दुनियाभर में साइलेंट किलर कही जाने वाली बीमारी थायरॉइड के मरीज तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। असंतुलित आहार और शरीर की अनदेखी की वजह से इस बीमारी में इजाफा हुआ है। आमतौर पर देखा जाए, तो पुरुषों की तुलना में महिलाओं में थायरॉइड की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है। ऐसा इसलिए क्योंकि पीरियड्स के अलावा कई वजहों से महिलाओं में हार्मोनल अस्थिरता ज्यादा होती है, जो महिलाओं में थायरॉइड का कारण बनती है। थायरॉइड को बहुत से लोग ‘साइलेंट किलर’ मानते हैं, क्योंकि इसके लक्षण बहुत बाद में मालूम पड़ते हैं। हम आपको बता रहे हैं इस बीमारी के बारे में जरूरी बातें, जिन्हें आपको नजर अंदाज नहीं करना चाहिए।
पुरुषों से ज्यादा महिलाओं में थायरॉइड का खतरा ज्यादा है
थायरॉइड दो प्रकार के होते हैं, हायपरथायरोडिज्म और हायपोथायरोडिज्म। थायरॉइड ग्रंथि गर्दन के निचले हिस्से यानी श्वास नली के ऊपर दो भागों में बनी होती है। ये ग्रंथि थायरॉक्सिन हार्मोन बनाती है, जिससे कि शरीर के अन्य हर्मोन्स की संवेदनशीलता कंट्रोल होती है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ थायरॉइड रोग का खतरा बढ़ता जाता है। महिलाओं में थायरॉइड की शुरुआत होने पर शरीर में ये लक्षण दिखाई देते हैं।
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अचानक वजन बढ़ना
थायरॉइड के कारण महिलाओं में मेटाबॉलिज्म की रफ्तार कम हो जाती। इसका मतलब यह कि आप जो खाना खाती हैं, उसका आपकी एनर्जी की आवश्यकताओं के लिए उचित तरीके से इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। इसकी वजह से आपकी बॉडी में फैट का जमाव और वजन बढ़ना शुरू हो जाता है। जब थायराइड अंडरएक्टिव होता है तो शरीर को पर्याप्त एनर्जी नहीं मिलती। जिसके कारण लगातार थकान और नींद आती रहती हैं। यहां तक कि किसी भी हल्की-फुल्की फिजिकल एक्टिविटी के बाद भी व्यक्ति बहुत ज्यादा थका हुआ महसूस करता है। हायपरथायराइड से पीडि़त लोगों में जोड़ों और मासपेशियों दर्द होने लगता है। खासकर हाथ और पैर में।
आंख, नाखून और बाल भी करते हैं इशारा
इस बीमारी में हमारी आंखेंं, नाखून और बाल भी हमें संकेते देते हैं। नाखून पतले और रूखे होने शुरू हो जाते हैं। इससे नाखूनों में दरार आने लगती है वह जल्दी टूटने लगते हैं। इसके अलावा, नाखूनों में सफेद धब्बे भी नजर आने लगती है। इस रोग से पीडि़त कई महिलाओं में आंखों की बीमारियां भी हो जाती हैं जैसे आंखें लाल होना, खुजली होना, आंखों में सूजन आदि। कई महिलाओं में पानी और शरीर के बाकी द्रव्यों का अत्यधिक अवरोधन शुरू हो जाता है, जो हाथों और पैरों में हल्के सूजन के रूप में नजर आता है। अंगूठी और चूड़ियां भी हल्की कस जाती हैं।
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सेक्शुअल लाइफ में आने लगते हैं बदलाव
थायरॉइड से प्रभावित कुछ महिलाएं की सेक्स लाइफ पर भी इसका असर पड़ता है। वे इसमें दिलचस्पी नहीं लेतीं। समस्या तब और ज्यादा खराब हो जाती है जब उनके अंदर सेक्शुअल एक्टिविटी से घृणा बढ़ जाती है। अंडरएक्टिव थायराइड ग्लैंड अक्सर महिलाओं की आवाज में भी परिवर्तन लाता है। उनकी आवाज पहले से भारी और हार्श हो जाती हैं। आवाज में भारीपन महसूस होने लगता है।
बॉडी इम्यूनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) कमजोर पड़ना
थायरॉइड होने पर शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। इम्यून सिस्टम कमजोर होने के चलते कई बीमारियां एक साथ हमला कर देती हैं। थायरॉइड की समस्या से ग्रस्त महिला अक्सर सुस्त रहने लगती है। उनके शरीर में उर्जा समाप्त होने लगती है। इन सबकी वजह से महिला डिप्रेशन (अवसाद) में रहने लगती है। उसका किसी भी काम में मन नहीं लगता है, दिमाग की सोचने और समझने की शक्ति कमजोर हो जाती है। याद्दाश्त भी कमजोर हो जाती है।
सीने में दर्द होना
अगर आपको थायराइॅड है तो इससे दिल की धड़कन भी प्रभावित हो सकती है। दिल की धड़कन में होने वाली इसी अनियमितता के कारण सीने में तेज दर्द हो सकता है।
अनियमित पीरियड्स
यूं तो महिलाओं में अनियमित पीरियड्स की समस्या आम है। पर थायरॉइड से प्रभावित महिलाओं में ये समस्या बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। इसके अलावा पीरियड्स हैवी या बहुत कम हो सकते हैं। कई मामलों पीरियड्स के दौरान अत्याधिक रक्त स्त्राव की समस्या आने लगती है। थायरॉइड रोग का पता ब्लड टेस्ट से चलता है। डाक्टर उन महिलाओं को थायरॉइड टेस्ट कराने की सलाह देते हैं जिनमें इस प्रकार के लक्षण पाए जाते है। यदि आपको भी ये समस्याएं हैं तो डाक्टर से परामर्श करके उचित इलाज कराएं।
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सर्दी या गर्मी बर्दाश्त न होना
थायरॉइड होने पर मौसम का प्रभाव हमारे शरीर पर अधिक दिखाई देने लगता है। हाईपोथारोडिज्म होने पर शरीर को न तो ज्यादा ठंड बर्दाश्त होती है और न ही ज्यादा गर्मी। अगर आपके साथ भी ऐसा होता है तो तुरंत जांच करवाएं।
याददाश्त कम होना
थायराइड के कारण स्मरण शक्ति और सोचने-समझने की क्षमता भी प्रभावित होती है। याददाश्त कमजोर हो सकती है और व्यक्ति का स्वभाव भी चिड़चिड़ा हो सकता है।
अन्य लक्षण
इसके अलावा इस बीमारी में पेट की गड़बड़ी, जोड़ो मे दर्द रहना, वजन का बढ़ना या कम होना, मांसपेशियों का कमजोर होना, आंखो और चेहरे पर सूजन रहना जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं।
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा कि थायरॉइड रोग महिलाओं में अधिक होता है। इससे वजन और हॉर्मोन असंतुलन जैसी कई समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। थायरॉइड हॉर्मोन और टीएसएच में वृद्धि के निधार्रण में आनुवंशिकी की एक प्रमुख भूमिका है। इससे ऑटोइम्यून थाइरॉइड रोग का पता लगाना भी संभव हो जाता है। उन्होंने कहा कि थायरॉइड की समस्या में ऐसे लोग जिनकी मेडिकल हिस्ट्री में थायरॉयड रहा है। उनमें थायरॉइड असामान्यता का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए अपने परिवार के चिकित्सा इतिहास के बारे में जागरूक होना और पहले से सावधानी बरतना महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष- उपरेक्त सभी लक्षणों में से कोई भी लक्षण आपको दिखाई दे या आपके शरीर में अचानक कोई बदलाव महसूस हों तो बिना देर किए डॉक्टर को दिखाएं और थायरॉइड टेस्ट कराएं। जितने जल्दी आपको इस बीमारी को पता चलेगा, उपचार उतनी आसानी से किया जा सकता है।
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