परिचय
सिक साइनस सिंड्रोम (Sick Sinus Syndrome) क्या है?
सिक साइनस सिंड्रोम (Sick sinus syndrome) को साइनस नोड रोग या साइनस नोड डिसफंक्शन के रूप में भी जाना जाता है। यह हृदय की गति की समस्याओं (अतालता) के लिए जिम्मेदार होता है जिसमें साइनस नोड दिल को प्राकृतिक तौर पर ठीक से काम करने से रोकता है।
साइनस नोड दिल के ऊपर दाएं तरफ में विशेष कोशिकाओं के क्षेत्र में होता है जो दिल की गति को नियंत्रित करता है। आमतौर पर, साइनस नोड नियमित इलेक्ट्रिकल इंप्यूलसेस के लिए एक स्थिर गति पैदा करता है। सिक साइनस सिंड्रोम (Sick Sinus Syndrome) में, ये संकेत असामान्य रूप से होते हैं।
सिक साइनस सिंड्रोम (Sick Sinus Syndrome) वाले व्यक्ति में हृदय की लय बहुत तेज या बहुत धीमी हो सकती है। सिक साइनस सिंड्रोम (Sick Sinus Syndrome) की स्थिति असामान्य है, हालांकि यह बढ़ती उम्र के साथ बढ़ सकता है।
सिक साइनस सिंड्रोम वाले कई लोगों को दिल को नियमित लय में रखने के लिए पेसमेकर की आवश्यकता होती है।
कितना सामान्य है सिक साइनस सिंड्रोम?
सिक साइनस सिंड्रोम (SSS) असामान्य दिल की गति का विकार है। इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए कृपया अपने चिकित्सक से चर्चा करें।
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लक्षण
सिक साइनस सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं?
सिक साइनस सिंड्रोम वाले अधिकांश लोगों में शुरू में इसके कोई लक्षण नहीं होते हैं। इसके लक्षण धीमी गति से दिखाई देते हैं जो कुछ स्थितियों में अपने आप ठीक भी हो जाते हैं।
अगर बीमारी हैं और इस तरह के लक्षण दिखाई दें, तो यह सिक साइनस सिंड्रोम के लक्षण हो सकते हैं:
- सामान्य से धीमे पल्स (ब्रैडीकार्डिया)
- थकान
- चक्कर आना
- बेहोशी
- सांसों की कमी
- छाती में दर्द
- दिल की धड़कन तेज होना
- दिल की धड़कन महसूस को सनसनी के साथ महसूस करना
- सांस लेने में दिक्कत महसूस करना
इनमें से कई संकेत और लक्षण मस्तिष्क में रक्त प्रवाह कम होने के कारण हो सकते हैं।
इसके सभी लक्षण ऊपर नहीं बताएं गए हैं। अगर इससे जुड़े किसी भी संभावित लक्षणों के बारे में आपका कोई सवाल है, तो कृपया अपने डॉक्टर से बात करें।
मुझे डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
अगर आपको निम्न में से कोई भी लक्षण है, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें:
- चक्कर आना
- बेहोशी
- थकान
- सांस लेने में तकलीफ
- दिल की धड़कन धीमी होना
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कारण
सिक साइनस सिंड्रोम के क्या कारण हैं?
हमारा हृदय चार कक्षों से बना है, जिसमें दो ऊपरी कक्ष (अटरिया) और दो निचली कक्ष (निलय) शामिल हैं। दिल की लय सामान्य रूप से सिनोट्रियल (एसए) नोड या साइनस नोड द्वारा नियंत्रित की जाती है, जो दाएं तरफ में स्थित विशेष कोशिकाओं का एक क्षेत्र होता है।
यह प्राकृतिक पेसमेकर दिल की प्रत्येक धड़कन को गति देने वाले विद्युत आवेगों का उत्पादन करता है। विद्युत आवेग साइनस नोड से अटरिया से निलय तक यात्रा करते हैं, जिससे वे फेफड़ों और शरीर तक रक्त को प्रवाहित करते हैं।
अगर आपके पास सिक साइनस सिंड्रोम है, तो आपका साइनस नोड ठीक से काम नहीं करेगा। इसलिए आपकी हृदय गति बहुत धीमी (ब्रैडीकार्डिया) या बहुत तेज (टैचीकार्डिया) या अनियमित हो सकती है।
सिक साइनस सिंड्रोम के प्रकार और उनके कारणों में शामिल हैं:
- सिनोट्रायल ब्लॉकः साइनस नोड के माध्यम से विद्युत संकेत बहुत धीरे-धीरे चलते हैं, जिससे हृदय गति असामान्य रूप से धीमी हो जाती है।
- साइनस अरेस्टः साइनस नोड की गतिविधि रूक जाती है।
- ब्रैडीकार्डिया-टैचीकार्डिया सिंड्रोमः दिल की दर असामान्य रूप से तेज और धीमी होती रहती है।
साइनस नोड मिसफायर क्या है?
साइनस नोड मिसफायर वह रोग और स्थिती होती है जो दिल की विद्युत प्रणाली को रोकने या नुकसान पहुंचाने का कारण बन सकती हैं।
सिक साइनस सिंड्रोम (Sick Sinus Syndrome) को दवाओं द्वारा भी बंद किया जा सकता है, जैसे कि कैल्शियम चैनल ब्लॉकर्स या बीटा ब्लॉकर्स का उपयोग हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग या अन्य स्थितियों के उपचार के लिए किया जाता है। हालांकि, कई मामलों में, साइनस नोड उम्र-संबंधी स्थितियों और हृदय की मांसपेशियों को फटने के कारण ठीक से काम नहीं कर पाता है।
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जोखिम
कैसी स्थितियां सिक साइनस सिंड्रोम (Sick Sinus Syndrome) के जोखिम को बढ़ा सकती हैं?
सिक साइनस सिंड्रोम के कई जोखिम कारक हैं, जैसे:
- जन्मजात हृदय रोग का इतिहास
- थायराइड रोग का इतिहास
- स्लीप एपनिया विकार
- कोरोनरी धमनी रोग
- हार्ट सर्जरी
निदान और उपचार
यहां प्रदान की गई जानकारी को किसी भी मेडिकल सलाह के रूप ना समझें। अधिक जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श करें।
सिक साइनस सिंड्रोम का निदान कैसे किया जाता है?
सिक साइनस सिंड्रोम का निदान करना मुश्किल हो सकता है। इसका निदान करने के लिए डॉक्टर कई उचित टेस्ट कर सकते हैं जो आपके हृदय के कार्य को मापते हैं। इन परीक्षणों में शामिल हैं:
- इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG): यह हृदय की विद्युत गतिविधि को रिकॉर्ड करता है।
- इकोकार्डियोग्रामः यह हृदय का एक अल्ट्रासोनिक इमेजिंग परीक्षण है।
- ट्रांसोफेजियल इकोकार्डियोग्राम: इस टेस्ट के दौरान अल्ट्रासाउंड डिवाइस को रोगी के गले और घुटकी में डाल दिया जाता है ताकि दिल के आकार की स्पष्ट छवि, दिल की मांसपेशियों की संकुचन शक्ति और हृदय की मांसपेशियों को कोई नुकसान पहुंच सके।
- होल्टर मॉनिटरिंगः इस टेस्ट के दौरान एक इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम मॉनिटर छाती से जुड़ा होता है और कम से कम एक 24 घंटे की अवधि के लिए पहना जाता है। मॉनिटर पहनते समय रोगी अपनी गतिविधियों और लक्षणों को एक डायरी में रिकॉर्ड करता है।
सिक साइनस सिंड्रोम का इलाज कैसे होता है?
सिक साइनस सिंड्रोम के हल्के या शुरुआती मामलों में उपचार से इसके लक्षणों में राहत मिल सकती है। अगर समस्या बढ़ती है, तो आपके डॉक्टर आपकी दवा को बदल सकते हैं या आपके इलाज की विधि भी बदल सकते हैं। अगर साइनस नोड इसके बाद भी ठीक से काम नहीं करता है, तो अधिकांश लोगों को कृत्रिम पेसमेकर प्रत्यारोपण की आवश्यकता पड़ सकती है।
पेसमेकर एक बहुत छोटी मशीन है जिसे दिल की धड़कन को नियंत्रित करने के लिए छाती या पेट में सर्जरी द्वारा प्रत्यारोपित किया जाता है। हालांकि, इसके कारण कुछ जटिलताओं का अनुभव भी किया जा सकता हैः
- सर्जरी के दौरान दिल में कोई छेद होना
- प्रत्यारोपण से संक्रमण
- शरीर की नसों के भीतर खून के थक्के बनना
- फेफड़ों को नुकसान होना
इसके अलावा स्टेम सेल का उपयोग कर सकते हैं। स्टेम सेल अपरिपक्व कोशिकाएं होती हैं जो किसी भी विशिष्ट प्रकार के परिपक्व सेल में विकसित होने में सक्षम होती हैं। ये कोशिकाएं संभावित रूप से साइनस नोड के समान हृदय ऊतक में विकसित होकर कार्य कर सकती हैं।
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घरेलू उपचार
घरेलू उपचार क्या हैं, जो मुझे सिक साइनस सिंड्रोम को रोकने में मदद कर सकते हैं?
निम्नलिखित जीवनशैली और घरेलू उपचार आपको सिक साइनस सिंड्रोम से बचने में मदद कर सकते हैं:
- नियमित तौर पर एक्सरसाइज करें
- स्वस्थ्य आहार खाएं
- वजन का ध्यान रखें
- ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित बनाएं रखें
- स्मोकिंग न करें
- स्ट्रेस कम से कम लें
- नियमित तौर पर स्वास्थ्य की जांच करवाएं।
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हम उम्मीद करते हैं कि आपको सिक साइनस सिंड्रोम से संबंधित ये आर्टिकल पसंद आया होगा। अगर आपके मन में कोई प्रश्न हो, तो डॉक्टर से जरूर पूछें। आप स्वास्थ्य संबंधी अधिक जानकारी के लिए हैलो स्वास्थ्य की वेबसाइट विजिट कर सकते हैं। अगर आपके मन में कोई प्रश्न है, तो हैलो स्वास्थ्य के फेसबुक पेज में आप कमेंट बॉक्स में प्रश्न पूछ सकते हैं और अन्य लोगों के साथ साझा कर सकते हैं।
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