं को प्रतिदिन 1 से अधिक ड्रिंक का सेवन नहीं करना चाहिए। रिनल हाइपरटेंशन के लिए सबसे बड़ा कारण आर्टरी का संकुचित होना ही है। इसलिए शराब कम कर दें या इससे दूरी बना लें।
अनिंद्रा से दूर रहें
अनिंद्रा के कारण भी ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। इसलिए अच्छी नींद लें।रिनल हाइपरटेंशन से बचाव का तरीका यही है कि नियमित एक्सरसाइज करें और हैल्दी फूड हैबिट्स बनाएं। अच्छा लाइफस्टाइल ही अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है।
उपरोक्त दी गई जानकारी चिकित्सा सलाह का विकल्प नहीं है। अगर आपको इस संबंध में अधिक जानकारी चाहिए तो एक बार अपने डॉक्टर से संपर्क जरूर कर लें।
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