हाइपरटेंसिव इमर्जेंसी (Hypertensive Emergency)
यदि ब्लड प्रेशर रीडिंग 180/120 mmHg या इससे अधिक है। इसके साथ ही सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, धुंधली दृष्टि, बोलने में कठिनाई आदि की समस्या हो रही है तो यह हाइपरटेंसिव इमर्जेंसी की स्थिति है। इस स्थिति में बिना देर किए अस्पताल पहुंचना बहुत जरूरी हो जाता है। चूंकि ऐसे में आर्टरी के फटने व ऑर्गन के फेलियर के बहुत चांस होते हैं।
हायपरटेंसिव क्राइसिस (Hypertensive Crisis) के खतरे क्या हैं?
हाई ब्लड प्रेशर पर यदि समय रहते ध्यान ना दिया जाए। वहीं हाइपरटेंशन का पता चलने के बाद मरीज दवा खाने या लाइफस्टाइल में सुधार को अपनाने में कोताही बरते तो हाइपरटेंसिव क्रासिस की नौबत आती है। ऐसी स्थिति जान के खतरे को भी साथ लाती है। इसमें मौत के साथ-साथ शरीर का किसी अंग को नुकसान पहुँच सकता है।
हायपरटेंसिव क्राइसिस का इलाज कैसे होता है? (Hypertensive Crisis treatment)
उच्च रक्तचाप की रोकथाम, मूल्यांकन और उपचार के लिए गठित की गई संयुक्त राष्ट्रीय समिति की सातवीं रिपोर्ट के अनुसार हायपरटेंसिव क्राइसिस इमर्जेंसी वाले रोगियों को निरंतर रक्तचाप की निगरानी के लिए आईसीयू में भर्ती किया जाना चाहिए। संयुक्त राष्ट्रीय समिति के अनुसार इमर्जेंसी में ब्लड प्रेशर को पहले एक घंटे में 25 प्रतिशत से ज्यादा कम नहीं करना चाहिए। अगले दो से छह घंटे में 160/100-110 mmHg तक कम करना चाहिए। यदि मरीज ठीक है तो अगले 24 से 48 घंटे में ही ब्लड प्रेशर को नॉर्मल स्थिति यानी 120/80 mmHg तक लाना चाहिए।
वहीं हायपरटेंसिव क्राइसिस अर्जेंसी के मरीजों को कुछ चेकअप के बाद दवा देकर घर भेज दिया जाता है। इसमें अपेक्षा की जाती है कि धीरे-धीरे ब्लड प्रेशर कंट्रोल में आ जाएगा। वहीं कई अस्पताल अर्जेंसी और इमर्जेंसी दोनों को एक ही तरह ट्रीट करते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इमर्जेंसी वाले मरीज की तरह अर्जेंसी वाले मरीज का ब्लड प्रेशर एकदम से कम करना हानिकारक हो सकता है। इसके कारण ब्रेन स्ट्रोक की समस्या या हार्ट फेलियर की स्थिति बन सकती है। इसलिए दोनों के चेकअप और इलाज का तरीका अलग होना चाहिए।
हायपरटेंसिव क्राइसिस से बचाव कैसे करें? (Hypertensive Crisis Preventions)
भारत में हाइपरटेंशन की स्थिति
हाई ब्लड प्रेशर से भारत भी अछूता नहीं रह गया है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण(National Family Health Survey) की रिपोर्ट के अनुसार सन् 2017 में 112 मिलियन पुरुष और 95 मिलियन महिलाएं हाई ब्लड प्रेशर की शिकार हो चुके हैं। एक स्टडी के मुताबिक सन् 2025 तक 22.9 प्रतिशत पुरुष और 23.6 प्रतिशत महिलाएं भारत में हाइपरटेंशन के शिकार हो सकते हैं। स्थिति इतनी गंभीर है कि बड़े-बुजुर्ग ही नहीं युवा भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।
और पढ़ेंः हाई ब्लड प्रेशर या हाइपरटेंशन के लक्षण क्या होते हैं?