backup og meta

उस वक्त 'इच्छामृत्यु' मुझे आसान रास्ता लग रहा था...

उस वक्त 'इच्छामृत्यु' मुझे आसान रास्ता लग रहा था...

कैंसर का नाम सुनते ही हम सब के मन में एक डर बैठ जाता है। घर-परिवार, आस-पड़ोस या फिर किसी भी व्यक्ति के इस बीमारी से ग्रस्त होने की खबर हमें अंदर से हिला देती है। क्योंकि, सब जानते हैं कि कैंसर (Cancer) जानलेवा बीमारी है। कुछ ही लोग इस बात का ध्यान रखते हैं कि समय पर इलाज इस बीमारी को जड़ से खत्म कर देता है। अगर आप अपने आस-पास देखेंगे तो शायद आपको कुछ ऐसे लोग मिल जाएंगे जो इस बीमारी को हरा चुके हैं और आज अपने साहस की वजह से अन्य लोगों को इस बीमारी से लड़ने की ताकत दे रहे हैं।  कैंसर से जंग लड़ना हिम्मत का काम है।

#कैंसरकीकहानीआपकीजुबानी सीरीज में हम आपको ऐसे लोगों से मिलवाएंगे जो इस बीमारी से बहादुरी से लड़ चुके हैं या फिर लड़ रहे हैं। इस सीरीज में ऐसी सिचुएशन भी आएगी जब आपको लगेगा कि हिम्मत बड़ी से बड़ी समस्या को हरा सकती है।

हैलो स्वास्थ्य की डॉ. श्रुति श्रीधर ने 38 साल की लेखिका पायल भट्टाचार्या से उनकी बीमारी वॉन हिप्पेल-लिंडाउ (Von Hippel-Lindau) के बारें में बात की। उनकी इस साहसिक जर्नी को आप भी पढ़ें और लोगों के साथ शेयर करें।

और पढ़ें: जानें क्या लिवर कैंसर और इसके हाेने के कारण

1.  पायल भट्टाचार्या के बारे में (About Payal Bhattacharya)

मैं पायल भट्टाचार्य वॉन हिप्पेल-लिंडौ (VHL) बीमारी से पीड़ित हूं। मैं बचपन से ही इस बीमारी से पीड़ित हूं। मेरे शरीर के अंदर लगातार गांठें बन रही हैं। मेरा बचपन बहुत अच्छा नहीं रहा क्योंकि, किसी ने मेरा कभी भी सपोर्ट नहीं किया। मेरे रिश्तेदारों ने न तो पैसों से और न ही खुद कभी मदद के लिए आगे आएं। मैं बस अपने माता-पिता का नाम लूंगी जिन्होंने हर पल मेरा साथ दिया। मुझे आज भी वो दिन याद है जब मां मेडिकल स्टोर में भटकती थीं, कहीं तो मेरे लिए सही दवा मिल जाए। हम गरीब और दूसरों पर निर्भर रहने वाले लोग थे। मां-बाप ने मुझे सिर्फ पैदा नहीं किया है बल्कि उन्होंने मुझे जीना सिखाया है।

2. कैंसर से जंग: आपको किस तरह की समस्याओं से गुजरना पड़ा ?

इस प्रश्न के उत्तर में मैं सिर्फ ‘दर्द’ ही कहना चाहूंगी। मेरा लिवर वीएचएल (VHL) ट्यूमर से भरा हुआ था। मुझे कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया। मैं डाक्टरों से ‘इच्छामृत्यु’ मांग रही थी, उसवक्त मुझे यह सही रास्ता लग रहा था। लीवर ट्रांसप्लाट के लिए हमारे पास पैसे नहीं थें। डॉक्टर्स को ये चिंता थी कि कहीं मेरा लिवर फट न जाए। लिवर सर्जरी का प्रोसीजर हुआ और अचानक दुखद खबर आई कि मेरे पिता अब नहीं रहे। मुझे बाद में किडनी के कैंसर (Kidney cancer) का पता चला, मेरे मस्तिष्क में ऑप्टिक नर्व में एक और ट्यूमर पाया गया था, जिसने मुझे आंशिक रूप से अंधा बना दिया था। रेडिएशन से भी कोई फर्क नहीं पड़ा। अभी मैं ‘ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया’ नाम की दर्दनाक स्थिति से गुजर रही हूं। इस कारण मेरी दाहिनी आंख में हमेशा दर्द रहता है। साथ ही सिर में दर्द, चक्कर आना और अचानक से बेहोशी आने जैसी समस्या भी उत्पन्न हो जाती है। मैं इतने सारे दर्द एकसाथ सह रही हूं, इसलिए मैं इसे ‘सुसाइड डिसीज’ कहूंगी। मुझे अपनी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए ‘साइबरनाइफ रेडिएशन’ से गुजरना पड़ेगा।

 और पढ़ें : Stem Cells : स्टेम सेल्स क्या हैं ?

3.   कैंसर से जंग: आप डॉक्टर से मिलने कब गई थीं ?

जब मैं 3 साल की थी। उस वक्त मैं अपने भाई के आने की खुशी में नाच रही थी। मेरा पैर अचानक फिसल गया और बाएं पैर में सूजन आ गई। तब पापा डॉक्टर के पास ले कर गए थे। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए हमें डॉक्टर्स के चक्कर लगाने पड़े।

4.  कैंसर से जंग:  आपके डॉक्टर ने क्या कहा?

मुझे पहली बार एक हेयरलाइन फ्रैक्चर का पता चला था और तब मुझे बहुत सारे एंटीबायोटिक्स और टीके लगाए गए थे। डॉक्टर ने कॉस्मेटिक सर्जरी का सुझाव दिया था। मैं ज्यादातर डॉक्टरों के लिए ‘गिनी पिग’ थी।

5.   कैंसर से जंग:  बीमारी का पता चलने पर आपका क्या रिएक्शन था ?

ये बहुत ही भयानक था, जब मुझे अपनी पहली ‘ब्रेन सर्जरी‘ (Brain surgery) से गुजरना पड़ा। हम लोगों को अपने मुताबिक हॉस्पिटल नहीं मिल रहा था। आखिरकार मुझे चेन्नई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां डॉक्टर्स ने मुझे बताया कि मैं कोमा में चली जाऊंगी। निराश होकर हम कोलकत्ता के एक छोटे से नर्सिंग होम गए। यहां डॉक्टर ने हमे बताया कि वह मेरे ज्यादातर ट्यूमर को निकालने की पूरी कोशिश करेगा। दिसंबर 2006 में मेरी रोबोटिक क्रैनियोटॉमी की गई। जब मुझे VHL का पता चला था, उस वक्त मैं एक साथ कई समस्याओं से गुजर रही थी। मेरे मस्तिष्क का एक हिस्सा हमेशा के लिए खराब हो गया था। इन सब परेशानियों के बीच एक कविता ने मुझे बहुत साहस दिया और मेरे अंदर लड़ने की क्षमता पैदा की।

cancer

और पढ़ें : पेट का कैंसर क्या है ? इसके कारण और ट्रीटमेंट

6.  इस दौरान आपकी प्रेरणा कौन थी ?

मेरी सुपरवुमन, मेरी वंडरमॉम! जब भी डॉक्टर किसी नई सर्जरी के बारे में बात करता था तो मैं डर जाती थी। वह मां ही थी जिन्होंने मुझे सहारा दिया और बहादुर योद्धा की तरह लड़ने के गुण सिखाए। मैंने अपनी पुस्तक ‘ द एडवेंचर्स ऑफ मम एंड प्रिंसेस ’ में कई काल्पनिक कहानियां भी लिखी हैं, जो मेरी मां के साथ मेरे संबंधों को दर्शाती हैं। कैंसर से जंग समूह का प्रयास भी हो सकता है।

7.  कैंसर से जंग:   इस दौरान आपका लोएस्ट पॉइंट क्या था ?

अब तक कोई नहीं। इतनी समस्याओं से गुजरने के बाद मुझे ये महसूस हो रहा है कि कुछ भी हो जाए, हमें आशा नहीं छोड़नी चाहिए। मैं इस क्षण में जीना चाहती हूं। दुख की घड़ी में जब आपको कुछ पल खुशी के मिलते हैं तो आप खुद को बहुत खुशनसीब समझते हैं।

8.  आर्थिक रूप से कितनी परेशान रहीं आप ?

कैंसर से जंग जीतना आसान नहीं होता है।परेशानी तो बहुत हुई। परिवार में मां और भाई ने जोड़-तोड़ कर रुपये इकट्ठा किए। घर में जो भी कमाई हो रही थी वो पर्योप्त नहीं थी।

9. कैंसर से जंग:  अच्छे स्वास्थ्य के लिए क्या प्रयास कर रही हैं आप ?

सही समय में चिकित्सा उपचार के साथ मैं अपने शरीर में होने वाले सभी बदलाव नजर रख रही हूं। मैंने सही समय में सर्जरी और उपचार लिया है, ये मेरे लिए सकारात्मक साबित हुआ है।

और पढ़ें :Gallbladder Cancer: पित्त का कैंसर क्या है? जानें इसके कारण, लक्षण और उपाय

 10.  अस्वस्थता की लंबी यात्रा के बाद कुछ कहना चाहेंगी आप ?

हां बिल्कुल। जब डॉक्टर के पास गई थी उन्होंने कहा था कि आपके पास केवल 6 सप्ताह हैं। आज 11 साल हो गए हैं और मैं जीवित हूं। मानसिक, भावनात्मक और वित्तीय रूप से बहुस सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लेकिन मैं कठिनाइयों से निकलने में कामयाब रहीं। लैंडमार्क लिवर ट्रांसप्लांट सालों बाद भी मैं एंटी-रिजेक्शन दवाइयां लेती हूं ताकि मेरा शरीर लीवर को स्वीकार कर ले। आज के समय में ये बहुत जरूरी है कि लोगों को बीमारी के हर स्तर की जानकारी हो। दुर्लभ बीमारियों की जानकारी न होने पर दिक्कतें बहुत बढ़ जाती हैं।

11.   कैंसर से जंग: इस बीमारी से पीड़ित लोगों को आपकी क्या सलाह है?

बीमारी से लड़ना ही इसे सबक सिखाना है। कैंसर की हार तभी संभव है जब मन को मजबूत कर लिया जाए। मन में ये बिल्कुल न सोचें कि आखिर ‘मैं ‘ ही क्यों ? मैंने बीमारी से लड़ते हुए ‘द वॉरियर प्रिंसेस ’ नामक किताब लिखी। साथ ही साहित्य अकेडमी  द्वारा भारतीय साहित्य जर्नल में अपनी जीवन कहानी का एक काल्पनिक लेख ‘ए वॉरियर डाइस डांसिंग, दैट्स हू आई एम’ भी लिखा है। किताब में आपको गंभीर परिस्थितयों से लड़ने के दौरान जुटाए साहस के बारे में जानने को मिलेगा। मार्केट में उपलब्ध इन किताबों में मेरी जर्नी को साफ तौर पर महसूस कर सकते हैं ।

Cancer

इस लेख में एक व्यक्ति की वास्तविक कैंसर कहानी को शामिल किया गया है। लेख में जो लक्षण बताए गए है, जरूरी नहीं है कि वो सभी कैंसर पीड़ित व्यक्ति को भी हों। किसी प्रकार की समस्या है तो कृपया अपने डॉक्टर से संपर्क करें। हैलो हेल्थ ग्रुप किसी भी प्रकार की चिकित्सा और उपचार प्रदान नहीं करता है। हम उम्मीद करते हैं कि आपको ये आर्टिकल पसंद आया होगा। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।

डिस्क्लेमर

हैलो हेल्थ ग्रुप हेल्थ सलाह, निदान और इलाज इत्यादि सेवाएं नहीं देता।

Optic Nerve Glioma :http://mskcc.org/cancer-care/types/low-grade-glioma/about-low-grade-glioma Accessed on 09/12/2019

Von Hippel-Lindau syndrome :https://ghr.nlm.nih.gov/condition/von-hippel-lindau-syndrome Accessed on 09/12/2019

Trigeminal neuralgia https://www.mayoclinic.org/diseases-conditions/trigeminal-neuralgia/symptoms-causes/syc-20353344#:~:targetText=Trigeminal%20neuralgia%20is%20a%20chronic,a%20jolt%20of%20excruciating%20pain. Accessed on 09/12/2019

Tumors of the optic nerve.https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pubmed/773617 Accessed on 09/12/2019

Trigeminal Neuralgia  http://mayoclinic.org/diseases-conditions/glioma/home/ovc-20129412Accessed on 09/12/2019

Current Version

26/04/2021

Bhawana Awasthi द्वारा लिखित

के द्वारा मेडिकली रिव्यूड Dr. Shruthi Shridhar

Updated by: Bhawana Awasthi


संबंधित पोस्ट

जानें शरीर में तिल और कैंसर का उससे कनेक्शन 

आपकी ये आदतें बन सकती हैं प्रोस्टेट कैंसर का कारण


के द्वारा मेडिकली रिव्यूड

Dr. Shruthi Shridhar


Bhawana Awasthi द्वारा लिखित · अपडेटेड 26/04/2021

ad iconadvertisement

Was this article helpful?

ad iconadvertisement
ad iconadvertisement